Mukambal Mohabat - 19 in Hindi Fiction Stories by Abha Yadav books and stories PDF | मुकम्मल मोहब्बत - 19

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मुकम्मल मोहब्बत - 19


मुकम्मल मोहब्बत -19


"बादल की हाईट अच्छी, सुपर बॉडी, न बहुत गोरा,न बहुत काला.पढ़ाई मेंं टॉपर, खेल मेंं टॉपर, हमेशा कालेज को कोई न कोई शील्ड दिलाता है.
लेकिन, बहुत संजीदा. आजकल के लड़कों जैसी कोई बात ही नहीं. शरारतें नहीं करता.जायदा दोस्ती नहीं करता.लेकिन, सबका अपना. किसी को कोई प्रॉब्लम हो बिना कहे सॉल्व कर देता है. जाने कैसे उसे दूसरों की प्रॉब्लम बिना बताए पता लग जाती हैं. कभार लगता है-वह साइकालॉजिस्ट है. कभी लगता है-वह ऐंजल है."मधुलिका इस तरह बोल रही थी, जैसे बादल उसके सामने खड़ा हो और वह उसका रेखाचित्र खींच रही हो.


"कुछ लोग वास्तव में बहुत अच्छे होते हैं. बिल्कुल तुम्हारे और बादल जैसे."मैने मधुलिका का चेहरा देखते हुए कहा.


"बादल अच्छा है ही.क्या मैं भी अच्छी हूँ."

"तुमने कभी बादल से नहीं पूँछा-तुम कैसी हो?"

"पूँछा नहीं. लेकिन, वह कहता है -तुम्हारा दिल बहुत अच्छा है."


"ठीक ही कहता है."


"तुम्हारी दोस्त ऐनी भी बहुत अच्छी है न!"

"हां."मैंने स्वीकृति में सिर हिलाया.


"यार,स्वीट ,तुमने उसे प्रपोज कैसे किया?"कहते हुए मधुलिका अपना चेहरा मेरे बहुत पास ले आयी.


मुश्किल से मैंने अपनी हँसी रोकी-"प्रपोज नहीं किया. बस प्यार करता हूँ. वह भी बहुत जायदा."


"अरे,बुध्दू !मेरी तरह मात खा जाओगे. जाकर प्रपोज कर देना."कहकर मधुलिका सीधी बैठ गई.

"बादल ने तुम्हें प्रपोज किया?"

"नहीं, वैसे उसकी सर्चलाइट जैसी आँखें मेरे चेहरे पर कुछ ढूँढती रहती हैं."


"इसका मतलब वह तुम्हें प्यार करता है, लेकिन कह नहीं पा रहा है. तुम ही उसे प्रपोज कर देती."


"कैसे करती! उसकी आँखें मेरे चेहरे से चिपकी रहती हैं. शर्म से होठों से कुछ निकलता ही नहीं."मधुलिका के गुलाबी गाल शर्म से लाल हो गये. उसने अपनी पलकें झुका लीं.


"लव लेटर लिख कर दे देतीं. आई लव यू का कोई ग्रीटिंग दे देतीं या आई लव यू लिखा कोई गिफ्ट दे देंती."मैंने कई रास्ते सुझाये.


"यह सब मैंने भी सोचा था.लेकिन, कोई देख लेता तो दोनों की इज्ज़त का आमलेट बन जाता. घर मेंं पता लगता तो आफत आ जाती. कालेज में पता लग जाता तो मेरी बदनामी तो होती ही,साथ ही बादल की रेप्युटेशन की मट्टी पलीद हो जाती. सारे टीचर्स उसे बहुत प्यार करते हैं. कालेज में उसकी बहुत इज्ज़त है.
डियर, जिसे प्यार करो उसकी इज्ज़त की परवाह तो करनी पड़ती है."बिना रूके मधुलिका कहती चली गई.


"अपने प्यार को खोया भी तो नहीं जा सकता. किसी न किसी को तो इजहार करना ही पड़ता है. बादल ब्वॉय है,उसे ही प्रपोज करना चाहिए."



"शायद, वह सोचता है कि शिल्पकार लड़का गौड़ ब्राह्मण लड़की को कैसे प्रपोज करे?",


'"प्यार जाति -बिरादरी देखकर थोड़े न किया जाता है .वह अपने आप ही किसी से हो जाता है.जैसे तुम्हें बादल से हो गया है और मुझे ऐनी से.मेरी उसकी कास्ट भी अलग है.ऐनी क्रिश्चियन और मैं शर्मा ब्राह्मण."मैंने दलील दी.


"हां,यह तो है.मुझे भी बादल से प्यार हो गया है. मैं उसे बता नहीं पायी. वह मेरे होठों से आई लव यू सुनने का इंतजार ही करता रहा."


"तुम्हारे काम को मैं आसान कर देता हूँ."मैंने टाईपिंग रोकते हुए कहा.


"कैसे?"उसने उत्सुकता से पूँछा.

"तुम्हारी स्टोरी का हीरो बादल है.तुम बादल को मेरेपास यह कहकरमेरे पास ले आओ कि वह अपने कुछ डायलॉग मुझे लिखवाये.जब बादल यहां आयेगा तब मै उसे बता दूँगा कि मधुलिका तुम्हें बहुत प्यार करती है. उसे प्रपोज कर दो."

"लेकिन, मैं उसे कैसे लेकर आऊं?"मधुलिका ने चिंता व्यक्त की.

"बादल का घर तो देखा होगा?"

"हां,एक दो बार गई थी."

"जब कल यहां आओ तो उसे अपने साथ लेती आना .मैं बात कर लूँगा."

"अब,मैं उसके घर नहीं जा सकती."

"क्यूँ?"

"बादल के गेट पर हनुमानजी की बहुत बड़ा स्टेच्यू लगा है .उनके हाथ में बड़ी सी गदा है. वह मुझे घर के अंदर नहीं घुसने देगें."कहते हुए मधुलिका उदास हो गई.


"अरे,बुध्दू !मूर्ति से निकल कर हनुमानजी नहीं मारते. लोग पूजा पाठ के लिए मूर्ति लगा लेते हैं."मैंने मधुलिका को समझाया.


"एक दिन मैं उसके घर गई थी. लेकिन बादल के पास नहीं जा सकी.हनुमानजी की मूर्ति से जो लाईट निकल रही थी. उससे मेरा बदन जलने लगा.

बच्चे हनुमानजी और काली देवी की मूर्ति से डरते ही हैं. बचपन मेंं मुझे भी इन दोनों की मूर्ति से डर लगता था.मधुलिका को डर से झुरझुरी हुई होगी ,उसी को बदन जलना कह रही है.


मैंने सिर उठाकर मधुलिका की ओर देखा .वह गम्भीर थी.उसकी आँखें नम थी.


क्रमशः