Apne-Apne Karagruh - 20 in Hindi Moral Stories by Sudha Adesh books and stories PDF | अपने-अपने कारागृह - 20

Featured Books
Categories
Share

अपने-अपने कारागृह - 20

अपने-अपने कारागृह -20

लंदन जाने की लगभग सारी तैयारियां हो गईं थीं । सामान की पेकिंग के साथ अनिला के लिए बेसन के लड्डू, पदम के लिए काजू कतली तथा डेनियल के लिए गुंझिया इत्यादि । जाने से एक दिन पूर्व उषा अपने मम्मी -पापा से मिलने गई । उस दिन मम्मा की तबीयत कुछ खराब थी । सुबह से उन्होंने कुछ नहीं खाया था ।

नंदिता ने बताया कि मां को सुबह से ही पतले दस्त हो रहे हैं । दवा दी है पर कोई फायदा नहीं हो रहा है अगर कल तक फायदा नहीं हुआ तो डॉक्टर को दिखाएंगे । अभी वे बात कर ही रहे थे कि मम्मा ऊ, ऊ करने लगी ।

' क्या हुआ मम्मी जी ?' नंदिता ने पूछा ।

उन्होंने इशारे से कहा कि उल्टी आ रही है । नंदिता जल्दी से मग लेकर आ गई तथा उसके ममा के मुंह के नीचे रख दिया। मम्मा ने उल्टी की । उल्टी का रंग देखकर सब चौक गए ...काला रंग ।

' भैया ,ममा को जल्दी अस्पताल ले चलिए ।' अचानक उषा ने कहा ।

' पर क्यों ?'

' शरीर में कहीं से खून रिस रहा है ।'

' क्या…?' डैडी ने कहा ।

' हाँ...माँ को तुरंत अस्पताल लेकर जाना होगा । शैलेश तुम ममा को लेकर आओ ,तब तक मैं गाड़ी पोर्टिको मैं लेकर आता हूँ ।' कहते हुए अजय चले गए ।

शैलेश ने ममा को गोद में उठाया तथा तेजी से बाहर निकले । तब तक अजय गाड़ी लेकर आ गए थे । शैलेश ने ममा को गाड़ी में लिटाया । डैडी उनका सिर अपनी गोद में लेकर बैठ गए । शैलेश के बैठेते ही अजय ने गाड़ी चला दी ।

' दीदी क्यों ना हम भी चलें । घर में बैठे मन भी नहीं लगेगा ।' नंदिता ने कहा ।

' यही मैं भी सोच रही थी । चलो चलते हैं । ' उषा ने कहा ।

नंदिता ने रामदीन को कुछ आवश्यक निर्देश देकर गाड़ी निकाली तथा वे चल पड़े ।

' दीदी, आपको कैसे पता चला कि मम्मी के शरीर से खून रहा है ?' नंदिता ने रास्ते में पूछा ।

' तुम यह तो जानती ही होगी कि हमारे शरीर में खाने को पचाने के लिए कई जगहों से एंजाइम्स एवं एसिड निकलते हैं अगर ये खून के संपर्क में आते हैं तो वह खून को काला कर देते हैं ।'

' ओ.के .दीदी, मुझे यह बात पता ही नहीं थी । वह तो अच्छा हुआ आप आ गईं वरना शैलेश भी पता नहीं समझ पाते या नहीं ।' नंदिता ने उत्तर दिया ।

जब भी अस्पताल पहुंचे तब तक ममा को इमरजेंसी में भर्ती कर लिया गया था । टेस्ट चल रहे थे । टेस्ट पूरे होने पर जब वह आईं तो उन्हें सीधे आई.सी.यू. में ले जाया गया तथा डिप के साथ अनेक इंजेक्शन लगने प्रारंभ हो गये । डॉक्टर ने तुरंत ही दो बोतल खून का इंतजाम करने के लिए कहा । एंडोस्कोपी से पता चला कि उनके स्टमक (आमाशय ) में अल्सर था, वह बर्स्ट हो गया है जिसके कारण उनका काफी खून बह गया है अतः उन्हें खून चढ़ाना पड़ेगा जिसकी वजह से उनका हीमोग्लोबिन भी 6:00 हो गया था । वैसे एंडोस्कोपी के समय जहाँ से ब्लीडिंग हुई थी, उसे सील कर दिया गया था पर ब्लड तो चढ़ाना ही था ।

