श्रेया, सार्जेंट सलीम की सोच से कहीं ज्यादा एडवांस निकली थी।
सुबह नाश्ते के बाद इंस्पेक्टर सोहराब ने उसे श्रेया का नंबर दिया था। सार्जेंट सलीम ने वहीं बैठे-बैठे उसका नंबर मिला दिया। अपना परिचय देने के बाद उसने श्रेया को शेक्सपियर कैफे पर मिलने के लिए बुलाया था। वह तुरंत ही राजी हो गई। सार्जेंट सलीम ने उसके सामने दो शर्तें रखी थीं। पहली कि वह इस मुलाकात के बारे में किसी को बताएगी नहीं और दूसरी शर्त यह थी कि वह अकेली आएगी।
शेक्सपियर कैफे में सलीम ठीक 11 बजे पहुंच गया था। यह कैफे अपने नाम के मुताबिक ही था। बड़े से हाल को यूरोपियन स्टाइल में सजाया गया था। हाल के सेंटर में नाटककार शेक्सपियर की संगमरमर की बड़ी सी मूर्ति लगी हुई थी। एक हिस्से में बुक शेल्फ भी था। यहां सिर्फ शेक्सपियर के नाटकों की किताबें और शेक्सपियर पर लिखी गई किताबें रखी हुई थीं। कैफे में एलीट क्लास के लोगों के साथ ही शेक्सपियर पर रिसर्च करने वाले अंग्रेजी के छात्र बड़ी संख्या में आते थे।
यहां हर महीने शेक्सपियर का कोई न कोई नाटक भी खेला जाता था। इसके लिए काफी हाउस की अपनी रिपर्टरी थी। एक नाटक खत्म होने के दो दिन बाद ही अगले नाटक की रिहर्सल शुरू हो जाती थी। नाटक के लिए अलग से टिकट लगते थे।
इस हाल में एक साथ सौ से ज्यादा लोग बैठ सकते थे। यहां 70 तरह की कॉफी मिलती थी। हाल हमेशा भरा रहता था। शौकीन लोग यहां घंटों बिताया करते थे।
इस कैफे की एक खास बात और थी। अगर अकेले आया कोई शख्स किसी का साथ चाहता था तो यहां साथ में काफी पीने के लिए लड़कियां भी थीं। वह न सिर्फ साथ में काफी पीती थीं, बल्कि शेक्सपियर के बारे में काफी किस्से भी सुनाती थीं। इन लड़कियों का बीस मिनट तक साथ पाने की कीमत सिर्फ एक कॉफी और खुशी से दी जाने वाली टिप थी।
सार्जेंट सलीम को ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा। उसके फोन की घंटी बजी और अगले ही पल एक लड़की हाल में दाखिल होते हुए दिखी। सलीम ने फोन पर उसे बता दिया कि वह किधर बैठा है।
लड़की खूबसूरत थी। यकीनन वह फिल्मों में हीरोइन बनने के लिए ही आई रही होगी। वक्त और हालात ने इसे शेयाली का असिस्टेंट बना दिया होगा। सार्जेंट सलीम ने सोचा।
श्रेया ने आंखों पर काले रंग का चश्मा लगा रखा था। हल्के काही रंग के पैंट पर ब्लैक कलर का टॉप पहने हुए थी। उसने बाल खोल रखे थे।
उसने सलीम से गर्मजोशी से हाथ मिलाया और उसके सामने की कुर्सी पर बैठ गई।
“क्या पीएंगी?”
“आइरिश कॉफी।”
सलीम ने वेटर को एक आइरिश कॉफी और खुद के लिए व्हाइट काफी लाने को कहा। आइरिश कॉफी में व्हिस्की मिलाई जाती है। काफी टेस्टी होती है। व्हाइट कॉफी मलेशिया से आती है। पाम ऑयल में काफी बींस को भून कर इसे बनाया जाता है।
“आपकी शर्त के मुताबिक मैंने किसी को नहीं बताया है कि मैं कहां जा रही हूं। न ही यहां किसी को लेकर आई हूं, लेकिन मेरी भी एक शर्त है....।” श्रेया ने बात अधूरी छोड़ दी।
“मैं खूबसूरत लड़कियों की हर शर्त मान लेता हूं।” सलीम ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।
“दिल फेंक आदमी हो!” श्रेया ने मुस्कुराते हुए कहा।
“दिल ही नहीं है, तो फेकूंगा किस पर।”
“मतलब!”
“जब मैं किसी लड़की से मिलने जाता हूं तो बॉस मेरा दिल अपने पास रख लेते हैं।” सार्जेंट सलीम ने यह बात पूरी गंभीरता से कही।
सलीम की इस बात पर श्रेया खिलखिलाकर हंस पड़ी।
“तुम्हारी हंसी बहुत प्यारी है। ऐसा लगता है जैसे जल तंरग बज रहे हों।”
“तुम यकीनन बड़े फ्लर्ट हो।” श्रेया ने मुस्कराते हुए कहा।
“एक बात बताओ यह विक्रम खान क्या बला है?” सलीम ने बात बदलते हुए कहा।
“पहले मेरी शर्त....।” श्रेया ने उसे याद दिलाया।
“कहा तो हर शर्त मंजूर है।”
“शर्त यह है कि मैं तुम्हें जो कुछ भी बताऊंगी, तुम उसका जिक्र किसी से नहीं करोगे।”
“वादा रहा।” सलीम ने उसे यकीन दिलाते हुए कहा, “मैंने पूछा था कि विक्रम खान से शेयाली के रिश्ते कैसे थे?”
