Morbid - 4 in Hindi Fiction Stories by Srishtichouhan books and stories PDF | नासाज़ - 4

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नासाज़ - 4

अध्याय चार


मुर्दों का टीला

(पापलोज की ज़ुबानी)


सुन सान रात के तलहटी में मै अपने महंगे वाइन के लम्बी गर्दन वाले बोतल के साथ निकल पड़ा था, मेरे ठिकाने से बहुत दूर, यह सफर अंधेरे भरी थी, पर भी मेरे लिए यह जन्नत थी, अमावस की यह बिना चांद वाली रात मुझमें बिच्छू सा जहर घोल देती है, यह मेरे लिए शबाब और शराब दोनों से ज्यादा नशीली थी, अंधेरी रात की मौजूदगी से मेरे कदम धीरे धीरे इस वीरान बंजर इलाके में बढ़ रहे थे, बहुत ही धीरे कछुए के चाल लिए, मौसम में कुछ हल्की नमी थी, जिसके वजह से ठंड और ज्यादा मेरे अंदर के शरीर से टकरा कर मुझ पर अपने सनसनाते कोड़ों से वार कर रही थी, मेरे कदम बेहद बोझिल थे, और इन हवाओं में मै शहर से बहुत दूर पर बना एक कब्रिस्तान में आ पहुंचा, जो कि अब बिल्कुल ही नजरअंदाज करदिया गया था, यह शहर के सबसे कोने में बना हुआ एक मौत का आखिरी स्टेशन था, उसके बाद आदमी सीधे या तो जहन्नुम की सैर पर चला जाता है या फिर हुर की परियों के गढ़ जन्नत में, जहा शराब, हुस्न और आराम है, मेरे पैरों की थिरकन से इस कब्रिस्तान के पुराने जंग लगी लोहे की ऊंची गेट में एकदम से एक नयी कोहतुल मच गई, इसके साकल और जंजीरें एक अलग क़िस्म की थिरकन करने लगी, काई से रंगे इसके दीवारों ने मेरे चढ़ाई का रास्ता आसान कर दिया, पास ही में अमलतास के बांझ पेड़ टकटकी लगा कर मुझे देख रहे थे, उनके अनाथ बिना पत्तों वाले हाथ बार बार मुझसे टकरा रहे थे, गर्मियों के मौसम में यह गर्भ धारण करते है और इनके डालियों में पीले पीले फूलों के गुच्छे किसी सोने के झूमर के भांति लटकते रहते है, पर इस वक़्त इनके खोख सुनी और उजाड़ थी, नालायक अमलतास, मैंने इसके टहानियों को अपने से दूर हटाया, और फिर से कब्रिस्तान कि काई वाली दीवार पर अपने हाथ और पैर जमाने की कोशिश की, यह कोई सरल काम नहीं था, बिल्कुल भी नहीं, मैंने शराब जरूर पी रखी थी पर बदहवास नहीं था, और फिर जरा सा उसके दरार पड़े ईंटों के उभार को पकड़कर में उस दीवार के पर कूद गया , जिससे मेरा पिछ्वाड़ा सीधा उसके जंगली झाड़ियों से रगड़ खाता हुआ धड़ाम के आवाज से ज़मीन से जा टकराया, पर मै अपने पैंट की धूल साफ करते हुए उठ खड़ा हुआ, अंदर सब कुछ शांत था, और कई मुर्दों के कब्र अपनी रहमत की दुहाई लगाते इस वीराने में धूल खाते खड़े थे,


मुझे इंसानों से ज्यादा इंसानों के मुर्दों से हमदर्दी थी, वक़्त और वक़्त के नजाने कितने ही लंबे अर्सों के इंतज़ार की इंतेहा को बेसब्री से ताकते यह कब्र, कब्रिस्तान मेरे लिए सुकून का जजीरा था, यहां आकर मैंने कभी मातम नहीं मनाई, और इसके अंदर आके मुझे महसूस हुआ कि इस जगह का अपना कोई खासा मौसम और गाम नहीं था, यहां हवाएं भी यहां के मुर्दों के मुताबिक बहती थी, बिल्कुल नीरस लेकिन मन के उचाट से अलग , हजारों के तादाद में यहां कब्रों का अपना एक कबीला था, जिनके पुराने कब्रों के दरारों से काई और ढेरसारे खरपतवार उग आए थे, और उन दरारों की चौड़ाई और बढ़ चुकी थी, यहां का हर नजारा एक साराबों की तरह लगता था, बिना वजूद का एक अहम हिस्सा, मैंने जल्दी से अपनी नजरों को घुमाया और उस कब्र का पता लगाया जो मेरे दिल के बेहद करीब था, बहुत ही ज्यादा करीब

