Niyati - 10 in Hindi Women Focused by Apoorva Singh books and stories PDF | नियति... - 10

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नियति... - 10

मै अक्षत के साथ राघव के यहां पहुंचती हूं।अक्षत राघव से बात करता है।मैंने अक्षत और राघव के सामने एक शर्त रखी कि मै यहां रहूंगी लेकिन रेंट पर।पहले तो अक्षत मना करता है लेकिन मेरे थोड़े से जोर देने पर मान जाता है और मै राघव के यहां रहने लगती हूं।

मै एनजीओ वाली मैम को कॉल कर न आने के बारे में बता देती हूं।

राघव - अच्छा लगा आपको यहां देख कर।आप चिंता मत कीजिए हम सब दोस्त आपके साथ है।

मै - राघव चिंता की तो बात ही है, मुझे लाइफ में आगे बढ़ना है कुछ करना है।उसके लिए कोई रास्ता नहीं समझ आ रहा क्या करूं मै क्या न करूं।

मुझे ऐसे परेशान होते देख राघव कहता है नियति थोड़ा धैर्य रखो।तुम जानती हो जल्दबाजी में कोई काम सही नहीं होता।कोई न कोई रास्ता निकलेगा।तुम चिंता न करो समझी। अभी चलो तुम्हे अपनी फैमिली से मिलवाता हूं।अब सब लोग जाग गए होंगे।वो क्या है न दोपहर को सब आराम करने लगते है।इसीलिए तुम्हे कोई दिखा ही नहीं यहां।

मै - ओह तभी मै सोचूं तुम यहां शायद अकेले रहते हो

राघव - नहीं।अकेले नहीं रहता।मै अपनी फैमिली के साथ ही रहता हूं।जिनमें मां, छोटी बहन,पापाजी भाई सभी हैं।एक सुखी परिवार की तरह हम सब साथ रहते है।

ये तो बहुत अच्छी बात है राघव।कहते हुए राघव और मै दोनों ही घर के हॉल की तरफ जाते हैं जहां उसकी पूरी फैमिली मौजूद रहती है।राघव मुझे सबसे मिलवाता है।उसकी मां, सिस्टर भाई सभी से मिल बहुत खुशी मिलती है और सभी मुझसे खुशी खुशी मिलते है।

धीरे धीरे दिन गुजरता है।शाम को खाने पर सभी साथ बैठते है।डिनर टेबल पर सभी मुस्कुराते हुए एक दूसरे से बातचीत करते हुए डिनर लेते हैं जिसे देख मेरे मन में ख्याल आया है वाह..ये होती है परफेक्ट फैमिली।जहां एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए खुलकर बातचीत करते हुए एक साथ बैठ कर खाना खा रहे है।

राघव की मां - वैसे नियति एक बात बताओ तुम अक्षत की शादी में क्यों नहीं आई थी।अभी लगभग एक महीने पहले ही तो उसकी शादी हुई है।

क्या.. अक्षत भाई की शादी भी हो गई।मै हैरानी से कहती हूं जिसे सुन उसकी मां कहती है अरे नियति तुम तो ऐसे हैरान हो रही हो जैसे तुम्हे इस बारे में कोई खबर नहीं थी।

ओह हो मां।।इन्हे सच में नहीं पता होगा।और पता होता भी कैसे अक्षत कभी इनके गांव वाले घर गया ही नहीं जहां ये रहती थी।उसे तो बस हॉस्टल का पता मालूम था।तो बताओ जब पता ही नहीं था तो कैसे जाता अक्षत निमंत्रण पत्र लेकर।

अच्छा बेटा। लेकीन फिर भी राघव टेक्नोलॉजी का जमाना है मोबाइल फोन तो आजकल सब के पास होता है तो पता ढूंढ़ना इतनी बड़ी बात तो नहीं थी!!

अच्छा मां।जब इनके पास मोबाइल फोन ही न रहा हो तो।क्यूंकि इन देवी जी का ऐसा मानना था कि जब तक पढ़ाई पूरी नहीं हो जाती तब तक मोबाइल फोन अपने पास नहीं रखना चाहिए इससे ध्यान भटकता है।मेरी तरफ देखते हुए राघव अपनी मां से कहता है।उसकी बातें सुन कर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाती है।और सोचती हूं कितने अच्छे तरीके से राघव तुमने मेरे घर की परेशानियों पर पर्दा ढंक दिया।

राघव की मां - ओह तो ये बात थी।वैसे मानना गलत भी नहीं है तुम्हारा नियति। पढ़ाई के समय कुछ चीजों से हमे दूर रहना चाहिए।
मैं - जी आंटीजी।
बातों ही बातों में कब डिनर फिनिश हो गया पता भी नहीं चलता है।

अगले दिन सभी जल्दी जाग जाते हैं।और जल्दी जल्दी कार्यों को करने में लग जाते हैं।सभी मिलकर कार्य कर रहे होते हैं।राघव अपने भाई के साथ मिलकर घर के कार्यों में सबकी मदद कर रहा होता है जिसे देख मै सोचती हूं एक ये घर और एक मेरा घर..जहां लड़के पानी का गिलास तक उठा कर नहीं रखते।

राघव को मालूम था कि मै एक अच्छी डांसर हूं जिस कारण वो मुझे अपने दोस्त की डांस एकेडमी में जॉब पर लगवा देता है।लेकिन वहां मै ट्रेंड नहीं करती बस काउंसिलिंग का कार्य सम्हालति हूं।और उस माहौल में रहकर धीरे धीरे डांस की बारीकियां भी सीखने लगती हूं।

कुछ ही दिनो में मेरे मन में डांस करने की उमंग फिर से हिलोरे मारने लगती हैं।लेकिन संकोच वश रह जाती हूं।यहां तो सभी इतने अच्छे से करते है।भला मेरे खुद के स्टेप पता नहीं इन लोगो को समझ आए की नहीं।कहीं हंसने ही न लगे मुझ पर।यही सोच कर खुद को फुदकने से हर बार रोक लेती थी।लेकिन किस्मत में जो लिखा होता है वो तो होकर ही रहता है। एक दिन एकेडमी में कोई नहीं होता मै अकेली ही होती हूं।क्यूंकि लंच टाइम होता है इसीलिए वहां का स्टाफ बाहर बगल में बने रेस्टोरेंट में चला जाता है।लेकिन साउंड सिस्टम ऑन छोड़ जाता है।जिस कारण खुद को बहुत रोकने पर भी मेरे कदम रुक नहीं पाते और म्यूजिक की धुन पर थिरकने लगते है बहुत दिनों बाद डांस कर रही होती हूं वो भी डूब कर।गाने के बोल कुछ हूं होते है..

