हाइकू कविता
हिन्दुस्तान में
जो है ,वही तो सब
पाकिस्तान में ।
मासूम बच्चा
यहॉं और वहॉं भी
बहुत सच्चा ।
दिलों में प्यार
यहॉ और वहॉं भी
होती बहार ।
भ्रष्टाचार में
यहॉ और वहॉं भी
खूब निखार ।
शस्त्र बहाल
यहॉ और वहॉं भी
शिक्षा बेहाल ।
बदनसीबी
यहॉ और वहॉं भी
भूख ,गरीबी ।
सीमा पे डर
यहॉ और वहॉं भी
मिटते घर ।
बंटते भाई
यहॉ और वहॉं भी
बाद सगाई ।
नेता फरेबी
यहॉ और वहॉं भी
रोते गरीबी ।
आलोक मिश्रा
बदले लोग
बदल गया जमाना
मोबाईल से
मिस्ड़काल है
फैशन में
मोबाईल से
चार के साथ
एक दूजे से दूर
मोबाईल से
अपने दूर
दूजे हुए अपने
मोबाईल से
भाषा बदली
संदेश हुए लघु
मोबाईल से
सब आसान
धोखा,झूठ, फरेब
मोबाईल से
बाद सगाई
व्यस्त हुए वे दोनों
मोबाईल से
अफवाहें भी
खूब है अब आम
मोबाईल से
रिश्ते जुड़ते
टूटते है रोज ही
मोबाईल से
ज्ञान का साथ
नेट है हर हाथ
मोबाईल से
बुड्ढे जवान
चैट हुआ आसान
मोबाईल से
बच्चे जवान
पोर्न उनके हाथ
मोबाईल से
स्वतंत्र हाईकू
जिन्दगी यूहीं
कट गई मेरी तो
मिला न स्नेही
∆
मधुशाला थी
पिया मधु कर्म का
पाठशाला थी
∆
राजनीति में
दल पद नेता है
जोड तोड में
∆
गुलाब बोला
सीखो कुछ कॉंटों से
मै तो हॅुं भोला
∆
चुनाव आए
अब नेता फिर से
दिखे टर्राए
∆
ये मेघदूत
विरहणी नार का
है यमदूत
∆
तारणहार
उर बसाएं राम
जीवन सार
∆
आतंकवादी
समाप्त ही होनी है
तेरी आबादी
∆
मॉंगे से नहीं
सम्मान मिलता है
बिना मॉंगे ही
∆
फैलाते दंगे
राजनीतिबाज़ ही
लुच्चे लफंगे
∆
भूखे व नंगे
मरते है दंगों में
हंसे लफंगे
∆
तेरा मिलना
एक सपना ही है
अब अपना
∆
एक सच्चा ही
काफी है हुजूम में
बने सिपाही
∆
गॉंधी विचार
सत्य अहिंसा खादी
करो आचार
∆
तेरे सहारे
चला था मै मगर
लूटा तूने ही
∆
करे मुज़रा
नापाक गली बीच
पाक गजरा
∆
महात्मा गॉंधी
जनता की आवाज
सच की आंधी
∆
विदेश यात्रा
शासन की पूंजी में
हो भारी मात्रा
∆
रंगीली नार
दे दर्शन दूर से
एड्स की मार
∆
हमारा प्यार
सहता ही रहेगा
जग की मार
∆
थी वो बेचारी
असहाय निरीह
अबला नारी
∆
बात हमारी
महल न अटारी
भूख बेगारी
∆
विज्ञानलोक
सभ्यता का आईना
मिला आलोक
∆
था मै अकेला
मिली सफलता तो
साथ था मेला
∆
सब के बीच
अपनी ही सोचता
मै एक नीच
सुबहा शाम
दीवाना हॅुं पागल
तेरे ही नाम
∆
चॉंद चॉदनी
निराले साजन की
प्यारी सजनी
∆
है समाचार
बम धमाके से
मरे हजार
∆
आतंकराज
बेगुनाहों को मारे
पाने ताज़
∆
बॉस नाराज
गलती खुद की है
खुला जो राज़
हाथों की रेखा
बनाती तकदीरें
ऐसा भी देखा
∆
तदबीर से
होता है और कुछ
तकदीर से
∆
ब्रम्हण्ड झूमे
अपनी ही धुन में
दुनिया घूमें
∆
नई उमंगें
इठलाती बावली
युवा तरंगें
∆
बनें खबरें
मरे दो या हजार
खूब अखरें
सांसदगण
करें वहीं वर्षों से
वृक्षारोपण
∆
बना वो नेता
गुण्डा डाकू लफंगा
कल था दल्ला
∆
वृक्ष बचाओ
रोको प्रदूषण को
पृथ्वी बचाओ
∆
बनी योजना
घर भरे ठेके से
पुल न बना
∆
चॉंदनी चीखी
रोई गिडगिडाई
किस्मत चूकी
शादी के नाम
दहेज में बिका वो
खुद के दाम
∆
चॉंद की दीद
खुशियों की सौगात
मनाओ ईद
∆
जवानी मस्त
अलसाई उदास
हो गई पस्त
∆
सुरम्य वन
निर्जन अनजान
अति सघन
∆
सीता का दुख
स्वामी विमुख भए
कहॉं का सुख
आलोक मिश्रा मनमौजी
9425139693
9425138927
mishraalokok@gmail.com