Hostel Boyz (Hindi) - 17 in Hindi Comedy stories by Kamal Patadiya books and stories PDF | Hostel Boyz (Hindi) - 17

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Hostel Boyz (Hindi) - 17

प्रकरण 25 : Ring Theory

हम लोग कॉलेज प्रशासन के सामने अक्सर विरोध प्रदर्शन करते थे इसलिए हमारे क्लास का वह कोई नुकसान ना कर सके इसलिए हम लोगोने एक सिस्टम विकसित किया था। सिस्टम ऐसा था कि प्रशासन की तरफ से किसी को भी, कोई भी जानकारी मिले तो वो अपने किसी एक फ्रेंड को वह जानकारी फॉरवर्ड कर देगा। और वह किसी दूसरे को और दूसरा किसी तीसरे को और तीसरा किसी चौथे को ऐसे करके हर छात्र के पास कॉलेज की जानकारी पहुंच जाती थी। उस समय हमारे पास मोबाइल नहीं थे इसलिए यह सिस्टम बहुत ही असरकारक थी। हम communication की इस पद्धति को Ring Theory कहते थे।

हम लोगों ने हमारा क्लास का वातावरण ऐसा बनाया था कि सब लोग एक दूसरे से खुलकर बात कर सकते थे। इस सिस्टम से हमे यह फायदा होता था कि जब हम लोग हमारे वतन में होते थे तब हमारी कॉलेज में से कोई news आती थी तो हम सबको तुरंत ही पता चल जाता था। नोटबुक की xerox हो या exam की date हो, हमें घर बैठे ही सब जानकारी मिल जाती थी। बस हमे उस जानकारी को तय किए हुए एक फ्रेंड को फॉरवर्ड करनी होती थी। simple और effective theory।

हमारा कॉलेज प्रशासन भी कभी-कभी चकित हो जाता था कि सब को एक साथ न्यूज़ कैसे मिल जाती हैं। हमारा क्लास कॉलेज प्रशासन से एक कदम आगे चलता था। ग्रुप में एक दूसरे के लिए सम्मान की भावना, एक दूसरे का अच्छा करने की सोच, हमारे ग्रुप का विश्वास मजबूत करती थी। हम लोग अलग-अलग बैकग्राउंड से थे फिर भी हमारा ग्रुप शुरू से ही एक मजबूत चट्टान की तरह खड़ा था।
हम लोग आपस में जीतना मस्ती मजाक करते थे उतना ही एक दूसरे के प्रति सम्मान भी करते थे। हमारा क्लास जैसी यूनिटी किसी भी क्लास में नहीं थी। कॉलेज के दरमियान हमने कुछ प्राप्त किया हो तो वह हमारी यूनिटी थी क्योंकि उसी वजह से हमारे काफी प्रॉब्लम के सॉल्यूशन हमें मिल गये थे।

प्रकरण 26 : 31st दिसंबर की पार्टी रंगोली पार्क में

ऐसे तो, हमारा ग्रुप काफी सीधा और सादा था। ग्रुप में किसी को ज्यादा खर्च ना हो इसका हम लोग पूरा ध्यान रखते थे। सामान्य तौर पर थर्टी फर्स्ट दिसंबर को celebration का माहौल होता है। थर्टी फर्स्ट आने वाली थी और हम लोग तो उसको कैसे celebrate करें उसके प्लान में लग गए थे। उस समय western festivals हमारे देश में लोग celebrate करने लगे गए थे। थर्टी फर्स्ट की वजह से हमारे ग्रुप में उत्साह और उमंग का माहौल था लेकिन हमारे कॉलेज प्रशासन ने यह त्यौहार celebrate ना करने का निर्णय लिया था। फिर भी हम लोग तो थर्टी फर्स्ट celebrate करने के मूड में थे इसलिए कॉलेज प्रशासन और हमारे बीच संघर्ष होना तय था। हम लोग अगर कोई बात ठान लेते तो वो करके ही छोड़ते थे और उसको करने के लिए हम जी-जान लगा देते थे। हम सब ने थर्टी फर्स्ट कालावड रोड स्थित रंगोली पार्क होटल में celebrate करने का निर्णय लिया था। उस समय हमें कुछ भी करने से पहले कॉलेज की परमिशन की आवश्यकता थी। उस बात का हम में से किसी को भी पता नहीं था और हमें कॉलेज की परमिशन भी जरूरी नहीं लगती थी। हम तो हमारी मस्ती में ही कॉलेज बंक करके रंगोली पार्क में पहुंच गए थे। हमने वहां पर खूब मस्ती की, नए नए खेल खेले, छात्र-छात्राए और प्रोफ़ेसरो की मिमिक्री की। सब खेल खत्म होने के बाद हम सब ने साथ में डिनर लिया। बाद में हम सब लोग रेस कोर्स रिंग रोड पर आए, वहां पर love bite कॉफी शॉप के सामने रास्ते की बेंच पर बैठकर, आनेजाने वाले लोगो की मिमिक्री करने लगे और टाइम पास करने लगे। ठीक है रात को 12:00 बजे हमने एक दूसरे को wish किया और हम लोग हमारे हॉस्टल की और चल दिए। और इस तरह थर्टी फर्स्ट का दिन हमारे लिए यादगार बन गया।

क्रमश: