नगाड़ा संग ढोल बाजे, बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी, मटरगश्ती, अगर तुम साथ हो...जैसे लोकप्रिय गानों ने दीपिका की ख्याति को हर गांव - शहर -महानगर के हर मौके के जश्न में पहुंचा दिया।
इस नई सदी में कभी - कभी ऐसा कहा जाता था कि सुरीले गीत संगीत का जो दौर "गोल्डन एरा" कहे जाने वाले पिछली सदी के कुछ दशकों में था वो जैसे फ़िर लौट आया है।
दीपिका सफ़लता की नई नई पायदान चढ़ती चली जा रही थीं किंतु इसका मतलब कहीं से भी ये नहीं था कि उनकी इस नई मैच्योरिटी के साथ उनका ताज़गी भरा चुलबुलापन कहीं गुम हो रहा हो।
वर्ष दो हज़ार सोलह में इंग्लैंड की ईस्टर्न आई मैगज़ीन ने उन्हें एक बार फ़िर एशिया की "सेक्सीएस्ट" महिला चुना। उनका देसी सौंदर्य ग्लोबल उपलब्धियों के साथ उनकी कामुकता को बदस्तूर जोड़े रहा।
दीपिका एक आधुनिक महिला की छवि में रहते हुए संस्कार, शालीनता और चरित्र के नए प्रतिमान गढ़ती रहीं।
मध्यम वर्ग की चित्रापुर सारस्वत ब्राह्मण ये महिला अपने रिश्तों को लेकर कभी भी दकियानूसी या रूढ़िवादी सोच की गिरफ्त में नहीं रही। न ही उनके परिवार की ओर से उन पर इस तरह की कोई बंदिश लगाई गई।
बहुत छोटी उम्र में ही दीपिका अपनी ही तरह कमसिन और क्यूट युवा मॉडल निहार पंड्या के साथ लिव इन रिलेशनशिप में रह चुकी थीं। इसके बाद रणबीर कपूर के साथ उनके प्यार भरे रिश्ते जगज़ाहिर रहे थे। दोनों काफ़ी दिनों तक अंतरंग प्रेम में रहे।
रणबीर कपूर के साथ अनबन और ब्रेकअप के बाद भी दीपिका ने अपने आप को तत्काल संभाल लिया और उनके साथ फ़िर भी सफ़ल फ़िल्में करके एक ओर अपनी प्रोफेशनल एप्रोच का परिचय दिया तो दूसरी ओर अभिनेता सिद्धार्थ माल्या के साथ डेट करके नए रिश्ते भी बनाए। सिद्धार्थ के साथ उनका संपर्क कुछ ही दिन तक चला।
लेकिन उनसे अलग होने के बाद पूरी एकाग्रता और अन्तरंगता के साथ दीपिका ने रणवीर सिंह से प्यार की पींगे बढ़ाईं।
दीपिका ने कभी न तो अपने परिवार से और न समाज से, कुछ नहीं छिपाया। किंतु वे अपने इन रिश्तों में इतनी ईमानदारी और सच्चाई से जुड़ीं कि अंततः काम के बोझ के साथ- साथ भावनात्मक परिवर्तनों ने उन्हें अवसाद का शिकार बना डाला।
किंतु ख़ास बात ये थी कि अपनी परेशानियों को नियंत्रित करना और उन्हें अपनी एनर्जी में बदलना भी दीपिका ने ही अपने प्रशंसकों को सिखाया। वो नामिता जैन द्वारा फिटनेस वीक काउंटडाउन डायट की प्रेरणास्रोत मॉडल चुनी गईं।
इसी साल दो हज़ार सोलह में उन्हें फ़िर एक बार फ़िल्मफ़ेयर का सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिला। ये पुरस्कार उन्हें फ़िल्म बाजीराव मस्तानी में मस्तानी की भूमिका के लिए दिया गया।
उल्लेखनीय है कि इसके साथ ही उन्हें आइफा अवार्ड समारोह में फ़िल्म पीकू के लिए भी सर्वोत्तम अभिनेत्री के लिए चुना गया।
इस साल उनकी कोई नई फ़िल्म तो रिलीज़ नहीं हुई किंतु एक बड़ी और बेमिसाल ख्याति उनके साथ अवश्य जुड़ गई। वो हिंदी फ़िल्मों की "हाईएस्ट पेड" अर्थात सबसे ज़्यादा मेहनताना पाने वाली एक्ट्रेस बन गईं। सबसे ज़्यादा फ़ीस ऑफर होने से वो फ़िल्म इतिहास के ऑल टाइम ग्रेट एक्ट्रेसेज के क्लब में शामिल हो गईं जिसमें कभी वैजयंतीमाला, साधना, हेमा मालिनी, रेखा, श्रीदेवी, माधुरी दीक्षित, काजोल, ऐश्वर्या राय बच्चन, रानी मुखर्जी, कैटरीना कैफ, विद्या बालन जैसी हीरोइनों का बोलबाला रहा था।
इसके साथ ही लगातार पुरस्कार पाने वाली अभिनेत्रियों में भी वे शुमार हो गईं।
नए साल में उनकी किसी फ़िल्म के रिलीज़ न होने ने उनके बेशुमार प्रशंसकों को न तो चौंकाया और न ही निराश किया क्योंकि लोग जानते थे कि दीपिका ख़ाली बैठने और बेवजह आराम करने वालों में नहीं हैं, वे ज़रूर किसी बड़े प्रॉजेक्ट को लेकर व्यस्त होंगी जो समय आने पर दुनिया के सामने आयेगा।
