Silent prayers ... a short story in Hindi Short Stories by निशा शर्मा books and stories PDF | मौन प्रार्थनाएं... एक लघुकथा

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मौन प्रार्थनाएं... एक लघुकथा

अरे ये क्या हुआ आपके पैर में और आप लंगड़ाकर क्यों चल रहे हैं ?

अरे कुछ नहीं बस मामूली सी खरोंच है और तुम तो कुछ ज्यादा ही चिंता करती हो शोभा !

अच्छा, मैं ज्यादा चिंता करती हूँ तो फिर इस मामूली सी खरोंच पर ये इतनी बड़ी पट्टी क्यों बंधवाई है ? शोभा ने परेशान होकर सुमित की पैंट घुटने तक उठाते हुए पूछा ।

अच्छा बाबा मैं सब बताता हूँ, तुम पहले जरा मेरे पास आकर तो बैठो !

लीजिए बैठ गयी ! अब प्लीज़ जल्दी से बताइये न कि क्या हुआ? मुझे बहुत चिंता हो रही है।

देखो मैंने बोला था न कि तुम बहुत चिंता करती हो,हंसते हुए सुमित ने कहा ।

आपको अभी भी मजाक सूझ रहा है और मेरा यहाँ घबराहट के मारे दम निकला जा रहा है !!

अच्छा, अच्छा तुम दम मत निकालो। मैं बताता हूँ मगर उससे पहले मैं तुमसे माफ़ी मांगना चाहता हूँ। आय एम रियली सॉरी शोभा, प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो।

अरे ! आप ऐंसे क्यों कह रहे हैं ? मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा है प्लीज़ सुमित, ठीक से बताइये न कि आखिर बात क्या है ?

शोभा आज शाम को जब मैं ऑफिस से निकला तो गोविंद नगर चौराहे पर मेरी गाड़ी एक लोडर के सामने आ गयी और तुम यकीन नहीं करोगी कि मेरी गाड़ी बिल्कुल उसके नीचे आ गयी थी। मैं तो बेहोश हो गया था फिर जब मुझे होश आया तो वहाँ भारी भीड़ जमा हो रखी थी और वहाँ इकट्ठा लोगों में से ही किसी ने मुझे अस्पताल पहुंचाने में मेरी मदद की।

शोभा तुम्हें पता है उसी आदमी ने मुझे बताया कि कुछ भी हो सकता था बल्कि उसनें कहा कि इस तरह की परस्थिति से मेरा सही सलामत निकल आना सिर्फ और सिर्फ किसी की दुआओं का ही असर है और जान मुझे पता है कि मेरे जीवन में वो और कोई तुम ही हो,आई लव यू! मैं बहुत गलत था जो हमेशा तुम्हें हर बात पर टोंकता रहा और तुम्हारी तुलना दूसरी औरतों से कर करके तुम्हें उलाहने देता रहा कि तुम भी उनकी तरह खूब देर तक पूजा करो, रोज मन्दिर जाओ जबकि तुम मुझे हमेशा समझाती रही कि हमें कभी किसी की श्रद्धा पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। ये तो हर एक की अपनी-अपनी भावना और श्रद्धा है जिसके लिए हर एक इंसान स्वतंत्र है और फिर भगवान तो भक्त की सच्ची भावना देखते हैं । शोभा तुम हमेशा मुझे समझाती रही और मैं तुमसे हर बार सिर्फ बहस करता रहा। यहां तक कि आज सुबह भी मैंने तुमसे एकादशी के दिन चावल बनाने पर झगड़ा किया और तुम्हें नास्तिक, बौड़म,न जाने क्या क्या नहीं कहा और एक तुम हो कि, कहते कहते सुमित का गला भर आया। उसकी आंखों से छलकते हुए आंसुओं को शोभा अपनी उंगलियों से बहुत ही प्यार से पोंछते हुए सुमित के गले लग गयी। बहुत कुछ बोलना चाहते हुए भी शोभा अपने रूंधे हुए गले से सिर्फ आई लव यू टू ही बोल पायी।

निशा शर्मा...