राहुल के फोन का अलार्म बोला,राहुल आँखें मलते हुए उठा ,देखा तो दीपक पहले ही जाग उठा है और किचन से उसके लिए चाय बनाकर ला रहा है__
क्या यार!आज इतनी जल्दी कैसे जाग उठा,आज तो संडे है, राहुल ने दीपक से पूछा।।
हाँ,यार! रात को लगभग बारह बजे मेसेज आया कि माया कपूर इण्टरव्यू देने के लिए तैयार है, वो ग्यारह बजे से लंच टाइम तक फ्री है,माया कपूर का इण्टरव्यू लेने जाना है इसलिए जल्दी तैयार हो गया और मैनें आँमलेट बनाकर खा लिया है और लंच के लिए मेरा इंतज़ार मत करना,दीपक जाते हुए बोला।।
राहुल ठीक ग्यारह बजे माया कपूर के बगले जा पहुंचा, उसने सेक्यूटरी गार्ड को अपना आई कार्ड दिखाया, गार्ड अंदर जाकर परमिशन लेकर आया और दीपक को अंदर ले गया,दीपक को गेस्ट रूम मे बैठाकर बोला__
आप यहाँ बैठिए,मैडम कुछ देर मे आतीं हैं।।
और थोड़ी देर के इंतजार के बाद माया कपूर गेस्ट रूम मे दाखिल हुईं,दीपक ने उन्हें हैलो बोला और बड़े ध्यान से माया को देखने लगा,माया जैसी स्क्रीन पर दिखती है वो वैसी नहीं दिख रही थीं, चेहरे पर कोई चमक नहीं कोई निखार नहीं,उतरा उतरा सा चेहरा लग रहा था उसका।।
माया,दीपक के हाव भाव देखकर समझ गई थी कि दीपक के मन में क्या चल रहा है और उसने पूछ ही लिया___
दीपक ! आप कुछ सोच रहे हैं।।
नहीं! मैम,ऐसा कुछ नहीं है, दीपक बोला।।
मुझे पता है कि आप क्या सोच रहें हो,यही कि जैसा चेहरा स्क्रीन पर दिखता है, वैसा आज क्यों नहीं दिख रहा,वो इसलिए कि आप ये इण्टरव्यू रेडियो के लिए लेने आए हो इसलिए मैने मेकअप नहीं किया,जब मैं टी वी पर इण्टरव्यू देती हूँ तब मेकअप करती हूँ,क्योंकि सब तो इसी चेहरे के दीवाने होते हैं।।
जी,मैम ! बिल्कुल ठीक ,मै शायद यही सोच रहा था,दीपक बोला।।
माया कपूर बोली,अच्छा! आप चाय लेंगें या और कुछ।।
जी,बस एक गिलास ठंडा पानी,दीपक बोला।।
और माया ने दीपक के लिए पानी मँगवाया।।
पानी पीकर दीपक बोला तो शुरू करें,
माया बोली,ठीक है।।
दीपक बोला,लेकिन मैं आपको एक बात बता देना चाहता हूँ कि मैं एक किताब लिखना चाहता हूँ किसी फिल्मी हस्ती पर इसलिए मुझे आपके बारें में बहुत कुछ जानना है और चिंता मत कीजिए ये आपकी बायोग्राफी नही होगी, मैं बस एक आइडिया लेना चाहता हूँ कि फिल्मी हस्तियों की जिन्दगी कैसी होती हैं, थोड़ी बहुत इंटरव्यू रेडियो के लिए और बाकी़ मेरी किताब के लिए।।
ठीक है, लेकिन आपकी किताब में मेरे नाम का जिक्र कहीं पर भी ना हो,माया बोली।।
ऐसा कुछ नहीं होगा,आप बेफिक्र रहे और अगर ऐसा हो तो आप मुझ पर मानहानि का मुकदमा ठोक देना,दीपक बोला।।
ये सुनकर माया हँसने लगी और फिर बोली पूछो,क्या पूछना चाहते हो?
