Rahashymayi tapu - 7 in Hindi Adventure Stories by Saroj Verma books and stories PDF | रहस्यमयी टापू--भाग (७)

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रहस्यमयी टापू--भाग (७)

रहस्यमयी टापू--भाग (७)

मानिक चंद बोला__
वहीं पंक्षी जिसे वो जलपरी कह रहीं थीं कि वो ही सुवर्ण है।।
अच्छा तो ये बात है, उसने इतना झूठ कहा तुमसे, सुवर्ण बोला।।
हां, लेकिन असल बात क्या है? क्या तुम मुझे विस्तार से बता सकते हो,मानिक चंद ने सुवर्ण से कहा।।
सुवर्ण बोला,सब बताता हूं...सब बताता हूं, पहले इस गुफा से बाहर तो निकलें, फिर सारी बातें इत्मीनान से बताता हूं।।
दोनों निकल कर गुफा से बाहर आएं और एक सुरक्षित जगह खोजकर एक पेड़ के नीचे बैठ गये, वहीं पास में एक झरना भी बह रहा था,तब तक शाम और भी गहरा आई थी, मानिक चंद ने पत्थरों से रगड़ कर आग जलाई और कुछ पौधे की जड़ें उसी आग में भूनी और मिलकर खाई फिर झरने से पानी पीकर दोनों उसी आग के इर्द गिर्द बैठ गए।।
अब, सुवर्ण ने कहानी कहना शुरू किया।।
ये तो तुम्हें पता होगा कि जादूगरनी की दो बेटियां थीं जो कि उसकी नहीं थीं उसके पति के पहली पत्नी से थीं,नीलाम्बरा और नीलकमल,फिर नीलगिरी राज्य का राजकुमार शुद्धोधन यानि के मेरे बड़े भाई आए उस जादूगरनी के बारे में पता लगाने, शुद्धोधन को जादूगरनी की बड़ी बेटी नीलाम्बरा से प्यार हो गया,नीलाम्बरा ने जादूगरनी के सब राज शुद्धोधन को बता दिए,इस बात का जादूगरनी को पता चल गया और उसने एक रात शुद्धोधन की हत्या कर दी,नीलाम्बरा ने ये सब बातें अपनी छोटी बहन नीलकमल को बता दी,नीलाम्बरा, शुद्धोधन की मौत को बर्दाश्त ना कर सकी और एक रात कुएं में कूदकर उसने आत्महत्या कर ली।।
अपने बड़े की मौत की खबर सुनकर शुद्धोधन का छोटा भाई सुवर्ण (यानि की मैं)वहां जा पहुंचा और फिर से वही प्रेम-कहानी दोहराई गई,नीलम्बरा की छोटी बहन नीलकमल से सुवर्ण को प्रेम हो गया,उस दौरान मैंने भी किसी जादूगर से कुछ जादू सीख डाले लेकिन मुझे पता नहीं था कि वो जादूगर उस जादूगरनी को अच्छी तरह जानता है,वो जादूगरनी और जादूगर आपस में बहुत समय पहले से ही एक-दूसरे से प्रेम करते थे।
और दोनों ने मिलकर ही नीलाम्बरा और नीलकमल के पिता को मारने की साज़िश रची थी।।
एक रोज उस जादूगरनी ने मुझे (यानि सुवर्ण को) और नीलकमल को साथ साथ झरने के पास बैठा देख लिया और नीलकमल को उसने अपने जादू के जोर पर बदसूरत और बूढ़ा बना दिया तब मैंने भी अपना जादू का जोर आजमाया ये देखकर वो डर गई ,पता नहीं हवा में कहां गायब हो गई, मैंने नीलकमल से कहा कि तुम घबराओ मत मैं तुम्हें ठीक कर लूंगा,अभी तुम उसी घर में जाकर रहो और कोई भी पूछे तो तुम कहना कि तुम ही चित्रलेखा हो और तब से नीलकमल उसी घर में रह रही हैं चित्रलेखा बनकर।।
तभी मानिक चंद बोला, मैं ये कैसे मान लूं कि तुम सच बोल रहे हो।।
सुवर्ण बोला,मैं अभी तुम्हारे सारे संदेह दूर करें देता हूं।।
मैं यूं ही उस जादूगरनी चित्रलेखा को कई दिनों तक ढूंढता रहा,एक दिन वो और उसका प्रेमी शंखनाद समुद्र तट पर बैठे थे, मैंने उन्हें पीछे देखा और जादू के जोर पर चित्रलेखा को जलपरी बना दिया और शंखनाद को पंक्षी, दोनों तब से उसी अवस्था में हैं।।
लेकिन ये बताओ जब तुमने चित्रलेखा को जलपरी और शंखनाद को पंक्षी बना दिया तो तुम्हें गुफा ने किसने कैद किया और तुम्हारे कैद होने के विषय में चित्रलेखा मुझे क्यो बताने लगी भला!! वो तो तुम्हारी दुश्मन हैं आखिर वो क्यो चाहेंगी कि तुम गुफा से रिहा हो,मानिक चंद ने सुवर्ण से पूछा।।