होठों में ऐसी बात ! होठों में ऐसी बात मै दबा के चली आई! खुल जाए वोही बात तो दुहाई है दुहाई..
हां रे हां! बात जिसमें प्यार तो है जहर भी है हाए.. होठों में ऐसी बात मै ...

मै अपनी ही धुन में लगी होती हूं इस बात से बेखबर कि कोई है जिसकी नज़रे ठहर गई थी मेरे डांसिंग स्टेप्स पर!

कुछ ही देर में गाना ख़तम होता है तथा राघव का दोस्त जो वहां दरवाजे पर खड़ा होता है गाना ख़तम होने के बाद मेरे पास आता है और मुस्कुराते हुए कहता है बहुत अच्छा डांस करती हो।अब तक किसी को खबर भी नहीं होने दी इस बारे में क्यूं?
अगर कोई टैलेंट है तो उसे सामने लाना चाहिए न कि उसे छुपा कर रखना चाहिए।तुम्हारी परफॉर्मेंस को देखकर मै तुम्हे एक सलाह देना चाहूंगा नियति। तुम्हे इसी क्षेत्र में आगे जाना चाहिए।डांस से रिलेटेड बहुत सारी प्रतियोगिताएं होती ही रहती है, तुम्हे एक बार तो उनके बारे में सोचना अवश्य चाहिए!क्यूंकि तुम्हारी तन्मयता तुम्हे इस काबिल बना रही है कि थोड़ा सा संघर्ष कर तुम कोई भी प्रतियोगिता जीत सकती हो।

ओह सर।ये तो बस ऐसे ही शौकिया तौर पर करती थी।अभी मै इस लायक नहीं कि किसी प्रतियोगिता में भाग ले सकूं!

सर! नहीं कहो मेरा अपना नाम है नियति। अथर्व ठाकुर! ये नाम है मेरा।जैसे राघव को राघव कहती हो वैसे ही मुझे अथर्व कहो।राघव मेरा दोस्त है और दोस्त का दोस्त भी दोस्त ही तो होता है।

अथर्व की बात सुन मै मुस्कुराती हूं और कहती हूं ठीक है अथर्व!

अगले दिन राघव बैठ कर अखबार पढ़ रहा होता है।आरुषि अपनी मां के साथ बैठ कर नए नए हुनर सीखने में व्यस्त होती है।उसके पिताजी तो शहर से बाहर ही रह कर कार्य करते है।

निया! मिस निया.. कहां हो तुम।राघव के ये शब्द मेरे कमरे में मुझे सुनाई देते हैं।आवाज़ सुनकर मै फौरन कमरे से बाहर राघव के पास आ जाती हूं।

क्या नियति! कब से बुला रहा हूं तुम्हे।कहां रह गई थी।

राघव मै अपने कमरे में थी दीप भाई से जॉब के सिलसिले में बात कर रही थी।

नियति अब जॉब ढूंढ़ना छोड़ दो।ये देखो आज के अखबार में क्या खबर छपी हुई है।डांस कॉम्पटीशन शो के ऑडिशन हो रहे है वो भी अपने शहर आगरा में।और तुम डांसर भी अच्छी हो।हुनर है ये तुम्हारा साथ ही शौक भी।अब मेरी मानो तो तुम बाकी सब छोड़ो और बस प्रेक्टिस पर लग जाओ।

मै तुम्हारा नाम इस प्रतियोगिता में लिखाने जा रहा हूं।ऑडिशन देने चलना होगा तुम्हे।और हां कोई ना नूकुर नहीं नियति।

लेकिन राघव मै कैसे इसमें भाग ले सकती हूं।तुम ही बताओ।मेरी तो कबसे प्रेक्टिस नहीं हुई है।और कहीं कोई दिक्कत खड़ी हो गई तो।मै थोड़ा घबराते हुए कहती हूं।

नियति तुम डर क्यों रही हो।तुम कितनी स्ट्रॉन्ग हो ये बात मै जानता हूं। अगर ऐसे ही घबराते हुए तुमने अपना शौक छोड़ दिया तो कैसे चलेगा!

क्या तुम अपने ऑपरेशन की वज़ह से डर रही हो।तो मै तुम्हे एक ऐसी सेलेब्रिटी के बारे में बताता हूं जिन्होंने कठिन हालातो में भी डांस के अपने पैशन को नहीं छोड़ा। सुधा चंद्रन जी का नाम तो सुना ही होगा तुमने जो एक सफल अभिनेत्री के साथ साथ कमाल की डांसर भी रही है।क्या तुम जानती हो एक दुर्घटना में उन्होंने एक पैर गंवा दिया।उसके बाद उन्होंने नकली पैर की सहायता से सफलता के झंडे गाड़े।

हां राघव उनके बारे में काफी सुना है मैंने।और उनके कई आर्टिकल भी पढ़े हैं।एक जगह पढ़ा था इस बारे में।

तो फिर निराश और हताश क्यों हो।तुम कर सकती हो नियति। बस खुद पर विश्वास रखो।और वैसे भी तुम अकेले थोड़े ही पार्ट लोगी इसमें मै रहूंगा साथ तुम्हारा हौंसला बढ़ाने के लिए।वैसे मै इतना बुरा डांसर भी नहीं हूं।ही ही ही ही करते हुए राघव हंसने लगता है।जिसे सुन मुझे भी हंसी आ जाती है।ये हुई न बात बस इसी मुस्कुराहट को चेहरे पर रखो देखना हर बाधा पार कर लोगी।

