Ankaha Ahsaas - 27 in Hindi Love Stories by Bhupendra Kuldeep books and stories PDF | अनकहा अहसास - अध्याय - 27

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अनकहा अहसास - अध्याय - 27

अध्याय - 27

उसके बाहर निकलते ही रमा शेखर के ऊपर चिल्लाई ये क्या किया तुमने शेखर ?
तुमने मेरी ओर क्यों देखा। तुमने उस लड़की का नाम क्यों नहीं बताया, और अगर नहीं बताना था तो अनुज को क्यों नहीं बताया कि मैं वो लड़की नहीं हूँ। तुम जानते हो शेखर इस एक गलती की सजा मुझे जीवन भर मिलने वाली है।
कैसे रमा ? तुम क्या बोल रही हो मैं समझ नहीं पा रहा हूँ।
अरे यार। उस दिन जब तुम कान्फ्रैंस रूम में मेरे साथ पै्रक्टिस कर रहे थे तब अनुज वहीं बाहर खड़ा होकर हमारी बातें सुन लिया था और अब उसे लगता है कि तुम्हारे मेरे बीच कोई चक्कर चल रहा है।
ओह! पर ऐसी तो कोई बात नहीं है रमा।
तो फिर मेरी ओर देखें क्यूँ। तुमने मेरी ओर देखकर इस बात को पुख्ता कर दिया कि हम दोनों के बीच कुछ है।
वो तो मैं इसलिए देखा कि मैं सचमुच उस लड़की का नाम नहीं बता सकता था क्योंकि वों लड़की उसकी मंगेतर है।
क्या !!! क्या कहा तुमने ? तुम आभा से प्यार करते हो ?
हाँ रमा। आभा वही लड़की है जिसके पापा की जान मैनें बचाई थी। मैं उसे बहुत चाहता हूँ रमा। पर जब अनुज ने उसका नाम पूछा तो मैं असमंजस की स्थिति में आ गया इसलिए तुम्हारी ओर देख बैठा।
ओ गॉड। ये कैसे उलझा दिया तुमने सारे रिश्ते भगवान, रमा बोली।
मतलब ? शेखर ने पूछा।
मतलब ये कि जाओ और बताओ कि मैं वो लड़की मैं नहीं हूँ।
मैं कैसे बता दूँ रमा कि तुम वो लड़की नहीं हो और आभा ही वो लड़की है।
तो मत बताओ कि आभा वो लड़की है किसी और का नाम ले दो। रमा अब भी नाराज थी। इस तरह तो मैं आभा को खो दूँगा रमा। शेखर उदास होते हुए बोला।
पर मैं तो बदनाम हो रही हूँ शेखर। प्लीज इस बात को समझो। वो तो यही समझ रहा है कि हम दोनों के बीच कुछ है।
वह बात तो खुद ही समाप्त हो जाएगी रमा जब आभा मेरे पास आ जाएगी। तुम भी इस बात को समझो ना ? शेखर बोला।
अरे यार। तुम दोनों के बीच मैं पिसी जा रही हूँ।
तो क्या हुआ तुम मेरी दोस्त नहीं हो। मुझे आभा दिला दो। अनुज खुद ही समझ जाएगा कि हम दोनों के बीच कुछ भी नहीं है।
रमा ने सिर पकड़ लिया पर शेखर कुछ सुनने के लिए तैयार ही नहीं था और वो अपने और अनुज के बारे में शेखर को कुछ बताना नहीं चाह रही थी।
ठीक है शेखर पहली बात तो ये है कि आभा जानती ही नहीं है कि तुम उससे प्यार करते हो। उसको भी बता पाओगे या नहीं बता पाओगे।
बताऊँगा ना पर कैसे बताऊँ ?
वो हम देख लेंगे पर वो तुम्हारे प्यार को स्वीकार कर लेगी इस बात की क्या गारंटी है ?
हाँ इसकी तो कोई गारंटी नहीं है, पर बोलूँगा तभी तो पता चलेगा।
तो फिर ठीक है मैं आज कल में उसे अपने विभाग बुलाती हूँ, अगर वो आई तो मैं तुम्हें फोन कर दूँगी तुम आ जाना।
मैं तो बता ही दूँगी और संभव हुआ तो तुम छत में चले जाना मैं उसे वहीं भेज दूँगी। तुम दोनो अकेले में बात कर पाओगे।
इधर अनुज को यकीन हो चला था कि शेखर और रमा के बीच पक्का रिश्ता है रमा चाहे उसे माने या ना माने। हो सकता है वो झूठ बोल रही हो पर शेखर क्यूँ झूठ बोलेगा। उसने तो रमा की ओर ही देखा था जब मैंने उस लड़की का नाम पूछा था।
चलो आभा मुझे घर जाना है। अनुज आभा को बोला।
अचानक अनुज ? अचानक क्या हो गया तुम्हें , कोई दिक्कत है क्या ? आभा पूछी।
नहीं कोई दिक्कत नहीं है बस मेरा मूड ठीक नहीं है। तुम अपने मम्मी-पापा से बात करो मुझे जल्द ही शादी करनी है तुमसे।
आभा आश्चर्यचकित थी।
ठीक है चलो मैं बात करती हूँ अपने घर में। कहकर उठी और बाहर निकल गई।
दोनो कार में बैठकर निकल गए। अनुज आभा को छोड़कर वापस आ गया था।
घर में घुसते ही उसका सामना मधु से हो गया। मधु ने देखा कि अनुज का मूड कुछ उखड़ा उखड़ा है।
क्या हुआ भाई ? नाराज दिख रहे हो फिर कुछ हुआ क्या ?
कुछ नहीं बस मूड ठीक नहीं है।
तो बताओ क्या बात है।
बोला ना कुछ नहीं। जाओ तुम अपना काम करो, मुझे अकेला छोड़ दो। अनुज बोला
ठीक है कहकर वो बेडरूम में चली गई और वहीं से उसने रमा को फोन लगाया।
हेलो रमा ?
हाँ मधु ? कैसी हो तुम ?
अच्छी हूँ रमा। तुम ठीक हो ?
हाँ। बताओ कैसे फोन किया ?
आज कुछ बात हुई क्या ? भैया को मूड ठीक नहीं है। बहुत नाराज है।
हाँ मधु। अनुज को लगता है कि शेखर और मेरे बीच कुछ चल रहा है। जबकि ऐसा संभव ही नहीं है। असल में शेखर एक लड़की को चाहता है कहकर प्रपोज करने की प्रैक्टिस मेरे साथ कर रहा था जिसको अनुज ने चुपके से सुन लिया और आज जब शेखर से उसने उसका नाम पूछा तो वो बता नहीं पाया क्योंकि आभा ही वो लड़की है जिससे वो प्यार करता है।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।