Katil - 5 in Hindi Love Stories by Monty Khandelwal books and stories PDF | कातिल - 5

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कातिल - 5

सारे लोगो इकट्ठा हो गये

रितु ने कहा देख क्या रहे हो जाओ ..जाओ उनकी मदद करो उनको बाहर निकालो
और मशक्कत चालू हो गए कभी मोटे व्यक्ति को खींचकर तो कभी खुशी के ऊपर चढ़कर उनको बाहर निकालने की कोशिश की जारी थी

मैनेजर अरे मेरी कुर्सी जरा संभाल के कहीं टूट ना जाए

मोटे की पत्नी - अरे कोई इनको बाहर निकालो

मैनेजर अपनी कुर्सी के लिए रो रहा था और पत्नी उसके पति के लिए

अर्जुन - चिल्लाते हुए अरे रुको थोड़ा कम खिलाया होता तो आज यह नौबत ना आती खा कर मोटे हो गए हैं
मैनेजर तुम को समझ में नहीं आता थोड़ी कुर्सी पढ़ी नहीं बना सकते

काफी मशक्कत के बाद में कुर्सी को तोड़कर उनको बाहर निकाला लिया जाता है

manager हाय रे मेरी कुर्सी
और फिर हम बाहर चले आते हैं

लेकिन यह क्या रितु तो जोर जोर से हंसी जा रही थी
उसे देख कर मैं भी खूब हंसने लगा

काफी समय तक हमारा प्यार ऐसा ही चलता रहा |

एक दिन मौका पाकर मैने
आखिर अपना इजहार उसे कर दिया

ऋतू- आज समझ में आ रहा है इतने दिन एक छोटी सी बात करने के लिए रुके हुए थे कह नहीं सकते थे मैंने भी कितना इंतजार किया कि कब तुम मुझे बोलोगे और मैं तुम्हें हां बोलु

थोड़ा शर्माते हुए थोड़ा मुस्कुराते हुए I love you

उसकी और से भी हॉ आया ... ऐसा लगा मानो मुझे सब मिल गया

यह सारी बातें अर्जुन पुलिस को बताई थी....
पुलिस- जब तुम्हें सब कुछ मिल गया था तो फिर तुमने ऐसा क्यों किया

अर्जुन - पर सिर्फ प्यार करने से क्या होता है दिल की इच्छाएं भी तो कुछ होती है जो |

जिसका मैं हर चीज का उसके साथ आनंद लेना चाहते थे |
लेकिन वह मुझे हर बार मना बोलती इतनी भी जल्दी क्या है थोड़ा ओर वेट करो यही कहती रहती कि जो भी करेंगे सब कुछ शादी के बाद में करेंगे |

ईस बात से मेरे मन में उथल-पुथल हो रही थी जिसे मैं बाहर निकालना चाहता था
इसलिए
एक दिन मेने उसे में मिलने बुलाया तो मेने उसेके साथ सेक्स करने की इच्छा जताई तो फिर से मुझे उसने मना बोल दिया उसी गुस्से में मेने उसके साथ जबरदस्ती की और रैप करने केे बाद उसे मेने मार कर सड़क किनारे फेक दिया

मेरी पत्नी हाय राम अपनी हवस केे लिए उसने ऐसा किया
आज कल तो प्यार करने वालो का भरोसा ही नही रहा

मैं- हाँ पर
पत्नी - हाँ पर क्या

कुछ नहीं जी

जितनी बात लिखी थी वो बात मेरी पत्नी को तो भरोसा होगया लेकिन मेरे मन में कही न कही सवाल उठ रहे थे ....

कुछ दिन बाद tv पर एक और news आती है की सहर के एक businessman जिनका नाम विजय राज के कुछ आदमियों को किसी ने मार दिया था
पुरे दिन बस ये ही news चल रही थी

इधर विजय राज भी सोच रहा था कि कौन हो सकता है किसने मेरे इतने आदमियों को मारा है बार-बार यही सवाल अपने आप को पूछ रहा था और सोच रहा था कि कौन हो सकता है कोन कोन


यह कातिल कहानी का पांचवा ( 5) भाग है मैं जितने भी इस कहानी को लिख रहा हूं आप लोगों के लिए उसको पढ़ने के लिए #मातृभारती पर अपलोड कर रहा हूं अगर मेरी यह कहानी जो फिल्मी स्टोरी है आपको पसंद आए तो कृपया स्टाफ देखें मुझे जरूर बताएं और मेरी इस कहानी को आप शुरुआत से जरूर पढ़ें

***** आपके स्टाफ देने से मुझे हौसला मिलता है 🙏😊

और आप सब को दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनाएं हिंदू नव वर्ष आपके लिए शुभ रहे जय श्री राम