Apne-Apne Karagruh - 22 in Hindi Moral Stories by Sudha Adesh books and stories PDF | अपने-अपने कारागृह - 22

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अपने-अपने कारागृह - 22

अपने-अपने कारागृह-22

' उषा क्या तुम्हें पता है कि फरहान साहब के माँ गिर गई हैं जिसके कारण उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई है ।'दूसरे दिन उमा ने सुबह की सैर पर जाते हुए उषा से कहा ।

' लगातार दो बुरी खबर... पर कैसे ?' उषा ने पूछा ।

' वह नहाने के लिए बाथरूम गई थीं , वहीं उनका पैर फिसल गया और वह गिर गईं ।' उमा ने कहा ।

' ओह ! इस तरह की अधिकतर घटनाएं बाथरूम में ही होती हैं । मेरा तो सदा यही प्रयास रहता है कि बाथरूम सूखा रखो ।' उषा ने कहा ।

' मैंने तो इसलिए बाथ चेंबर बनवा लिया है ।'
उमा ने कहा ।

' मैं भी बनवाने की सोच रही हूँ,ऑर्डर दे दिया है । कुछ ही दिनों में लग भी जाएगा ।
वैसे उनकी उम्र क्या होगी ?'

' 80 के लगभग होंगी पर वह अपना सारा काम स्वयं कर लेती हैं ।'

' सच बुढ़ापा ही सबसे बड़ी बीमारी है । इस उम्र में जहां अनेकों तरह की बीमारियां शरीर में पदार्पण कर , शरीर को कमजोर बनाती है वहीं इस तरह के हादसे व्यक्ति के तन मन को तोड़ कर रख देते हैं ।' उषा ने कहा ।

' तुम सच कह रही हो उषा पर यह स्थिति तो सबके साथ आनी ही है । बहुत ही खुशनसीब लोग होते हैं जो एकाएक चले जाते हैं । चलो छोड़ो इन बातों को । क्या उनसे मिलने जाओगी ?'

' जाना तो चाहिए ।'

' वह किस अस्पताल में हैं ?'

' फोर्ड अस्पताल में ।'

' अगर तुम जाओ तो मुझे भी ले लेना डॉक्टर साहब दो दिन के लिए बाहर गए हैं ।'

' ठीक है ।' कहते हुए दोनों ने विदा ली ।

सुबह की सैर कई मायने में महत्वपूर्ण होती है । तन- मन नई उर्जा से भरता ही है , आसपास की महत्वपूर्ण सूचना भी प्राप्त हो जाती हैं ।

शाम को उषा, अजय और उमा के साथ फोर्ड अस्पताल में गई । माँ प्राइवेट रूम में आ गई थीं । उनको डिप चढ़ रही थी । उसने उनसे पूछा,' डॉक्टर क्या कह रहे हैं ।'

' डॉक्टर कह रहे हैं, ऑपरेशन सफल रहा है । दो महीने का बेड रेस्ट बताया है साथ -साथ फिजियोथेरेपी भी करवानी होगी ।' फरहान साहब ने उत्तर दिया ।

: हम माँ जी की आंखों के कैटरेक्ट ऑपरेशन कराने की सोच रहे थे कि अब यह हादसा । बेड रेस्ट के कारण इनके काम के लिए कोई मेड रखनी पड़ेगी । अपने फ्रोजेन शोल्डर के कारण मुझसे तो इनको उठाना, बिठाना हो नहीं पाएगा ।' नजमा ने माँजी की ओर देखते हुए कहा जो दवाओं के असर के कारण सोई हुई थी ।

' अस्पताल की ही कोई आया मिल जाए तो बहुत ही अच्छा है । '

'चाहती तो मैं भी हूँ पर 24 घंटे के लिए कोई आया मिलेगी, संदेह है । अपनी मेड से तो बात की है आप भी पूछ कर देखिएगा ।' फरजाना ने कहा ।

दूसरे दिन उषा ने अपनी मेड पूनम और स्नेह से बात की तो पूनम ने कहा,' मेरी एक मित्र है कमला । उसके पति ने उसे छोड़ दिया है । वह घर लौट आई है । उसके एक छोटा बच्चा है । उसकी सौतेली मां कसाई की तरह उससे घर का काम कराती है साथ में उसके बच्चे को भी खाने के लिए तरसाती है वह कहीं काम करके इस स्थिति से मुक्त होना चाहती है अगर आप कहें तो मैं कल उसे लेकर आ जाऊं ।'

' पर क्या वह अपने छोटे बच्चे के साथ एक बीमार आदमी की सेवा कर पाएगी ?'

' भाभी जी जब पेट की भूख सताती है तो इंसान हर काम कर लेता है । जहां बच्चे की बात है वह सब कर लेगी ।'

' ठीक है, कल उसे लेकर आ जाना । मैं उसे नजमा भाभी से मिलवा दूंगी अगर उन्हें ठीक लगेगा तो वे इसे काम पर रख लेंगी ।'

' ठीक है भाभी ।' पूनम ने कहा ।

दूसरे दिन पूनम की जगह उसकी बेटी पूजा आई और उसने कहा, ' आंटी माँ ने मुझे काम करने के लिए भेजा है ।'

' तुम्हारी मां क्यों नहीं आई ?'