हां राघव ! हमें कुछ अच्छा और बड़ा करने के लिए कोई न कोई कदम तो उठाना ही होगा न।तो शुरुआत यहीं से ही करते हैं।

जी बिल्कुल दी।मंज़िल पर पहुंचने के लिए पहला कदम तो उठाना ही पड़ेगा न और आप ये समझिए कि ये आपका पहला कदम ही है।आरुषि मेरे कांधे पर हाथ रख गर्दन आगे कर कहती है।

तो फिर मै आज ही जाऊंगा नियति।तुम्हारा और मेरा दोनों के नॉमिनेशन के लिए।तुम बस अपना अभ्यास रिस्टार्ट कर दो।एकेडमी में अथर्व तुम्हारी मदद करेगा और घर पर मै...! ठीक ।।

मै हां कर देती हूं और अभ्यास करना शुरू कर देती हूं।


मै घर पर रहकर ही अपने अभ्यास में रम जाती हूं। मै डांस की विभिन्न तरह की विधाओं में प्रेक्टिस करती हूं।राघव मुझे कॉल कर ऑडिशन वाली जगह पर आने के लिए कहता है।मै उससे एड्रेस लेती हूं और आरुषि को साथ लेकर निकल जाती हूं।फेस कवर ही किए रहती हूं।कुछ ही देर में मै उस जगह पहुंच जाती हूं राघव मुझे बाहर ही खड़ा मिलता है।

राघव - थैंकगॉड तुम आ गई।चलो अन्दर।बस कुछ ही समय बाद हमारा ही नम्बर है।ये रहा बैच इसे अपने पास रखो।और इस पर जो नम्बर लिखा है उसको जब दोहराया जाए तब तुम्हे ऑडिशन में प्रस्तुति देनी है।तुम्हे पता है नियति इस प्रोफेशन की खास बात क्या है ..

मै अनजान होती हूं सो सिर हिला कर मना कर देती हूं।"चलो मै ही बता देता हूं" इस प्रोफेशन में सबसे अच्छी बात है यहां कोई डिग्री कार्य नहीं करती बस बंदे का अपना हुनर बोलता है।यहां भी ऐसा ही है यहां पर सिर्फ तुम्हारा हुनर ही तुम्हारे काम आयेगा।सो बस खुद पर विश्वास रखना और दिल से बिना घबराए परफॉर्म करना।देखना बहुत अच्छा जाएगा तुम्हारा ऑडिशन।

हां राघव! सही कह रहे हो तुम।आत्मविश्वास के जरिए हम किसी भी कार्य में सफल हो सकते हैं।अच्छा तुम्हारा नम्बर कब है मेरे बाद या मेरे पहले!

मेरा नम्बर तो तुम्हारे तुरंत बाद ही है।वो क्या है न मैंने पहले तुम्हारा नॉमिनेशन करवाया उसके बाद अपना करवाया!

ओह ! चलो कोई बात नहीं राघव! परफॉर्म तो है न ये सबसे बढ़िया है हमारे लिए अब तुम प्रतियोगिता में रहोगे तो मेरा हौंसला भी बना रहेगा।लेकिन राघव एक परेशानी है मेरी!

राघव जिसके चेहरे पर बड़ी सी मुस्कुराहट होती है मेरे शब्द सुन प्रश्न भरी निगाहों से मेरी तरफ देखता है।

मै - वो क्या है न राघव मै अपने चेहरे को शो में शो नहीं कर सकती।क्यूंकि घर वालो को मै जानती हूं अच्छी तरह से उन्हें अगर पता चल गया तो मुझे लेने मेरे पीछे जरूर आयेंगे।और मुझे डर इस बात का है कि कहीं सबके सामने कोई हंगामा खड़ा न कर दे।

मेरी बात सुन कर राघव कुछ पल खामोश हो सोचने लगता है और थोड़ी देर बाद कहता है नियति ये तो कोई बड़ी प्रॉब्लम नहीं है।इस बात का सॉल्यूशन है मेरे पास।आज तुम न फेस कवर कर परफॉर्म करो।उसके बाद तुम्हारा मेक अप के जरिए थोड़ा सा लुक चेंज कर करवा दूंगा।अभी तुम्हारा रंग कितना साफ है परफॉर्मेंस के समय थोड़ा डार्क करवा दूंगा।। ठीक है।

मै राघव की बात सुन सेटिस्फाई होती हूं और मुस्कुरा देती हूं।आरुषि जो राघव और मेरे साथ ही होती है ये सुन कहती है वाह.. भाई क्या आइडिया निकाला है।

अरे इतना मेकअप अजीब नहीं लगेगा नियति दी पर! आप डायरेक्ट शो के ऑर्गनाइजर या जज से बात क्यों नहीं करते!हो सकता है वो परेशानी समझ जाएं और नियति दी को अलाऊ कर दे फेस कवर कर परफॉर्म करना।

नहीं आरुषि ये सही नहीं रहेगा। हमे अपनी परेशानी कभी भी बाहर वालो या प्रोफ़ेशनल लाइफ में नहीं रखनी चाहिए कौन कब क्या फायदा उठा ले उनसे कुछ नहीं कहा जा सकता। आरू भरोसा करना चाहिए लोगों पर लेकिन अंधा भरोसा नहीं।ये शब्द हमेशा याद रखना तुम।जीवन में बहुत काम आयेगा हमे खुद से ही कोई और रास्ता निकालना होगा।और वो रास्ता हम सब बाद में खोजेंगे फिलहाल के लिए पहली सीढ़ी पर ध्यान देते हैं।

कुछ ही देर में मेरा नम्बर बोला जाता है और मै ऑडिशन के लिए सबसे आगे पहुंच जाती हूं।राघव मुझे all the best कहता है।मै आगे जाकर सबके सामने खड़ी हो जाती हूं।और अगले ऑर्डर का इंतजार करने लगती हूं। वहां जो सेलेक्ट करने वाले व्यक्ति बैठे हुए होते है वो मेरा नॉमिनेशन पेपर देख कहते है, नाम - मिस निया कपूर ! फ्रॉम - संजय पैलेस आगरा।
मै - यस।
अच्छा मिस निया ये बताइए आपने जो ये फेस कवर कर रखा है उसका क्या कारण है।

मै बहाना बनाते हुए कहती हूं सर उसका कारण तो यही है कि मुझे इस समय फ्लू की वजह से इंफेक्शन है जिस कभी कभार छींके आ जाती है।

ओके ओके।यानी आप एक जिम्मेदार भारतीय नागरिक होने का कर्तव्य निभा रही है thats good.

