A tour in forest . - 3 in Hindi Adventure Stories by Apoorva Singh books and stories PDF | राजपुरा के जंगल ...रहस्य या कोई साजिश? - (भाग -3)

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राजपुरा के जंगल ...रहस्य या कोई साजिश? - (भाग -3)

लाइब्रेरी में ‌-

किताबो की दुनिया में मान एक खोजी राहगीर की तरह भटक रहा है।जैसे एक खोजी राहगीर तब तक चलता जाता है जब तक कि उसकी इच्छा के अनुसार मंजिल नही मिल जाती है। उसी तरह मान भी राजपुरा के उस भयावह जंगल के बारे में जानकारी जुटाने के लिये भट्क ही तो रहा है।कभी इस रो की किताबों का नाम पढता है तो कभी किसी दूसरे रो की ओर बढ जाता है इस उम्मीद से कि शायद उसे वहाँ कुछ जानकारी मिल जाये।लेकिन उसे कुछ नसीब नही होता थक हार कर वो वही पड़ी एक बेंच पर बैठ जाता है और सोचने लगता है , “ क्या ये सम्भव है कि इतनी बड़ी किताबो की दुनिया में उसे राजपुरा जैसी चर्चित और भयावह जगह के बारे में कोई भी जानकारी वाली किताब न मिले। आखिर ऐसा हो कैसे सकता है कि किसी ने भी राजपुरा के बारे में कुछ न लिखा हो। जबकि लिखने वाले ने तो भानगढ जैसी जगह के बारे में भी नही छोड़ा फिर ये तो राजपुरा है रहस्य और रोमांच से भरपूर एक जंगल। जहाँ अक्सर लोग इसलिये जाते है कि वो वहाँ से वापस आ जायेंगे और उस जंगल के रहस्य के बारे में सबको सबसे पहले अवगत करायेंगे जिससे उन्हे काफी प्रसिद्धि मिलेगी। इसी प्रसिद्धि के लालच के कारण ही तो कुछ लोग वहाँ जाते है।बाकि जो बचे हुए जाते है उन सबके पास अपना अपना कारण होता है।वहाँ जाते तो सब बड़ी ही हिम्मत करके है लेकिन वहाँ का हाल लेकर कोई नही आ पाते हैं।सब के सब न जाने कहां उस जंगल के रहस्यो में गुम हो जाते है या फिर किसी साजिश का शिकार हो जाते है कोई नही जानता।

जंगल के विषय मे सोचते सोचते ही मान के शरीर में सिहरन दौड़ जाती है। उसके शरीर के रोये खड़े हो जाते हैं।और वो बैठे बैठे ही अचानक से झुरझुराहट महसूस करता है।“ओह गॉड” कहते हुए वो चौंक कर एकदम से अपनी कुर्सी से खड़ा होता है और दो कदम पीछे हट जाता है।

उसकी इस हरकत को वहाँ मौजूद कुछ छात्र देखते है। जिसे देख मान को महसूस होता है कि अभी जो भी हुआ वो कतई साधारण हरकत नही थी।वो सबसे सॉरी कहता है और वहाँ से वापस किताबो के बीच मे आ जाता है और एक जगह खड़े होकर किताब हाथ मे पकड़ लेता है लेकिन उसे पढने की जगह सोच में डूब जाता है।

म... इस ध्वनि से मान की सोच को विराम लगता है और वो इस आवाज के कारण को जानने के लिये अपनी नजरे इधर उधर दौड़ाता है।जहाँ वो खड़ा है उस रो में उसे कुछ नही दिखता है सो वह चारो ओर देखते हुए दूसरी रो में जाकर देखता है जो उसके जस्ट बगल में होती है जहाँ वो खड़े खड़े सोच में डूब गया था।वो आगे आता है तो उसे नीचे एक किताब पड़ी हुई दिखती है।मान किताब उठाता है और आदतन उस किताब के नाम को पढ उसे रखने वाला होता है, “ कुछ अनसुलझे रहस्य” नाम दोहराता है तो उसके हाथ रुक जाते हैं। उसकी आंखो की पुतलियां फैल जाती है और वो उस किताब को हाथ में लेकर बेंच पर आकर बैठ जाता है।