वह इस मरघट्टी के सबसे बड़े इमली के पेड़ के ठीक नीचे था, कई कब्रों के नाम पढ़ता हुआ मै आगे बढ़ा, मुझमें में नहाने कैसे एक बिजली सी तेजी आज्ञी थी,मेरे रगों में चीते का खून दौड़ने लगा, पीटर पैने , नादिरा बल्श और खैबर रोलविंकसी, वगहरह के कब्रों की शिनाख्त करने के बाद , आखिर मै उस काले इटों वाले कब्र के पास जा पहुंचा था, जिसके ऊपर इमली के कई सारे फल गिरे हुए थे और उसके छोटे पत्तों का झमावडा हो आया था, मैंने उन्हें अपने हाथों से साफ की और हमेशा की तरह वह कुनबे में पड़े कुदाली से वहां की मिट्टी को खोदा और करीब एक घंटे के बाद पसीने से लतपत मैंने उस कब्र को देखा उसके क्रॉस के निशान में लिखा हुआ था एम. जल्लाद , यह कब्र मेरे सबसे प्यारे जल्लाद की थी , जिसका नाम था मसान मौरघुट , मरते वक़्त उसने मुझसे यह वादा लिया था कि जब भी मै अगर परेशान या सुकून की तलाश में भटकुंगा तो मै यहां इस कब्रिस्तान जिसका नाम था " डेडमेन वर्ल्ड सीमेट्री" हिंदी में इसको "मुर्दों का टीला " नाम से जाना जाता था, वहां मै उसके कब्र में रात गुज़ार सकता था, पर शर्त यह थी कि खोदने के बाद और यह रात गुजारने के बाद इसके खोदे हुए मिट्टी को फिर से भरके रखने का ,


मैंने इसके महोगनी के ताबूत को देखा जो कि अब बिल्कुल खाली था, मिट्टी के एक मीटर अंदर यह ताबूत था, बड़ा और चौड़ा, जहां कभी मौरघुट की लाश आराम करती थी, पर अब मौरघुट की लाश मिट्टी में बदल चुकी थी,सालों बीत गए , आस पास के पेड़ों के सूखे पत्तों को इक्कठा कर मैंने उस ताबूत में बिछा दिए और खुद अपनी वाइन की बॉटल लिए उसके अंदर लेट गया, और आंखें बंद कर ली, खुले आसमान के तले मुझे बेहद सुकून मिल रहा था, लोग मर रहे थे और मेरी दुनिया अकेली होते जा रही थी, और इन सबके बीच मौरघुट का यह कब्र मेरा एक ऑफिशियल रेस्टहाउस बन चुका था,

मैंने मिट्टी खोदते समय उस दफन किए हुए चाकू को खोद निकाला था जिससे मसान जानवरों की खाल निकलता था, वह एक कसाई था, बेरहम कसाई उसके अंदर कोई ऐतबार कोई इंसानी जज़्बात नहीं बचे थे, वह जानवरों को काटते काटते खुद ही एक दरिंदा बन चुका था, उसकी मां एक रण्डी थी, जेहरा बाई, जिसने जवानी के दिनों में एक लौंडे से इश्क़ लड़ाई और वह लौंडा उसे आसमानी सपने दिखाकर अपने साथ कालचिरौंध में दौरुख गली वाले मोहल्ले में भगा लाया, जहां उसने एक छोटी सी कोठी किसी कोठे चलाने वाली जुल्फिना तौतुक से किराए पर लेली, कुछ दिन अपनी हवस पूरा कर उस नादान पंद्रह साल की लड़की के योवन के फूल को तोड़ा और उसके पूरे नाजुक बदन की खुशबू को ख़तम कर मन भरने पर रोज शराब पीकर उसे घर आकर मारने लगा , कभी लात घुसो से कभी चप्पल से कभी रोटी के गर्म तवे से उसके हाथ पैरों को जला कर , इधर जुल्फीना को अपने किराए का पैसा बिल्कुल भी नहीं मिला था, वह उस लौंडे के बहानो से तंग आ चुकी थी, उसे सिर्फ़ अपने पैसे से मतलब था, उसने कई बार के बाद अपने तीन चार गुंडे भेज दिए , सब ऊंचे कद काठी वाले औरतों को पैर की जूती समझने वाले यह वहीं गुंडे थे जो रोज़ रण्डी बाज़ार की नई लड़कियों और जबरन धकेली गई लड़कियों के बाल खींच खींच कर उनके मुंह में कोयला भरा करते थे, अगर उन लड़कियों ने कुछ भी आना कानी की होती या अच्छे तरीके से उनके मर्द कस्टमर को अच्छा मुख मैथुन ना दिया हो तो, कभी कभी यह लोग उन लड़कियों को पूरे दिन दिन भर बिना कपड़ों के नंगी रखते, कभी उन्हें कमरे में लेजाकर कई सारे दरिंदो के साथ मरने को छोड़ देते, और अगर फिर भी लड़कियां बच जाती तो उन्हें बिजली के झटके देते, दारुख गली का यह रण्डी बाज़ार बेहद मशहूर था,

