Radha Bai in Hindi Motivational Stories by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | राधा बाई

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राधा बाई

राधा बाई

मेरे एक मित्र है रमणीक भाई। उनके घर में एक वृद्ध महिला काम करती है उनका नाम है राधाबाई। राधाबाई उस घर के सदस्य के रूप में है। सभी बच्चे उन्हें दादी कहते है। रमणीक भाई और उनकी पत्नी ही है जो उन्हें नाम लेकर बुलाते है। अगर कभी पूरा परिवार कही जाता है तो घर की चाबियाँ राधाबाई को दे जाते है। घर खुला रहता है और राधाबाई वहाँ रहती है। एक दिन जब मैं रमणीक भाई के घर गया तो वे दोनो पति पत्नी बाजार गए हुए थे। घर पर बच्चे थे जो अपने खेल कूद में लगे थे। राधाबाई ने मुझे जाने से रोका और कहा आप रूक जाइए, बडी देर हो गई है बाजार गए हुए, अब वे आते ही होंगे। उसके कहने पर मैं रूक गया। वह मेरे लिए चाय बना लाई। मैं चाय पीते पीते ही राधाबाई से बात करने लगा।

राधाबाई का जन्म शहर में ही पास के एक गांव में हुआ था। उसका विवाह शहर के ही एक परिवार में हुआ था। विवाह के बाद पता चला कि उसका पति एक बहुत बडा अपराधी था। वह अपराधियों के बीच डान के नाम से जाना जाता था। उसके कई अवैध धंधे थे। उसे जुआ, सट्टा, शराबखोरी की लत थी। खूब अनाप शनाप कमाई थी, जिसे वह खूब लुटाता भी था। राधाबाई ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन उसने अपने दुव्र्यसन नही छोडे। वह उसे बेवकूफ समझता था। इन्ही सब के चलते एक बार वह घायल हो गया। इलाज चला लेकिन उसे बचाया नही जा सका और एक दिन उसने दम तोड दिया।

पति मृत्यु के बाद राधाबाई पर संकटो का पहाड टूट गया। उसके यहाँ भीड लगाए रहने वाले अचानक ही मुँह फेरकर गायब हो गए। चुनाव के समय में उसके पति को अपना सगा बताने वाले नेताओं का दिखना भी बंद हो गया। कमाई बंद हो गई। पिता की आदतों से उसका लडका भी बिगड चुका था। उसके कारण उसे अपना मकान बेचना पडा और एक दिन वह ऐसा गायब हुआ कि लौटकर नही आया। लोगो से पता चला कि वह अपने पिता के एक मित्र के साथ बंबई चला गया है। राधाबाई न बची खुची रकम से अपनी बेटी के हाथ पीले किए। वह दुनिया में अकेली रह गई ।

पेट की आग बुझाने के लिए उसने दूसरों के घरों में काम करना प्रारंभ किया लेकिन इसी बीच भगवान ने उसे रमणीक भाई से मिला दिया और वह उनके घर काम करने आ गई। अब वह रमणीक भाई के घर में किसी नौकर के रूप में नही बल्कि उस घर की बुजुर्ग के रूप में रह रही है। बात करते करते उसका गला भर आया था। अपने अतीत को याद करते हुए वह बोली बाबू साहब, भगवान सभी को उसके कर्मों का फल जरूर देता है। मैंने पिछले जन्म कुछ बुरे काम किए होंगे जिसके कारण मैंने यह सब भोगा और कुछ अच्छे काम किए थे जिनके कारण मैं इस घर में पहुँच गई। यहाँ मैं चैन से इज्जत के साथ रह रही हूँ, षांति से भगवान का भजन करती हूँ और कोशिश करती हूँ कि मेरे कारण किसी को कष्ट या दुख न पहुँचे। भगवान मेरी बाकी बची जिंदगी भी ऐसे ही काट दे।