मै - शुक्रिया।

आप अपनी परफॉर्मेस शुरू करें।कहते हुए गाना चला दिया जाता है और मै परफॉर्मेंस शुरू कर देती हूं।सोलो सोंग ही होता है उस पर मेरी परफॉर्मेंस काफी अच्छी रहती है।कुछ ही देर में सोंग पूरा हो जाता है साथ ही मेरी परफॉर्मेस भी।मै उम्मीद भरी नजरो से सिलेक्शन टीम की तरफ देखती हूं और उनके चेहरों के भाव पढ़ने कि कोशिश करती हूं।तभी मुझे बाहर इंतजार करने के लिए बोला जाता है।मै वहां से बाहर आ जाती हूं।जहां राघव और आरुषि मुझे देख छूटते ही मुझसे पूछते है कैसा रहा?

मै उनसे इतना ही कहती हूं इंतजार करने के लिए बोला है।

राघव - फिर भी निया उनके चेहरे के भावों से कुछ तो पता चला ही होगा, उन्हें परफॉर्मेंस पसंद आई कि नहीं।

पता नहीं राघव हमने देखा तो हमें कुछ समझ नहीं आया क्यूंकि उनके चेहरे पर कोई भाव ही नहीं थे बिल्कुल शांत और निर्विकार।

ओके नियति तुम इस बात से परेशान नहीं होना सब अच्छा होगा बस विश्वास रखना खुद की परफॉर्मेस पर।कहकर राघव मुझे हिम्मत देता है और अंडे चला जाता है क्यूंकि अगला नंबर उसी का होता है।

अब मै और आरुषि उसे शुभकामनाए देते हैं और बाहर खड़े रहकर उसका इंतजार करने लगते हैं।लगभग बीस मिनट बाद राघव बाहर आ जाता है।हम दोनों की तरफ देख कहता है वहीं कहा है जो तुमसे कहा है बाहर जाकर परिणाम का इंतजार करिए।राघव के एक्सप्रेशन देख मुझे हंसी आ जाती है।

अच्छा निया यहां तो थोड़ा सा समय और लगेगा तो क्यूं न आइसक्रीम खाकर आने वाली खुशी को सेलिब्रेट करते हैं।मुझे तो यकीन है तुम्हारा सिलेक्शन हो जाएगा।

क्या राघव सच में तुम्हे इतना यकीन है।मै सवालिया निगाहों से राघव की तरफ देखती हूं।

हां! और मेरा यकीन बेकार नहीं है।तुम्हारी परफॉर्मेंस ही ऐसी है।राघव मेरी आंखो में देखने लगता है।

चलो चलते हैं राघव हम लोग यहां क्यों खड़े हैं।मै बात बदलते हुए राघव से कहती हूं।आरुषि राघव और मै तीनों कुछ ही दूरी पर बने रेस्टोरेंट में जाकर बैठते हैं और तीन आइसक्रीम ऑर्डर करते है।वनीला स्ट्रॉबेरी,और चोको फ्लेवर वाली।तीनों अपनी अपनी पसंद की आइस क्रीम मै वनीला,राघव स्ट्रॉबेरी,और आरुषि चोको आइसक्रीम एंज्वॉय करते हैं।

मै थोड़ा टेस्ट ले लेकर खाती हूं जिसे देख राघव कहता है निया क्या आराम आराम से खा रही हो जल्दी फिनिश करो हम लोगो यहां आए हुए आधा घंटा हो गया है।ऑडिशन के परिणाम घोषित होने वाले होंगे।

हां राघव।हम तो स्वाद स्वाद में इस बारे में भूल ही गए थे।चलो हम ऐसे ही हाथ में पकड़े पकड़े चलते है।रास्ते में खा लेंगे।

क्या रास्ते में खाओगी तुम!
हां क्यूं! इतने हैरान क्यों हो रहे हो।अब अपनी लाइफ नहीं जियुंगी तो कब जियूंगी।ये सारे अरमान तो बचपन वाले थे अब पूरा करने का मौका मिल रहा है तो क्यूं छोड़े हम।

बस यही चाहिए मुझे निया कि तुम खुल कर जियो! लोगो की परवाह करना छोड़ दो।वो गाना तो सुना होगा तुमने.. कुछ तो लोग कहेंगे! लोगो का काम है कहना..।

कहते हुए राघव हंसने लगता है।तथा उसके साथ साथ मेरी भी हंसी छूट जाती है। हां राघव हमे देर से समझ आया...!

