प्रकरण 9 : व्यसन के हॉटस्पॉट और हिरेन प्रजापति की पहल
लिंमडा चौक :
राजकोट के लिंमडा चौक के पास आलाप कॉन्प्लेक्स आया हुआ है। वहां प्रियवदन की ऑफिस 6th फ्लोर पर आई हुई थी। उसका ग्राउंड फ्लोर का एरिया बहुत ही बड़ा था, उसकी दीवारों पर बैठकर हम लोग सिगरेट फूंका करते थे।
Wills सिगरेट के ऊपर Garam लिखकर उसको पिया
हम लोग Garam ब्रांड की सिगरेट पीते थे। उसके अलावा हमको दूसरी सिगरेट जमति नही थी। एक बार कई जगह ढूंढने पर भी Garam ब्रांड की सिगरेट नहीं मिली। तब सब लोग सोचने लगे कि अब क्या करें ?? तभी मैंने एक तुक्का लडाया। मैंने Wills सिगरेट ली और फिर Wills का नाम छेककर उस पर Garam लिख दिया, फिर हमने बड़े चाव से वह सिगरेट पी। ऐसे उल्टे सूल्टे प्रयोग हम करते रहते थे।
ज्यूबेली गार्डन :
हमारे हॉस्टल से थोडी दूर ज्यूबेली चौक के पास बीएसएनल का टेलीफोन एक्सचेंज आया हुआ है। उस समय मोबाइल का आविष्कार नहीं हुआ था, हॉस्टल का फोन लॉक था और हॉस्टल के फोन पर मात्र इनकमिंग कॉल ही आती थी। इसलिए जब भी हम को घर पर कॉल करना होता था तब हम लोग ज्यूबेली टेलीफोन एक्सचेंज पे जाते थे। हमारे ग्रुप में से किसी ना किसी को तो घर पे कॉल करना ही होता था इसीलिए हम लोग अक्सर ज्यूबेली टेलीफोन एक्सचेंज पे जाते थे। घर पर फोन हो जाने के बाद हम लोग सामने वाले ज्यूबेली गार्डन में बैठने के लिए जाते थे। वैसे तो ज्यूबेली गार्डन काफी बड़ा था लेकिन रात को वहां पर पब्लिक बहुत ही कम आती थी इसलिए गार्डन में हम लोग मजाक मस्ती किया करते थे।
हिरेन प्रजापति की पहल :
ज्यूबेली गार्डन में हम लोग मावा, गुटका और सिगरेट की मौजे उड़ाते थे। एक बार हिरेन प्रजापति नाम का एक सामाजिक कार्यकर हमारे पास आया, हमारे बारे में उसने सबकुछ जाना। हम पास ही हॉस्टल में रहते हे और इधर गार्डन में मावा, गुटखा खाने आते है, सब जानके के बाद उसने हमको मावा, गुटखा, सिगरेट आदि से क्या-क्या नुकसान होते हैं उसके बारे में विस्तृत जानकारी दी। उसकी बातों से प्रभावित होकर हमने वहीं पर मावा, गुटखा और सिगरेट छोड़ने का संकल्प ले लिया और साथ में यह भी संकल्प लिया कि हॉस्टल के लोगों को भी हम व्यसन से मुक्त करेंगे। हमने हॉस्टल में जाकर तुरंत ही अपने संकल्प का अमल शुरू कर दिया। हॉस्टल में जो जो लोग मावा, गुटखा, सिगरेट खाते पीते थे उनकी हमने एक लिस्ट बनाई, बाद में एक-एक करके सबको मिलकर ऊनको तंबाकू, मावा, गुटखा खाने से क्या-क्या नुकसान होते हैं (जो हिरेन प्रजापति ने हमको बताया था) उसका विस्तृत से ज्ञान दिया। हॉस्टल के लोग पहले से ही हमारे प्रभाव में थे इसलिए इस कार्य को करने में हमको कोई दिक्कत महसूस नहीं हुई और सब ने साथ मिलकर मावा, गुटखा, सिगरेट, तंबाकू छोड़ने का संकल्प ले लिया। लेकिन जैसे बंदर गुलाटी मारना नहीं भूलता वैसे ही 3-4 महीने के बाद एक-एक करके सब लोग ने फिर से मावा, सिगरेट, तंबाकू, गुटखा खाना शुरु कर दीया, उसमें हम लोग भी शामिल थे।
प्रकरण 10 : चिका की चतुराई
वैसे तो, चिका की चालाकी के कई किस्से है लेकिन आज मैं आपको एक मशहूर किस्सा बताता हूं। एक बार प्रियवदन को कोई काम से अहमदाबाद जाना था। उस समय अहमदाबाद के लिए ट्रावेल बस बहुत ही कम मिलती थी और जो बसे मिलती थी उसका समय भी ज्यादातर रात को होता था, उसमें भी एक week पहले आपको बुकिंग करवाना पड़ता था। प्रियवदन को दूसरे दिन ही अहमदाबाद जाना था और दूसरे दिन काम की वजह से वह बस के टाइम अनुसार पहुंच सकता था ऐसी शकयताए कम थी। इस परिस्थिति में प्रियवदन चिका को लेकर बुकिंग करवाने के लिए गया। चिकाने बुकिंग वाले के साथ इस तरह से चालाकी से बात की कि बुकिंग वाला ने टिकट तो बुक कर दीया साथ में यह भी विश्वास दिलाया कि जब तक प्रियवदन बस में नहीं बैठ जाता तब तक बस नहीं चलेगी।
चिका की चालाकी का दूसरा उदाहरण यह था कि चिका की कॉलेज की दूसरा क्लास की लड़कियां भी उसको हॉस्टल में लेने के लिए और छोड़ने के लिए आती थी। चिका अगर ठान लेता था कि हॉस्टल के इस लड़के को मेरा यह काम करवाना है तो वह उसको बातों में ऐसा लपेट लेता था कि वह खुशी-खुशी उसका काम कर देता था। ऐसा था मेरा अहमदाबादी दोस्त।
क्रमश: