Akshaypatra - 2 in Hindi Short Stories by Rajnish books and stories PDF | अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 2

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अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य - 2

अक्षयपात्र : अनसुलझा रहस्य

(भाग - 2)


वो युवक कोई और नहीं बल्कि मेजर यशवर्धन हैं।

यश: ओह माय गॉड !! ऐसे मिलोगी, सोचा न था ? (आश्चर्य और खुशी व्यक्त करते हुए)
कहां जा रही थी...कि खुद का भी होश नहीं...?
अवंतिका: बस यूं ही घर तक।
यश : आओ तुम्हें छोड़ दूं।

यश गाड़ी का दरवाजा खोलकर उसे अंदर बैठने में मदद करता है, फिर गाड़ी स्टार्ट करता है और अवंतिका को पीने का पानी देते हुए।

यश: लो पानी पियो। गर्मी से तुम्हारेे चेहरेे पर पसीने की बूंदे टपक रहीं हैं।
यश गाड़ी का एसी ऑन करते हुए।
यहां हॉस्पिटल रोड पर क्या किसी मरीज को देखने आई थी?..और इतनी परेशान क्यूं दिख रही हो?
अवंतिका (सीट बेल्ट लगाते हुए): कुछ नहीं बस "जिंदगी हर दशा और दिशा में मेरी परीक्षा ले रही है"। मेरी गलतियों कि सजा एक मासूम को देने का उन्हें कोई हक नहीं।
यश: किसके बारे में बात कर रही हो?
अवंतिका: मेरे बच्चे के बारे में यश! ....जब वो पैदा हुए तो कुछ एबनॉर्मलिटी लिए इस दुनिया में आया। सिर्फ एक साल का वो बच्चा, न जाने कितने कष्ट लिखें है भगवान ने उसके लिए। पिछले कुछ दिनों से वों यहां एडमिट है। डॉक्टर्स ने कहा है कि कुछ दिन उसे ऑब्जर्व करने के बाद अभी के लिए फिलहाल डिस्चार्ज कर देंगे और फिर १ महीने बाद ऑपरेशन करेंगे।

(कहते हुए अवंतिका का मनोबल टूट जाता है और वो फूट फूट कर रोने लगती है। यश उसे चुप कराते हुए सांत्वना देता है। वो अवंतिका के पति के बारे में पूछना चाहता है पर इस वक़्त वो इन बातों को पूछना सही नहीं समझता)

अवंतिका सिसकियां लेते हुए बताती है उसका घर यहां से चार किलोमीटर दूर, उपवन कॉलोनी में है।

यश : ह्म्म..तुम परेशान मत हो अवंतिका, सब ठीक हो जायेगा।

यश अवंतिका को उसके घर छोड़ता है और शाम को हॉस्पिटल में मिलने का वादा करते हुए अपने काम के लिए निकल जाता है।

अवंतिका घर जाकर पैसों के इंतजाम में लगी हैं और आगे आने वाले खर्चों को लेकर काफी परेशान है। तभी एक फोन कॉल आता है।

अवंतिका की मां: बेटा, कहां हो?
अवंतिका : क्या हुआ, मां?
अवंतिका की मां: बेटा, एक सीनियर डॉक्टर आए हुए है और उन्होंने कहा है की वो एक हफ्ते बेबी को ऑब्जर्वेशन में रखेंगे और फिर ऑपरेट करेंगे। उन्होंने पूरी रिपोर्ट देखी और मुझे आश्वस्त किया कि वो बिल्कुल नॉर्मल हो जायेगा। बेटा, वो तो ईश्वर की तरह प्रकट हुए है। तू जल्दी आ जा। मैं उनकी कही मेडिकल भाषा को ज्यादा समझ नहीं पा रही।

अवंतिका: बस, आती हूं मां! ये तो बेहद खुशी की बात है।

(फिर मायूस होकर अवंतिका सोचती है)
कौन हो सकते हैं वो डॉक्टर, जो ऑपरेशन के लिए कह रहे हैं? पर डॉक्टर सलूजा ने तो एक महीने बाद ऑपरेशन के लिए कहा था। ऑपरेशन, आर्टिफिशियल मेडिकल इक्विपमेंट सबमिलाकर लाखों का खर्च। कहां से लाऊंगी मैं इतने पैसे? वो भी इतनी जल्दी!

इसी उहा पोह में अवंतिका घर से निकलती है और हॉस्पिटल पहुंचती है।

(डॉक्टर सलूजा के केबिन में)
डॉ. सलूजा: कांग्रेचुलेशन अवंतिका!
तुम्हारे बच्चे का केस इंडिया के सबसे रिनाऊंड प्रोफेशनल डॉक्टर बख्शी ने अपने हाथ में लिया है।
मीट डॉक्टर बख्शी ! (डॉक्टर बख्शी की ओर इशारा करते हुए)

अवंतिका : हैलो डॉक्टर!

