सलोनी बहुत प्यारी सी गुड़िया जैसी बच्ची है और वह अपने दादा-दादी के साथ रहती है , दुर्भाग्यवश उसके माता-पिता कि एक दुर्घटना में मौत हो चुकी है। सलोनी को उसके दादा दादी बड़े नाजों से पालते हैं।दादा दादी में उसकी जान बसती है। हर पल आंखो के सामने देखना चाहते हैं।
सलोनी अभी पांच की है पर बातों में सबकी दादी। शैतानी तो उसकी आंखों से झलकती है । रोज सुबह उठकर दादाजी को लेकर सैर को जाती है । और आज भी सलोनी परेशान करने लगी सैर के लिए । सलोनी बोली - दादू चलो ना सैर को। दादाजी ने कहा- तू बड़ी शैतान हो गई है ,आज नहीं जाना है।पर सलोनी कहां मानने वाली थी उसे तो जाना था। और फिर दादाजी को जाना पड़ा। पार्क में जा कर झुला झुलने लगी ,सब आकर सलोनी के गाल पकड़ते कोई उसे प्यार से छूने की कोशिश करता तो फिर उसकी शामत आ जाती । क्योंकि सलोनी को पसन्द नहीं था कि कोई अजनबी उसे छूए। ये हक सिर्फ उसके दादाजी और दादीमा और हरिया काका का था
वो लोग घर वापस आ गए और सलोनी दूध न पीने का बहाना करने लगी, और बोली पेट दर्द हो रहा है। फिर दादी मां भी जानती है कि सलोनी का रोज का बहाना है तभी दादी मां बोली सलोनी दूध पीने से ताकत आती है और ताकत से सलोनी जल्दी से बड़ी हो जाएगी है ना। ऐसा सुनकर सलोनी खुब मस्ती शोर करते हुए दूध पीने लगती है।
इनका ये घर सिर्फ सलोनी के शोर मचाने से जगमगाया करता है। ये उनके पड़ोसी को भी पता है।सबका मानना है कि कोई परेशान हैं और कोई दुःखी है तो सलोनी के पास इसका इलाज है। वो बच्ची अनजाने में ही सबका भला कर जाती है।
रविवार को तो पूरा घर खुशियों से भरा रहता है।।दोपहर के भोजन में सलोनी बोली दादी मां पुरी व खीर खाना है। दादी बोली हां वो ही बनाई हुं। फिर तो सलोनी बड़े चाव से पुरी व खीर खाने लगी। और बोली मेरे लिए रख देंना।शाम को खाऊंगी।
रोज की तरह आज भी सलोनी उसकी दादी मां से लोरी सुनते-सुनते सो जाती है और फिर सलोनी की दादी भी सो गई। उधर सलोनी के दादा जी उस नन्ही परी को लेकर चिंता करते रहते है,जब सलोनी बड़ी हो जाएगी और शादी करके ससुराल चली जाएगी। हमारा क्या होगा हम उसके बिना कैसे रह पाएंगे? सोचते-सोचते दादाजी कि आंख भर आई, और कुछ देर बाद सो गए कुछ
देर बाद ही सलोनी उठ गई और उसको शरारत सूझी उसने देखा कि हरिया काका उसके कमरे के बरामदे में रोज की तरह आज भी सो रहे हैं।बस फिर क्या था सलोनी धीरे से अपनी पानी की बोतल उठाई और हारिया काका के ऊपर पानी गिरा दिया और खुब हंसने लगी।हरिया उठ बैठा और बोल पड़ा क्या बिटिया। सलोनी बोली काका आप को गुस्सा नहीं आता है।
