मुकम्मल मोहब्बत -24
आज मधुलिका कल की तरह बेहाल नहीं हैं. आँखें भी सूजी हुई नहीं हैं. लाल भी नहीं हैं. लग रहा है,रात सो पायी है. लेकिन, चेहरा शान्त है. उदास नहीं है. लेकिन, खुश भी नहीं है.
मैं उसका पहले जैसा खिला हुआ चेहरा देखने को तरस रहा हूँ. उसकी शोखियां गायब होने से बातावरण भी सूना सूना सा हो रहा है. आज झील मेंं सेलानी भी कम हैं, शायद ऊपर पहाड़ियों के मजे ले रहे हैं.
मैं भी जब पहली बार नैनीताल आया था तो सबसे पहले स्नो व्यू पॉईंट गया था. वहां हिमालय के मनोरम दृश्य देखता रह गया था. नंदा देवी, त्रिशूल और नंदा कोट की चोटियां भी यहां से देखी थीं.
अगले दिन चाईना पीक,टिफिन टॉप देखने के बाद,वापसी मेंं नैनी झील में वोटिंग की थी.तब से जब भी नैनीताल आता हूँ-मौका मिलते ही शाम को नैनी झील में वोटिंग अवश्य करता था. वोटिंग करते हुई बस्तियों की लाईटें जब झील पर पड़ती हैं लगता है आकाश के तारे झील में उतर आये हैं.
इस बार की ट्रिप सबसे अलग रही. जबसे आया हूँ, कुछ शामें छोड़ दी जायें तो हर शाम वोट में गुजार रहा हूँ. वह भी इतने खूबसूरत साथी के साथ. इस गॉड गिफ्ट के लिए गॉड को थैंक्स कहना बनता है. मेरे मुंह से यकायक निकल गया-"थैंक्स."
"थैंक्स, किस बात के लिए?"मधुलिका ने चौंककर पूँछा.तो मैं अपने ख्यालों से बाहर आ गया.
"यह थैंक्स तुम्हारे लिए है. तुम यहां मिलीं. वोटिंग में मेरा साथ दिया. अपनी प्यारी सी लव स्टोरी भी लिखबा रही हो."मैंने बैग से लेपटॉप निकालते हुए कहा.
"मुझे भी तुम्हें थैंक्स कहना चाहिए. तुम मुझे वोटिंग करा रहे हो. अपना टाईम दे रहे हो. मेरी कहानी भी लिख रहे हो."
मधुलिका का स्वर अभी भी संयत था.
"वैलकम."मैंने धीरे से कहा.
"वैसे डियर, एक बात तो है."
"क्या?"
"तुम बहुत अच्छे हो.मैं तुम्हें भूल नहीं पाऊंगी."
"तुम क्या सोचती हो ,मधुलिका. मैं तुम्हें भूल जाऊंगा. शायद इस जन्म में तो नहीं."मैं शीघ्रता से कह गया.
"तुम्हें मैं अच्छी लगती हूँ."मधुलिका ने अपनी पलकें ऊपर उठायीं.
"तुम हो ही इतनी खूबसूरत-लवली, ब्यूटीफुल, क्यूट, वीनस..."
"बस...बस...इतनी तारीफ न करो."हँस दी मधुलिका.
"मैं केवल तारीफ नहीं कर रहा हूँ.जो सच है वही कह रहा हूँ. एक बात और...."बात अधूरी छोडकर में चुप हो गया.
और क्या... रूक क्यूं गये... बोलो."
"तुम दिल की बहुत अच्छी है.बादल लकी हे जो उसे तुम्हारा प्यार मिला."
"मैं भी लकी हूँ जो मुझे बादल जैसा दोस्त मिला और तुम मिले हो .बिल्कुल बादल की तरह अच्छे."
"बादल से कुछ कम अच्छा."मैंने हँसकर कहा.
"अरे,बुध्दू ,अब बादल जितने ही अच्छे हो."मधुलिका भी हँसी.
मुझे उसका हँसना अच्छा लगा.
"तुमने कभी बादल के साथ वोटिंग की है?"मैं वोट को बीच झील मेंं ले गया.
"वोटिंग तो नहीं की.लेकिन एक बार साथ घूमने गये हैं."
"कहां?"