हम तीनो ही ऑडिशन वाली जगह पर पहुंच जाते है।पांच मिनट बाद ऑडिशन के रिज़ल्ट घोषित कर दिए जाते हैं।जिनमें राघव और एक लड़की रोमा का सिलेक्शन हो जाता है।मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ ये सोच मेरी आंख भर आती है।एक उम्मीद मिली वो भी टूट गई।अब क्या करूंगी मै उस समय ये सोच सोच कर ही रोना आ रहा था। राघव को भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसका सिलेक्शन हो गया लेकिन मेरा रह गया।

मै राघव से कह आरुषि को लेकर वहां से घर के लिए निकल आती हूं।मेरी आंखे भरी हुई होती है लेकिन रास्ते में आंसुओ को बहाकर मै खुद का तमाशा नहीं बनाना चाहती इसीलिए रोक कर रखती हूं।ऑटो मै और आरुषि दोनों बैठी हुई होती है।मेरा फोन रिंग करता है।लेकिन दुखी होने के कारण मै फोन नहीं उठाती।आरुषि ये देख मुझसे कहती है

दी फोन तो उठाइए एक बार क्या पता कोई जरूरी कॉल्स हो।आपने इतनी जगह जॉब के लिए अप्लाई किया हुआ है हो सकता है उन्हीं में से किसी का हो।

मै - नहीं आरुषि मै अभी बात नहीं कर पाऊंगी।आप फोन उठा कर बोल दीजिए कि मै अभी व्यस्त हूं जैसे ही फ़्री हो जाऊंगी कॉल बैक कर लूंगी।

ठीक है दी।मै बोल देती हूं।
फोन दोबारा रिंग होता है और आरुषि कॉल उठा लेती है ..

आरुषि - हेल्लो! भाई।
राघव - आरुषि ये हाई हेल्लो बाद में फटाफट ऑटो से यू टर्न लो और वापस यही ऑडिशन वाली जगह पर आ जाओ। it's urgent..

और हां दस मिनट से ज्यादा टाइम मत लगाना वरना बहुत देर हो जायेगी!

आरुषि ऑटो वाले से यू टर्न ले वापस चलने को कहती है।ऑटो वाला थोड़ा झिक झिक करता है जिसे देख आरुषि कहती है भैया आपको पैसे तो पूरे ही मिलेंगे न फिर क्यूं झिक झिक कर रहे हो।मोड़ कर वापस उसी जगह पहुंचा दो न हमें दस मिनट में वहां पहुंचना है।मै जो उस समय बाहर की तरफ देख रही थी आरुषि की बात सुन कर उसकी तरफ देखने लगती हूं।आरुषि फोन की तरफ इशारा कर देती है।मै आरुषि से फोन लेकर देखती हूं जिसमें लास्ट कॉल राघव की होती है।

मै आरुषि से पूछती हूं कि तो राघव ने वापस वहां आने के लिए बोला है।

आरुषि - हां दी वो भी दस मिनट में।
ऑटो तब तक वापस ऑडिशन स्थल की ओर चलने लगता है।मै फोन रख देती हूं मन में बहुत से ख्याल चल रहे है क्यूं राघव ने वापस बुलाया..और दस मिनट में ही क्यों??कुछ ही मिनटों में हम वहां पहुंच जाते हैं।

मै ऑटो के पेयेमेंट कर अंदर दरवाजे कि तरफ जाती हूं जहां राघव पहले से खड़ा हुआ होता है उसके चेहरे पर टेंशन साफ होती है।

मुझे देख मेरे पास आते हुए कहता है निया तुम टाइम से आ गई चलो अंदर।तुम्हारे लिए सरप्राइज है।जल्दी चलो!राघव मेरा हाथ पकड़ता है और अंदर की ओर दौड़ लगा देता है।

मुझे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि राघव ऐसे दौड़ाते हुए मुझे अंदर क्यों लेकर का रहा था।

कुछ ही सेकंड में हम दोनों ही अंदर होते है।

राघव - सॉरी ।।कुछ क्षण की देरी हो गई लेकिन मै निया को लेकर आया हूं।

सिलेक्शन कमिटी अभी एक मिनट बाकी है ये रहा मिस निया आपका एंट्री बैच।अब आपको शो में भाग लेने के लिए मुंबई पहुंचना होगा।वहां ये एंट्री कार्ड दिखा कर आप शो के सेट पर पहुंच परफॉर्म कर पाएगी।इसीलिए शो ख़तम होने तक इसे सम्हाल कर रखना।

मै ये बात सुन हैरान रह जाती हूं और कहती हूं आपके कहने का अर्थ है कि हमे शो में भाग लेने के लिए इस कार्ड के रूप में आपका ग्रीन सिग्नल मिल गया।लेकिन यहां से तो सिर्फ दो ही कैंडिडेट को सेलेक्ट किया गया था फिर हमारा भी चयन कैसे हमे कुछ समझ नहीं आया।

अरे आपका चयन तो उसी समय कर लिया गया जब आपकी परफॉर्मेंस देखी थी।इसीलिए स्पेशल परफॉर्मर का टाइटल देकर आपको सेलेक्ट किया गया और आपके नाम का अनाउंस भी अलग ही किया गया।

ओह धन्यवाद आप सबका!! कहते हुए मै सभी को हाथ जोड़ प्रणाम करती हूं।

राघव और मै दोनों ही बाहर चले आते हैं।बाहर आकर मै खुशी के कारण राघव के गले लग जाती हूं।थैंक्यू थैंक्यू थैंक्यू राघव!! आपके सपोर्ट और विश्वास के कारण हमे कोई रास्ता मिला है आगे बढ़ने का।राघव वैसे ही खड़ा रहता है।कुछ पलो बाद जब मुझे एहसास होता है तो एकदम से अलग होती हूं और सॉरी कह एक तरफ खड़ी हो जाती हूं।

राघव - निया! खुशी को सम्हालना सीख लो! क्यूंकि ऐसी खुशियों से अब तुम्हारा सामना होता रहेगा।सो अब खुशियों को किस तरह एंज्वॉय किया जाता है वो तरीका भी सीख ही लो।नहीं तो पता चला खुशी खुशी में किसी के भी गले लग....कहते हुए राघव हंसने लगता है।

ओह तो ये जोक था..क्या? नहीं निया ये तो छोटा सा मज़ाक था तुम्हे गिल्ट से बाहर निकालने के लिए।अच्छा चलो अब घर चलते है।यहां का कार्य तो हो गया अब तुम बस खुद को तैयार कर लो क्यूंकि अब कुछ ही दिनों में तुम सफलता की सीढ़ियां चढ़नी शुरू कर दोगी।