फिर दादी ने आवाज लगाई सलोनी नीचे आ जा खीर खाने।बस खीर का नाम सुनते ही सलोनी दौड़ पड़ी। और आकर दादी के गोद में बैठ गई , बड़े चाव से खीर खाने लगी। कुछ देर बाद सलोनी के मास्टर जी आ गए।पर सलोनी को तो पढ़ना नहीं सो बहाना बनाकर लेट गई। फिर दादी ने समझाया कि मेरी गुड़िया पढ़ने जाएगी एक डॉक्टर बनेगी। ये सुनकर कर सलोनी पढ़ने गई और बोली मास्टर जी मैं आज कम पढुगी। मास्टर जी बोले अच्छा ठीक है । फिर धीरे धीरे एक घंटा हो गया पर सलोनी बहुत ही ध्यान से पढ़ रही थी। और फिर मास्टर जी चले गए। फिर सलोनी ने अपना किताब कापी ठीक से बैग में रख कर दिया। और फिर दौड़ कर उपर दादाजी के कमरे में जाकर दादाजी के गले से लिपट जाती है और प्यार से बोलती है दादु मेरे दुलारे दादू । दादाजी हंसने लगते हैं और बोले कि क्या चाहिए? सलोनी बोली कि मुझे मीठी-मीठी गोली चाहिए। और फिर रोने लगी रोने की आवाज सुनकर दादी आ गई और बोली अब क्या हुआ? फिर सलोनी शरारत भरी लफ़्ज़ों में बोली कि मुझे मीठी-मीठी गोलियां मिल गई है ।
फिर पड़ोसी मीना सलोनी के घर आई और बोली मेरी बेटी का जन्म दिन है सलोनी को भेज दिजियेगा। जाते हुए मीना ने सलोनी को कुछ सामान दिया बोली ये तुम्हारे लिए केक, चाकलेट, बिस्कुट। सलोनी बोली थैंक यू आंटी। और फिर दादी को चिंता सताने लगी वहां जायेगी और सब उसे नजर लगा देंगे हर बार की तरह। सलोनी बोली दादी मेरा जन्म दिवस कब है? दादी बोली बिट्टी तेरा अलगे महिने में है। दादा जी बोले हारिया जायेगा कल सलोनी के साथ बस अब ज्यादा चिंता मत करो।
फिर सब रात का खा कर सोने चले गए। सलोनी को उसकी दादी मां लोरी गा कर सुला दिया।
सुबह सलोनी को उसकी दादी मां ने जल्दी से तैयार कर दिया और गेट पर ही उसका स्कूल बस उसे लेने आ गया और सलोनी खुशी खुशी स्कूल चली गई। और स्कूल पहुंच कर सलोनी अपने अध्यापकों को अभिवादन करते हुए कक्षा में प्रवेश किया। और अच्छी तरह से अपना पढ़ाई-लिखाई पुरी की। देखते देखते सलोनी घर वापस आ गई। गेट पर ही स्कूल बस आते देख दादाजी बोले आ गई मेरी गुड़िया ,तू है मेरे जिगर की पुलिया। सलोनी बोली क्या आप रोज ये गाते हो और रो पड़ते हो।
फिर सलोनी के आते ही विरान घर खुशी से झिलमिला उठा। सलोनी सब काम जल्दी से कर के शाम का इंतजार करने लगती है। और देखते देखते सूरज की किरणें छूप जाती है और सलोनी जन्मदिन में जाने के लिए तैयार हो जाती है। सलोनी बोली दादा जी देखो तो सही। दादाजी ओह मेरी लाडो, गुड़िया लग रही है। हरिया काका भी तैयार हो कर तोहफा के साथ सलोनी को लेकर पहुंच जाते है।