डॉ. सलूजा: ऑपरेशन के लिए मेडिकल इक्विपमेंट बर्लिन से आने का ऑर्डर दिया जा चुका है। बस पेपर वर्क की फॉर्मेलिटी पूरी करनी है।
(डॉक्टर सलूजा दिमाग पर जोर देते हुए) क्या नाम बताया था?
ओ हां, मेजर यशवर्धन! उनकी पर्सनल टर्म्स और रिक्वेस्ट पर डॉक्टर बख्शी ने ये केस हाथ में लिया है।
इवन दैट गाइ डिपॉजिटेड एडवांस मनी फॉर ऑपरेशन।
आई थिंक यू शुड हैव थैंक फुल टू हिम।

अवंतिका : यस सर! थैंक्यू सर!!

अवंतिका पुराने दिनों कि याद कर आंखों में आंसू लिए बाहर निकलती है और वाशरूम के हैंडल की तरफ हाथ जाता है पर वो पहले से ही अधखुला है।

****************
अंदर जाते ही...

शिट... व्हाट द फक.. गो.....!! (अंदर से तेज़ आवाज़ आती है)

तेज़ी से सॉरी-सॉरी!!...कहते हुए अवंतिका बाहर आती है।
शर्म से उसके गाल गर्म और लाल हो गए थे। उस अजीब स्तिथि में उसे हंसी भी आ रही थी और शर्मिंदगी भी।

तभी एक लड़का शॉर्ट्स और जिम वेस्ट में कपड़ों को सही करता हुआ अंदर से बाहर आता है।
वो उस लड़की पर अपना गुस्सा निकालना चाहता है जिसने उसे अभी कुछ समय पहले बिना कपड़ों के देखा था।

बाहर उसे ब्लू कलर के स्विमसूट जिसमें फ्लोरोसेंट कलर की बॉडी लाइन थी, पहने एक लड़की दिखती है। जिसके बाल भीगे अनसुलझे हुए से है।
उसकी खूबसूरती देख वो मूर्ति सा बना बस उसे निहारता ही रह जाता है।
तभी अवंतिका के साथ आई लड़कियां उसे देख हंसने लग जाती है। वो शर्म से वहां बिना वक़्त गवाएं निकल जाता है।

तभी वहां अवंतिका का दोस्त सैम आता है।

सैम: ओहो छिपकली !!
अवंतिका: अंधे हो क्या?
सैम: नहीं!! ऐसा क्यूं कह रही ?
अवंतिका: एक खूबसूरत लड़की को छिपकली बोलोगे तो यही कहूंगी।
सैम: अच्छा, चलो छोड़ो ये देखो मैं क्या लाया हूं।
अवंतिका: एक मैच बॉक्स ?
सैम: अरे, खोलो तो सही।
अवंतिका: मैं नहीं खोलूंगी तुम भरोसे लायक नहीं।
सैम: अरे नहीं यार! खोलो आज के दिन मैं गाली खाना नहीं चाहूंगा आखिर बर्थडे जो है मेरा आज। शाम को घर आना है।
अवंतिका: मैं नहीं आ रही।
सैम: अरे, तेरी चॉयस का ही मेन्यू रखा है।
अवंतिका (चीखते हुए): मम्म्म्म..मी !
सैम, कमीने!
आज मैं तुझे नहीं छोडूंगी।
मैचबॉक्स में कॉकरोच लेकर आया है।
साले मुझे घंटा डर नहीं लगता इन सबसे।

अवंतिका सैम की पिटाई करना चाहती पर उसे याद आता है कि आज सैम का बर्थडे है।

अवंतिका वॉर्न करते हुए: सैम, आज तुझे छोड़ रही हूं दोबारा किया ऐसा तो तेरी पिटाई करूंगी।
सैम: सॉरी, अवंतिका, सॉरी!!
पर शाम को आ जाना समय पर, केक तभी काटूंगा।
अवंतिका: ठीक है।

शाम को सैम के घर बर्थडे पार्टी पर..

अवंतिका: हैप्पी बर्थडे, सैम (गले लगते हुए)
सैम: थैंक्स अवंतिका! लेट्स कम इनसाइड
अवंतिका: ओके!