इसके पीछे भी एक कहानी है,अभी बहुत रात हो गई है, थोड़ा आराम कर लेते हैं फिर सुबह मैं सारी कहानी तुमसे कहूंगा, सुवर्ण बोला।।
लेकिन रात भर मुझे नींद नहीं आएगी,डर लगा रहेगा कि तुम सुवर्ण ही हो क्योंकि यहां आकर जिससे भी मिला उसने एक अलग ही कहानी सुनाई,अब डर लग रहा कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ,मानिक चंद बोला।।
अच्छा तो तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है, सुवर्ण बोला।।
हां, नहीं है,अपनी जान को लेकर कौन सजग नहीं रहता,क्या भरोसा तुम्हारा,आधी रात गए तुम मुझे सांप-बिच्छू बना दो तो मैं क्या बिगाड़ लूंगा तुम्हारा,तुम ठहरे जादूगर और ये भी तो पक्का पता नहीं है कि तुम ही सुवर्ण हो,मानिक चंद बोला।।
इसका मतलब तुम्हारा सोने का कोई इरादा नहीं है, सुवर्ण बोला।।
ऐसा ही कुछ समझो,मानिक चंद बोला।।
तो सुनो,अब पूरी कहानी ही सुन लो,शायद तुम्हें मुझ पर भरोसा हो जाए।।
जिसने मुझे कैंद़ किया,वो एक तांत्रिक था जिसका नाम अघोरनाथ था,वो बहुत बड़ा अघोरी था, उसने मेरी सुरक्षा के लिए मुझे उस गुफा में क़ैद किया था ताकि मैं सुरक्षित रहूं, सुवर्ण बोला।।
अब ये क्या फिर से एक नई कहानी,आखिर सच क्या है? पूरी बात ठीक से बताओ,मानिक चंद खींजकर बोला।।
सुवर्ण हंसकर बोला___
अच्छा ठीक है तो सुनो पूरी कहानी।।
जितनी पहले सुनाई वो सारी कहानी सच है और जो अब सुनाने जा रहा हूं,वो भी पूरी तरह सच है।।
अच्छा.. अच्छा... ठीक है,अब सुनाओ भी,मानिक चंद बोला।।
हुआ यूं कि ___
बहुत साल पहले की बात है,एक आदमी था जिसका नाम अघोरनाथ था,उसे तांत्रिक बनने की बहुत इच्छा थी, उसके परिवार में उसकी पत्नी और बेटी ही थे,उसकी भीतर तांत्रिक बनने की इतनी तीव्र इच्छा हुई कि उसने अपना घर छोड़कर शवदाहगृह में अपना बसेरा कर लिया।।
वहां उसे और भी कई अघोरियों का साथ मिल गया,वो घंटों जलते हुए शव पर अपनी तंत्र विद्या आजमाता, उसने इस तपस्या में अपने जीवन के ना जाने कितने साल गंवा दिए,इस दौरान वो अपने घर भी नहीं लौटा वहां उसकी पत्नी और बेटी उसकी राह देखते रहे।।
अब बेटी जवान और सयानी हो चुकी थी,इसी दौरान उसे किसी जादूगर ने अपने प्रेम जाल में फंसा लिया,वो लड़की कोई और नहीं चित्रलेखा थीं और वो जादूगर शंखनाद था।।
चित्रलेखा, शंखनाद के प्रेम में वशीभूत होकर,उसकी सारी बातें मानने लगी, धीरे धीरे शंखनाद ने उसे अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया,उसे जादूगरी में परांगत कर दिया लेकिन ये सब चित्रलेखा की मां को बिल्कुल भी पसंद नहीं था,वो नहीं चाहती थीं कि उसकी बेटी जादूगरनी बनकर, लोगों को नुकसान पहुंचाए।।
एक रोज मां बेटी में बहुत बहस हुई और गुस्से में आकर चित्रलेखा ने अपनी मां की हत्या कर दी,ये बात उसने शंखनाद को बताई और इस बात का पूरा पूरा फायदा शंखनाद ने उठाया, उसने चित्रलेखा को जरिया बनाया अपना मक़सद पूरा करने में, क्योंकि चित्रलेखा को नहीं शंखनाद को नवयुवकों के हृदय से बने तरल पदार्थ पीने की आवश्यकता थी क्योंकि उसे लम्बी उम्र चाहिए थी।।
और इस साज़िश का शिकार पहले नीलाम्बरा और नीलकमल के पिता हुए और बाद में मेरा बड़ा भाई शुद्धोधन,उसका हृदय निकालकर उसके मृत शरीर को घोड़े पर भेज दिया गया था।।
जब मुझे ये पता चला कि मेरा बड़ा भाई शुद्धोधन नहीं रहा तो मुझे यहां आना पड़ा और इसके बाद की कहानी तो मैं तुम्हें बता ही चुका हूं, सुवर्ण ने कहा।।
ये सब तो मैं समझ गया लेकिन तुमने ये नहीं बताया कि तुम उस गुफा में क़ैद कैसे हुए,मानिक चंद ने पूछा।।
हां.. हां..भाई सब बताता हूं थोड़ा सब्र रखो, सुवर्ण हंसते हुए बोला।।
क्रमशः__
सरोज वर्मा___
सर्वाधिकार सुरक्षित__