अच्छा राघव ! सपने दिखा रहे हो!
नहीं नियति! सपने दिखा नहीं रहा हूं बल्कि तुम्हारे सपनों को पूरा होते देखने की कल्पना कर रहा हूं।और अब साक्षी भी बनूंगा मै।

मै राघव की बात पर मुस्कुरा देती हूं और कहती हूं साक्षी नहीं राघव डांस पार्टनर बनेंगे हम।और इस प्रतियोगिता को आत्मविश्वास की सहायता से जीतेंगे भी।

यस नियति! ये हुई न बात।वैसे एक बात कहूं तुम्हारे मुंह से ये हम वाली बोली का लहजा कुछ ज्यादा ही अच्छा लगता है।... हाहाहा राघव ! सो फनी! ये अच्छा मज़ाक था।वैसे फिर भी मै बता देती हूं वो तो सिर्फ इस प्रतियोगिता के लिए ही है।क्यूंकि मै नहीं चाहती मेरे घर वालो को किसी भी तरह का कोई शक हो।समझे ....

हां जी समझ गया...।यू ही बाते करते करते हम दोनों घर पहुंच जाते है जहां राघव सबको हम दोनों के सिलेक्शन के बारे में बताता है जिसे सुन सभी घर वाले बहुत खुश होते है।राघव और मै सभी कार्य से फ़्री होने के बाद साउंड सिस्टम ऑन कर प्रेक्टिस में लग जाते हैं...

अथर्व भी अभ्यास करने में हमारी बहुत मदद करता है।एकेडमी में भी मै एकांत में अपनी रिहर्सल करती रहती हूं।सोलो, ग्रुप परफॉर्मेंस सभी तरह की विधाओं में रिहर्सल कर अपने आप को मजबूत करती हूं।

कुछ दिनों के बाद हम दोनों को प्रतियोगिता में सम्मलित होने के लिए कॉल आ जाता है और हम दोनों वहां से मुंबई के लिए निकल जाते हैं।ट्रेन में बैठे हुए हम दोनों आपस में में डिस्कसन करते हुए जा रहे होते हैं।२४ ऑवर्स के बाद हम दोनों मुंबई में कदम रखते हैं।मै और राघव दोनों पहली बार मुंबई गए होते हैं।चारो तरफ बड़ी बड़ी आसमान छूती बिल्डिंगे, सड़कों के उपर दौड़ते रफ्तार में वाहन,मेट्रो , सब कुछ देख हम आश्चर्य करते है।मुंबई पहुंच कर मुझे पता चला हम, हमारी सोच,हमारा रहन सहन सब यहां के मुकाबले कितना पीछे हैं।

राघव और मै दोनों सबसे पहले शो के सेट पर पहुंचते है।जहां हम एंट्री कार्ड दिखा अंदर जाते है।वहां मै देखती हूं हमारे ही जैसे अन्य शहरों से चुन कर आए हुए प्रतिभागी कतार में खड़े हुए है।और वहां मौजूद एक जेंटलमैन दिखने वाले व्यक्ति की बातो को गौर से सुन रहे होते है।राघव और मै दोनों ही कतार में जाकर खड़े हो जाते है।

वहां रोमा भी मौजूद होती है।वो हम दोनों को वहां देख। हाय हेल्लो कहती है।

रोमा - हे! तुम लोग आगरा से हो न सेम ऑडिशन वाले।मै रोमा, पहचाना मुझे!कहते हुए रोमा अपना हाथ आगे बढ़ा देती है।

राघव भी उसके हाय का जवाब हेल्लो देता है और हाथ आगे बढ़ा देता है।

राघव - हेल्लो! मै राघव!

नाइस नेम! और ये निया कपूर! स्पेशल परफॉर्मर! कुछ तो बात होगी इनमें जो स्पेशल परफॉर्मर का टाइटल मिला इन्हे।अब तो प्रतियोगिता में बहुत मज़ा आयेगा।इतने अच्छे अच्छे प्रतियोगी जो ठहरे!बहुत कॉम्पटीशन भी होगा रोमा जी! राघव मुस्कुराते हुए कहता है।ओह राघव कॉल मी ऑनली रोमा. वी हैव सेम ऐज ग्रुप राइट! तो ये जी ,आप, आदि सब को गोली मारो ये मुंबई है तो थोड़ा बहुत मुंबईया स्टाइल में बात करो।

मै रोमा की बात सुन मुस्कुरा देती हूं।उसका खुला स्वभाव मुझे बहुत पसंद आता है।

जेंटलमैन - कंटेस्टेंट!जैसा कि आप सभी जानते है कि कोई भी प्रतियोगिता जो आयोजित होती है उसमे कुछ नियम और शर्तें भी शामिल होती है।इसी के तहत आप सब को अभी एक फार्म फिल करने को दिया जाएगा जिसमें सारी नियम और शर्तें दी गई होगी जो भी इस प्रतियोगिता में लागू होंगी।आप सभी एक बार ध्यान से पढ़ कर उसे समझ लीजिए।और उस फार्म को फिल कर साइन कर दीजिये!

जेंटलमैन अपनी बात खत्म करता है और एक व्यक्ति आकर सभी को फार्म भरने के लिए दे देता है।हम सभी फार्म को ध्यान से पढ़ते है।और उस को पूरा भर कर जमा कर देते है।सभी प्रतियोगियों को कॉन्टेस्ट का मैनेजर सेट पर ही कंटेस्टेंट के रहने के लिए बनाए गए छोटे छोटे टेंटनुमा घर में पहुंचा देता है।दो व्यक्ति एक घर में रह सकते हैं जिस कारण मै और रोमा एक टेंट वाले घर में शिफ्ट होते है। रोमा बहुत बातूनी और डींगे हांकने वाली लड़की होती है।बहुत बातें करती है वो।

दिन ढल जाता है।तो राघव मुझसे मुंबई घूमने के लिए पूछता है।कभी कभी मैगज़ीन में मुंबई का जिक्र होता तो उसके बारे में पढ़ लेती थी।तब सोचती थी कैसा होगा मुंबई शहर। लोगों ने कई उपनामों से नवाजा है इस शहर को।किसी के लिए माया नगरी है तो किसी के लिए सपनों को पूरा करने वाला शहर।