मान मन ही मन सोचता है शायद इस किताब में इन जंगलो के रहस्यो के बारे में कुछ दिया गया हो। मुझे एक बार पढ कर देख लेना चाहिये। कहते हुए मान वो किताब पढने लगता है।वो किताब खोलता है और उसके पहले पृष्ठ को ओपन करता है।जिस पर क्रम के अनुसार कुछ जगहो नाम लिखे गये है जिनमे विश्व की कुछ ऐसी जगहो के बारे में लिखा गया है जिनके रहस्य आज भी अनसुलझे हैं। उन्ही में से एक नाम राजपुरा का भी होता है।

नाम पढ कर मान के चेहरे पर बैचेनी के साथ साथ जिज्ञासा के भाव भी उभर आते हैं।बिन देर किये मान तुरंत ही अंकित किये गये पृष्ठ संख्या को खोलता है और राजपुरा के बारे में पढने लगता है।जिसमें राजपुरा के बारे में लिखा गया है।

राजपुरा जंगलो से घिरा हूई छोटी लेकिन खूबसूरत सी एक रियासत। जिसका शासक बड़ा ही क्रूर अधर्मी और अत्याचारी था।जिस कारण उसके राज्य में सुख शांति तो थी लेकिन दिखावटी। जैसे वो वैसे ही उसकी पहली दो संताने।रूप गुण और आदत में बिल्कुल उस शासक की छवि। एक बार शासक का सबसे बड़ा पुत्र उसी रियासत की एक साधारण सी लड़की पर आसक्त हो गया और उसे प्राप्त करने के लिये उसने साम दाम दंड भेद सभी तरीके आजमाये एवं उस लड़की का विश्वास हासिल किया। एवं मन भर जाने तक उसके विश्वास के साथ खिलवाड़ करता रहा।अंत में उसने उसे राजपुरा के जंगल के बीच में स्थित अपने आरामगाह मे रहने को भेज दिया।जहाँ वो फिर कभी नही गया। वो लड़की कहाँ गयी उसके साथ क्या हुआ ये किसी को पता नही चला।वो पहली लड़की थी जो राजपुरा के जंगल में जाकर लौट कर नही आयी थी।वहाँ जाते तो बहुत से लोग थे लेकिन लौट कर कम ही आ पाते थे। सभी आकर एक ही बात कहते थे कि जंगल वो जंगल नही रहा है इस जंगल में एक चुडैल और उसके साथी आकर वास करने लगे है।

“तुम्हे यहाँ आना होगा मै इंतजार कर रही हूँ” ये आवाज हर समय गुंजती है जिसके जवाब में भी एक भयानक गूंजती हूई आवाज आती है “हाँ वो आयेगा तू बस ऐसे ही इंतजार करती रह साथ ही यहाँ आने वाले हर प्राणी में ढूंढ उसे क्या पता वो किस रुप में तेरे सामने आ जाय”। अब ये महज अफवाह थी या सच था क्या पता लेकिन इस कारण धीरे धीरे लोगो ने वहाँ जाना ही बंद कर दिया और उस जगह को छोड़ कर वहाँ से पलायन कर गये।एवम उनके साथ ही हरा भरा राजपुरा वीरान हो गया।

“समाप्त”। बस! इतनी सी जानकारी।इससे तो आधी बात ही समझ आ पायी है। कि हो न हो ये सब डर का आतंक उस लड़की ने ही फैलाया है।लेकिन इस घटना को तो घटे हुए सालो बीत गये। कई शताब्दिया बीत गई अब तक वो लड़की कहाँ वहाँ होगी अवश्य ही कोई और ही बात है जो मुझे पता लगाना है क्युंकि तभी मै अपनी बहन रीना तक पहुंच सकूंगा।मान ने इस बात पर ध्यान ही नही दिया है कि वो किताब अचानक से वहाँ आयी कहाँ से?

