360 degree love - 18 in Hindi Love Stories by Raj Gopal S Verma books and stories PDF | 360 डिग्री वाला प्रेम - 18

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360 डिग्री वाला प्रेम - 18

१८.

समय चक्र

समय का चक्र बे-फिक्र होकर चलता रहता है, निरपेक्ष भाव से. न जल्दी, न विलम्ब से. पर वह तो हम अपने-अपने स्वार्थों के वशीभूत हैं कि या तो उसके शीघ्र आने की कामना करते हुए आतुर हुए जाते हैं, अथवा उसे अपनी कुछ जटिलताओं के वशीभूत लम्बित रखना चाहते हैं. कभी-कभी आरिणी को लगता कि कुछ जल्दी तो नहीं हो गया सब कुछ विवाह शब्द अपने आप में ही कितना वजनदार शब्द है. आकाश में उडती लड़की के पंख कतर जमीन पर लाने की क्षमता जो रखता है लेकिन वहीं प्रेम की ताकत भी तो है .बिना पंखों के ही आकाश छू लेने की. संशय के बादल उमड़ते भी तो आरव के सामीप्य की मधुर समीर से टिक न पाते.

रविवार भी आ ही गया. शनिवार की रात ही राजेश प्रताप सिंह अपनी पत्नी, बेटे और बेटी के साथ सहारनपुर पहुँच गये. लग्न-सगाई का मुहूर्त अपराह्न डेढ़ बजे का निकला था. पहुँचने के बीस मिनट में ही अभिनव सिंह और माधुरी भी पंजाब होटल में उनसे मिलने आये. बस फ्रेश होकर एक नींद उतारनी थी राजेश को, और तब तक चार बज ही जाने थे.

 

हकीकत नगर के बंगला नंबर १२/३२ में आज काफी चहल-पहल थी. हालांकि राजेश सिंह ने उनको पहले ही आगाह कर दिया था कि किसी औपचारिकता की आवश्यकता नहीं है, बस एक सामान्य घरेलू रस्म होनी चाहिए... पर उनकी बात जैसे अनसुनी हो गई थी. ऐसा उनके घर पहुँच कर हो रही तैयारियों से लगता था. घर के सामने टेंट लगा हुआ था. मेहमानों की आवाजाही हो रही थी. लोग अभिनव सिंह और माधुरी को बधाई दे रहे थे. कुछ लोगों से वह राजेश सिंह का परिचय भी करा रहे थे.

 

आखिरकार वह घड़ी आ गई. मुहूर्त डेढ़ और दो बजकर १२ मिनट के मध्य का था. ठीक एक बजकर चालीस मिनट पर आरिणी मंडप में प्रकट हुई. गहरे लाल रंग के लहंगे में वह किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी. अंगूठी और उपहारों के आदान-प्रदान, फिर मंत्रोच्चारों के मध्य रस्म की प्रक्रिया आरंभ हुई. पन्द्रह मिनट में सब कार्यवाही पूरी हो गई और दोनों मन से एक दूसरे के होने के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो गये.

अभिनव सिंह ने प्रीतिभोज की व्यवस्था की हुई थी. उनके घर में यह पहला वैवाहिक समारोह था. फिर वे लोग आरिणी के इस संबंध को लेकर अति उत्साहित भी थे. उनकी भी पसंद था आरव और उसका परिवार.

लंच के उपरान्त एक घंटा और रुक कर पूरा परिवार वापिस पंजाब होटल के अपने रूम में लौट गया. आज राजेश सिंह और अनुभव सिंह के भी जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अध्याय आरंभ होने जा रहा था.

थकान तो अनुभव और माधुरी को भी अवश्य हुई होगी लेकिन बेटी की शादी के उत्साह के सामने यह थकान कोई मायने नहीं रखती थी. बेटी को लेकर उसके जन्म से ही माता-पिता न जाने क्या क्या योजनायें बनाते है, जब वही समय आया है, तो भला नीद कहाँ. यूँ सहारनपुर में घूमने की कोई ख़ास जगह नहीं है, पर भविष्य के लिए उन्होंने वादा लिया कि वह उनको अपने साथ हरिद्वार, ऋषिकेश और देहरादून जरूर घुमायेंगे.