मै और राघव शाम होने पर बाहर घूमने के लिए निकलते है।सच में काफी खूबसूरत शहर लगता है शाम के बाद।चारो ओर रंग बिरंगी रोशनी!रोशनी से नहाई हुई बिल्डिंगे,जो दूर से देखने पर जुगनूओं के जगमगाने जैसे लगते है।

खैर मै और राघव कुछ दूर पैदल चलते हैं।चलते चलते घनी बस्ती से थोड़ी खामोशी वाली जगह पर पहुंचते है।जहां एक अलग ही सुकून होता है।ठंडी ठंडी हवाएं मन को ताजगी से भर रही होती है दूर कहीं से पानी के आने जाने की आवाज़ आ रही होती है।तथा बीच बीच में लोगों की बातें करने की आवाज़ भी आ रही होती है।

राघव - जानती हो निया! यहां से कुछ दूर ही सागर है।जहां इस समय कुछ एक लोग बैठे हुए है वो देख रही हो जो जगह जगह रोशनी दिखाई दे रही है वो उन लोगो की है जो समुद्र के किनारे किनारे कैंडल लाइट डिनर का आनंद ले रहे है।या फिर किसी अपने के साथ यहां की रफ्तार भरी जिंदगी से कुछ सुकून के पल चुराने आए है।

मै राघव की बताई हुई दिशा की ओर देखने लगती हूं जहां मुझे कुछ एक जगह रोशनी दिखाई देती है।मै राघव से कहना चाहती थी वहां चलने के लिए लेकिन कह नहीं पाती। आगे कुछ ही दूरी पर एक बेंच पड़ी होती है हम दोनों वहां जाकर कुछ देर के लिए बैठ जाते है।

सामने ही पानी पुरी की ठेल होती है जिसे देख राघव कहता है चलो यहां की पानीपुरी का टेस्ट लेते है।राघव और मै जाकर पानी पुरी का लुत्फ उठाते है।राघव एक नहीं दो नहीं पूरी दस पानीपुरी गटक जाता है जिसे देख मै हंसते हुए कहती हूं मुझे नहीं मालूम था कि लडको को भी पानीपुरी इतनी पसंद होती है।

राघव - क्यूं नहीं हो सकती! पानी पूरी पर क्या सिर्फ तुम लड़कियों का कॉपीराइट है जो लड़के नहीं खा सकते।

राघव की बात सुन कर मै हंसते हुए कहती हूं क्या कहा कॉपीराइट!! सच कहूं तो मुझे अब तक ऐसा ही लगता था।क्यूंकि लड़कों को मैंने ये सब खाते हुए नहीं देखा न।और तुम तो इतने ....

को बात नहीं आज पता चल गया न।तो फिर अब शॉक्ड मत होना।ठीक है।
.... हां पता चल गया।और अब नहीं शॉक्ड होऊंगी।
कुछ देर और हम दोनों वहां की ठंडी हवाओं का लुत्फ लेते है और फिर वहां से वापस अपने मिनी घर आ जाते है।

अगले दिन से प्रतियोगिता शुरू हो जाती है।हम सब को मिलाकर कुल ३० कैंडिडेट होते है।जो अलग अलग जगहों से चुन कर आए होते है।प्रतियोगिता इन्हीं तीस प्रतियोगियों के बीच होनी है।

निर्णायक टीम एंकर सभी मौजूद होते है।जो इस प्रतियोगिता के विषय में एक बार फिर से बताते है।

एंकर - कंटेस्टेंट ! आप सभी प्रतियोगी जी भी इस प्रतियोगिता मै भाग लेने के लिए यहां आए हुए है वो सभी बेहद प्रतिभाशाली है।क्यूंकि सैकड़ों की भीड़ में से चुन कर आप सभी यहां तक पहुंचे हैं। ये जो प्रतियोगिता है वो तीन चरणों में आयोजित की जाएगी सबसे पहला चरण यानी फर्स्ट स्टेज जिसमें डांस की अलग अलग फॉर्म्स को अलग अलग तरीके से हमारे चुने हुए गाने पर परफॉर्म करने को दिया जाएगा।इस चरण में जो प्रतियोगी सबसे अच्छा प्रदर्शन करेगा और जिसके मार्क्स सबसे ज्यादा होंगे वो स्वतः सुरक्षित हो जाएगा।बाकी जिसके सबसे कम मार्क्स होंगे उनमें से कुल पांच प्रतियोगी बाहर हो जाएंगे।

दूसरा चरण यानी सेकेंड स्टेज इस स्टेज में हम किसी भी तरह आपको परफॉर्म करने के लिए कह सकते हैं यानी सोलो,ग्रुप, आंखे बंद कर या किसी चीज की सहायता से हवा में परफॉर्म करना,यानी हर तरह से खुद को प्रिपेयर रखना होगा।क्यूंकि ये प्रतियोगिता कंट्री लेवल पर हो रही है। यानी जो जीतेगा वो बनेगा इंडियाज डांसिंग किंग/क्वीन।सभी प्रतियोगियों को एक समान ही टास्क दिया जाएगा फर्क इतना होगा किसी को पहले और किसी को बाद में वो टास्क मिलेगा।

अब बात करते है तीसरा चरण यानी थर्ड स्टेज के बारे में, इस स्टेज में करीब करीब दस प्रतियोगी बचेंगे जिन्हें ऑन टाइम टास्क दिया जाएगा।यानी पहले से इसकी कोई सूचना नहीं दी जाएगी।कुल तीन लोग विनर रहेंगे।जिन्हें रैंकिंग के हिसाब से घोषित कर पुरस्कार दिया जाएगा।

आशा है कि ये प्रतियोगिता किस तरह होगी अब ये बात समझ आ गई होगी।तो कंटेस्टेंट बी रेडी आप सभी को सोंग्स चुन कर दे दिया जाएगा। कल आप सभी को उन गानों पर परफॉर्म करना है।

