Hostel Boyz (Hindi) - 18 in Hindi Comedy stories by Kamal Patadiya books and stories PDF | Hostel Boyz (Hindi) - 18

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Hostel Boyz (Hindi) - 18

प्रकरण 27 : प्रिंसिपल की ऑफिस में धमाल

31st की सेलिब्रेशन के बाद कोलेज प्रशासन की ओर से हमारा सरघस निकलना तय था। हम सबके भूतकाल के रिकॉर्ड को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने हम सब लड़कों को माफ कर दिया लेकिन हमारे क्लास का moral तोड़ने के लिए क्लास की लड़कीयो को सजा देने का निर्णय किया। punishment ऐसी थी कि लड़कियां अपने parents के साथ प्रिंसिपल के ऑफिस में आए और प्रिंसिपल से रुबरु माफी मांगे। सभी लड़कियां यह सुनकर घबरा गई और वह सब हमारे पास आई और अपनी punishment की बात हम सब को बताई। लड़कियों की punishment सुनकर हमारे क्लास का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया क्योंकि अगर गलती हम सब ने की थी तो punishment सिर्फ लड़कियों को ही क्यों दी?? हम लोगों ने कॉलेज प्रशासन की परवाह किए बिना ही उसका सामना करने का निर्णय लिया। हम लोग किसी भी परिणाम की परवाह किए बिना ही सीधे प्रिंसिपल की ऑफिस में चले गए। पहले तो हमने वहां पर दबंगई और गुस्से से बात की तब प्रिंसिपल के ऑफिस में धमाल मच गई बाद में हमारे क्लास के दो तीन समजदार लड़कों ने प्रिंसिपल से समझदारी और सभ्यता से बात की और कहा कि "हम सबको कॉलेज के नियमो की कोई खबर नहीं थी, अब हम लोग कॉलेज के नियम नहीं तोड़ेंगे और कॉलेज बंक भी नहीं करेंगे"। अगर प्रिंसिपल की समझ में ये बाते न आए तो किसी भी हद तक जाने की हमारी तैयारी थी परंतु यह बात पक्की थी कि कॉलेज प्रशासन के सामने झुकना नहीं है और उनका सामना पूरी दृढ़ता से करना है। प्रिंसिपल ने भी समझदारी और उदारता दिखाते हुए “आगे ऐसा कुछ न करने की सलाह दी जिससे कोलेज के नियम टूटे” और हम सब को माफ कर दिया| यह हमारी यूनिटी की विजय थी और इस निर्णय से हमारे ग्रुप के बीच का bonding और भी मजबूत हो गया।

प्रकरण 28 : सूर्या टका के घर पर मूवी के प्रोग्राम

आज के दौर में थिएटर में फिल्म देखना एक सामान्य बाबत है। लेकिन उस दौर में थिएटर में मूवी देखना हमारे लिए बहुत ही बडी बात थी। हमारे ग्रुप में से 5-6 लोगों को फिल्म देखने का बड़ा शौक था लेकिन पैसे की वजह से हम हमारा शौक पूरे नहीं कर पाते थे। हम लोग ज्यादातर फिल्में टीवी पर ही देखते थे। हमारे क्लास का छात्र सूर्य टका हमारे कॉलेज के पास अपने दोस्तो के साथ rent पर घर लेकर रहता था। उसके पास एक cd player था। हम लोगों को जब भी फिल्म देखने की इच्छा होती थी हम लोग बाहर से भाड़े पर सीडी लेकर आते थे और सूर्य टका के घर पर फिल्म देखने का प्रोग्राम करते थे। हम लोग इंग्लिश हिंदी सब तरह की फिल्में देखते थे। कभी-कभी कॉमेडी के लिए हम गुजराती और horror मूवी भी देखते थे। हम लोग ज्यादातर comedy और thrillers मूवी देखते थे।
हम लोग मूवी देखने से पहले रूम में cd player, tv अच्छे से arrange करके, sterios को कोने में लगा देते थे ताकि surround sound जैसा लगे। बाद में रूम में अंधेरा करके हम लोग मूवी देखते थे। मूवी देखते देखते हम लोग उस पर funny comments भी करते थे। जिसको मूवी देखने की इच्छा होती थी वह भाडे पर cd लेकर आता था और हमको क्लास में बता देता था। कोलेज खत्म होने के बाद हम लोग सूर्या टका के घर पर मूवीस देखने पहुंच जाते थे। आज भी हम लोग वह प्रोग्राम मिस करते हैं।

क्रमश: