रहस्यमयी टापू--भाग (१२)
सभी लोग बकबक बौने को ढ़ूढ़ते हुए बहुत बुरी तरह थक चुके थे, तभी राजकुमार सुवर्ण ने कहा___
चलिए, पहले अच्छी सी जगह ढ़ूढ़ कर थोड़ी देर विश्राम करते हैं, इसके बाद बकबक बौने को ढूंढते हैं, सबने राजकुमार सुवर्ण की बात पर सहमति जताई और एक अच्छी सी झरने वाली जगह खोजकर कुछ खाने पीने का इंतजाम कर खा-पीकर विश्राम करने लगे, थोड़ी देर विश्राम करने के बाद सुवर्ण को महसूस हुआ कि उसके कंधे पर आकर कुछ चुभा हैं,जब तक वो कुछ समझता इसके बाद शरीर के और भी अंगों पर कुछ सुई के सामान आकार वाली चीजें आकर चुभने लगी।।
जैसे ही वो चीजें सुवर्ण को आकर चुभती ,सुवर्ण दर्द से कराह उठता, उसने सबको आवाज देकर जगाया पर ये क्या? वो तो सभी को आकर चुभने लगीं, कोई कुछ समझ ही नहीं पा रहा था।।
तभी अघोरनाथ जी उस दिशा में गए,जिस दिशा से वो सुई के आकार वाली चीजें आ रहीं थीं, उन्होंने देखा कि एक बौना अपने धनुष से एक साथ पांच पांच तीर अधाधुंध छोड़े जा रहा है, अघोरनाथ जी चुपके-चुपके से उस बौने के पीछे गए और अपनी बांहों में उसे दबोच लिया।।
अब वो बौना छूटने के लिए कसमसाने लगा, चीखने लगा कि मुझे छोड़ दो.... मुझे छोड़ दो।।
तभी अघोरनाथ जी बोले__
पहले ये बताओ कि तुम कौन हो और हम सब पर तीर क्यो छोड़ रहे थे?
क्यो बताऊं कि मैं कौन हूं,जाओ नहीं बताता कि मैं कौन हूं,जो करना है कर लो,उस बौने ने कहा।।
तब तक सब उस बौने के पास पहुंच गए, अघोरनाथ जी ने पुनः पूछा कि बताओ तुम कौन हो? लेकिन उस बौने ने मुंह नहीं खोला।।
तब सुवर्ण उस बौने को पेड़ की लताओं के सहारे बांधकर बोला जब तक तुम नहीं बताते कि तुम कौन हो,हम तुम्हें कहीं नहीं जाने देंगे।।
तभी नीलकमल बोली तो अब क्या करें? किस दिशा में जाए? विश्राम भी नहीं हुआ,वन की देवी शाकंभरी ने तो यहीं जगह बताई थी कि बकबक बौना यहीं मिलेगा,हमलोगों ने तो इस जगह के हर कोने में खोज लिया लेकिन बकबक बौना कहीं नहीं मिला।।
उस बौने ने ये सब सुना और बोला तुम लोग शाकंभरी को कैसे जानते हो?
सुवर्ण बोला, तुमसे मतलब!!
हां.. हां.. वो तो मेरी मित्र हैं, बौना बोला।।
मतलब क्या है? तुम्हारा, सुवर्ण ने पूछा।।
मतलब वो मेरी मित्र हैं, मैं उसे जानता हूं, बौने ने कहा।।
कहीं तुम ही तो बकबक बौने नहीं हो, सुवर्ण ने फिर पूछा।।
हां.. मैं ही बकबक बौना हूं,तुमलोग मुझे कैसे जानते हो? उस बौने ने पूछा।।
अरे, तुम ही बकबक हो, तुम्हारे बारे में हमें वनदेवी शाकंभरी ने बताया, अत्यंत दयनीय अवस्था से गुजर रहीं हैं वो, सुवर्ण बोला।।
ऐसा क्या हुआ? कृपया मुझे भी विस्तार से बताएं, उसने मुझसे सहायता क्यो नही मांगी,बकबक बौने ने कहा।।
बहुत ही दुखभरी कथा है बेचारी की, जिससे प्रेम करती थीं, उसने उसके साथ विश्वासघात किया, अपने पिता के भी विरूद्ध हो बैठी,उसके प्रेमी ने उसके पिता की हत्या कर उसके पंख धोखे से चुरा लिए,अब वो बहुत ही असहाय अवस्था में हैं,उसका सारा जादू उसके पंखों में तो था।।
उसी ने तो हमें तुम्हारे विषय में बताया कि तुम्हारे पास उड़ने वाला घोड़ा है,जिसकी सहायता से अपने प्रेमी को ढूंढकर अपने पंख वापस लेना चाहती है क्योंकि वो बहुत ही बड़ा जादूगर है और खुद की भलाई के लिए किसी की भी हत्या कर सकता है, उसके साथ अघोरनाथ जी की बेटी चित्रलेखा भी है जो उसकी सहायता करती है, सुवर्ण बोला।।
इतना सबकुछ हो गया और मुझे इस विषय में कुछ पता ही नहीं,बकबक बौने ने कहा।।
