अन देखी दुनिया - 6
अजय, याशिका, जिन ,केशव और सुप्रिया पांचों जने तालीम घर के डरावने जंगल के पास आकर खड़े हो गए उन्हें वह जंगल बहुत डरावना लग रहा था उन्होंने ऐसा जंगल कभी पहले नहीं देखा था वह जंगल बहुत अद्भुत था । जंगल में बहुत अंधेरा था जंगल के ऊपर काले बादल छाए हुए थे ऐसा लग रहा था कि जंगल में रात हो रही है लेकिन असलियत में सुबह थी । जंगल का रास्ता आगे जाकर दिखाई नहीं दे रहा था सब कुछ काला था ।
अरे बाप रे यह तो बहुत अंधेरा है लगता मुझे तालीम घर में से लालटेन लानी पड़ेगी । यह कहकर अजय तालीम घर की ओर बढ़ता है लेकिन याशिका उस को रोककर बोलती है ।
हमें लालटेन तालीम घर से नहीं डरावनी डायन के पास से लाना है । याशिका बोलती है ।
यह रहा वह जंगल अब तुम्हें इस जंगल के अंदर जाना है इस जंगल के अंदर खूब सारी चुनौतियां आएंगी तुमको उन चुनौतियों का सामना करना है और डरावनी डायन से यह लालटेन लेकर आना है और हां एक बात का ध्यान रखना तुम उस जंगल में एक बार चले गए तो वापस यहां नहीं आ पाओगे वापस तुम लोग यहां तभी आप आओगे जब तुम वह लालटेन लेकर आओगे ।
अजय कहता है अरे बाप रे मतलब अब हमें अंदर ही रहना पड़ेगा जब तक हम लालटेन नहीं लिया ते ।
याशिका बोलती है "जी हां " ।
पांचों को बहुत डर लग रहा था अंदर जाने में वह सोच रहे थे कि हम अगर इस जंगल से बाहर ही नहीं आ पाए तो ।
पांचों निकल पड़े जंगल में डरावनी डायन का लालटेन लेने ।
चलते चलते अजय ने याशिका के कान में बोला बताओ हम यहां राजा का ताज लेने आए थे लेकिन डायन का लालटेन लेने जा रहे हैं ।
याशिका बोलती है हां पता है लेकिन ताज पाने के लिए हमें इतना तो करना ही पड़ेगा ।
जंगल में बहुत अंधेरा था ऐसा लग रहा था कि जंगल में बहुत रात हो रही है पांचो डरते डरते आगे बढ़ रहे थे उन्हें डर लग रहा था कि आ गए अब कौन सी मुश्किल आएगी और कब आएगी । कुछ दूर चलते चलते उन्हें जवाब की जमीन हिल रही है । लेकिन उन्होंने सोचा कि यह हमारा सिर्फ वह है लेकिन थोड़ी देर बाद फिर जमीन मिली तो वे समझ गए कि कुछ ना कुछ तो गड़बड़ है । जमीन हिलती हुई झाड़ियों में छुप गए जब उन्होंने देखा कि वहां पर एक बड़ा सा दानव है । और वह केशव की तरफ बढ़ रहा था क्योंकि केशव का पाव एक पेड़ के नीचे आ गया था । वह गाना चलते चलते बोल रहा था ।
नजरबट्टू नाम है मेरा सब को तोड़ना काम है मेरा । तुम मेरे जंगल में क्यों आए । यह जो कोई भी आता है वह मेरे हाथ से बचकर नहीं जाता ।
यह देख चारों लोग घबरा गए याशिका ने अजय से कहा कि जाओ ना उसकी मदद करो उसका पांव पेड़ के नीचे से निकालो ।
अजय ने कहा मैं नाना मैं नहीं जाऊंगा वह मेरे को मार देगा ।
फ्री याशिका ने कहा कि ठीक है तुम्हें नहीं जाना तो मत जाओ मैं चली जाती हूं ।
इतना बोलते ही हजर बोला नहीं नहीं तुम मत जाओ मैं जाता हूं । मैं सोचने लगा कि हर बार उसे याशिका की चिंता क्यों होती है ।
अजय केशव को बचाने चला गया । मैं उसके सामने आया ।
अच्छा तो तुम भी इसके साथ आए हो अब तुम दोनों यहां से बचकर नहीं जा पाओगे ।
To be continued.....