Rahashymayi tapu - 5 in Hindi Adventure Stories by Saroj Verma books and stories PDF | रहस्यमयी टापू--भाग ५

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रहस्यमयी टापू--भाग ५

रहस्यमयी टापू--भाग (५)

नीलाम्बरा, शुद्धोधन से बिना बात किए आ तो गई लेकिन अब उसे अफ़सोस हो रहा था कि अगर थोड़ी देर ठहर कर शुद्धोधन से बात कर भी लेती तो क्या बिगड़ जाता,बेचारा कितनी आश लिए बैठा था।।
सारे काम धाम निपटा कर बिस्तर पर गई लेकिन आंखों में नींद कहां थी, आंखें तो बस शुद्धोधन को ही देखना चाहती थी फिर वो चाहे खुली हो या बंद,शायद शुद्धोधन के प्रेम जाल में क़ैद हो चुकी थी नीलाम्बरा।।
उधर शुद्धोधन का भी वही हाल था,हर घड़ी आंखें बस नीलाम्बरा को ही देखना चाहतीं थीं,दिल में बस एक ही नाम बस चुका था और वो था नीलाम्बरा।।
अब धीरे-धीरे नीलाम्बरा और शुद्धोधन के प्रेम ने गहराई का रूप ले लिया था, दोनों एक-दूसरे को देखें बिना,मिले बिना रह नहीं पाते,अब दोनों रोज ही जंगल में मिलने लगे, एक-दूसरे से अपनी भावनाएं व्यक्त करने लगे।।
इसी तरह एक दिन बातों बातों में नीलाम्बरा ने अपनी सौतेली मां का सच, शुद्धोधन से कह सुनाया, शुद्धोधन ने भी अपनी सच्चाई नीलाम्बरा को बता दी,सारी बातें सुनकर नीलाम्बरा बोली,
मां को तुम कहीं क़ैद कर देना लेकिन मारना मत।।
शुद्धोधन बोला,वो तो आगे देखा जाएगा लेकिन मुझे पहले सारा राज तो पता चलने दो,अगर तुम बता दोगी तो कुछ आसान हो जाएगा।।
लेकिन मुझे भी सारी बातें कहां मालूम है,नीलाम्बरा बोली।।
तो मालूम करके मुझे बताओं,मासूम लोगों की जान का सवाल है, मुझे बहुत से लोगों की जान बचानी है, शुद्धोधन बोला।।
ठीक है, मैं कोशिश करती हूं,नीलाम्बरा बोली।।
ऐसे ही नीलाम्बरा और शुद्धोधन रोज रात को मिलते, ढ़ेर सी बातें करते,नीलाम्बरा अपनी सौतेली मां के कुछ राज बताती और शुद्धोधन सुनकर उन पर अमल करता।।
लेकिन नीलाम्बरा को ऐसे खुश देखकर सौतेली मां को कुछ शक़ हुआ और वो इसका पता करने के लिए नीलाम्बरा की जासूसी करने लगी,उसका पीछा करने लगी कि आखिर ऐसी क्या बात है जो नीलाम्बरा इतना खुश रहने लगी है।।
और काफ़ी खोजबीन करने के बाद उसने पता लगा लिया कि नीलाम्बरा किसी से मिलने जाती है उसका नाम शुद्धोधन है,वो नीलगिरी का राजकुमार है और शायद दोनों एक-दूसरे से प्यार भी करते हैं।।
नीलाम्बरा की सौतेली मां को ये शक़ भी हो गया कि ऐसा ना हो नीलाम्बरा ने मेरी सारी सच्चाई उस राजकुमार को बता दी हो और वो मेरे बारे में पता लगाने आया हो।।
अब वो जादूगरनी इसी ताक में रहने लगी कि अच्छा हो अगर मैं उस राजकुमार को ही खत्म कर दूं तो सारी समस्याएं ही खत्म हो जाएगी और एक रोज नीलाम्बरा की सौतेली मां को शुद्धोधन के बारे में सब पता चल गया और उसने मन में ठान लिया कि अब वो शुद्धोधन को जीवित नहीं रहने देगी क्योंकि अब शुद्धोधन से उसकी जान को खतरा है।।