अंदर जैज म्यूजिक तेज़ आवाज़ में चल रहा है।
तभी अवंतिका की नज़र पार्टी में आए उस लड़के पर पड़ती है जिसको सुबह क्लबहाउस के वाशरूम में देखा था। दोनों की नजरें टकराती है तो वो लड़का शर्मा कर नज़रे नीचे कर लेता है और अपना ध्यान कहीं और लगाने की कोशिश करता है।
पर उसका ध्यान कहीं लग नहीं रहा।
..क्यूंकि आज अवंतिका सुबह से भी ज्यादा सुंदर दिख रही थी। उसने बेहद गहरे काले रंग की सेक्विन वाली बॉडीकॉन ड्रेस पहन रखी थी।

तभी उसे पीछे से आवाज़ आती है: बीयर!!!
यश पीछे मुड़कर देखता है। अवंतिका हाथों में २ बीयर बॉटल लेकर खड़ी है।
हाय, मी अवंतिका (बीयर ऑफर करते हुए)
थैंक्यू, मैं यश...यशवर्धन (हाथ में बीयर लेते हुए)

यश बीयर लेता तो है पर पहली ही सिप में उसके चेहरे के भाव देखकर अवंतिका समझ जाती है कि यश बीयर नहीं पीता।
अवंतिका उसके लिए आइस टी लेकर आती है।

अवंतिका: सुबह के लिए मैं सॉरी कहना चाहती हूं।(तेज़ ऊंची आवाज़ में)
यश: सुबह के लिए, मतलब? (अनभिज्ञ बनने का नाटक करते हुए तेज़ आवाज में)
अवंतिका: यश, छत पर चले, थोड़ा खुली हवा में। यहां शोर ज्यादा है।

छत पर...

अवंतिका: वो सुबह क्लब हाउस के वॉश रूम में तुम. म्म..
यश: अच्छा, वो! अरे कोई ना, होता रहता है। इतनी बड़ी बात नहीं की उसके लिए तुम्हें सॉरी कहना पड़े।

अवंतिका: (लाइटर से सिगरेट जलाते हुए) डू यू स्मोक?
यश: (कुछ नहीं बोल पाता सिर्फ अवंतिका को सिगरेट पीते देखता रहता है)
अवंतिका: हंस कर, इट्स ओके यश.
यश को समझ नहीं आ रहा की कैसे और कहां से बात शुरू करूं। दोनों चुप है।

तभी सीढ़ियों के पास से कोई गाना गाते हुए दोनों के बीच पसरे सन्नाटे को तोड़ते हुए छत पर आ रहा है;

दो दिल मिल रहे हैं
मगर चुपके चुपके
दो दिल मिल रहे हैं
मगर चुपके चुपके
सबको हो रही है
हाँ सबको हो रही है
खबर चुपके चुपके..

सैम: बाय द वे, तुम लोग मेरे ख्याल से इंट्रोड्यूस हो चुके होगे। तो अवंतिका ये है यश, मेरे अच्छे दोस्तों में से एक।
और यश, ये है अवंतिका मेरे बचपन की दोस्त।
फिलहाल बाकी बातें बाद में अभी सब नीचे चलो..

सभी नीचे जाते है। केक कटने जा रहा है।
तालियों और हैप्पी बर्थडे सॉन्ग से महफ़िल खुशनुमा हो जाती है।

अवंतिका: सैम मैं घर के लिए निकलूंगी।
सैम: कैसे जाओगी?
अवंतिका: कोई कैब बुला लूंगी।
यश: क्या मैं तुम्हें छोड़ दूं।
सैम: व्हाय नॉट, टेक केयर ऑफ हर, एंड लीव होम सेफ।
यश: डोंट वरी, आई विल.
अवंतिका: यश के साथ बाइक पर बैठकर अपने घर की तरफ निकलती है।
अवंतिका: क्या तुम्हारी गाड़ी में ब्रेक है?
यश: ब्रेक है ना! पर पूछा क्यूं?
अवंतिका: ऐसे ही (हंसते हुए)
रास्ते में अवंतिका, यश को बाइक रोकने को कहती है।
यश: क्या हुआ अवंतिका?
अवंतिका: कुछ नहीं बस यहां कुछ देर रुकने का मन है।

शहर के बीच एक झील है। जिसके चारों ओर लोगों के घूमने के लिए वॉकवे बनाया गया था। जहां लोग खड़े होकर इस झील पर शहर की जगमगाती रोशनी के बनते प्रतिबिंब का सुंदर नजारा ले सकें।

अवंतिका: यश, मैं अपनी बाहें फैला कर इस सुंदर नज़ारे को हमेशा के लिए कैद करके रखना चाहती हूं। कितना सुकून है यहां।
यश (मन ही मन): रोज़ तो यहां से कम से कम 3-4 बार निकलता हूं, पर सुकून तो कभी दिखा नहीं सिवा भाग दौड़ के। लगता है इसे चढ़ गई है। कहीं ये पागल लड़की, प्रकृति प्रेम में यहां से जंप न कर दे।

(वर्तमान)

तभी अवंतिका अपने कंधे पर कुछ हलचल सी महसूस करती है। जैसे नींद से किसी ने जगा दिया हो।

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क्रमशः