“बहुत कमीना आदमी है। जालिम भी है। उसने ही शेयाली मैम की जान ली है।” श्रेया ने गुस्से से कहा।
“मैं समझा नहीं। साफ-साफ बताओ न।” सार्जेंट सलीम सीधा हो कर बैठते हुए बोला।
“वो....।” इतना कहने के साथ ही श्रेया अचानक सर पकड़ कर बैठ गई।
उसकी यह कैफियत देखकर सलीम कुछ समझ नहीं सका। तभी उसकी नजर गेट की तरफ गई। काउंटर के पास शैलेष जी अलंकार खड़ा हुआ था। यह शेयाली की आने वाली फिल्म का राइटर और डायरेक्टर था। सलीम को बात समझते देर नहीं लगी। उसने अपना फेल्ट हैट आगे की तरफ झुका लिया। श्रेया से उसने स्कार्फ से मुंह को ढकने के लिए कहा।
सार्जेंट सलीम श्रेया से आमने-सामने बैठकर बात करना चाहता था, ताकि उसके भावों को पकड़ सके। इसके बाद श्रेया को राजी करके लांग ड्राइव पर जाने का इरादा था। शैलेष के अचानक टपक पड़ने से मामला बिगड़ गया था।
श्रेया ने मुंह पर स्कॉर्फ बांध लिया। इसके साथ ही सलीम उठ खड़ा हुआ। श्रेया ने अपना सिर उसके कंधे पर टिका रखा था और सलीम का हाथ उसके कांधे पर था। इसी तरह की इंटीमेसी के साथ चलते हुए दोनों कैफे से बाहर निकल आए।
सलीम के जाने के बाद कुमार सोहराब ने घोस्ट स्टार्ट की और कोठी के कंपाउंड से बाहर आ गया। इस वक्त सुबह के नौ बजे थे। कोठी से कुछ आगे एक कार में एक लड़की बैठी हुई थी। सोहराब की घोस्ट जैसे ही आगे निकली लड़की ने भी अपनी कार स्टार्ट कर दी। उसकी कार एक खास दूरी बनाकर घोस्ट का पीछा कर रही थी।
सलीम के जाने के कुछ देर बाद ही सोहराब को बिल्ली की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिल गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक बिल्ली को आधी रात के बाद किसी वक्त रस्सी जैसी किसी चीज से गला घोंटकर मारा गया था।
सोहराब ने बैक मिरर में देख लिया था कि एक कार उसका पीछा कर रही है। यह वही कार थी जिसने सुबह तड़के भी सोहराब का पीछा किया था। सोहराब ने जल्द ही कार से पीछा छुड़ा लिया और अब वह विजडम रोड की तरफ जा रहा था।
शेयाली के बैंग्लो से कुछ दूर पहले ही उसने कार रोक दी। इसके बाद पैदल ही गेट तक आया। गेटमैन को अपना कार्ड दिखाया। उसने तुरंत ही गेट खोल दिया। गेटमैन ने सोहराब को पहचान लिया था। एक दिन पहले भी सोहराब यहां आ चुका था।
अंदर पांड के पास कुर्सी डाले विक्रम बैठा हुआ था। वह एक किताब पढ़ रहा था। पांड में एक बिल्ली नहा रही थी। यह भी मेन कून नस्ल की ही बिल्ली थी।
सोहराब को देखते ही विक्रम उठ कर खड़ा हो गया। उसने सोहराब से हाथ मिलाया और सामने रखी कुर्सी पर बैठने के लिए कहा।
“जी सर! बताइए.... शेयाली के बारे में कुछ पता चला?”
“अभी तक तो नहीं।” सोहराब ने कहा और उसके हाथों से किताब लेकर देखने लगा।
यह स्पेन के चर्चित चित्रकार पाब्लो पिकासो की प्रेमिका रही सिलवेट डेविड पर लिखी गई एक किताब थी। सोहराब ध्यान से उसे देखने लगा। अंदर के पन्नों पर सिलवेट की एक तस्वीर देख कर वह ठहर गया। सोहराब उस तस्वीर को देर तक देखता रहा।
कुछ देर तक वह किताब के पन्ने पलटता रहा। उसके बाद उसने किताब विक्रम को वापस कर दी।
सोहराब ने बहुत ध्यान से विक्रम के चेहरे को देखा। उसका चेहरा पीला पड़ गया था।
“आप क्या लेंगे?” विक्रम ने खुद को संभालते हुए पूछा। ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आवाज कहीं बहुत दूर से आ रही हो।
“शुक्रिया विक्रम!” सोहराब ने कहा, “आप की पेंटिंगों की नुमाइश कब है अब?”