' मां को बदमाशों ने बहुत मारा है ।'

' पर क्यों ?'

'वह कहते हैं कि कमला को तुम्हारी मां ने भगाया है ।'

' क्या कमला भाग गई ?'

' आंटी वह अपनी सौतेली मां के अत्याचारों से तंग आकर भाग गई । उसके चंगुल से बिना दाम की नौकरानी निकल गई इसलिए उसकी सौतेली माँ ने अपने पति के साथ मिलकर मां को इतना मारा कि वह गिर गई । गिरने के साथ ही उसका सिर्फ पत्थर से टकरा गया । बहुत खून निकला । वह तो अच्छा हुआ उसी समय भाई आ गया । भाई को देखकर वह बदमाश भाग गए । भाई मां को तुरंत अस्पताल लेकर गया । मां के सिर में 20 टांके आए हैं ।'

' पुलिस में शिकायत की ।'

' हम गरीबों की कौन सुनता है ? आंटी कमला का पिता पुलिस में ड्राइवर है । पुलिस वाले हमारी सुनेंगे या उसकी ।' कह कर पूजा काम में लग गई ।

उषा चाहती थी कि पूनम को न्याय मिले अतः उसने अजय से बात की । उसकी बात सुनकर अजय ने कहा, ' तुम इस पचड़े में न ही पड़ो तो अच्छा है । पूजा ठीक ही कह रही है, अगर कमल का पिता पुलिस में है तो मैनेज कर ही लेगा फिर तुम सबूत कहां से लाओगी ।'

' पूनम के बेटे ने तो उन बदमाशों को अपनी माँ को मारते हुए देखा है ।' उषा ने कहा ।

' सिर्फ बेटे ने ही देखा है । उसकी बात पर शायद ही कोई विश्वास करेगा । कमला के पिता ने उस पर अपहरण का आरोप लगाया है । यह कोई मामूली आरोप नहीं है । पुलिस व्यर्थ पूनम से पूछताछ करेगी तथा कमला का पिता कह देगा कि एक तो मेरी बेटी को इन्होंने भगा दिया और अब ये मुझ पर मारपीट का आरोप लगा रहे हैं ।'

' आप तो सदा न्याय का साथ देते रहे हैं और आज आप भी...।' उषा ने कहा ।

' तब की बात और थी ...उषा मैं पुलिस की कार्य विधि से पूर्णतः परिचित हूँ । यू.पी. और बिहार मैं कोई अंतर नहीं है । यह गरीब तथा दबे कुचले लोगों का शोषण करना जानते हैं ,उन्हें न्याय दिलाना नहीं । अगर तुम पूनम के लिए कुछ करना चाहती हो तो उसके अस्पताल और दवा का खर्च उठा सकती हो ।' कहकर अजय अपना काम करने लगे ।

उषा सोचने लगी … सामान्य धारणा हैं कि हमारी व्यवस्था में अमीर गरीब सबको उचित न्याय मिलता है पर यह सब सिद्धांत की बातें हैं ,व्यावहारिक नहीं वरना कमला जैसे लोग पुलिस के पास जाते हुए हिचकिचाते नहीं और न ही ईमानदार, काम के प्रति समर्पित अजय वरिष्ठ पद पर रहने के बाद भी इस समस्या पर नकारात्मक रुख अपनाते ।

उषा पूनम को देखने उसके घर गई । पूनम अस्पताल से घर आ गई थी । उसे देख कर उसके चेहरे पर आश्चर्य मिश्रित ख़ुशी के भाव आये तथा उसने कहा , ' भाभी जी आप ...।'

पूजा से तुम्हारे बारे में पता चलने पर मैं स्वयं को तुमसे मिलने से रोक नहीं पाई । तुम काम की चिंता मत करना । पूजा जितना काम कर पाएगी कर लेगी और हां डॉक्टर की सलाह मानते हो दवा समय पर खाती रहना ।' कहकर उषा ने उसे ₹5000 पकड़ाए थे ।

हाथ में रुपए पकड़ते हुए पूनम ने कृतज्ञता से उसकी ओर देखा तथा दुख भरे स्वर में कहा , ' भाभी मेरी गलती क्या थी सिर्फ यही न कि मैंने कमला की सहायता करनी चाही थी पर उसकी मां और पिता ने मुझ पर उसे भगाने का आरोप लगाने के साथ मुझ पर जानलेवा हमला भी करवा दिया ।'

उषा पूनम की बात का कोई उत्तर नहीं दे पाई । उसे प्रसन्नता तो इस बात की थी कि तन मन के घावों से उबरने का प्रयास करते हुए पूनम बीस दिनों पश्चात ही फिर से काम पर आने लगी थी वहीं नजमा की सासू मां भी घर आ गई थीं । उनके काम के लिए अस्पताल से ही एक आया का प्रबंध हो गया था ।

सुधा आदेश

क्रमशः