Some alphas in Hindi Poems by anjana Vegda books and stories PDF | कुछ अल्फाज़

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कुछ अल्फाज़

दिल से निकले कुछ अल्फ़ाज़ यहां पेश किए है....उम्मीद है पसंद आयेंगे।



दिल की बाते

कुछ ख्वाबों में कुछ ख्यालों में
कुछ सपनों में कुछ सवालों में
हर चहेरे आती जाती निगाहों में
बारिश के बूंदे महकती फिज़ाओं में।

कुछ किस्से कुछ कहानियों में
कुछ बातो में कुछ फसानो में
नज़र आती मुझे तस्वीर तेरी
कड़कती धूप या ठंडी छांव में।

फूलो में बागो में तू है बहारो में
नदिया रेत सागर के किनारों में
खुले आसमान बहती हवाओं में
पहाड़ ये वादियां और घटाओ में।

भरी महफ़िले सुनी पड़ी राहों में
हर एक पन्नों में हर किताबो में
आंखे ढूंढ़ती रही तुझे हर कहीं
मिला तू दिल की दरों दीवारों में।
-વેગડા અંજના એ.




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मोहब्बत

हाल ए दिल लफ्जो में बताना मोहब्ब्त है
निगाहों को निगाहों से चुराना मोहब्ब्त है।
कहा लाज़मी होगा इश्क़ यू ज़ाहिर करना
मोहब्ब्त को दिल में छुपाना भी मोहब्ब्त है।
-@njana Vegda


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खवाईश
पाना जिसे मुमकिन नहीं
उसकी ख्वाइश क्या करे।

बहोत कर ली मिन्नतें
अब और गुज़ारिश क्या करे।

भूल ही गए खुद को तराशना
गैरों की आजमाइश क्या करे।

होती खुशी तो बांट भी लेते
गम की नुमाइश क्या करे।
- @njana Vegda


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** एक मुलाकात **


वो पहली मुलाक़ात
हाथो में लेके हाथ
आंखो से आंखो की बात
प्यार की वो बरसात
तुझसे मिलने से पहले
तुझसे मिलने के बाद
वो उड़ी हुई निंदे
वो खाली खाली रात
मिलना और बिछड़ना
याद आती है मुझे
तेरी हर वो बात
वो पहेली मुलाकात
हाथो में लेके हाथ।

-Anjana Vegda


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** बेखबर **

तुम दिल में ना झाक सके बड़ी कमाल की नज़र रखते हो
मेरे दर्द से हो बेखबर और पूरी दुनिया की खबर रखते हो।

- Anjana Vegda

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**लम्हा**

खर्च कर दिया खुद को सिर्फ तुझे पाने केलिए
मिटा दिया बहोत कुछ एक तुझे बनाने केलिए,
अरसा लगेगा शायद अपने आपको सम्हालने में ,
तुम्हे तो लम्हा काफी हुआ मुझे भुलाने केलिए।

-ANJANA VEGDA

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रुसवा

मोहब्ब्त में इस कदर रुसवा न कर
बनके ज़हर रगो में यू उतरा न कर।
अरसा लगेगा ए सनम तुम्हे भुलाने में
यादों की गलियों से ही गुज़रा न कर।
-ANJANA VEGDA

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** अल्फ़ाज़**

उल्ज़ने तो बहोत है जहा में मगर
अल्फाजो में मेरे तेरा अक्स रहता है,
तू भी नही आ पाया वक़्त रहते और
तेरी यादों का आना बेवक्त रहता है।
-@njana Vegda

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गमो के बादल बरसते रहते है
दिल से तूफान गुजरते रहते है।
कितना भी सम्हाले हम खुद को
खुद से खुद में बिखरते रहते है।
-@njana Vegda

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**आंखे**


इन आंखों से न पूछिए आलम दर्द का... जरा सी फिक्र पे छलक जाती है।

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नम आंखों के साथ भी मुस्कुराना पड़ता है, अंदर कुछ.... बाहर कुछ और दिखाना पड़ता है।
-Anjana Vegda

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हा....खुली आंखों से भी हम सो जाते है....इश्क़ हमे नींद से नहीं तुम्हारे सपनों से है।

-Anjana Vegda

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बात दिल की


गमो के बादल बरसते रहते है
दिल से तूफान गुजरते रहते है।
कितना भी सम्हाले हम खुद को
खुद से खुद में बिखरते रहते है।
-@njana Vegda


सभी वाचकों को मेरा तहे दिल से शुक्रिया।🙏🙏