Hostel Boyz (Hindi) - 2 in Hindi Comedy stories by Kamal Patadiya books and stories PDF | Hostel Boyz (Hindi) - 2

Featured Books
Categories
Share

Hostel Boyz (Hindi) - 2

पात्र परिचय: विनयो वांगो


जैसे ही विनय के नाम का उल्लेख किया जाता है, मुझे कराटे और nanchaku की याद आ जाती है। उसको कराटे और nanchaku का बहुत शौक था। उनका पैतृक गाँव जूनागढ़ था और मेरी तरह वे भी पोस्ट ग्रेजुएशन करने आया था। वह शरूआत में एक अलग कमरे में रहता था लेकिन हमारी शिक्षा के कारण वह हमारे कमरे और समूह में शामिल हो गया। वह सलमान खान का बहुत बडा प्रशंसक था। उसका रवैया भी सलमान खान की तरह ही था और वो भी सलमान खान की तरह बॉडी बिल्डिंग करता था। वह अपने साथ dumbles भी लाया था। हालाकि हमें ये अफ़सोस रहेगा की हमारी बजह से वो कभी भी dumbles का उपयोग नहीं कर पाया था क्योकि हम ग्रुप वाले उसको बहुत चिढाते थे। जब वह हॉस्टल में गंजी लुंगी पहनकर परफॉर्म करता था तब वह एक दक्षिण भारतीय कॉमेडियन की तरह दिखता था लेकिन अपनी शैली के कारण वह हमारे समूह का अभिन्न अंग बन गया था।


वैसे तो विनय वांगा का स्वाभाव एक योद्धा की तरह था लेकिन वह दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहेता था। वह किसी भी मुसीबत में अपने दोस्तों के साथ खड़ा होता था। विनय का कॉलेज और मेरा कॉलेज अलग अलग था, लेकिन हम दोनों का कॉलेज का समय एक ही था इसलिए हम दोनों का एक ही schedule था और हमारे कोर्स में भी बहुत कुछ सामान्य था। मैं PGDACA का कोर्स करता था जबकि उसने PGDCA का कोर्स में admission लिया था इसलिए हम दोनों एक दूसरे को कंप्यूटर प्रोग्राम में मदद करते थे। विनय को पढ़ने से ज्यादा कराटे में दिलचस्पी थी, इसलिए जब भी वह हॉस्टल में होता था, तो वह गंजी और लुंगी पहनकर कराटे और nanchaku खेला करता था। विनय का व्यक्तित्व स्पष्ट वक्ता और क्रांतिकारी जैसा था। विनय में एक आर्मीमेन की तरह ही अनुशासन था जो उसके कपड़े पहनने से लेकर उसके सब व्यवहार में देखा जा सकता था। विनय आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनकी यादें हमेशा हमारे बीच जीवित रहेंगी।

पात्र परिचय: प्रियवदन पटेल


ओहो हो हो हो ..... जैसे गुजराती फिल्म रमेश मेहता के बिना अधूरी लगती है, वैसे ही हमारा ग्रूप प्रियंवदन के बिना अधूरा लगता है। गोंडल के श्रीनाथगढ़ गाँव की मिट्टी की खुशबू के साथ हॉस्टल में आया हूवा हमारा दोस्त। उसने एक छात्र के रूप में हॉस्टल में प्रवेश किया था, लेकिन एक निजी कंपनी के लिए भी काम किया करता था। चूँकि उसको ज्यादातर कंपनी के काम के लिए शहर से बाहर जाना पड़ता था, इसलिए वो महीने में 8-10 दिनों के लिए शहर से बाहर ही रहता था, इसलिए वो शायद ही कभी हॉस्टल में देखा जाता था, यानी के हमारे हॉस्टल का Mr. India .. प्रियंवदन के चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान रहती थी। वह अपनी मुस्कान से किसी भी गंभीर माहौल को हल्का कर देता था। प्रियवदन को भी हमारी तरह खाने का बहुत शौक था। जब हमारा ग्रुप भोजन करने के लिए बैठ जाता था तो हॉस्टल के लोग हमें ही देखते रहेते थे। जब प्रियंवदन अलग-अलग शहरों में काम करने के लिए जाता था, तो वह उस शहर की प्रसिद्ध खाने की चीज़ें हॉस्टल में लाता था, जिस पर हम सभी टूट पड़ते थे। हमारे ग्रुप में से किसी के घर से अगर नाश्ता आता था, तो अगले दिन तक हम लोग वह नाश्ता खत्म कर देते थे। प्रियवदन का व्यक्तित्व मतलब मुस्कुराना। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह काम में कितना पेशेवर लगता था, लेकिन उसके व्यवहार में गाँव की झलक दिखती थी। जब वह दुसरे शहेरो से हॉस्टल में आता था, तो हमें तुरंत पता चल जाता था। नहीं..नहीं..नहीं .. ऐसा मत सोचो कि यह दोस्ती की कमाल थी, यह तो उसके बदबूदार मोजे की धमाल थी। हम जब हॉस्टल के कमरे में दाखिल होते थे तब उसके मोज़े की असहनीय गंध से हमारा कमरे में रहना मुश्किल हो जाता था, इसलिए जब वह दूसरे शहेरो से आता था, तो हम उसे पहले कपड़े धोने के लिए भेज देते थे। वह हमारे कमरे का बाघड बिल्ला था क्योंकि सुबह को वो हमारे हिस्से का सारा दूध पी जाता था। वह सिगरेट और मावा का शौकीन था। मावा के कारण वह हमारा खास दोस्त बन गया था।


प्रियंवदन को सभी PP बुलाते थे| PP के कार्यालय परिसर के नीचे पान बीडी सिगरेट की एक केबिन थी| जिससे हम वहां से चीजें उधार ले सकते थे। PP कंपनी में तकनीकी काम करता था इसलिए उसे कंपनी में से अलग-अलग जगहों पर जाना पड़ता था उसी तरह अलग-अलग शहरों के ग्राहक भी उसके दफ्तर में आते थे। कार्यालय की एक चाबी PP के पास रहेती थी। इसलिए हॉस्टल के नंबर पर कॉल आने पर उसे ऑफिस जाना पड़ता था। PP अपने काम के लिए समर्पित था इसलिए वह कभी किसी को मना नहीं कर सकता था। हम उनके कार्यालय में बैठते थे, बातचीत करते थे और तब तक कार्यालय में रहते थे जब तक उसका काम पूरा नहीं हो जाता था, फिर हम लोग साथ में हॉस्टल लौट आते थे। अब अगर मैं इससे ज्यादा लिखूंगा तो विनय नाराज हो जाएगा।

क्रमश: