इस कहानी के सभी पात्र वा घटनाएं काल्पनिक है इसका किसी व्यक्ति के निजी जीवन से कोई सम्बन्ध नही है।
एक समय की बात है। नील और उसका दोस्त सूरज बात कर रहे होते हैं, कि यार काशीपुर जहां हम लोग ट्रैनिंग के लिए गए थे, वहां बिसनेस करेंगे। नील कहता है, ठीक कहता है।यार तू और वो दोनों दोस्त सब तय करके अपना समान पैक करते हैं। और घर वालो से बता के निकल पड़ते हैं।
बातें करते करते वो काशीपुर आ जाते हैं।अब उनके रहने का इंतज़ाम कैसे हो । आगे चलते हैं।तभी उन्हें में खयाल आता है, कि वो संजना के घर के पास वाले कमरे में ही क्यों नही रह लेते। सूरज ये बात नील को बोलता है। नील ये सुनकर उदास हो जाता है। और मना करता है। सूरज उसको समझाता है, कि यार अभी खाने का इंतज़ाम भी करना है। सूरज के बोहोत समझाने पे नील मान जाता है।और रहने का इंतज़ाम करता है।
नील और सूरज रात का खाना खाते हैं।और बिस्तर लगा के
लेट जाते हैं।जल्दी दोनो को नींद आ जाती है। अचानक नील की आंख खुलती है।नील समय देखने को मोबाइल उठाता है।
रात के बारह बज रहे होते हैं।तभी उसे ऐसा लगता है, जैसे कोई उससे कह रहा हो। चले आओ।नील उठ के जाता है। टॉर्च लेके चारो तरफ देखता है। मगरउसे कुछ भी दिखाई नही देता है।वो वापस आने लगता है।उसे फिर ऐसा लगता है ,जैसे किसी ने उसके कंधे पे हाथ रखा हो। वो पीछे पलट के देखता है। कोई नही होता है। उधर सूरज की आंख खुलती है। तो वो देखता है कि नील नही है। और घड़ी में समय देख के देखने को बाहर आता है, कि नील कहाँ है,नील भी वहीं खड़ा सोच रहा था, कि कौन था, वो जो एक पल में गायब हो गया। तभी सूरज बोलता है। यार तू इतनी रात को यहां क्या कर रहा है ।
नील कुछ नही बोलता। और चुप चाप अंदर आ जाता है। और सो जाता है।सूरज ये सब देख के सोचता है, कि बड़ा अजीब
आदमी है। पता नही इतनी रात में यहां क्या कर रहा था।और वो भी आके सो जाता है।
अगले दिन दोनो ज़मीन देखने निकल पड़ते हैं,होटल के लिए जैसा कि उनका प्लान है।ज़मीन लेके होटल बनाने का वही उन्हें ऑन रोड ज़मीन मिल भी जाती है।अब वो वापस वहां अपने रूम पर आ जाते हैं।और सूरज नहाने चला जाता है। तबी नील को फिर वही आवाज़ सुनाई देती है। चले आओ चले आओ।नील भी खुद को नही रोक पाता है ,और उस आवाज़ के पीछे चल देता है। रूम के पास में बाग है, वही से वो आवाज़ आ रही होती है।नील वहां जाके चारो तरफ देखता है।मगर उसे कुछ दिखाई नही देता है। वो फिर वापस होने के लिए चल देता है।तो अचानक से तेज़ हवाएँ चलने लगती हैं।और नील को ऐसा फील होने लगता है,जैसे कोई उसे पकड़ के खीच रहा हो,और उसको वहां से जाने देना नही चाहता हो।