आपकी फिल्मों में शुरुआत कैसे हुई और प्रेरणा किसने दी,दीपक ने पूछा।।
माया बोली___
आज पूछ ही रहे हो तो सच सच बताऊँगी, ना जाने क्यों तुमसे सच्चाई कहने का मन कर रहा हैं, तुम्हें देखकर मुझे अपने भाई की याद आ गई, बिल्कुल ऐसे बातें करता था लेकिन सालों से रिश्ता तोड़कर बैठा है।।
आज तुम्हें सब कुछ बताऊँगी, मेरे पापा आर्मी मे कर्नल थे,माँ भी सफल गृहिणी थी,काँलेज के समय से मैं थोड़ी बहुत कार्यक्रमों में भाग लिया करती थीं, मेरी हाइट और पर्सनालिटी अच्छी थी तो मुझे एकाध माँडलिंग के आँफर भी मिलें,जो कि मैने घर पर बताएं बिना उन्हें करने के लिए हाँ कर दी,बहुत तारीफ मिली,ये था कामयाबी का पहला चस्का,मुझे लग रहा था कि अब आगें जाना चाहिए और कामयाबी के लिए,सिर्फ़ इसलिए कि मुझे माँडलिंग के आँफर मिले,इसके लिए मैने कई लोगों से अफेयर भी किए,इसी बीच परिवार ने मुझे छोड़ दिया, वो नहीं चाहतें थे कि मैं इस क्षेत्र में जाऊँ,तब मैने सिगरेट और शराब का भी सहारा लेना शुरु कर दिया, मैं कामयाब होती गई तो पुरानी सहेलियों का भी साथ छूटता गया,अब अपना दुखड़ा रोने के लिए कोई भी कंधा नहीं बचा था,कंधे थे तो तमाम लेकिन वे अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाह रहे थे,लेकिन कहाँ तक बचती,आखिर में मैली हो ही गई, कामयाबी जो चाहिए थी।।
रिश्ते छूटे,दोस्त छूटे,रह गई तो बस ये शौहरत की खोखलीं दुनिया और फैंस की भरमार, जिनमें से मैं किसी को नहीं जानती और मुझे सब जानते हैं, इतना कहते कहते माया की आँखें छलछला आईं।।
तभी अन्दर से हाउसमेड आकर बोली___
मैडम! लंच टाइम हो गया है।।
ठीक है, लंच लगवाओ,मैं अभी आती हूँ, माया बोली।।
ठीक है, आप लंच कीजिए, बाकी़ इण्टरव्यू बाद मे करते हैं, दीपक बोला।।
अरे,लंच आप भी करेगें साथ,तभी तो आपको इस समय पर बुलाया था,बहुत दिनों बाद आज मैं किसी के साथ लंच करूँगी क्योंकि अपने तो सब बिछड़ गए, वो भी मेरे कर्मो की वजह से,माया बोली।।
ठीक है, आप इतना कह रहीं है तो चलिए,दीपक बोला।।
टेबल पर खाना लग चुका था,दीपक के लिए दाल चावल ,दो तरह की सब्जी,चपाती और मीठे मे गुलाब जामुन लेकिन माया के लिए स्प्राउट, जूस ,सैलेड,बस थे और वो बोली आज तुम्हारे साथ एक कटोरी दाल ले लेती हूँ।।
तभी दीपक बोला,ये क्या? इससें कहीं पेट भरता हैं।।
अब क्या करूँ, मेरा तो यही खाना है रोज का,उबला और घास फूस,हम स्टार है,हमें ऐसा ही खाना खाना पड़ता हैं,हम तुम लोगों की तरह रास्ते से गोलगप्पे और समोसे नहीं खा सकते,ना खुलकर खुले बाजारों से शाँपिंग कर सकते हैं, ना सड़क पर खड़े होकर चाय पी सकते हैं, इस रंगीन दुनिया के पीछे कितनी उदासीनता है वो हम ही जानते हैं, कोई भी हम पर अभद्र टिप्पणियां कसता हैं, जैसे हम उनकी बापौती है, कोई भी अखबारों या मैगजीन मे छपी हमारी तस्वीरों को चूम लेता है, तब हमारे दिल पर क्या गुजरती है, ये कोई नहीं जानता लेकिन ये गंदी दुनिया भी हमारी ही चुनी हुई ही तो है, दूसरों का क्या दोष।।
रंगाई पुताई कर के जो हम स्क्रीन मे दिखते हैं, वैसे हम होते नहीं हैं, सुबह सुबह वर्कआउट करो,ये मत खाओं, वो मत खाओं,इससे बाल अच्छे होते हैं, इससे स्किन अच्छी होती है, बस ऊपर से हमे हमेशा सुन्दर दिखना होता है लेकिन अन्दर से हम कचरा हो चुके होते हैं, कोई भावनाएं नहीं होती हमारी,कभी भी किसी के साथ भी हमारा नाम जोड़कर हमें बदनाम कर दिया जाता है, ये चटक ये मज़ा सब दिखावा हैं, यहां तक हमारे नाम भी असली नहीं होते,पता है मेरा नाम कोमल था,लेकिन यहाँ आकर माया हो गया,कोमल ने कठोरता का रूप ले लिया है।।
इसी तरह माया अपनी कहती रही और दीपक सुनता रहा,शाम को दीपक अपने रूम पहुँचा तब राहुल ने पूछा कैसा रहा इण्टरव्यू?
दीपक बोला___
यार!जो दुनिया हमें स्क्रीन पर दिखती है, ऐसा कुछ भी नहीं है ,स्क्रीन के पीछे की दुनिया कुछ और ही हैं।।
समाप्त___
सरोज वर्मा___