परी का घर सलोनी के घर के पास ही था।परी के घर पहुंच कर सलोनी बोली हेलो आंटी । मीना बोली आओ सलोनी ,काका आप भी आईये। ।परी आकर सलोनी को लेकर बैठक में चली गई।परी का घर रंग बिरंगी मालाओं से सजा हुआ था। और जन्मदिन का गाना भी बज रहा था ।सब बच्चे खेल रहे थे सलोनी भी खेलने लगी। और फिर परी ने केक काटा सलोनी ने परी को तोहफा दिया।सब नाचने लगे। मीना ने सबको केक दिया। सलोनी ने देखा कि टेबल में तरह तरह का पकवान रखा है। पुरी छो्ले,आलू, चाउमिन , चाकलेट, पिज़्ज़ा। सलोनी ने थोड़ा-सा खाना खाया।परी ने सबको रिटर्न गिफ्ट भी दिया। और फिर सलोनी और हरिया घर आ गए। रिटर्न गिफ्ट में सलोनी को एक गुड्डा मिला था। सलोनी बहुत खुश हो गई और थकावट के कारण सोफे पर ही सो गई। फिर दादी ने उसको उसके कमरे में ले जाकर नाईट गाऊन पहना कर सुला दिया।
देर रात सलोनी के दादाजी की तबियत बिगड़ गई। दादी और हरिया काका परेशान हो गए।।हारिया ने दादाजी की डॉ को बुला लाया जो कि पास में ही रहती थी।डॉ नूतन ने दादाजी की जांच की और कहां बी पी की वजह से दर्द हो रहा था। मैंने एक दवा दी है आराम मिलेगा। सलोनी आवाज से उठ गई और बोली दादी,ओ दादी ,क्या बात है। दादी मां ने कहा बिटिया तू उठ गई। सलोनी बोली हां तो।क्या डॉ दीदी आई है? दादी मां बोली हां तेरे दादू बिमार है। सलोनी दौड़ कर दादू से लिपट गई और बोली मैं कभी मीठी-मीठी गोली नहीं मागूंगी। आप ठीक हो जाओ।डॉ नूतन बोली सलोनी बड़ी समझदार हो गई है। सब हंसने लगे। फिर सलोनी अपने दादू के साथ सो गई। दूसरे दिन सुबह सलोनी स्कूल नहीं गई और बोली मैं दादू की देखभाल करूंगी। उसने काका से कहा गर्म दूध लेकर आओ और दादी मां को बोला टोस्ट ले आए। सलोनी की ये बातें सुनकर दादाजी रोने लगे। और बोले कि कब इतनी बड़ी हो गई? दादी मां भी सब कुछ ले कर आ गई। फिर सलोनी दादाजी सब मिलकर नाश्ता किये। सलोनी ने अपने दादू की इतनी सेवा की और शाम को दादू ठीक हो गए।
शाम को हरिया किराने की दुकान पर जाने लगा तो सलोनी जिद करने लगी कि मैं भी जाऊंगी।तो दादाजी ने कहा हरिया ठीक से लेकर जा और गोद से मत उतरना । फिर सलोनी खुशी खुशी हरिया के साथ चली गई।
दुकान में जाते ही हरिया के गोद से उतर गई। सलोनी दुकान में खिलौना , तरह-तरह का सामान देखने लगी। हारिया भी सामान गिनवाने लगा और फिर सलोनी नीचे उतर गई और बाहर आ गई। और फिर हरिया जैसे ही घुमा तो देखा की सलोनी नहीं थी।
हरिया एकदम घबरा गया और इधर उधर देखने लगा और दुकानदार से पूछा कि सलोनी को देखा क्या ? सलोनी कहां चली गई? दुकानदार ने कहा अभी तो यही थी। फिर सब मिलकर कर खोजने लगे। अब हरिया पागल हो रहा था और उसको कुछ सूझ नहीं रहा था तब उसने दादाजी को फोन कर के सारी बातें बताई। दादा जी सुनते ही खुब गुस्सा करने लगें। दादी मां ये सुन कर
रो,रो कर बेहाल हो गई और सलोनी के दादाजी को बोली आप जाकर सलोनी को लेकर आइए वरना मैं मर जाऊंगी। दादाजी ने जल्दी से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई और फिर हरिया के साथ सलोनी को ढूंढने लगे।
रात भर ढुढते रहे पर सलोनी नहीं मिली। पुलिस के बड़े अधीक्षक आकर पुछताछ करने लगे।हारिया का रो रो कर बुरा हाल हो गया था।