एक दम से नील को एक लड़की को अपने सामने खडा पाता है। जैसे ही वो उसकी तरफ बढ़ता है, और छुने की कोशिश करता है।वो लड़की गायब हो जाती है।ये सब देख के नील बेहोश होकर गिर जाता है। इधर सूरज नाहा के निकलता है, और नील को आवाज़ लगाता है, मगर नील की साइड से कोई जवाब न पाकर वो परेशान हो जाता है,और उसको ढूंढने निकल पड़ता है, मगर नील उसको कही नही मिलता। सूरज सोचता है,एक बार इस बाग में और देख लूं शायद यहां मिल जाये, सूरज उसे ढूंढता है,और देखता है,कि नील बेहोश पड़ा है।सूरज उसको उठाता है, उसको पानी के छिटे मारता है। नील को होश आते ही सूरज गुस्सा करता है,कहता है, कि तू बिना बताए कहाँ चला जाता है,नील चुप रहता है,और उसके पूछने पे भी कुछ नही बताता। उसको अब दोनों मिलकर खाना बनाने में लग जाते हैं। कुछ समय बाद खाना तैयार हो जाता है।दोनों खाना खाने लगते हैं,और खाने के बाद सो जाते हैं।
जब नील ग़हरी नींद में होता है। देखता है, कि कोई काली परछाई उसके पास आ रही है।नील कहता है,कौंन हो तुम वो चुप खड़ी रहती है।नील फिर कहता है कौन हो तुम,और क्यो मुझे परेशान कर रही हो। मगर वो कुछ नही कहतीहै।
घबरा के नील की आंख खुल जाती है।वो मुह धोने जाता है, और सोचता है।कि क्या है, ये सब जो मेरे साथ हो रहा है। ये मेरा भ्रम है, या सच तभी सूरज की आंख भी खुल जाती है। और सूरज चाय बनाता है।और नील को कुछ देर तक देखने के बाद बोलता है, एक बात बता यार मैं कुछ समय से तुझे बोहोत परेशान देख रहा हु,क्या बात है। मुझे ऐसा लगता है, जैसे तू मुझसे कुछ छुपा रहा है।नील कहता है ,ऐसी कोई बात नहीं है।
सूरज कहता है।नील से आज तू आराम कर मैं चला जाऊँगा।
साइट पे काम देखने तू आज खाना बना लेना नील कहता है।
तू जा मैं कर लूंगा सब आज नील सब्ज़ी लेने थोड़ी दूर जाके एक चाचा से सब्ज़ी लेता है।और सब्जी बना के नहाने चला जाता है।नाहा के वापस आता है तो उसे फिर वही आवाज़ सुनाई देती है। चले आओ ,चले आओ ये आवाज़ सुनके नील उस आवाज़ पे खिंचा चला जाता है।वो ये आवाज़ सुन के फील करता है,जैसे इस आवाज़ में कोई आकर्षण हो।कमरें की लाइट खुलने बन्द होने लगती है।अंधेरा छा जाता है। तब एक आवाज़ आती है।कहाँ जा रहे हो तुम मुझसे बच के नील घबरा जाता है। कहता है कौन हो तुम और क्यो मुझे परेशान कर रही हो? मैंने तुम्हरा क्या बिगाड़ा है?छोड़ दो मुझे।जाने दो।
नील तुम नही जा सकते हो।तभी वहां सूरज आ जाता है।वो चली जाती है।नील को बड़बड़ाता हुआ देखकर सूरज नील से कहता है,क्या हो गया है? तुझे क्या बडबडा रहा है? क्यो परेशान है?आज तुझे बताना ही होगा सब मुझे नील बात बदल देता है।अब नील सोचता है, कि यहां ज़रुर कुछ गड़बड़ है।तू यहां से निकल ले।सूरज तेरी सुनेगा नहीं।जब रात को सूरज सो जाता है।तब नील सारा सामान पैक कर लेता है। और वहां से निकलने की सोचता है। वो सामान रख के बाहर के हालात देखने के लिए निकलता है।अचानक आवाज़ आती है ,नील रुको।ये आवाज़ सुनके नील भागने लगता है। अब जान प्यारी है, तो तू सामान छोड़ और भाग ले।नील यहां से ये बात वो खुद से कहके भागने लगता है।नील रुको नील रुको आवाज़ तेज़ हो गयी। और एक भूतनी जिसका हुलिया कुछ इस तरह था।काली काली बड़ी बड़ी आँखे लंबे बाल बड़े बड़े नाखून
