अनुभव
किसी भी संस्थान में नौकरी करते हुए गोपनीयता रखते हुए संस्थान की महत्वपूर्ण जानकारियाँ कभी भी किसी को नही बताना चाहिए। यदि हमारे काम करने की पद्धति की आलोचना होती हो तो उससे बचने की कोई कोशिश मत कीजिए और मन में चिंतन करे कि आपका निर्णय सही है या नही। यदि आपकी आत्मा उसे सही मानती हो तो आप आलोचनाओं की परवाह मत कीजिए और अपने गंतव्य पथ पर निर्भय होकर आगे बढे। एक कहावत है कि गलती उसे से होती है जो काम करता है। आपके काम करने का तरीका ऐसा होना चाहिए कि वह दूसरों से अलग प्रतीत हो तभी आपके सहकर्मी आपसे प्रभावित होंगे। अपनी कार्यपद्धति में नयापन लाने का सदैव प्रयास कीजिए ताकि आपके उच्चाधिकारी आपकी मेहनत,लगन और कार्यशैली से प्रभावित होकर आपको श्रेष्ठ व्यक्तित्व की श्रेणी में रखे।
हमे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम प्रतिदिन किन लोगों के साथ बैठकर उनकी बातों में सहभागी बन रहे है। हमें हमेशा खुशमिजाज और बुद्धिमान लोगो के साथ समय बिताने का प्रयास करना चाहिए जिससे हम अच्छी बातें सीख सके। हम ध्यान रखे कि नकारात्मक लोगो के साथ समय व्यतीत करने से सकारात्मक उर्जा नष्ट होती है जिससे आपकी कार्यक्षमता पर सीधा असर पडता हैं और आपका भविष्य प्रभावित होता है।
जीवन में अनुभव और ज्ञान हमारी प्रगति के आधार स्तंभ होते हैं। बद्किस्मत लोग बद्किस्मती को ही अपनी तरफ आकर्षित करते है इसलिए हमेशा भाग्यवान, संतुष्ट एवं सुखी लोगों के साथ अपने संबंध बनाए रखना चाहिए। इस बात का ध्यान रखे कि भाग्य कभी दुर्भाग्यशाली नही होता। हम अपनी गलतियों से परिस्थितियों का मुकाबला नही कर पाते और दूसरों पर दोष मढ़ देते है। आपके पास समय सीमित है पर यह निर्णय आपको लेना है कि इसका सदुपयोग कब, कहाँ और कैसे करना है इसलिये अपनी विचाराधारा सकारात्मक रखें। हमें जिन बातों का ज्ञान ना हो उसमें जबरदस्ती बहस में नही उलझना चाहिए। अनुभव और ज्ञान एक दूसरे के पूरक होते है और इनका समन्वय सफलता प्रदान करता है। इस संबंध में एक उदाहरण बता रहा हूँ जो कि स्वप्रेरित है।
एक वृहद् उद्योग में मैनेजिंग डायेरक्टर निजी कारणें से नौकरी छोडकर चला गया अब मैनेजमेंट ने कारखाने के प्रबंधन हेतु एक नया प्रयोग किया और हर विभाग के मुख्य अधिकारियों में पांच लोगों का चयन करके एक समिति बना दी जो प्रतिदिन के क्रिया कलाप के लिए अपना उत्तरदायित्व समझकर पूर्णतया मेहनत और लगन से कार्यरत होकर सामूहिक रूप से कार्यभार संभालने लगी। इससे कंपनी को पहले की अपेक्षा अधिक मुनाफा आने लगा।
यदि हमारे सम्मुख कोई कठिन कार्य आ जाये जिसका हमें ज्ञान न हो तब भी हमें घबराकर निराश नही होना चाहिए इसे चुनौती समझकर अपनी पूरी आंतरिक ऊर्जा का प्रयोग करके उसे पूर्ण करने के लिए समर्पित रहना चाहिए। जिस विषय का हमें ज्ञान न हो उसके विषय में बहस नही करना चाहिए। इस संबंध में एक उदाहरण प्रस्तुत है।
कुछ वर्ष पूर्व एक सुप्रसिद्ध आर्किटेक्ट व इंजीनियर सुरेंद्र श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में एक कंपनी के मुख्यालय की इमारत का निर्माण हो रहा था। एक दिन उस निर्माणाधीन इमारत को देखने हेतु कंपनी के मैनेजिंग डायेरक्टर एवं जनरल मैनेजर पहुँचे और उन्होने निर्माण की प्रशंसा करते हुए अपना सुझाव दिया कि भूकंप के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से इमारत को अधिक मजबूती प्रदान करने हेतु समुचित प्रावधान कर दें ताकि किसी प्रकार की कोई समस्या भविष्य में निर्मित ना हो। यह सुनकर आर्किटेक्ट ने अपनी सहमति व्यक्त करते हुये उचित निर्देश देकर उन सभी निरीक्षणकर्ताओं को प्रसन्न कर दिया। उन सभी के जाने के उपरांत आर्किटेक्ट ने अपने निर्देश वापस लेकर पूर्व निर्धारित योजना अनुसार ही कार्य करने लगे।
