Aapki Aaradhana - 20 in Hindi Moral Stories by Pushpendra Kumar Patel books and stories PDF | आपकी आराधना - 20

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आपकी आराधना - 20

कमला की सिसकियाँ सुनकर भी आराधना मौन ही रही पर अनगिनत सवाल उसके मन मे हिलोरें मार रहे थे।

" आंटी पर ये सब हुआ कैसे? अंकल और मनीष जी की डेथ कैसे? आप ऐसा क्यों कह रही कि मनीष जी ने आराधना को धोखा नही दिया? "
आराधना को मौन देखकर अमित ही कमला से पूछ बैठा।

कमला ने अपने आँसू पोछते हुए कहा- " शीतल और मेरा आराधना से मिलने गरियाबंद जाना सब एक बना बनाया प्लान था, वैसे तो मै पहले से ही नही चाहती थी कि आराधना हमारे घर की बहू बने लेकिन मेरी जिद को और ज्यादा समर्थन मिला जब शीतल अपने क्लासमेट विराट से प्यार करने लगी थी। विराट के पापा का अच्छा खासा बिजनेस था वे ऊँचे खानदान और बड़े रुतबे वाले थे।
विराट के घर वालों ने शर्त रखी कि वे शीतल और विराट की शादी तभी करेंगे जब उनकी बेटी नीलम हमारे घर की बहू बने। नीलम ठीक मेरे पसंद के मुताबिक लड़की थी इसलिए आराधना को रास्ते से हटाने के लिए ही मैने आराधना के बच्चे को खत्म करना चाहा "

अपने खोये हुए बच्चे की याद मे आराधना के जख्म और गहरे हो गये और उसने कमला पर बरसते हुए कहा- " कितनी निर्दयी थी आप आंटी, उस बच्चे की जान ले ली जो इस दुनिया मे आया भी न था। अगर आप मुझसे कह देती मनीष जी को छोड़ दो तो मै अपने आँसू पीकर उनसे दूर चली जाती, बहुत दूर... फिर आप अपनी मनमानी कर लेती "

अपनी आँखे नीची करके और आराधना के हाथों को स्पर्श करते हुए कमला ने कहा - " मुझे माफ कर दो आराधना, पर मेरे लिये ये इतना आसान नही था, मनीष तुमसे बेइंतहा मोहब्बत करता था वो तुम्हे कैसे छोड़ देता?
वो तो बस इसी उम्मीद के साथ घर आया था कि अब सब कुछ ठीक हो जायेगा, लेकिन मैने उसके सामने ऐसी शर्त रखी कि वो और कर ही क्या सकता था? शीतल और मैने उसे साफ - साफ कह दिया था अगर वो नीलम से शादी नही करेगा तो हमे खो ही देगा। तुम्हारे अंकल बार-बार मुझे कहते रहे एक बार आराधना को घर बुला लो। मै तो अपनी जिद मे अड़ी थी और आखिर मै जैसा चाहती थी वैसा ही हुआ मनीष ने दबाव मे आकर नीलम से सगाई तो कर ली लेकिन उसका दिल तो सिर्फ तुम्हारे लिये ही धड़कता था। समझ लो उसी दिन से ही बर्बादियों ने हमारे दरवाजे पर दस्तक दी हो।
तुम्हारी यादों मे तड़पते हुए मनीष को नशे ने अपनी गिरफ्त मे ले लिया शराब और सिगरेट की लत ने उसे अंदर से खोखला ही कर दिया। अब वह शॉप पर भी नही जाता था, न ही किसी से बात करना, दिनभर गुमसुम सा रहना और तो और बात-बात पर चिढ़ जाता था। तुम्हारे अंकल ही शॉप का सारा काम सँभालने लगे क्योंकि मनीष तो हमारे साथ रहकर भी हमारा नही रहा। इन सब से तंग आकर विराट के परिवार वालों ने खुद शादी से इंकार कर दिया। शीतल को तो बस अपना स्वार्थ नजर आया और उसने गुपचुप तरीके से विराट से शादी कर ली और वहीं की होकर रह गयी। उनका पूरा परिवार कनाडा मे ही शिफ्ट हो गया। जिस बेटी का साथ मैने हमेशा दिया वह तो मुझे एक झटके मे ही छोड़ कर चली गयी और फिर आयी वो मनहूस रात जब तुम्हारे....."

ऐसा कहते हुए कमला के होंठ कंपकपाने लगे और वह अचानक शांत पड़ गयी।

" फिर क्या हुआ आंटी?
बताइये न क्या हुआ? क्या हुआ उस रात? आप खामोश क्यों हो गयी "
आराधना ने कमला के कंधे पर हाथ रखते हुए उसे सँभाला।

आराधना का स्पर्श पाकर एक पल के लिये कमला को लगा जैसे किसी बंजर जमीन पर ओस की एक बूँद आ गिरी हो, ये जमीन शायद फिर से हरी- भरी हो जाये और फिर उसने कहा - " वो दीवाली की रात हम घर मे पूजा के लिये मनीष का इंतजार करते रहे और वह रात के 11 बजे आया भी तो शराब पीकर। मैने उसे बस उसे इतना कहा कि आज के दिन उसे पीकर नही आना चाहिए था। वह भड़क उठा शायद उसे पिछली दीवाली की यादों ने जकड़ रखा था जो उसने तुम्हारे साथ गुजारे थे। वह मुझ पर चिल्लाने लगा और बातों-बातों मे उसने मुझे कुछ अपशब्द भी कह डाले। मैने उसकी किसी भी बातों का बुरा नही माना क्योंकि मै जानती थी वह अभी होंश मे नही है और कहीं न कहीं उसकी इस हालत के लिये मै ही तो जिम्मेदार थी।
मुझे अपशब्द कहता देख तुम्हारे अंकल का पारा चढ़ गया और उन्होंने उसे एक जोर का तमाशा जड़ दिया वो तो बौखला गया और उसने तो...
उसने .... तुम्हारे अंकल को जोर से धक्का मारा और उनका सिर.....
उनका सिर दीवार से जा टकराया और फिर पल भर मे ही उनकी साँसे थम गयी। फिर मै कहीं की नही रही आराधना मेरे बेटे ने ही मेरा सुहाग छीन लिया "
ऐसा कहते हुए कमला का गला भर आया और उसकी आँखों से धार बहने लगी।