बड़े गन्दे से दांत बड़ेबड़े दांत खतरनाक आवाज़ नील से वो बोलती है, कि कहां जा रहे थे?तुम बच के नील फिर घबरा के अपने दोस्त सूरज के कमरे की तरफ भागने लगता है।भागते भागते वो उसी बाग में वहां जो खंबा लगा था।
वहां जो खंभा लगा था,लाइट का उसपे लाइट जल रही थी। वो कभी जलती, कभी बन्द होती,एक दम से नील के आगे बोहोत सारा खून गिरता है। नील घबरा रहा,और पसीने से पूरा गीला हो गया। लाइट बन्द हो जाती है खुद बा खुद फिर तेज़ हवाएँ चलने लगती है। वही भूतनी आती है, लाइट जल बुझ रही है ,भयानक आवाज़ में भूतनी कहती है ,कि बच के कहाँ जाओगे।तुम्हे मुझे इंसाफ़ दिलाना ही होगा।नील कहता है।तुम कौन हो ? मेरी जान बख्श दो।मैंने तुम्हरा क्या बिगाड़ा है।भगवान के लिए मुझे छोड़ दो।वो चुप हो जाती है, और रोने लगती है,ये देख के नील सोच में पड़ जाता है, फिर बोलता है। तुम रो क्यो रही हो?
वो बोलती है कि मैं एक आत्मा हूँ मेरे साथ अनन्याय हुआ है।एक तुम ही हो जो मेरी मदद कर सकते हो।मैं अपने पापियो से बदला लुंगी।नील फिर सोच में पड़ जाता है। वैसे तो ये इतनी भयानक नही है, जितने दूसरे भूत हुआ करते हैं।कहते हैं, कि
इंसान के मरते वक्त जो भावनायें या इच्छाएं प्रबल होती हैं। वो वो आत्मा के साथ रह जाती हैं। तब नील पूछता है, कि कोनसा इंसाफ कोनसा बदला? और मेरा क्या कुसूर है ? तुम मुझे परेशान कर रही हो।तब वो आत्मा अपने असली रूप में आ जाती है।नील देखता रह जाता है। और कहता है, संजना तुम और रोने लगता है। उसकी आँखों से आँसुओ की बौछार होने लगती है।कहता है, संजना ये तुमने क्या किया।क्यो तुमने सुसाइड की थी? मैं तो आया था। क्या मेरे पे भरोसा नही था? तुम्हे संजना की आत्मा भी रो रही थी।संजना की आत्मा कहती है,नील तुम्हे क्या लगता है कि मैंने सुसाइड की नही नील तुम्हारी संजना इतनी कमज़ोर नही है।ये सब काशीपुर के कुछ लोगो और मेरे पापा का किया धारा है। नील पूछता कैसे किया हुआ? मुझे बताओ संजना की आत्मा बताती है,कि नील
जब उस दिन मैं तुमसे मिलने आए थी।तो मुझे और तुम्हे प्रधान के बेटे संजू ने देख लिया था। और पापा ने मुझे मारा और पूछा कहाँ गयी थी। उसके बाद से मेरा घर से निकलना बंद कर दिया गया। और मेरी शादी तय कर दी गयी। मैंने शादी से मना किया।तो मुझे मारा पीटा गया।शादी वाले दिन मैं घर से गायब हो गयी। मेरी माँ पापा की बेइज्जती हुई खूब जब मैं वापस घर आई। तो मेरे साथ बोहोत मारा पिटी हुई। रात को मुझे पकड़ के बांध दिया गया। और मेरे ऊपर कुल्हाड़ी से वार किया गया। मैं तड़प तड़प के मरी। ये कहते हुए संजना बोहोत बुरी तरह रोने लगी। मुझे मेरे बाप ने मार डाला। नील की आँखे भी रोते हुए लाल हो गयी।नील कहता है। मैं आया था।संजना तुम्हे लेने अपना बनाने शादी करने मगर मुझे पता चला, कि तुमने आत्महत्या कर ली है। नील मेरी लाश इसी जंगल में उल्टे हाथ के कोने में दबाई हुई है। मेरा अंतिम संस्कार करा देना। और आत्मा गायब हो जाती है। नील रोता हुआ। कमरे में आता है। तभी सूरज की आँख खुल जाती है।