इसी तरह सुबह हो गई सारे पड़ोसी भी सो नहीं पाएं थे। दादी मां घर के मन्दिर में बैठकर सोचने लगी कि ऊपर जाकर बेटे को क्या जवाब दूंगी।
सलोनी खुद को एक बेड पर पाई। और फिर रोने लगी। तभी एक औरत आई और बोली बेबी रो मत। तुम्हारा नाम क्या है। सलोनी ने कहा मेरा नाम सलोनी है। मुझे घर जाना है। वो औरत बोली हां ज़रूर मैं तुम्हें ले जाऊंगी। सलोनी बोली मुझे दादू के पास जाना है। फिर वह भली औरत ने अपने कार से सीधे पुलिस थाने पहुंची और फिर उसने सारी बात बताई। सलोनी की पहचान हो गई तो पुलिस अधीक्षक और वो औरत सारे लोग सलोनी के घर पहुंचे। हरिया और दादा जी को पता चला तो वह भी घर पहुंच गए। सलोनी घर पहुंच कर दादी मां से लिपट गई।
और फिर दादाजी ने उस औरत को पुछा कि आप को सलोनी कहां मिली?औरत ने कहा दरअसल कल शाम जब मैं सामान लेकर अपनी कार में आयी तो देखा कि पीछे एक बच्ची सो रही हैं और रात काफी हो गई थी तो मैं अपने घर पर ले जाना उचित समझा। आप की सलोनी सच में सलोनी है। मुझे छोड़ कर जाते हुए दुःख हो रहा है।पर मैं खुश हूं कि सलोनी को उसका घर मिल गया। अच्छा अब मैं चलती हूं।
पुलिस अधीक्षक ने कहा मैडम आपका बयान ले लिया गया है। अब आप जा सकती है। फिर वो औरत चलीं गईं। पुलिस अधीक्षक ने दादाजी को कहा कि हर जगह ऐसे लोग नहीं मिलेंगे। इसलिए सलोनी को ध्यान से रखियेगा।
फिर सब चले गए।हरिया बोला बेटी तुम दुकान से किधर चली गई थी?? सलोनी ने कहा काका आप समय लगा रहे थे और मुझे नींद आ रही थी तो मैं बाहर आ गई फिर एक कार देखा तो दरवाजा खुला था और मैं अन्दर सीट पर सो गई। और जब नींद खुली तो अपने आप को अच्छी आंटी के पास पाई।
दादाजी ने कहा अब सलोनी सिर्फ दादू के साथ जाएगी। दादी बोली बेटी हम तो समझाते है कि अकेले कहीं मत जाना। सलोनी बोली अब कभी नहीं जाऊंगी मैं। मुझे माफ़ कर दिजिए आप लोग। सलोनी बोली दादी मां पुरी खीर बनाओं भुख लगी है । दादी मां बोली हां अभी बनाती हुं। दादा जी ने कहा आज मैं अपने हाथों से सलोनी को खिलाऊंगा , अच्छा सलोनी एक बात बताओ वहां आंटी ने कहा कुछ। सलोनी बोली दादू आंटी बहुत अच्छी थी। मुझे नाश्ता भी कराया था। और मुझे पुलिस अंकल के पास ले गई। एक बार फिर से घर में चहल-पहल शुरू हो गई थी ।दादू के हाथ से सलोनी खाना खाने लगी। फिर सलोनी सो गई और सब लोग भी रात भर के थकावट के कारण सो गए।
शाम को सभी पड़ोसी सलोनी से मिलने पहुंचे और सबने कुछ ना कुछ तोफा दिया सलोनी को खुश थी और सोच रही थी कि आज मेरा जन्मदिन तो नहीं?
दोस्तों इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि इस दुनिया में कुछ अच्छे लोग भी होते हैं पर थोड़ी सी सावधानी बरतने से कोई भी ग़लत घटना होने से हम बच सकते हैं। बच्चों को ध्यान से रखिए। कहीं भी अकेले मत भेजिए।बस आज यही तक।।