हमारे भारत के अधिकतर परिवारों में लड़कियों को बोझ समझा जाता है|लड़कियों के अरमानों को कुचलकर उन्हें छोटी उम्र में ही ब्याह के बंधन में बाँध दिया जाता है और विवाह के बंधन में बधते ही अधिकतर लड़कियाँ अपने सपने भी भूल जाती है या जिम्मेदारियों के आगे वो उन्हें याद करने की कोशिश ही नही करती हैं|ऐसे ही लड़कियों में एक लड़की थी 'प्रिया'| प्रिया से दूर हुए मुझे दो साल हो गए थे और मै आज प्रिया से मिलने उसके घर गयी थी घर पहुँचने पर प्रिया की माताजी से मैने पूछा प्रिया कहाँ है? माताजी ने जवाब दिया प्रिया की शादी हो गयी है और अब वह अपने ससुराल है मै जबाब सुनकर सन्न रह गयी फिर अपने को संभालते हुए मैंने माताजी से प्रिया के ससुराल का पता लिया और फिर मै प्रिया के ससुराल पहुँची ससुराल पहुँचकर मैंने देखा एक दुबली पतली सी औरत अपने घर में झाड़ू लगा रही थी और उसके बगल में एक छोटा सा बच्चा अपने खिलौनों के साथ खेल रहा था मैंने पुकारा प्रिया तो वह औरत मुड़ी मै उस औरत को देखकर अवाक रह गयी कि जो प्रिया खुद को ही नहीं संभाल पा रही थी वो आज घर की पुरी जिम्मदरियों के साथ साथ दो बच्चों को भी संभाल रही है| मैंने गुस्से में पूछा"तुम तो एक इंजीनियर बनना चाहती थी न फिर ये सब क्या है? मैंने गुस्से में उसके हाथ से झाड़ू उठाकर फेक दिया मैंने बोला याद है न तुम्हें जब मै दिल्ली तुम्हारे घर में किराये के कमरे में रहा करती थी तो तुम मुझसे रोज मिलने आती थी और हम घंटो तक एक दूसरे के साथ समय बिताया करते थे, तुम बोलती रहती थी और मैं तुम्हारी बातों को ध्यान पूर्वक सुनती थी तुम तो हमेसा कहती थी कि तुम्हें एक इंजीनियर बनना है और उसके बाद तुम्हें शादी करनी है लड़कियों को भी अपने पैरों पर खड़ा होना चाहिए नहीं तो उनकी कोई अहमियत नही रह जाती है |मैंने कुछ देर के लिए अपने वाणी को विश्राम दिया और मैंने कहा प्रिया तुम मेरी बातों को सुन रही हो न प्रिया ने सर हिलाते हुए हाँ में जवाब दिया मैंने अपने बातों को जारी रखते हुए कहा याद है न तुम्हें तुम मुझसे हमेसा कहती थी कि मुझे जीवन में अपनी एक अलग पहचान बनानी है धीरे धीरे ये सब बातें तुम्हारे घर वालों को पता चल गयी और उन्हें लगता था कि मेरे साथ रहकर तुम बिगड़ रही हो और लड़को वाले सपने देख रही हो तुम्हारे घर वालों का मानना था कि लड़कियाँ घर के ही कामो के लिए है कुछ बनने का सपना केवल लड़को को देखना चाहिए उन लोगों ने हमारा और तुम्हारा मिलना बन्द करवा दिया फिर भी तुम मुझसे छिप- छिप कर मिलने आती थी फिर मेरा तबादला दूसरे शहर हो गया और दो साल में तुमने अपने आप को इतना बदल लिया और सपने को भी भूल गयी या यह कह लूँ कि तुमने अपना अस्तित्व ही खत्म कर लिया मैं बोलती जा रही थी और जो प्रिया पहले हमेसा बोलती रहती थी वो शांतिपूर्वक मेरे बातों को सुन रही थी और जवाब में बस बोली "शादी के बाद जिंदंगी बदल जाती है"जवाब सुनकर मै बहुत दुखी हुई इस छोटे से वाक्य में ही प्रिया ने बहुत कुछ कह दिया था|