किताब पढ कर मान उसे वापस रो में रख देता है और वहाँ से टीना से मिलने चला जाता है।उसके जाते ही वो किताब नीचे गिरती है और देखते ही देखते वहाँ से अदृश्य हो जाती है।सर र र करते हुए एक तेज हवा झोंका वहाँ से गुजर जाता है।जो लाइब्रेरी में लगे पंखो की वजह से किसी को मालूम ही नही पड़ता है।

उधर टीना ने विवान और अकीरा साथ चलने के लिये बात कर ली है।

कुछ देर पहले

टीना सीधे विवान और अकीरा के पास पहुंचती है और उससे कहती है हे अकीरा यार तेरा प्लान मुझे बहुत पसंद आया। उस जगह के बारे में सुना तो मैंने भी है कि वो जगह काफी सुंदर रही थी अपने समय। आज भी जब उन जंगलो के बाहर गुजर रही सड़क पर खड़े होकर कोई अंदर की ओर झांके न तो कुछ प्राकृतिक दृश्य दिख जाते हैं।मेरे मन में भी वहाँ जाने की तमाम इच्छा थी लेकिन अकेले की वजह से कभी हिम्मत ही नही कर पाई। आज तुम लोग जा रहे हो तो मेरे मन के किसी कौने में दबी हुई ये इच्छा भी जाग गयी है।अगर तुम्हे कोई परेशानी न हो तो क्या मै भी तुम्हारे साथ चल सकती हूँ।मै मान को भी मना लूंगी अपने साथ चलने को जिससे तुम लोगो की प्राइवेसी में कोई दखल न आये।प्लीज प्लीज हाँ कर दो न जिससे कि हम लोग भी चल सके।टीना की बात सुन कर अकीरा और विवान पहले एक दूसरे की ओर देखते है हल्का सा इशारे कर एक दूसरे की सहमति लेते हैं और फिर टीना की ओर देखते हुए उससे कहते हैं ओके नो प्रॉब्लम तुम और मान हमारे साथ चल सकते हो।

लेकिन अब मैं सोच रहा हूँ तुम दोनो ही क्यूं विशाल भी क्यूं नही? मतलब अब विशाल भी साथ चलेगा।यानी हम सभी दोस्त चलते हैं न आउटिंग पर बड़ा मजा आयेगा। विवान ने सोचते हुए कहा।

ओके ये तो और भी अच्छा है टीना ने खुश होते हुए कहा।तो एक काम करो तुम न विशाल से बात कर लो अगर वो जाना चाहता है तो अवश्य ही हम उसे साथ ले लेते हैं मै जाकर तब तक मान से बात कर उसे मना लेती हूँ अब तुम तो जानती ही हो न अकिरा कितना मनमौजी है मन हुआ तो चलेगा नही मन हुआ तो फिर सर पटक पटक कर रह जाओ नही जायेगा तो नही जायेगा।ओके बाय मिलते हैं बाद में कहते हुए टीना वहाँ से रफूचक्कर हो जाती है। कॉलेज के कैंटीन में जाकर बैठ जाती है।उसे ढूंढते हुए मान भी वही चला आता है।

अब...


… मान और टीना दोनो ही कैंटीन में बैठे हुए हैं और आपस में बातचीत कर रहे हैं कि अचानक से मान को महसूस होता है कि उसके पास कोई है....? उसे अपने आस पास चमेली के इत्र की मनमोहक खुशबू आने लगती है। उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है और वो टीना से कहता है, “ वाह ! क्या खुशबू है जैसमिन की । उसकी बात सुन कर टीना उसे हैरानी से देखते हुए पूछती है खुशबू वो भी जैसमिन की? कहाँ मान? क्या पगला रहे हो बैठे बैठे ?