"14 फरवरी को कालेज का टूर टिफिन टॉप जा रहा था.सभी अपने अपने दोस्तों को चलने की जिद कर रहे थे. बादल प्रिसिंपल सर के कहने पर टूर मेंं शामिल होने वाले स्टूडेंट्स के नाम लिख रहा था."
"तुमने भी अपना नाम लिखवाया होगा?"
"नहीं."
"क्यूँ?बादल का साथ मिल रहा था फिर भी."मैंने उसे हैरत से देखा.
"अरे,बुध्दू, ऐसा हो सकता है कि बादल के साथ जाने का मौका मिले और मैं न जाऊं. मैंने ममा को मना लिया था. कालेज टूर था ममा मान गई.लेकिन, मैंने अपना नाम नहीं लिखवाया."
"फिर टूर पर कैसे गईं."
"बादल ने मुझे बताया. हम टिफिन टॉप चल रहे हैं. मैंने तुम्हारा नाम लिख लिया है. मना नहीं करोगी."
"इसका मतलब बच्चू,तुम पर लटटू हैं."मैं जोर से हँसा.
"धत्..."उसने शरमाकर पलकें झुका लीं.
"बड़ी मस्ती की होगी"
"हां,हम लोग लंगूर के लिए एप्पल ले गये थे.अपने लिए बाल मिठाई ले गये थे.घर से सभी कुछ न कुछ खाने का लेकर आये थे.
रोड़ के दोनों ओर बहुत बड़े बड़े पेड़ों के जंगल थे.पेड़ों पर लंगूर उछलकूद कर रहे थे. मैंने उसे एप्पल दिया तो बादल साथ खड़ा रहा.डरता है न लंगूर मुझे काट न ले."
"शेरवुड स्कूल गये थे?"मैंने हाथ रोककर पूँछा.
"हां,गये थे.वहां सै अमिताभ बच्चन ने पढ़ाई की थी. हम लोग गप्पे मारते हुए कब टिफिन टॉपपहुंच गए पता ही नहीं लगा.टिफिन टॉप से पूरा नैनीताल दिखाई देता है. यह झील बिल्कुल पतली सी दिख रही थी. डियर, स्वीट एक दिन तुम भी टिफिन टॉप देखकर आओ.अच्छा लगेगा तुम्हें."
"तुम चलोगी, मेरे साथ."मैंने सीधे उसके चेहरे पर नजरें गढ़ा दीं.
"सॉरी, डियर, मैं नहीं चल सकती. तुम ऐनी के साथ जाना. अपनी और ऐनी की फोटो खींचना. बादल ने मेरी फोटो खींची थीं."
"फोटो तो मैं भी तुम्हारी खींचना चाहता हूं. क्या, हम साथ में शेल्फी ले सकते हैं?"मैंने मौका देखकर कहा. बहुत दिन से मैं वोट में मधुलिका के साथ शेल्फी लेना चाह रहा था.
"नो,डियर, शेल्फी नहीं. कल में तुम्हें अपनी फोटो दूँगी. कहानी में डाल देना.
मैंने सोचा -शायद घर वालों के डर से या बादल के डर से मना कर रही है.
मधुलिका ने कहना शुरू किया-"टिफिन टॉप से उतर कर हमने मैगी पॉईंट पर मैगी खायी.फिर वापस चल दिये.
वापस आते हुए सभी बहुत थक गयीं थै.लेकिन, रास्ते मेंं पीकॉक देखकर मेरी सारी थकान मिट गई. मैं उनके खूबसूरत पंखों को देखकर दीवानी हो गई. एक बार छूने की ललक में मैंने उसके पीछे दौड़ लगा दी.मेरे पीछे बादल भी तेजी से आया. तभी उसका पैर फिसला और वह लुढ़कने लगा.मुझे पता था वह मेरे पीछे आ रहा है.उसके गिरते ही मैं बहुत घबरा गई. मैं तेजी से उसकी तरफ भागी.तभी मेरा पैर किसी पत्थर से टकराया. मैं गिर गई. एक नुकीला पत्थर मेरे सीने में घुसा और में बेहोश हो गई.'
"बादल को भी चोट आई होगी?"
"सर साथ में थे.उन लोगों ने संभाल लिया होगा."कहकर मधुलिका खामोश हो गई.
बातों में पता ही न लगा .बस्तियों मे लाईट जुगनुओं की तरह जगमगाने लगी थी.
हम वापस चल दिए.
क्रमशः