“अभी कुछ नया नहीं है दर्शकों के सामने रखने के लिए।” उसने निराशा से कहा।
“आपके प्रशंसकों को आपकी प्रदर्शनी का इंतजार है। आपको फिर से शुरू करना चाहिए।”
“मन नहीं हो रहा है, कुछ भी रचने का।”
“दरअसल हमारी लंबी जिंदगी में कोई भी पीरियड उम्र भर का नहीं होता। सैकड़ों-हजारों छोटे-छोटे पीरियड होते हैं एक जिंदगी में। हम एक पीरियड को ठीक से जी भी नहीं पाते और अगला शुरू हो जाता है। यही जिंदगी है।” सोहराब ने कहा।
“आदमी ठीक से देख पाता नहीं और आंखों से मंजर बदल जाता है।” विक्रम ने ठंडी सांस छोड़ते हुए कहा।
“ख्याल रखिएगा अपना।” सोहराब ने कुर्सी से उठते हुए कहा।
“इंस्पेक्टर! मेरी एक बिल्ली खो गई है।”
“कैसे?” सोहराब ने अनजान बनते हुए पूछा।
“एक कुत्ते के डर से भाग गई।” विक्रम ने कहा, “वह बिल्ली दरअसल शेयाली की प्रिय बिल्ली थी। इसलिए मुझे जान से प्यारी थी। मैं बहुत परेशान हूं।”
“मिल जाएगी। धीरज रखिए।” सोहराब ने उसका कंधा थपथपाते हुए कहा।
सलीम श्रेया को लेकर बाहर निकल आया। उसने श्रेया को मिनी में बैठाया और खुद ड्राइविंग सीट संभाल ली। कार स्टार्ट होकर तेजी से आगे बढ़ गई।
“हम कहां जा रहे हैं?” श्रेया ने पूछा।
“लांग ड्राइव पर।”
“मेरा शूटिंग शेड्यूल है।”
“किस वक्त?”
“शाम चार बजे।”
“हम लौट आएंगे तब तक... बल्कि मैं तुम को सीधे शूटिंग साइट पर ही छोड़ दूंगा।”
“ओके।”
कार तेजी से भागी जा रही थी। सलीम कार को शहर से दूर ले आया था। कुछ दूर जाने के बाद दोनों तरफ सागौन के पेड़ों की श्रंख्ला शुरू हो गई। यहां से सत्तर मील दूर जाने पर होरारा का जंगल शुरू हो जाता था। ढाई सौ मील क्षेत्र में यह जंगल फैला हुआ था। काफी घना जंगल था। बड़ी संख्या में जंगली जानवर पाए जाते थे।
जंगल से पांच मील पहले ही हीरा नदी पड़ती थी। यह नदी जंगल से होकर गुजरती थी। सार्जेंट सलीम उस नदी तक जाने के लिए ही निकला था।
“तुम कह रही थीं कि विक्रम ने ही शेयाली की जान ली है!” सार्जेंट सलीम ने शहर से बाहर निकल जाने के बाद उससे पूछा।
“हां, वह बहुत जालिम है।” श्रेया ने तल्ख लहजे में कहा, “विक्रम को शेयाली मैम बहुत मानती थीं। बल्कि कहूं कि जान छिड़कती थीं। वह उसे बहुत बड़ा आर्टिस्ट मानती थीं।”
श्रेया रुक कर कुछ सोचने लगी।
“जान लेने वाली बात बताओ।” सलीम ने उसे टोका।
“विक्रम को जुए की लत थी। वह शेयाली मैम के पैसे पर ऐश कर रहा था। शेयाली मैम जब पैसे देने से मना करतीं तो वह उन पर हाथ भी छोड़ देता था। वह कई बार धमकी दे चुकी थीं कि उसने अगर उन्हें अब मारा तो वह जान दे देंगी। इस घटना से दो दिन पहले भी विक्रम ने पैसों के लिए उन्हें मारा था। उस वक्त मैं वहीं पर मौजूद थी। विक्रम ने मुझे भी गुस्से से भगा दिया था।”
“यानी तुम यह कहना चाहती हो कि शेयाली ने विक्रम की वजह से खुदकुशी कर ली है?”
“जी... वजह से नहीं... बल्कि उन्हें फोर्स किया गया.... खुदकुशी के लिए।” श्रेया ने कहा।
अचानक सार्जेंट सलीम ने ब्रेक लगाकर कार रोक दी। सड़क पर एक पेड़ गिरा पड़ा हुआ था। सलीम कार से नीचे उतर आया। वह पेड़ के पास जाकर खड़ा ही हुआ था कि उसके सर पर पीछे से किसी भारी चीज की चोट पड़ी और वह भी कटे हुए पेड़ की तरह नीचे आ गिरा। बेहोश होने से पहले उसने श्रेया के चीखने की आवाज सुनी थी।
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सलीम के साथ क्या हुआ था?
क्या श्रेया ने कोई साजिश की थी?
इन सवालों के जवाब पाने के लिए पढ़िए ‘शोलागढ़ @ 34 किलोमीटर’ का अगला भाग...