हर रात नीलाम्बरा और शुद्धोधन जंगल में उसी झरने के पास मिला करते थे,इस बात की भनक सौतेली मां को लग गई और उस रात बहुत बारिश हो रही थी,नीलाम्बरा हर रात की तरह उस रात भी शुद्धोधन का इंतज़ार कर रही थी और शुद्धोधन आया तो लेकिन मृत अवस्था में उसका घोड़ा उसका शव लेकर नीलाम्बरा के पास आया था।।
शुद्धोधन के मृत शरीर को देखकर नीलाम्बरा फूट फूट कर रो पड़ी, तभी उसकी सौतेली मां उसके पास आकर बोली__
इसे मैंने ही मारा है और अगर तुम अपनी भलाई चाहती हो तो अपना मुंह बंद रखना और इसके मृत शरीर को मैं अपने जादू के जोर पर राख में बदल देती हूं।।
और सौतेली मां ने ऐसा ही किया, देखते ही देखते शुद्धोधन का शरीर राख में परिवर्तित हो गया,ये सब देखकर नीलाम्बरा बहुत दुखी हुई,वो घर तो आ गई लेकिन बहुत ही हताश और निराश हालत में, उसने सबकुछ अपनी छोटी बहन से कह दिया,एक दो दिन तक वो रोती रही, फिर उससे दुःख ना सहा गया और एक रात उसने कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी।।
फिर एक रोज शुद्धोधन का छोटा भाई सुवर्ण अपने बड़े भाई को खोजते हुए आया और उसने भी जादूगरनी के विषय में सारी जानकारी इकट्ठी कर ली, फिर से वही कहानी दोहराई गई,इस बार सुवर्ण को नीलाम्बरा की छोटी बहन से प्यार हो गया।।
लेकिन इस बार भी जादूगरनी को सबकुछ पता लग गया और एक रोज सुवर्ण और नीलाम्बरा की छोटी बहन इसी समुद्र के किनारे मिले तभी जादूगरनी आ पहुंची।।
तभी मानिक चंद ने नीलकमल से पूछा___
लेकिन तुम्हें ये सब कैसे पता है?
नीलकमल बोली__
अभी बताती हूं__
नीलकमल ने आगे की कहानी बताना शुरू की___
जादूगरनी यहां आ पहुंची और उसने मुझे जलपरी बना दिया और सुवर्ण को एक बड़ा सा पंक्षी।।
तभी मानिक चंद चौंकते हुए बोला__
तो तुम ही नीलाम्बरा की छोटी बहन नीलकमल हो और वो पंक्षी शुद्धोधन का भाई सुवर्ण है।।
हां, नीलकमल बोली।।
रूको..रूको.. पहले मुझे सारी बात समझने दो,मानिक चंद बोला।।
नीलकमल बोली__
इसमें ना समझने लायक तो कुछ भी नहीं!!
है, कैसे नहीं, क्योंकि मुझसे तो चित्रलेखा ने कहा था कि उस जादूगरनी को तो शुद्धोधन के छोटे भाई सुवर्ण ने मार दिया था,इसका मतलब या तो तुम झूठ बोल रही हो या तो चित्रलेखा, मानिक चंद बोला।।
तुम कैसे जानते हो? चित्रलेखा को, नीलकमल बोली।।
तुम्हारे कहने का क्या मतलब है?मानिक चंद ने पूछा।।
पहले तुम बताओ कि तुम चित्रलेखा को कैसे जानते हो, नीलकमल ने फिर से मानिक चंद से पूछा।।
अरे, मैं चित्रलेखा के घर में ही तो रह रहा हूं,मानिक चंद बोला।।
और अब तक जिंदा हो, नीलकमल आश्चर्य से बोली।।
क्यो क्या हुआ? मानिक चंद ने हैरान होकर पूछा।।
तो तुम्हें नहीं मालूम, नीलकमल बोली।।
अरे,क्या? सच सच बताओ, पहेलियां मत बुझाओ, मानिक चंद ने नीलकमल से कहा।।
अरे, चित्रलेखा ही वो जादूगरनी है, नीलकमल बोली।।
मानिक चंद बोला, लेकिन वो तो एकदम बूढ़ी और बदसूरत है।।
नीलकमल बोली, सालों से उसे किसी नवयुवक का हृदय नहीं मिला, जिससे वो जवान और खूबसूरत दिखने वाला अद्भुत तरल बनाती थी, इसलिए अब बूढ़ी और बदसूरत दिखने लगी है।।
अच्छा तो ये बात है,मानिक चंद बोला।।
लेकिन ताज्जुब वाली बात है कि उसने अभी तक तुम्हें मारा क्यो नही, नीलकमल बोली।।
क्रमशः__
सरोज वर्मा__