Rahashymayi tapu - 11 in Hindi Adventure Stories by Saroj Verma books and stories PDF | रहस्यमयी टापू--भाग (११)

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रहस्यमयी टापू--भाग (११)

रहस्यमयी टापू--भाग (११)

शाकंभरी पेड़ के मोटे तने से जैसे ही बाहर निकली,इतने घुप्प अंधेरे में जंगल में रोशनी ही रोशनी फैल गई,उस नजारे को देखकर ऐसा लग रहा था कि हजारों-करोड़ो जुगनू जगमगा रहे हो।।
रोशनी को देखकर सबकी आंखें चौंधिया रही थीं, शाकंभरी की रोशनी से सारा जंगल जगमगा रहा था, थोड़ी देर में शाकंभरी ने खुद को एक लबादे से ढक लिया, ताकि उसकी रोशनी छिप जाए,अब केवल उसका चेहरा ही दिख रहा था।।
फिर बोली, मेरे पंख शंखनाद ने चुरा लिए है इसलिए मैं आपकी मदद नहीं कर सकतीं, क्योंकि मेरी सारी शक्तियां उन्हीं पंखों में है और उन पंखों की मदद के बिना मैं उड़ नहीं सकती, किसी का जादू नहीं तोड़ सकती, मैं आपलोगों की सहायता तभी कर पाऊंगी जब मैं उन सब का जादू तोड़ सकूं और इसके लिए मुझे कुछ ऐसी वस्तु चाहिए जिसकी सहायता से मैं उड़ सकूं।।
हां,हमें क्या करना होगा,हम आपकी सहायता के लिए तैयार है,मानिक चंद बोला।।
इसके लिए आप सबको एक कार्य करना होगा यहां से दक्षिण दिशा की ओर मेरा बहुत पुराना मित्र बकबक बौना रहता है उसके पास एक उड़ने वाला घोड़ा है जिस की सहायता से मैं तुम लोगों की मदद कर सकतीं हूं।।
परन्तु बकबक बौने को ढूंढना बहुत ही मुश्किल है, चूंकि वो बहुत ही छोटा है, इसलिए ना जाने कहां बिल बनाकर रह रहा होगा और अपने घोड़े को एक ताबीज में बदल कर हमेशा अपने गले में पहने रहता है, बहुत समय से मैं उससे नहीं मिली,अगर उसे इन सबकी सूचना मिल गई होती तो वो अवश्य ही अभी तक मेरी सहायता के लिए आ पहुंचता।।
परन्तु,हम किस तरह पहचान करेंगे कि वो ही बकबक बौना है,हो सकता है कि वहां और भी बौने रहते हो, सुवर्ण ने शाकंभरी से कहा।।
हां, राजकुमार सुवर्ण आप ठीक कह रहे हैं वो बौनो की ही बस्ती है, वहां बौने ही बौने बड़े बड़े पेड़ों के तनों के अंदर अपनी अपनी बस्तियां बनाकर रहते हैं और जरूरतमंदों की सहायता भी करते हैं, शाकंभरी बोली।।
बकबक बौने का भी तो अपना परिवार होगा,जिनके साथ वो रहता होगा,मानिक चंद ने शाकंभरी से पूछा।
हां,था उसका भी एक परिवार था लेकिन अब नहीं रहा,इसके पीछे भी एक लम्बी कहानी है, शाकंभरी ने दुखी होकर कहा।।
लेकिन ऐसा भी क्या हुआ था, बेचारे बकबक बौने के साथ कि उसे अपना परिवार खोना पड़ा,नीलाम्बरा ने शाकंभरी से पूछा।।
तब शाकंभरी ने बकबक बौने की कहानी सुनानी शुरू की।।