वो घड़ी देखता है।और लाइट ऑन करता है।तो नील रो रहा होता है।सूरज उससे कहता है।बताएगा कुछ ?मुझे वैसे तो मुझे आजकल कुछ समझता नही है।नील कहता है ऐसा कुछ नही है। मैंने तुझसे कहा था न की यहां रूम मत ले।अब देख क्या हुआ है? मेरी संजना के साथ और वो सारी बातें सूरज को बता देता है। सूरज उसकी बातों को सुनके हँसने लगता है। और बोहोत मज़ाक उड़ाता है।और बोलता है।तुझे मैं ही मिला था।ऐसा मज़ाक करने को कुछ भी बोलता है। नील कहता है।कभी तो सीरियस हो जाया कर ।मैं मज़ाक नही कर रहा।
तभी लाइट ऑन ऑफ होने लगती हैं।और ढेर सारा खून गिरता है।नील कहता है। देख मैन कहा था। न ये मज़ाक नही है। सूरज हँसने लगता है। कहता है। तू पागल वागल हो गया है क्या।
यहां तो कुछ भी नहीहै ।और कोई तार हिल गया होगा।मैं देख के अभी आया। इस तरह सूरज कई बार नील की बात को मज़ाक समझ के अपने काम मे लग जाता है।नील कहता है। मुझे संजना को इंसाफ दिलाना है। ये बात सुन के सूरज गुस्सा हो जाता है। कहता है।कितने दिन से तेरा एक ही राग सुन रहा हूँ।संजना ने आत्महत्या की थी। ये भूल गया क्या तू। ये सब तेरे दुखी दिमाग का फतुर है।भूल जा उसे। नील कहता है। नही मैं उसे इंसाफ ज़रूर दिलाऊंगा। सूरज उसकी
बात नही मानता है।तभी तेज़ की गड़गड़ाहट होती है। कमरे की लाइट ऑन ऑफ़ होने लगती है।और बहुत सारा ख़ून गिरता है।ये सब अब सूरज को भी दिख रहा होता है। सूरज की आंखे फ़टी रह जाती हैं।तब संजना की आत्मा आती है।
सूरज डर जाता है। अब संजना की आत्मा सूरज को बहुत डराती है। और सूरज को इस तरह सब पता लग जाता है।
अब सूरज और नील सुबूत जमा करने में लग जाते हैं। और
संजना के पिता और उस गांव के प्रधान का पता लगाते हैं।
और संजना की आत्मा उसको कुल्हाड़ी कहाँ रखी गयी है।ये बताती है।दोनों दोस्त सूरज और नील
पुलिस को सारी घटना से अवगत कराते हैं। मगर पुलिस उनकी बात मानने में आनाकानी करती है। तब नील संजना की आत्मा से मदद लेता है। स्पेक्टर को संजना की आत्मा डराती है।खून गिरना लाइट का ऑन ऑफ होना स्पेक्टर की गर्दन पकड़ना स्पेक्टर डर जाता है।और संजना की आत्मा से इंसाफ दिलाने का वादा करता है।पुलिस मामले की खोज बीन करती है।और सारे बात सच निकलने पे संजना के पिता और गाँव के प्रधान को अरेस्ट कर लेती है।संजना की आत्मा नील के गले लग के रोने लगती है। और कहती है।नील मेरा अंतिम संस्कार करके तुम मुझे मुक्ति दिला दो।नील रोते हुए
हामी भरता है। और अंतिम संस्कार की तैयारी में लग जाता है। संजना को अंतिम संस्कार के टाइम जाते देख के उसकी आँखों मे आंसू आ जाते हैं।संजना नील से ये कहते हुए जाती
है ,कि तुम अपनी नई दुनिया बसाओ और हमेशा खुश रहना।
इस प्रकार संजना को इंसाफ़ मिल जाता है।
नूरूस्सबा निशी बछराओं