मान टीना की बात सुन कर कहता है क्या सच में तुम्हे कोई सुगंध नही आ रही है।यहाँ चारो ओर तो इत्र की खुशबू फैली हुई है मुझे महसूस हो रही है।

अच्छा मै भी आकर इस खुशबू को महसूस कर लू जरा कहते हुए टीना उठते हुए उसके पास आ जाती है तो उसे भी वो सुगंध आने लगती है ये महसूस कर टीना कहती है सच में काफी अच्छी फ्रेग्रेंस है मेरी कुर्सी पर नही आ रही है।कहते हुए टीना वापस अपनी कुर्सी पर बैठ जाती है।और आगे कहती है

मान मैंने विवान से बात कर ली है वो मान गया है उसे कोई दिक्कत नही है हम सब को साथ ले जाने में बशर्ते कोई उसकी प्राइवेसी में डिस्टर्ब न करे।

मुझे कौन सा जाकर उनके बीच कत्थक करना है मै तो बस अपनी बहन के बारे में पता लगाने के लिये जा रहा हूँ आखिर उसे क्या जरुरत पड़ी उन जंगलो में जाने की, क्या हुआ है उसके साथ जिस कारण वो लौट कर नही आ पाई है।मान ने बैचेनी से कहा।

ओके ‘काम डाउन मान’ जो उन्होने कहा वही तो मैंने कहा है।ताकि जंगल में पहुंचने पर हमें इस बात का ध्यान रहे।टीना बोली

ओके टीना थैंक्स्। और हाँ इस महीने की तुम्हारी सैलरी मै तुम्हे पेटीएम कर दूंगा।तुम जाकर अपनी जरुरत का समान ले लेना और थैंक्स मेरी इतनी मदद करने के लिये।अच्छा अब मैं निकलता हूँ मुझे कुछ जरुरत का सामान लेना है अब हम लोग विवान और अकीरा की तरह वहाँ डेट पर तो जा नही रहे काम से जा रहे है और जब तक काम नही हो जायेगा तब तक वहाँ से वापस नही आयेंगे इसीलिये जो भी जरुरत की चीजे चाहिये वो तो रखनी होगी न् सो बाय और हाँ कल जितने भी समय निकलना है न टाइम मुझे मेसेज कर बता देना।मै रेडी हो पहुंच जाउंगा।मान ने कहा और वहाँ से निकल जाता है।

ओके..।कह टीना वहाँ कुछ देर बैठती है और फिर वहाँ से चली आती है।मान अपने घर आ जाता है और अपने कमरे में जाकर रेस्ट करने लगता है।वो आंखे बंद कर बेड पर लेट जाता है .... उसे फिर से वही जसमिन की खुशबू आने लगती है। और वो बेड पर लेटे ही लेटे एक गहरी सांस ले कर उस खुशबू को महसूस करने लगता है।

महज दस सेकंड बाद ही उसे अपने कमरे का तापमान बदलते हुए महसूस होने लगता है।ये महसूस कर वो झट से आंखे खोलता है तो उसकी नजर खिड़की पर पड़ती है जो खुली हुई होती है। ओह शायद इसी वजह से ऐसा हो रहा है सोच मान खड़ा हो जाता है और खिड़की को बंद कर देता है।

घड़ी देखता है जो दोपहर के बारह बजा रही है और बंद पड़ी है।शायद इसका सैल खत्म हो गया होगा सोचते हुए मान उसे उतार कर रख देता है।और मोबाइल में समय देखता है जिसमें दोपहर का एक बज रहा है।

मार्केट जाना होगा कहते हुए मान तैयार होकर शीशे के सामने देखता है।तो चौंकते हुए कहता है ये कैसा अजीब सा दिख रहा है मेरा चेहरा। खैर अब इस पर तो आकर ध्यान दूंगा पहले बाजार हो आता हूँ कहते हुए मान वहाँ से निकल जाता है और शाम तक वापस आ जाता है।