 

डिनर का समय नहीं था, पर उन लोगों ने ट्रेन में रास्ते के लिए डिनर पैक बना कर भी उनको दिए. ट्रेन का चलने का समय ७.३० था. जैसे ही ट्रेन ने सहारनपुर के प्लेटफार्म से कुछ पग आगे बढाए, अनुभव सिंह ने राहत की सांस ली. यह रिश्ता उनके लिए बहुत बेहतर समय लाने वाला था, ऐसी उनकी धारणा थी. उर्मिला देवी, आरव और वर्तिका-- सब अपने-अपने तरीकों से खुश थे इस रिश्ते से. आरव का मौन भी उसकी प्रसन्नता दिखाने को काफी था.

 

विवाह दो आत्माओं का पवित्र बन्धन है, जिसमें दो प्राणी अपने अलग-अलग अस्तित्वों को समाप्त कर एक सम्मिलित इकाई का निर्माण करते हैं. स्त्री और पुरुष दोनों में परमात्मा ने कुछ विशेषताएँ और कुछ अपूणर्ताएँ दे रखी हैं। विवाह सम्मिलन से एक-दूसरे की अपूर्णताओं कोऋ अपनी विशेषताओं से पूर्ण करते हैं, जिससे समग्र व्यक्तित्व का निर्माण होता है, इसलिए विवाह को सामान्यत: मानव जीवन की एक आवश्यकता माना गया है. एक-दूसरे को अपनी योग्यताओं और भावनाओं का लाभ पहुँचाते हुए गाड़ी में लगे हुए दो पहियों की तरह प्रगति-पथ पर अग्रसर होते जाना और बेहतर समाज बनाना विवाह का उद्देश्य है.

 

चलती ट्रेन में डिनर के बाद कुछ देर बच्चों से हंसी मज़ाक के बाद कब सबको नींद ने आ घेरा, पता ही नहीं चला. ट्रेन भोर में ही लखनऊ पहुँच गई थी.

 

आज वर्किंग डे था, इसलिए राजेश सिंह आराम करने की सुविधा नहीं ले सकते थे, पर शेष लोग… उनकी पत्नी और दोनों बच्चे आज आराम के मूड में थे. लगातार दो दिनों की भाग-दौड़ काफी हो जाती है.

 

इधर कोर्स खत्म हो गया था. परीक्षाएं भी हो चुकी थी. बस चार महीने की इंटर्नशिप होने का समय था. राजेश प्रताप सिंह और उर्मिला की इच्छा थी कि आरिणी की यह ट्रेनिंग लखनऊ में हो, पर उसने बेहतर आप्शन के लिए होंडा कार कंपनी, ग्रेटर नॉएडा से आई स्वीकृति को एक बेहतर अवसर माना, और उसी के मैकेनिकल विभाग में जाने की तैयारी भी आरंभ कर दी.

 

आरव को स्थानीय स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड में इंटर्नशिप मिली थी. यह उत्तर प्रदेश सरकार की एक कंपनी है जो पहले विजय सुपर स्कूटर के लिए विख्यात हुई थी, लेकिन अब केवल विक्रम थ्री-व्हीलर टेम्पो ट्रैवलर बनाती है.

 

आरव को भी थोड़ा अफ़सोस हुआ, आरिणी का साथ छूटने का, लेकिन क्या किया जाए…! उसने अपने मन को समझा लिया. थोड़े-थोड़े सब उदास थे… राजेश, उर्मिला और वर्तिका भी, लेकिन आरिणी ने उनको स्नेह से समझाया. कोई विशेष मुद्दा नहीं था. यह ट्रेनिंग जून के अंत तक थी, और १८ जुलाई का मुहूर्त विवाह के लिए निकल गया था. दोनों पक्षों को यह तिथियाँ सुविधाजनक लगी थी.

 

आखिरकार ट्रेनिंग खत्म हुई. होंडा कार कंपनी के साथ आरिणी का अनुभव उसके शब्दों में ‘अमेजिंग’ था. उसने मैकेनिक्स के साथ-साथ डिजाइनिंग और एस्थेटिक्स की बारीकियों के विषय में भी काफी जानकारी हासिल की थी. कंपनी की इस शाखा के मुख्य प्रबंधक जॉन मायकल भी आरिणी की लगन और कार्यदक्षता से प्रभावित थे. उन्होंने उसको भविष्य में उपलब्ध होने वाली संभावित नौकरियों की सूची के लिए शार्टलिस्ट भी कर लिया था. यह एक बेहतर संकेत था, आरिणी की भविष्य की संभावनाओं के लिए.

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