ऐसा ही था। उन्हें लेकर कुछ बड़े निर्माताओं की बड़ी फ़िल्में या तो फ्लोर पर जाने वाली थीं या फिर अपनी आरंभिक तैयारी में थीं। वो समय आ चुका था कि अब उन्हें ध्यान में रखकर स्क्रिप्ट्स लिखी जाएं अथवा देश विदेश की बड़ी फ़िल्मों से वे जुड़ें।
दीपिका कह भी चुकी थीं और जता भी चुकी थीं कि उनका झुकाव हॉलीवुड की ओर भी है। उनके साथ कई फ़िल्मों में स्क्रीन शेयर कर चुकीं अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अब हॉलीवुड का भी एक सुपरिचित नाम बन चुकी थीं और उनका एक पैर न्यूयॉर्क में तो एक मुंबई में रहने लगा था।
दर्शक इस इंतज़ार में थे कि हिंदी फ़िल्मों की भांति ही इन दो बेजोड़ अभिनेत्रियों का महामुकाबला उन्हें बाहर की फ़िल्मों में भी देखने को मिलेगा।
दीपिका ने इस ओर रुख किया।
उनकी "ट्रिपल एक्स" फ़िल्म दर्शकों ने देखी और सराही।
इधर रणवीर सिंह के साथ चला प्रेम प्रसंग परवान चढ़ने लगा और लोगों को इसकी गंभीरता, निरंतरता तथा संजीदगी देख कर पूरा यकीन होने लगा कि ये रिश्ता विवाह की मंज़िल तक पहुंचेगा।
दीपिका के शुभचिंतकों की इसमें पूरी दिलचस्पी थी। फ़िल्म प्रेमियों ने पिछले अस्सी बरस में फ़िल्म जगत में ऐसे ऐसे विचित्र, बेमेल, अजीबोगरीब वैवाहिक रिश्ते देखे हैं कि जब उन्हें अपने मनपसंद किसी कलाकार का झुकाव शादी के लिए किसी सही सुपात्र के लिए दिखाई देता है तो वो तुरंत उनकी चटपट शादी की दुआएं करने लग जाते हैं।
इस मामले में हमारा मीडिया भी अक्सर "तू डाल - डाल, मैं पात - पात" चलता दिखाई देता रहा है।
कभी तो किसी फ़िल्म के सेट पर शूटिंग के लिए हुई फिल्मी शादी को भी मीडिया ने वास्तविक शुभविवाह बता कर सनसनी फ़ैला दी और कभी नायिकाएं अपनी गोद में बच्चा खिलाते हुए दिखाई दीं और मीडिया को ये भनक तक नहीं लगी कि - ऐं, ये बच्चा किसका है?
टॉप एक्ट्रेसेज की शादियों का तो इतिहास ही निराला है।
फ़िल्मों की "मदर इंडिया" नरगिस राजकपूर के साथ जीने मरने की कसमें खाती रहीं किंतु एक फ़िल्म में अपने पुत्र का रोल कर रहे सुनील दत्त से विवाह रचा बैठीं।
मधुबाला का प्रेम दो बड़े नायकों से रहा पर दुर्भाग्य से उनका विवाह अंततः बीमारी से ही हो गया।
वैजयंतीमाला अपने दौर के सब चोटी के नायकों के दिल की धड़कन रहीं पर फिल्मी दुनिया से बाहर सात बच्चों के पिता से विवाह कर लिया जो पेशे से एक सम्मानित डॉक्टर थे।
मीना कुमारी का विवाह उन कमाल अमरोही से हुआ जो उनके मरते दम तक उनके बेहतरीन निर्माता - निर्देशक तो रहे पर उन्हें खुश रखने वाले पति नहीं सिद्ध हो पाए।
साधना का प्रेम विवाह अपनी पहली ही फ़िल्म के निदेशक से हो गया और उन्होंने फ़िर जीवन पर्यंत अपने किसी हीरो तक को इस नज़र से नहीं देखा।
हेमामालिनी ने फ़िल्मों में अपने बेहतरीन जोड़ीदार धर्मेन्द्र से जब विवाह किया तब धर्मेन्द्र के हेमा से कुछ ही छोटी उम्र के बच्चे थे।
यही श्रीदेवी के साथ हुआ।
हां, इससे पहले रेखा के चार विवाह सुर्खियों में आए। किंतु नई पीढ़ी आज उन्हें एक अविवाहित सदाबहार नायिका के रूप में जानती है।
उनके एक पति ने आत्महत्या की, एक नैसर्गिक रूप से दिवंगत हो गए, एक से उनका अलगाव हो गया और एक से उनकी धर्मपत्नी की कड़ी निगरानी के बावजूद कभी अलगाव नहीं हो पाया।
शर्मिला टैगोर का विवाह क्रिकेट के मैदान में शॉट लगाते ऐसे खिलाड़ी से हुआ कि शर्मिला को अपना धर्म बदल कर कुछ समय के लिए आयशा सुल्ताना बन जाना पड़ा।
माधुरी दीक्षित के फेरे एक ऐसे शख़्स से हुए जो उनसे पहली बार मिलते वक्त ये भी नहीं जानता था कि लड़की फ़िल्म में काम करती है।
लेकिन नई सदी की नायिकाओं ने इस रिश्ते को इतने हल्के में नहीं लिया।