शैलेश ब्लड बैंक से ब्लड लेने गए तो उन्होंने खून देने से पहले एक डोनर लाने के लिए कहा । शैलेश ने खून देना चाहा पर उसकी उम्र के बारे में पता चलने पर ब्लड बैंक वाले ने कहा, ' हम साठ वर्ष से ऊपर के व्यक्ति का खून नहीं लेते हैं क्योंकि इस उम्र के पश्चात शरीर में खून बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है । तब उषा ने खून दिया तथा एक डोनर शैलेश में अपनी फैक्ट्री से बुलवा लिया ।

वह ममा के पास गई तो उन्होंने कहा, ' आज तो तुम्हें लंदन जाना है ।'

' हाँ पर...।'

' तुम चली जाओ बेटा , मुझे कुछ नहीं होगा । तेरे डैडी , शैलेश और नंदिता तो है हैं ।'

' मम्मी जी आपको ऐसी हालत में छोड़कर जाना हमें अच्छा नहीं लगेगा ।' अजय ने उत्तर दिया था ।

' पर बेटा...।'

' मम्मी जी प्लीज, आप ज्यादा बात न करें, आराम करें ।' अजय ने कहा ।

' ठीक है बेटा ।' कहकर उन्होंने आंखें बंद कर लीं ।

अजय को अपनी ममा की केयर करते देखकर बहुत अच्छा लगा था यद्यपि उषा को अपना प्रोग्राम कैंसिल होने का दुख तो था पर अगर वह ममा को ऐसी हालत में छोड़कर चली जाती तो स्वयं की नजरों में तो अपराधी होती ही, वहाँ भी चैन से नहीं रह पाती । उषा ने जहां पदम और डेनियल को मम्मा की बीमारी की वजह से अपने न आने की सूचना दी वहीं अजय ने टिकट कैंसिल करवाएं । टिकट रिफंडेबल थे अतः ज्यादा पैसा नहीं कटा ।

उनके न आने से अनिला बहुत अपसेट हो गई थी । यहाँ तक कि वह उससे बात करने के लिए भी तैयार नहीं हो रही थी । दरअसल स्प्रिंग ब्रेक के कारण उसकी हफ्ते भर की छुट्टी थी जिसे वह अपने दादा -दादी के साथ बिताना चाहती थी । आखिर उषा ने डेनियल से स्काइप पर आकर अनिला से बात कराने के लिए कहा । पहले तो अनिला स्काइप पर आने के लिए तैयार ही नहीं हो रही थी पर जब डेनियल और पदम में समझाया तब वह उससे बात करने के लिए तैयार हो गई पर फिर भी वह उसकी तरफ नहीं, दूसरी तरफ मुँह करके उससे बात कर रही थी ।

' मेरी रानी गुड़िया ,दादी से बहुत नाराज है ।'

' हाँ.. ।'उसने दूसरी तरफ देखते हुए क्रोध से कहा ।

' अच्छा यह बताओ अगर तुम्हारी मम्मा बीमार होती तो क्या तुम उसे बीमारी की हालत में छोड़कर कहीं जा सकती थीं ।' उषा ने अनिला से पूछा ।

' नहीं, कभी नहीं ...।' अनिला ने उसकी ओर देखते हुए कहा ।

' फिर बेटा मैं अपनी मम्मा को छोड़कर कैसे आऊं ? वह बहुत बीमार हैं । अस्पताल में एडमिट है ।'

'क्या बड़ी दादी बीमार हैं ?'

'हां बेटा...।'

' ओ.के .दादी पर प्रॉमिस आप उनके ठीक होने पर अवश्य आयेंगी ।'

' प्रॉमिस बेटा ।'

उसके समझने के पश्चात अनिला को सहजता से बातें करते देख कर उषा ने संतुष्टि की सांस ली थी । घर में छोटा बड़ा कोई भी परेशान हो, नाराज हो तो जब तक उसकी नाराजगी दूर न हो, मन परेशान ही रहता है । ममा को चार बोतल खून चढ़ाना पड़ा था । लगभग 10 दिन पश्चात मम्मा घर आ पाईं, तब सबने चैन की सांस ली ।

सुधा आदेश

क्रमशः