ये सुनकर आराधना के हाथ-पाँव ठंडे पड़ गये और अमित भी चौकते हुए बोला- "अग्रवाल अंकल की इतनी दर्दनाक मौत, मैने सपने मे भी नही सोचा था "

कुछ पल के लिये आराधना के सामने वही नजारा था जब अंकल ने उसे कहा था- " अंकल नही बेटी, मुझे पापा कहो "
वो शख्स जिनकी वजह से ही वो और मनीष करीब आ पाये थे और जिन्होंने हमेशा उसे अपनी बेटी की तरह ही माना। उनका ये हाल ये सोंचकर ही आराधना सिहर गयी। अमित ने उसे गले से लगाया और हिम्मत देता रहा।

पास मे ही बैठी सुनीता ने भी कमला के आँसू पोछे।
उसकी आँखों को देखकर ही उसके दर्द का अंदाजा लगाया जा सकता था फिर उसने आराधना की ओर देखते हुए कहा- " जुर्म तो जुर्म होता है न आराधना, चाहे नशे मे किया हो या होश मे, अपनों ने किया हो या गैरों ने। मनीष को भी कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई और तो और इतना कुछ हो जाने के बाद भी शीतल नही आयी। शुरुआती दिनों मे मैने शॉप पर बैठना चालू किया अब लोग भी वहाँ आने से कतराने लगे, धीरे-धीरे सभी वर्कर्स ने काम छोड़ दिया और इस तरह श्रीराम वस्त्रालय बंद होने के कगार पर आ गया। मेरी इस हालत को देखकर भी कोई मदद करने नही आया शायद इसमे कसूर मेरा ही था क्योंकि पैसों और रुतबों के घमण्ड के कारण मैने सब पर तंज कसे थे।
जैसे-जैसे मेरे दिन गुजर रहे थे और फिर एक दिन खबर मिली कि मनीष ने जेल मे ही सुसाइड कर लिया है। अपने पति और बेटे को खोने के बाद मेरी जिन्दगी मे तूफान सा आ गया। सारे गली मुहल्ले वाले और यहाँ तक मेरे मायके वाले भी मुझे ताने मारते रहे। हर कोई मुझे यही कहता काश तूने अपने बेटे की बात मानी होती तो ये सब न होता, क्या हो जाता अगर तू उस अनाथ लड़की को अपनी बहू बना लेती , अरे !कुलक्षिणी तू तो अपना पूरा परिवार खा गयी। जा अपने पापों का प्रायश्चित कर, शायद वो लड़की तुझे माफ कर दे जिसके साथ तूने इतना बुरा बर्ताव किया।
पूरे भिलाई शहर मे मुझे कोई काम न मिला सब एक ही बात बोलकर मुझे दुत्कार देते अरे! तुम तो श्रीराम वस्त्रालय वाली हो अपना परिवार तो बर्बाद कर लिया, अब हमे बख्श दो।
मै दिन रात बस यही सोचती इससे अच्छा होता कि मै मर जाती, लेकिन तुमसे माफी माँगे बिना मेरे पापों का प्रायश्चित कैसे होता? अनाथालय जाकर पता चला कि तुम्हे अमित ने अपना नाम दिया है और तुम अब कोरबा मे शिफ्ट हो गयी हो। अब तुमसे माफी माँगना ही मेरी जिन्दगी का मकसद बन गया था बस इसी उम्मीद के साथ मै यहाँ आ पहुँची और सुनीता बेटी के यहाँ काम पर लग गयी।
मैने अभी तक जो भी तुम्हारे साथ किया उसके लिये भगवान भी मुझे माफ नही करेंगे, मैने तो अपने बसे बसाये संसार मे आग लगा दी। एक छोटी सी विनती है
आराधना बेटी, एक बार मेरी तरफ देखो और कह दो की तुमने मुझे माफ कर दिया। शायद इसीलिए तो अभी तक मुझे मौत भी नही आयी,
प्लीज आराधना बेटी...
प्लीज बेटी.... "

कमला ने एक बार फिर आराधना के पैर पकड़ लिये और रो -रो कर माफी माँगती रही।
आराधना तो पत्थर की तरह कठोर हो चुकी थी, उसका मन अंकल और मनीष की यादों मे ही खो गया। वह कुछ बोलने की स्थिति मे नही थी फिर भी उसने कमला को उठाकर सोफे पर बैठाया जरूर, लेकिन उनकी माफी पर उसने कोई प्रतिक्रिया नही दी शायद उसकी दर्द भरी दास्तान सुनकर उसके होंठ सिले ही रह गये।

क्रमशः.............

🌹 पाठकों से एक सवाल ☺️
मित्रों आप बताइये क्या आराधना को सारी बातें भुलाकर कमला आंटी को माफ कर देना चाहिए?

इस पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें और अगला भाग इसका अंतिम भाग होगा तो ऐसे ही अपना प्यार बनाये रखिये।
धन्यवाद👏