बहुत समय पहले उसी जंगल में बुझक्कड़ बौना अपने परिवार के साथ रहता था,वो उस समय वहां का राजा था, तभी एक दिन कुछ बौने बुझक्कड़ बौने के पास फरियाद लेकर आए कि काले पहाड़ पर सर्पीली रानी रहती है जिसका चेहरा औरत जैसा और शरीर सांप जैसा है, उसने ना जाने कितने सांप पाल रखे थे,जिस भी बौने को वो देख लेती उसे तुरन्त ही अपने पाले हुए सांपों से निगलने के लिए कहती हैं फिर राक्षसी हंसी हंसकर आनन्द उठाती।।
ये सुनकर बुझक्कड़ बौने ने कहा कि तुम लोग काले पहाड़ पर जाना क्यो नही छोड़ देते।।
तब दूसरे बौने बोले,हम सब वहां नहीं जाते लेकिन सर्पीली रानी ने अपने सांपों को हमारे रहने के स्थान पर छोड़ दिया और वो सांप हर दिन किसी ना किसी बौने को निगल जाते हैं,आप जाकर सर्पीली रानी से कहें कि वो अपने सांपों को बुला ले।।
ठीक है, मैं आज ही कुछ लोगों को लेकर सर्पीली रानी के पास जाता ,बुझक्कड़ बौने ने कहा।।
ऐसा कहकर बुझक्कड़ बौना कुछ सैनिक बौने के साथ सर्पीली रानी के पास चल पड़ा।।
सर्पीली रानी के पास पहुंचते ही बुझक्कड़ बौने ने सर्पीली रानी से विनती की ,कि कृपया आप अपने सांपों को बौनों के जंगल से बुला लीजिए,आपके सांपों ने जंगल में तबाही मचा रखी है,हर रोज कई बौनो को निगल जाते हैं।।
लेकिन,सर्पीली रानी ,बुझक्कड़ बौने की बात सुनकर क्रोधित हो उठी और उसने कहा, यहां से चले जाओ नहीं तो मैं भी तुझे निगल जाऊंगी।।
लेकिन बुझक्कड़ बौना,सर्पीली रानी की बातों से डरा नहीं और अपने सैनिकों के साथ उस पर हमला कर दिया लेकिन सर्पीली रानी बहुत ताकतवर थी उसने बुझक्कड बौने को अपनी पूंछ से दूर उछाल दिया और बौने सैनिकों को निगल गई, फिर भी बुझक्कड़ बौने ने हार नहीं मानी फिर से तलवार लेकर सर्पीली की ऊपर हमला कर दिया लेकिन इस बार बुझक्कड़ बौना,सर्पीली रानी के वार से बच ना सका और अपनी जान से हाथ गंवा बैठा।।
बकबक बौने को इस बात का पता चला और वो सर्पीली रानी से बदला लेने चल पड़ा और अकेले ही रात के वक्त सर्पीली रानी से भिड़ गया,सर्पीली रानी की आंखों में बहुत सी धूल झोंक कर उसे घायल कर दिया लेकिन इस लड़ाई में बकबक बौने को अपनी एक आंख गंवानी पड़ी,इसकी वजह से बकबक बौने को अपना बदला अधूरा छोड़ कर ही लौटना पड़ा,उस दिन के बाद सारे बौने छुपकर रहने लगे और बकबक बौना अपनी सेना तैयार करने में जुटा है ताकि वो अपने पिता का बदला ले सकें,उस समय मैंने बकबक बौने से कहा था कि मैं तुम्हारी सहायता करूं लेकिन उसने ये कहकर मना कर दिया कि ये मेरी समस्या है और मैं ही समाधान करूंगा, शाकंभरी बोली।।
तब अघोरनाथ बोले,इसका मतलब हमें अब ज्यादा देर नहीं करनी चाहिए,बकबक बौने को ढूंढकर जल्द ही उड़ने वाले घोड़े को लाना होगा।।
सबने कहा सही बात है और शाकंभरी से विदा मांगकर वो सब दक्षिण दिशा की ओर बकबक करते को ढूंढने चल पड़े।।
दो रात और दो दिन के लम्बे समय के बाद वो सब उस जंगल में पहुंचे जहां बकबक बौना रहता था ।।

क्रमशः___
सरोज वर्मा__