Untold words in Hindi Philosophy by Neelima Sharrma Nivia books and stories PDF | अनकहे लफ्ज़

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अनकहे लफ्ज़

लफ्ज़ कभी बोलते नही
उनमें छिपे ज़ज़्बात बोलते है
ते रे भी
में रे भी

यह अहसास कैसे कैसे होते है न ,कोई सुबह कितनी शीतल सी लगती है ,मेट्रो की तरफ जाती सड़क पर ट्रैफिक शुरू हो गया है ।रात को बैरियर लगाकर इसी सड़क को रोक दिया जाता है और एक पहरेदार बैठा दिया जाता है । जो अवैध रूप से आनेवाले ट्रैफिक को कंट्रोल करता है ।

ऐसे ही हमारा मन होता है जो दिन भर अनेक विचारों भावों रसों से ओतप्रोत रहता और ईश्वर ने शायद रात का सृजन इसी निमित्त किया कि इंसान थोड़ा ठहर ओर विचारों को कंट्रोल करना सीख , थोड़ा आराम कर ।

हां तो बात थी मेट्रो की तरफ जाती सड़क की , मैन रोड के पास घर लेने के फायदे भी है तो नुकसान भी । मुझे ऐसे घर कभी पसंद नही आते क्योंकि उसमे अपने लिए स्पेस कम होता है । घर के पिछले हिस्से में नेटवर्क नही आता हेलो हेलो करकेसब फ़ोन बंद हो जाते है और अगले हिस्से में आवाजाही इतनी है कि बस .....

भटक रही हूँ बार बार ... बात फिर मेट्रो पर लेकर आती हूँ । आजकल टिकटोक देखने लगी हूँ। जरा सी फुरसत मिले तो टिकटोक , देर रात नींद न आ रही तो टिकटोक। एक अच्छा प्लेटफार्म है यह... अपनी प्रतिभा दिखाने का । लेकिन यहाँ पर तो कोई बैरियर नही लगा है तो फूहड़ता भी बहुत ज्यादा है ।अपनी देहआकार ,स्किल के विपरीत हर कोई नाच गा या स्वांग रचकर लाइक कमैंट्स की भीड़ में कटोरा लिए खड़ा है ।

कोई अपनी पत्नी से जबरन किसी फिल्मी गाने या डायलॉग पर एक्ट करा रहा है तो कहीं पत्नी अपने पति को जबरन घसीट रही है ।बच्चे भी बड़ो की तरह परफॉर्म कर रहे है । चलिये सबकी व्यक्तिगत लाइफ है तो उनके ही रूल चलेंगे ।लेकिन यह जो मेट्रो में सामने बैठे /खड़े लड़के लड़की को मेरा क्रश कहकर 15 सेकंड की वीडियो बनाकर पेश किया जारहा है या चलती सड़क या मॉल में अचानक नाचना या प्रैंक करने लगते है बाकियों का असहज होना क्या व्यक्तिगत चॉइस नही है ।

कल एक टिकटोक वीडियो में देखा सामने बैठे बुजुर्ग की गोद मे अचानक एक लड़की सिर टिकाकर लेट जाती है वो अचानक हड़बड़ा जाते है । यही अगर वह बुजुर्ग कर जाते तो....

सुबह सुबह किसी की क्लास लगाने का कोई इरादा नही बस उन बुजुर्ग की सूरत सुबह सुबह याद गयी ।

मेरे घर की बालकनी से सूर्य उदय का दृश्य कभी कभार ही नजर आता है और आज तो कल रात की बारिश की वजह से गुलमोहर के दहकते फूल नम होकर जमीन में लोटपोट हुए जा रहे है ।

सुबह जल्दी जागना तो भूल ही गयी थी ,कल किसी मित्र ने जोश दिला या कहूँ जलन हुई मुझे उसकी काया पलट देखकर जो सिर्फ मॉर्निंग वॉक से हुई है ।दिल्ली की गर्मी और पॉल्युशन में भी वाक का फायदा बहुत सुबह जाग कर ही उठाया जा सकता है ।

लिखना था क्या ओर लिखती क्या क्या चली गयी ।ऐसा ही होता अक्सर जब कई दिन कुछ लिखो ।

#नीलिमाशर्मा