तू आ गया दुष्ट्।आखिर मेरा इतने सालो का इंतजार पूरा हो ही गया। हा हा हा हा ईहीहीही ही आखिर तू आ गया। एक जंगल मे मान अपने पांचो दोस्तो के साथ फंस गया है तभी उन सभी को ये भयानक आवाज सुनाई देती है।जिससे सभी डर जाते हैं और डर के कारण सभी एक दूसरे को कस कर पकड़ लेते हैं। “इस जंगल में रहने वाली भयानक शक्तियां आकर देखे मेरे इंतजार को पूरा होते हुए” वो सभी काली शक्तियां जिन्होने मेरी सहायता की।एक गुर्राती हुई आवाज आई और तुरंत ही वहाँ धुआ ही धुआ हो जाता है..और उसी धुएं में उभरती है एक आकृति जिसकी काली भयानक आंखे और उन आंखो के नीचे काले काले गड्डे। आंखो की पुतलिया कभी ब्लिंक करती हुई कभी उभर आती तो कभी गायब हो जाती।बिखरे उलझे हुए लम्बे बाल धरती से थोड़ी उपर उठी हुई वो एक जोर का ठहाका लगाती है ... फिर एक दम से खामोश हो जाती है और घूरते हुए उन पांचो की ओर देखने लगती है।पल दो पल लिये वहाँ खमोशी पसर जाती है... अचानक... ही वो हवा में उड़ती है और ह्म ह्म ह्म्म्म्म्म्म्म..... की आवाज निकालते हुए उनकी ओर लपकते हुए आती है.....वो पांचो डर जाते है भागने की कोशिश करते है लेकिन पैर जम जाते है उससे बचाव की कोशिश करते हुए सभी झुक कर बैठ जाते है कि..... ये खचाक......।गर्दन अलग जाकर गिरती है ...... आआ नही, कहते हुए मान उठ कर बैठ जाता है। उसकी सांसे नॉर्मल से बहुत तेज चल रही है और आंखो में खौफ साफ साफ दिख रहा है।शरीर डर की वजह से कांप रहा है।कुछ देर तो वो यू ही बिस्तर पर बैठा हुआ समझने की कोशिश कर रहा है कि ये सपना था या हकीकत...।कुछ देर बाद सब धीरे धीरे सामान्य होता है और वो समझ जाता है कि ये सिर्फ सपना था। वो दीवार घड़ी को देखता है जिसमे रात के दो बज रहे हैं।वो उठता है बाथरूम जाता है और वापस आकर अपनी स्टडी टेबल पर बैठ जाता है।नींद उसकी आंखो से भाग चुकी होती है।मन मे स्वप्न में घटी घटनाये चल रही है।वो अपनी आंखे बंद करता है तो देवी दुर्गा की अष्ट्भुजा स्वरूप की छवि उसके सामने आ जाती है।वो हड़बड़ा कर अपनी आंखे खोलता है और बुदबुदाता है आप चाहे कितनी ही कोशिश कर लो मै दोबारा आपके दर पर नही आउंगा।कह अपनी किताब खोल कर पढने लगता है।

दिन हो जाता है तो मान अपने घर पर अपनी मां के लिये एक पत्र लिखता है जिसमें वो लिखता है कि “मां मै अपने दोस्तो के साथ घूमने के लिये राजपुरा के जंगलो में जा रहा हूँ। जहाँ मेरी बहन रीना खो गयी है मै उसे ढूंढ कर जल्द ही लौट आउंगा।मेरी चिंता न करन..मान।

मान ने वो पत्र अपनी ड्रेसिंग टेबल पर रखा और अपना बेग ले कर खिड़की के रास्ते वहाँ से बाहर चला आया।कुछ दूर पैदल चलने के बाद आगे रास्ते मे उसे उसके दोस्त एक गाड़ी में बैठे हुए मिलते हैं।मान हाय हेल्लो कर उसी गाड़ी में बैठ जाता है गाडी का ड्राईवर गाड़ी को सड़क पर दौड़ा देता है।लगभग तीस मिनट में वो सभी राजपुरा के जंगल से लगी सड़क पर खड़े होते हैं.।

एक अनजाना सा भय उन सभी के मन में आता है और लेकिन एक दूसरे को जताने के लिये वो मजबूत बनने का दिखावा कर खडे रहते हैं। ड्राइवर को उसके काम के पैसे देते है सो वो वहाँ से चला जाता है।और पांचो राजपुरा के जंगल में जाने के लिये अपने कदम बढाते हैं.....

क्रमश.......