" पैसे निकाल ! चल, बहुत देरी कर चुका है तू मादरचोद!" उनमें से एक मोटे आदमी ने उस लौंडे से कहा, उस लौंडे के चेहरे के हाव भाव बेहद बदल गए, अब एक साल होने को आ रहा था, पैसे अब भी नहीं मिले थे, और उस मोटे आदमी ने कई बार उससे तगादा करने के लिए उसे शराब खाना बुलाया था, जहा वो लौंडा वेटर का काम करता था, पर वो मोटा आदमी कभी भी उसके घर नहीं आ धमका था, लेकिन इस बार उस मोटे आदमी के साथ तीन चार लोग और भी आए थे,


" गौर्डिग ! मै कल पक्का आकर तुम्हे जुलफिना मैडम के रकम लौटा दूंगा, लेकिन आज मेरे पास सच मुच में पैसे नहीं है!" उस लौंडे ने आंखों में भीख मांगने वाले भाव लाकर कहा, पर गौर्डिग ने अच्छे अच्छों के ऐसे नखरों को ठीक किया था, और यह लौंडा पिछले एक साल से सिर्फ यही बहाने बना कर उन्हें चूतिया बना रखा था, उसका दिमाग भन्ना चुका था, उसने उसके छाती में एक ज़ोरदार लात मारी जिससे वह लौंडा एक मीटर दूर जा गिरा, और गौर्डीग अपने तीन साथियों के साथ उसके घर जा घुसा अगले कमरे से उन्हें एक बच्चे की रोने की आवाज़ आई,


" यह कौन रो रहा है रे!" गौरडिग ने उस करहाते हुए लौंडे को पूछा जो अब अपनी छाती मलते हुए और ज्यादा डरा हुआ पसीने पोंछता अपने लड़खड़ाते कदमों के साथ खड़ा होने की कोशिश कर रहा था,


गौर्डिग ने इशारा करके अपने आदमियों को उस बिना पर्दे वाले कमरे में भेज दिया, वहां जाकर उसके आदमी पागल सूअरों के जैसे चिल्लाते हुए बाहर आए,

" बॉस वहां तो एक कमसिन उमर की कोई लड़की एक बच्चे को अपना दूध पीला रही है, हमलोगो को देख कर वह डर गई है!" उन आदमियों ने अपने चेहरे में एक कमीने पन के साथ कहा, गौर्डिग उनके चेहरे की चमक से समझ गया कि उसे अब अपना पैसा कैसे वसूलना है,

" यह तेरी छिनाल है क्या बे , " उसने उस लड़के के तरफ देख कर बोला, वह लड़का भी अब समझ चुका था कि उसे अपने ऊपर का कर्ज कैसे चुकाना है, उसने टेढ़ी मुस्कान देते हुए हा में सर हिलाया,


" ठीक है, तो तू अपने पिल्ले को पकड़ और कहीं दूर चला जा , और हा यह ले कुछ बीस तीस रुपए है, इससे अच्छी वाली एक चाय पीकर सीधे रात में आना , ठीक है!" लौंडे ने झट से उस पैसे को गौरडिग के हाथों से लेलिए और अपने एक साल के लड़के को उसकी मा के गोद से छीनकर अपने घर से बाहर चला गया, वह एक साल का बच्चा अपनी मां के दामन के छूटने से बेहद जोर जोर से करुणामय रुदन कर रहा था, लड़की भी अपने बच्चे से जुदाई नहीं चाहती थी लेकिन उसके पति ने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारकर उसे जमीन में पटक दिया, और उस रोते हुए बच्चे के साथ खोली के बाहर जाने को निकला


" सुन इस दरवाजे को तो बंद करता हुआ जा!" आवाज़ गूंजी जिसके बीच एक औरत की चीखती हुई आवाज़ भी दब गई,