आर्किटेक्ट को विश्वास था कि भूकंप आने पर भी इमारत को कोई नुकसान नही पहुँचेगा उनसे जब कुछ लोगों ने पूछा कि आपने यह बात उन निरीक्षणकर्ताओं को क्यों नही बता दी ? वे विनम्रतापूर्वक बोले कि लोग अपने को ज्ञानवान बताने के लिये किसी भी विषय पर किसी भी समय मुफ्त में अपने विचार व्यक्त करते हुये सुझाव दे देते हैं मेरा सिद्धांत है कि जिसे ज्ञान ना हो और वह उस विषय पर सुझाव दे रहा हो तो उससे बहस करना व्यर्थ में अपना समय गँवाना है। उन निरीक्षणकर्ताओं में कोई भी आर्किटेक्ट नही था और उनको समझाने का प्रयास करना व्यर्थ था। यदि मैं उनके सुझाव के अनुसार कार्य करता तो लाखों रूपये का खर्च बढकर धन का व्यर्थ ही अपव्यय होता इसलिये ऐसे अवसर पर उनकी हाँ में हाँ मिलाकर मैंने अपना पल्ला झाड़ लिया।
उस इमारत का निर्माण पूर्ण होने के उपरांत अचानक ही एक दिन भूकंप आ जाता है, अधिकारीगण जिन्होंने इमारत का निरीक्षण किया था और अपने सुझावों से आर्किटेक्ट को अवगत कराया था वे अपनी दूरदर्शिता के लिये मन ही मन प्रसन्न हो रहे थे कि उन्होने इमारत को मजबूती प्रदान कर विपरीत परिस्थितियों में ध्वस्त होने से बचा लिया। आर्किटेक्ट महोदय भी तुरंत वहाँ पहुँचे और यह जानकर कि भूकंप के कारण इमारत को कोई नुकसान नही हुआ है, उनका आत्मविश्वास और भी अधिक बढ़ गया। उसी समय उन निरीक्षणकर्ताओं को वास्तविकता का पता होता है कि उनके सुझावों पर अमल ना करते हुये आर्किटेक्ट ने अपनी पूर्वयोजना अनुसार ही कार्य किया है तो वे झेंपते हुये आर्किटेक्ट के अनुभव और निर्माण की रूपरेखा की प्रशंसा करते हुये चले जाते हैं।
नौकरी शब्द की व्याख्या बहुआयामी है। कोई भी स्नातक विद्यार्थी शिक्षा पूरी होने के उपरांत चपरासी या क्लर्क की नौकरी नही चाहता उसकी अपेक्षा कम से कम अधिकारी स्तर के पद की होती है। हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे। आजकल लोगों का स्वभाव हो गया है कि वे किसी भी नौकरी को प्राप्त करने हेतु किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति से सिफारिश करवाते है। यह आपके व्यक्तित्व को कमजोर बनाता है और आपके आत्मविश्वास को कम कर देता है एवं इसका विपरीत प्रभाव भी पड सकता है।
हमे अच्छे संस्थान में नौकरी पाने के लिए वाकपटु होना चाहिए। आज के समय में सीधे, सरल स्वभाव का व्यक्ति भटकता ही रहता है और अपने आत्मविश्वास को कम कर लेता है। मेरे मित्र के कारखाने में एक उच्च पद पर नियुक्ति हेतु मालिक के निजी सचिव के पुत्र ने अपने स्वतः के ज्ञान और अनुभव के आधार पर आवेदन किया। उस पद की प्राप्ति हेतु उसके पिताजी ने अपने मालिक से अपने पुत्र के लिए किसी अनुशंसा की चर्चा नही की। उनके पुत्र को उसके ज्ञान और अनुभव के आधार पर वह पद प्राप्त हो गया। उसकी नियुक्ति के बाद जब मालिक को यह पता हुआ तो उन्होंने अपने निजी सचिव से पूछा कि तुमने पहले क्यों नही बताया ? सचिव ने कहा कि मैं चाहता था कि इसे स्वयं पर विश्वास हो एवं अपने ज्ञान के आधार पर स्वयं संघर्ष करके जीवन में आगे बढे। अगर मैं आपसे इसकी अनुषंसा करता तो षायद नौकरी तो इसे मिल जाती परंतु जीवन में संघर्ष करने की क्षमता पर आघात होता।