Real thief in Hindi Children Stories by SAMIR GANGULY books and stories PDF | असली चोर

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असली चोर


सभी खिलौने हैरान थे. आज से पहले उनमें से किसी ने भी रिकी को गुस्से में नहीं देखा था.

आज किटू खरगोश ने साफ देखा था कि रिकी का मुंह लाल हो गया था. माथे पर पसीना छलक आया था. उसने सभी खिलौनों को घूरते हुए आवारा कहा था और यह कहते हुए चली गई थी कि उसे चोरी करने वाले खिलौनों से नहीं खेलना.

रिकी का फैसला सुन नीली आंखों वाली शर्मीली गुड़िया तो रो ही पड़ी थी. तीन टांगों वाला शेर भी लंगड़ाते हुए पलंग के नीचे मुंह छिपाने चला गया था.

खिलौने खुद भी परेशान थे. उनकी भी समझ में नहीं आ रहा था कि बिस्कुट और टॉफियों का असली चोर कौन है. दरअसल पिछले एक सप्ताह से कोई रोज रिकी के बिस्कुट और टॉफियों पर हाथ साफ कर रहा था.

बिस्कुट और टॉफियों की ये बर्वादी बर्दाश्त करना रिकी के बस की बात नहीं थी. उसका कहना भी सही था कि अगर किसी खिलौने की नीयत बिगड़ ही गयी है तो वह मांग कर क्यों नहीं खाता, चोरी क्यों करता है?

वैसे तो अपने सभी खिलौनों पर उसे थोड़ा-थोड़ा शक था. पर सबसे ज़्यादा शक था मगरू सुअर पर, जो हमेशा ही कुछ न कुछ खाता चबाता रहता था.

उस दिन रिकी ने सबकी तलाशी ली थी. डुगडुग भालू का फूला पेट दबा कर देखा था. टॉमी कुत्ते का मुंह खोला था और वर्दी वाले सिपाही की सारी जेबों की तलाशी ली थी.

सुस्त कबूतरों का जोड़ा अलसाई आंखों से यह सब देखता रहा था और हमेशा ही झूठ बोलने वाले मटरू लोमड़ ने पूंछ दिलाकर कहा था-‘मुझे मालूम है चोर कौन है.’

लेकिन रिकी ने जब आंख तरेर कर उसकी तरफ देखा तो उसकी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई थी और वह तीन टांगों वाले शेर के पीछे जा छिपा था. रिकी ने जब शर्मीली गुड़िया पर एक नजर डाली तो वह रो पड़ी थी. नीली आंखों वाली गुड़िया के लिए तो इतना ही डूब मरने को काफी था कि कोई उसे चोर समझे. सचमुच वह रिकी के खिलौनों में सबसे शरीफ थी.

रिकी जब चली गयी, तब सन्नाटे को तोड़ते हुए डप्पी गधे ने बेशर्मी से ‘ट्रा..ला..ला’ का गाना गाते हुए दोहराया था-‘मुझे कोई परवाह नहीं, चाहे कोई गाली दे या डंडा मारे.’

रात होते ही रोज की तरह रिकी के खिलौनों की महफिल जम गयी. डुगडुग भालू हारमोनियम पर आ बैठा और लाल बंदरिया अपने दोनों बच्चों के साथ पाजेब पहन कर नाचने लगी. तीनों मुर्गियों ने भी जोश में आकर अपनी वही पुरानी कव्वाली गानी शुरू कर दी. चंचल चूहे और मेंढक तालिया बजाने लगे. बाप रे बाप! इतना शोर! खिलौना घर के गत्ते की दीवारें भी हिलने लगी. आलसी कबूतर ने एक बार भी आंखें नहीं खोली. मगरू सुअर को मौका मिलते ही वह कमरे से बाहर निकल जाने कहा भाग गया, भोजन की तलाश में.

इस बीच झूठे मटरू लोमड़ ने कहा, ‘रिकी जाग रही है और डंडा लेकर आ रही है.’ यह कहकर सबको डरा दिया. और जब सब खिलौने घबराकर चुप हो गए तो वह खिलखिलाकर हंस पड़ा.

किंतु लंगड़े शेर ने फौरन ही उसकी पूंछ खींच उसे पीछे पटककर फेंका और कहा-‘ ले चख झूठ बोलने का मजा’

सारे खिलौने फिर से नाचने लगे. और इस तरह आधी रात बीत गई. हर कोई इतना थक गया कि जो जहां था, वहीं ऊंघने लगा.

तीनों मुर्गियां हारमोनियम पर ही सो गई और मेंढक नाचते उछलते हुए सिपाही की जेब में जा घुसे थे, वहीं खर्राटें भरने लगे.

इधर खिलौने खर्राटें भरने लगे और उधर रसोई की तरफ से सचमुच का एक चूहा दबे पांव खिलौनाघर की तरफ बढ़ने लगा. दरवाजे पर रूक कर एक बार उसने चारों तरफ देखा. सारे खिलौने आंखें बंद किए गहरी नींद में सो रहे थे. वह निश्चिंत हो रिकी के मिठाइयों के डिब्बे की तरफ बढ़ चला. डिब्बा आज भी क्रीम वाले बिस्कुटों और नरम-नरम चॉकलेटों से ठसाठस भरा हुआ था. जैसे रिकी को उसका पूरा-पूरा ख्याल हो. मस्त चूहे ने मूछें फटकारी और डिब्बे से एक क्रीम बिस्कुट निकाल कर उसे मजे से कुतरने लगा.

और तभी कोई लंबी छलांग लगा कर झटाक से चूहें पर कूद पड़ा, तथा उसकी पूंछ को मुंह से दबा बैठा. चूहा दर्द से ‘चीं....चीं...’ चिल्लाने लगा.

चूहे की चीखों से सभी की नींद टूट गई. और उन्होंने जब आंखें खोली तो देखा टॉमी कुत्ता चूहे की पूंछ दबोचे बैठा है.

चूहा टॉमी को घसीटते हुए ले जा रहा था, यह देखकर मोटू हाथी ने लकड़ी का एक झुनझुना चूहे के सिर पर दे मारा.

बस फिर क्या था, चूहे पर हर तरफ से मार पड़नी शुरू हो गई. सब चूहे को चोर की सजा दे रहे थे खिलौना नगर के खिलौने. आखिर इसी चोर के कारण उनकी रिकी उनसे इतनी नाराज थी.

और इसी खट-पट में रिकी की नींद खुल गई. वह खिलौनों के पास आई तो टॉमी ने मुंह में सचमुच के चूहे को फंसे देख हैरान रह गई. फिर चूहे के पंजे में क्रीम बिस्कुट देखकर सारा मामला उसकी समझ में आ गया.

ओह! तो इन खिलौने ने अपने को निर्दोष सिद्ध करने के लिए चोर को ही पकड़ डाला. और चोर चूहे महाशय तो मारे र के बेहोश ही हो गए. खैर, रिकी ने उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया.

और फिर अपने सभी खिलौनों की तरफ बड़े प्यार और गर्व से देखा.

खिलौने तो गदगद हो उठे जब रिकी ने उनसे सुबह बाग में ले जाने का वादा किया. जब उसने अपनी प्यारी शर्मीली गुड़िया की तरफ देखा तो पाया कि इस समय भी वह रो रही थी, उसकी आंखें खुशी से गीली हो गई थी. गुड़िया के गाल पर प्यार से एक हल्की सी चपत लगा कर मुस्कराते हुए रिकी फिर सोने चली गई.

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