दिन से रात हो गया, अब लड़की मुर्दे की हालत में ज़मीन पर पड़ी हुई थी, उसके बदन से कपड़े सारे उतर चुके थे, उसे बुरी तरीके से नोचा और खरोंचा गया था, उसके मुंह से उसकी लार से खून सना हुआ था, गौर्डिग ने जोरदार अंगड़ाई ली, और उसके साथियों ने भी अपने अपने बनियान के ऊपर अपने उतारे शर्ट पहन लिए, गौर्डिग उसके योनि में अपनी उंगली अंदर बाहर कर रहा था , कुछ पानी सा छूटने के बाद उसने अपने हाथों को झटकारा और एक गाली दी, फिर उस लड़की के तरफ देखा वह बेबस लड़की अब एक ज़िंदा लाश बन गई थी

" देख! ज्यादा नाटक मत कर, तेरा आदमी एक नंबर का निठल्ला और लल्लू है, वो तेरेको बेचने के लिए इस बदनाम गली में झूठ बोलकर लाया है, अब तेरे शरीर का जायजा तो हमने लेलिया तेरे हुस्न में कमी नहीं है, तू एक अच्छी छिनाल बनेगी और जुल्फियना भी तेरे से बेहद खुश रहेगी, तेरा बच्चा भूखा नहीं सोएगा, बात मान स्त्री का परम सुख काम इक्षा की तृप्ति ही होती है, वैसे भी वो तेरा नामर्द पति तेरे को वो चरम सुख नहीं दे पाएगा, समझी तो कल से कोठे में आ जाना! "


उस दिन एक घर का चूल्हा नहीं जला था, उस दिन एक बच्चे ने अपनी मां का दूध पीना छोड़ दिया था, उस दिन एक औरत की आबरू नीलाम होगई थी, उसका पति अब और निठल्ला और कामचोर बना एक अक्खड़ शराबी बन कर घूमने लगा था, दिन बीत रहे थे, वह औरत अब पूरी रण्डी बन चुकी थी, जुल्फियाना मैडम उसके काम और नाम से बेहद पैसे और रकम कमा चुकी थी, पर जब जेहरा बाई ने घर पर अपने जिस्मफरोशी का धंधा शुरू किया तो बात यहां से बिगड़ गई, अब वो बच्चा बारह साल का हो चुका था, उसे सब रण्डी की औलाद , कहकर बुलाते थे, उसके आंखों में एक दहकता अंगार था, वह अंदर ही अंदर अपमान और बेइजत्ती के रोष में जल रहा था, लेकिन उसकी मां उसके जन्म से पहले रण्डी नहीं थी, नाही वो उसके पैदा होने के समय रण्डी थी, रण्डी तो वो उसके पैदा होने के बाद बनी, पर उस बचपने लड़कपन के दिमाग में एक बात हमेशा घूमती थी , कि आखिर उसे रण्डी बनाया किसने था, उसके खुद के शराबी बाप ने जो अपने घर किके किराए की अदायगी नहीं कर पाया था , या वो सूअर के औलाद गौर्डिग ने, या खुद उसकी मा ने, जो भी हो, वो आज से यह सब बंद करवा देगा, वो सबकुछ बदल देगा, यह उस समय के बारह साल के मसान मौरघूट के अन्दर के विद्रोही आवाज़ ने बोला,

जब वो स्कूल से घर की ओर आया तो उसके पिता ने जबरदस्ती से उसका हाथ खींचकर , उसे आंगन के तरफ ले आया, वहां एक सूअर का मांस लकड़ी के आधे कटे चबूतरे में पड़ा हुआ था, उस बच्चे के अन्दर एक अजीब सा घिन पैदा होगया, उसे यह दृश्य बिल्कुल भी अनुकूल नहीं लग रहा था, उसने अपने पिता की ओर एक सहमे हुए भाव से देखा, वो झि झका हुआ था, पर उसके पिता को इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ता था, शराबी पिता अभी भी अपने शराब के नशे में झूम रहा था, उससे सड़े हुए अंगूर और महुए की बू आरही थी, बेहद ही बदबूदार, और उसने एक मरे पड़े सूअर के तरह उसे घसीटकर लेजाना शुरू किया,

" नहीं मै नहीं जाऊंगा, पापा मुझे वहां लेकर मत जाओ नहीं,,!" उस छोटे बच्चे की हज़ार मिन्नते करने के बावजूद उसका वो शराबी बाप उसे खींचता हुआ उस सूअर के पास ले आया, बुरी तरह से घसीटने के कारण उसके घुटने छिल गए थे, उससे खून बेह निकला था, बिल्कुल उसकी खून की धार की तरह जैसे उस सूअर के आस पास पड़ा हुआ था, बेहद घटिया बदबू उस सूअर के मांस से आ रही थी, एकदम दिमाग उड़ा देने वाली ,


" काट.. इसे !" उसके शराबी बाप ने अपने पतले चपटे चेहरे के झूमती आंखों के भौहे चढ़ा कर उसे जोर से डाटा, पास पड़े कसाई के क्लीवर छुरे की धारदार कोनो वाली सतह को उसके हाथ में देदिया, मासूम हाथ भय से थरथरा उठे, दिल की धड़कने डर और सदमे से दहल उठी, उसके आंखों में आसूं छलक आए पर बेरहम पिता को दया ना आई!