हां...वो ये मानिक चंद आए, इन्हें अघोरनाथ जी मिले,तब इन्होंने नीलकमल और मुझे हमारे असली रूप में परिवर्तित किया, सुवर्ण बोला।।
परंतु अब वो उड़ने वाला घोड़ा मेरे पास नहीं है,वो तो मुझसे कहीं खो चुका है,वो किसके पास है और कहां खोया है वो तो सांख्यिकी मां ही बता सकतीं हैं,बकबक बौने ने कहा।।
ये सांख्यिकी मां कौन है? अघोरनाथ जी ने पूछा।।
वो बहुत ही बूढ़ी आदिवासी मां है,जो दूर ऊंचे पहाड़ों पर रहतीं हैं, उन्हें तीनों कालों के विषय में ज्ञान है वो भविष्यवाणी बताती है और खोई चींजों के बारे में भी पता लगा सकती है,मेरे पिता जी अक्सर उनके पास ही सलाह मशविरे के जाते थे, बहुत दिनों से सोच रहा था लेकिन उनके पास जा नहीं पा रहा हूं,सर्पीली रानी के सांप हर जगह मेरी ताक लगाए बैठे रहते हैं,बकबक बौना बोला।।
अगर ऐसी बात है तो हम सब मिलकर उन सांपों से मुकाबला करेंगे और सांख्यिकी मां तक पहुंच जाएंगे, मानिक चंद बोला।।
अगर आप लोग मेरी सहायता कर सकते तो बहुत ही अच्छा होगा, मुझे उस घोड़े का पता चल जाएगा और शाकंभरी भी उस घोड़े की सहायता से अपने पंख वापस ले सकती है,बकबक बौना बोला।।
तो फिर यही सही रहेगा,हम सब मिलकर ही उन सांपों से बकबक को बचाएंगे फिर सांख्यिकी मां के पास जाकर घोड़े के विषय में पूछकर शाकंभरी के पास चलते हैं, अघोरनाथ जी बोले।।
और फिर हम सबने ऊंचे पहाड़ों का रूख किया, सांख्यिकी मां के पास जाने के लिए,वो रास्ते कहीं कहीं थोड़ा विश्राम करते और फिर गंतव्य की ओर चल देते,इस तरह से करते उनो कई दिन बीत गए।।
बीच बीच में कभी कभी सर्पीली रानी के सांपों ने भी हमला किया लेकिन सुवर्ण ने उन्हें ठिकाने लगा दिया।।
और बहुत दिनों की मेहनत के बाद उन्हें अपना फल आखिर मिल ही गया, पहाड़ों पर ठंड बहुत ज्यादा थीं,शाम होने को थी दूर एक पहाड़ी पर छोटी सी झोपड़ी दिखाई दी,जिस के बाहर एक लाल झंडा लहरा रहा था,बकबक बौना उस झंडे को देखकर बोला देखो वो है सांख्यिकी मां की झोपड़ी।।
थोड़ी देर में सब सांख्यिकी मां की झोपड़ी के बाहर थे,बकबक बौने ने मां को आवाज लगाई__
मां... सांख्यिकी मां.. कहां हो? देखो तुम्हारा बकबक आया है।।
और सब झोपड़ी के भीतर पहुंचे।।
बकबक!! बेटा तू! बहुत दिनों बाद मां को याद किया, सांख्यिकी मां बोली।।
हां! मां, पिता जी अब नहीं रहें, मैं बड़ी मुश्किल से छुपकर रह रहा हूं, सोचा थोड़ी सेना तैयार कर लूं, बौने बड़ी मुश्किल में है,सर्पीली रानी ने सब तहस नहस कर दिया , पिता जी की हत्या भी उसी ने की है,आपके पास सहायता के लिए आया हूं,बकबक बौना ने सांख्यिकी मां से कहा।।
हां.. हां बोल बेटा,अपनी समस्या बता, मैं क्या कर सकती हूं तेरे लिए, सांख्यिकी मां बोली।।
मां, मेरी एक मित्र हैं,उसके पिताजी मेरे पिताजी आपस में बहुत अच्छे मित्र थे, लेकिन उसके पिताजी की किसी जादूगर ने हत्या कर उसके शक्तियों वाले पंखों को चुरा लिया है,अब उसकी बहुत ही दयनीय अवस्था है,बकबक बौना बोला।।
हां.. बेटा! बोल आगे बोल, सांख्यिकी मां बोली।।
आपको पता है ना कि मेरे पास एक उड़ने वाला घोड़ा था,जो खुद से छोटा भी हो जाता है,उसे मैं हमेशा गले में पहनता था,वो पता नहीं मुझसे कहां गुम हो गया,अगर वो मिल जाए तो मेरी मित्र शाकंभरी की सहायता हो सकती है वो उस की सहायता से उस जादूगर को ढूंढ़ सकती है,उसके पंख मिलने पर वो हमारी सहायता भी कर सकती है,बकबक बौना बोला।।
अच्छा!तो ये बात है, सांख्यिकी मां बोली।।
क्रमशः___
सरोज वर्मा__