कुछ ही देर में हम सभी के सामने एक खूबसूरत सा कार्ड आता है जिसमें हम सब के लिए चुने गए गानों का वर्णन किया गया होता है।हम सभी गीतों के कार्डो को लेकर अपने अपने टेंट हाउस चले जाते है।और वहां हम सभी जम कर अभ्यास करते हैं।

कुछ देर बाद मै राघव के पास जाती हूं। और उससे कुछ देर चर्चा करती हूं।

राघव हमारी सारी परफॉर्मेंस सोलो ही है।एक स्लो मोशन सोंग है तो एक सैड सोंग।हम सोच रहें हैं स्लो मोशन सोंग पर ज्यादा प्रेक्टिस कर लें।क्यूंकि इस पर हमारी अच्छी पकड़ है।... हां निया जो चीज हमें अच्छे से आती है कम समय में उसी पर अभ्यास कर और मजबूत करो ये सही स्ट्रेटजी होगी।और हां अपने कुछ स्टेप्स बचा कर रखना।मेरा कहने का मतलब है कि कुछ ऐसे स्टेप्स सम्हाल कर रखना जो जरूरत पड़ने पर तुम्हारे काम आ सके।

ओह हो राघव ये डांस प्रतियोगिता है यहां स्टेप्स तो यूं बनते बिगड़ते रहते हैं।.... हां भोली सी लड़की निया बनते बिगड़ते भी है और कॉपी भी तुरंत हो जाते हैं।या फिर सेम भी हो सकते हैं कुछ एक मिलते जुलते।

पता नहीं तुम्हारी बाते अभी तो हमारे सर के ऊपर से निकल रही हैं।फिर भी हम कोशिश करेंगे इन्हे समझने की।अभी हम जाते हैं अपने टेंट हाउस में।ज्यादा देर बाहर रहना भी सही नहीं है।

अगले दिन सुबह नौ बजे तक सभी रिपोर्ट करते हैं। जजेज के निर्देश पर प्रतियोगिता शुरू कर दी जाती है।

मेरा नम्बर पंद्रह प्रतियोगियों के बाद का होता है और राघव का दसवें नम्बर पर।

एक एक कर प्रतियोगी आते हैं और अपनी परफॉर्मेंस पूर्ण कर चले जाते हैं।धीरे धीरे राघव का नम्बर आ जाता है।और एंकर के बुलाने पर वो स्टेज पर पहुंच जाता है।गाना शुरू कर दिया जाता है।जो कि एक पार्टी सोंग होता है...।राघव परफॉर्म करना शुरू कर देता है और उसकी परफॉर्मेंस काफी अच्छी जाती है।
दूसरा सोंग जो उसे दिया गया होता है वो एक रीमिक्स होता है जिसे दो गानों को एड कर बनाया गया है।लेकिन राघव को देख कर ऐसा बिल्कुल नहीं लग रहा होता कि ये उसके लिए ज्यादा कठिन हो रहा हो।क्यूंकि अभ्यास उसने बहुत अच्छे से किया था इस सोंग पर।

जब उसकी परफॉर्मेंस ख़तम होती है तो ऑडियंस के साथ साथ जजेस की तालियां उसकी परफॉर्मेंस की सफलता को दर्शाती है।

राघव सभी को धन्यवाद कह वहां से मेरे पास आ जाता है।कुछ एक प्रतियोगी के बाद रोमा का नम्बर का होता है।वो भी स्टेज पर आती है और अपनी परफॉर्मेंस शुरू करती है।उसे शास्त्रीय नृत्य करने के लिए सोंग दिया गया है।आठो नृत्य विधाओं में जो भी उसे सूटेबल हो उस पर परफॉर्म करना होगा इस बात की छूट उसे दी गई होती है। रोमा कत्थक चुनती है और दिए गए गाने पर कत्थक कर कर जजेस का हृदय जीत लेती हैं।

वहीं दूसरा सोंग जो है वो एक सोलो ही होता है।ये परफॉर्मेंस उसकी ठीक ठाक होती है।वो जजेस को प्रणाम कर वहां से वापस आ जाती है।

धीरे धीरे एक एक कर प्रतियोगियों का नम्बर आता जा रहा था और मेरे हृदय की धड़कन बढ़ती ही जा रही थी।हो भी क्यों न एक तो इतने सारे लोग उस पर ये सभी रिकॉर्ड हो रहा था जो कुछ समय बाद टेलीविजन पर प्रसारित किया जाना था।जिससे इस प्रतियोगिता की पारदर्शिता को दर्शाया जा सके।

खैर अमृता जी कुछ देर बाद मेरा नाम भी स्टेज पर परफॉर्म करने के लिए अनाउंस कर दिया जाता है।मै मन ही मन माता रानी को याद कर स्टेज पर पहुंच जाती हूं।मुझे दिया हुआ सोंग प्ले कर दिया जाता है जो एक सेड सोंग होता है..

गाने के बोल कुछ यूं होते है...

हो...पहले कभी न तूने मुझे गम दिया
फिर मुझे क्यों तन्हा कर दिया
गुजारे थे जो लम्हे प्यार के
हमेशा तुझे अपना मान के
तो फिर तूने बदली क्यूं अदा
ये क्यों किया....

गाने के बोल उस समय मेरे हृदय को छू गए थे।दिल के किसी कोने में छुपा हुआ दर्द इस गाने के जरिए बाहर आने लगा न चाहते हुए भी अमर की यादों में मै खोती गई और इस गाने में खुद को कहीं भूल सी गई थी...

कभी जो बादल बरसे..
मै देखूं तुझे आंखे भरके
तू लगे मुझे पहली बारिश की दुआ...
तेरे पहलू में रह लू
मै खुद को पागल कह लूं
तू गम दे या खुशियां सह लूं
साथिया.....

गाना ख़तम होता है और अंतिम गाने के बोल के साथ मै अपने चेहरे पर हाथ रख बैठ जाती हूं..