" मैने बोला ना काट इसके मांस को, हरामखोर ! काटता क्यों नहीं है!" उस शराबी बाप ने अपने फटे हुए चमड़े के एक जूते को निकाल कर उस लड़के की चमड़ी उधेड़ देने वाली पिठाई की,

" काटेगा की नहीं?" उस शराबी ने अपनी सुतली जैसे शरीर की बर्बरता उसपर आजमाई,

" बोल काटेगा कि नहीं !" और उसे लात से बहुत जोर से मारा,

" काट ! काट! काट इसे!!" यह शब्द अब उसके कान में बस गए,

बच्चे ने आंखों में मार की हैवानियत से पैदा हुआ एक जालिम रूप अपना लिया, उसकी आंखों में अब खून सवार था, पूरा बदन गुस्से और आक्रोश के कांप उठा , उसने आख़िरकार वो छूरा उठा ही लिया, छुरे के धार धूप में एक बिजली सी चमक के साथ दमकी और उसने उस छुरे को हवा में उठाया, और एक मिनट में सूअर के मांस के छीथडे कर डाले, अब एक पूरे के पूरे सूअर का बड़ा सा मांस टुकड़ों में कट गया, बच्चा लगातार किए अपने बेरहम कटाई से अभी भी हाफ़ रहा था, उसके चेहरे पर एक अजीब सी शांति थी, जैसे मन की भड़ास इस मांस के करने के साथ ही टुकड़ों में ही कट गई, उसके हाथ में अब भी सूअर के मांस के कुछ छोटे छोटे बुरकों और खून से सना हुआ छूरा पड़ा हुआ था , उसके शराबी पिता ने एक घटिया मुस्कान दी, और जैसे ही वो उसे अंदर के कमरे की ओर लेकर गया, उस बच्चे के अन्दर का बचपन ख़तम होगया, अब वो एक कसाई बन गया था, दारूख गली का सबसे छोटा कसाई जिसके छुरे में एक बेरहमी थी, एक खौफ और एक दर्दनाक मौत का मंज़र था, उसकी मां के जिस्म के खरीददार फिर से एक बार उसी के कमरे में उसकी मां के जिस्म को नोच रहे थे, वो कमरा आज भी बिना पर्दो वाला कमरा था, जैसे कि वह पहले हुआ करता था जब उसकी मां की इज्जत लूटी गई थी आज से ग्यारह साल पहले लेकिन उस समय एक दुधमुंहा बच्चा अपनी मां की कोई मदद नहीं कर पाया था, लेकिन आज उसके आंखों में एक अजीब सा खौफनाक इरादा था, एक बेहद खतरनाक कातिल इरादा, उसने उस छुरे के सतह को अपने उन्हीं नन्हे हाथों से क्या जिसने अभी ही एक सूअर के मांस के टुकड़े कर डाले थे, अभी उस छुरे का खून सूखा भी नहीं था, इस बार उसके शराबी बाप को उस कुछ भी बोलने या जूतों से मारने की जरूरत नहीं पड़ी नाही उसके बाप ने उसे काटने के लिए उकसाया, इस बार उसने अपने छुरे को हाथों में कस कर पकड़ा और उस बिना पर्दे वाले कमरे में जा घुसा दो आदमी उसकी मा के ऊपर चढ़े हुए थे , बिना कपड़ों के दो नंगे मर्द, और उनके भारी स्थूल शरीर के दबाव के नीचे उसकी नग्न मा, वह शेर की गर्जन सा चिलाया और उन दोनों आदमियों के मांसों के टुकड़े टुकड़े कर डाले, उसकी मां और उस बिना पर्दे वाले कमरे के हर दीवारों में खून के छर्रे छिटक गए, साथ ही उसके नन्हे हाथों में कत्ल के वे लाल दाग….. उस दिन से उसने इसी छुरे को अपना धंधा अपना एक मात्र दोस्त , और अपना मा बाप दोनों मान लिया


और इसी दिन से कालचिरौंध के दार्रुक गली के बदनाम मोहल्ले में एम जल्लाद का जन्म हुआ!!


जल्लाद जिसके छुरे में गाज़ी सी चमक थी!!