Computer class in Hindi Short Stories by Shubham Rawat books and stories PDF | कंप्यूटर क्लास

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कंप्यूटर क्लास

सूरज कंप्यूटर क्लास जाने लगा था। आज उसका पहला दिन था। वह क्लास में गया, सर ने उसे पहले दिन टाईपिंग करना सिखाया। और वह टाईपिंग करने लगा। सर ने उससे पूछा, "बेटा! हो रहा है ना, धीरे-धीरे स्पीड बड़ाना।"
"जी सर!" सूरज ने जवाब देते हुएे कहा।
आज क्लास का दूसरा दिन है। सूरज से सर ने कहा, "थोडी देर टाईपिंग करो, फिर कुछ नया बताऊंगा।"
"ठीक है सर।"
सर ने उसे म.स अॉफिस में टेबल बनाना सिखाया। और फिर वह खुद से टेबल बनाने में लग गया। वह बनाते-बनाते भूल गया कि अब आगे को क्या करना है। इसलिए उसने सर को आवाज़ देते हुए कहा जो क्लास से बाहर गये हुऐ थे, "सर, मैं भूल गया आगे को कैसे करना था। एक बार और बता दो।"
"रेखा, जरा सूरज को बता दो, जो पूछ रहा है वह।" सर ने बाहर से आवाज देते हूऐ दूसरे बच्चे से कहा जो वहा कंप्यूटर सिखने आती है। "मैं थौड़ी देर में आता हूँ क्लास में।"
"जी सर, बताती हूं।" रेखा ने सर से कहा।
सूरज ने पहली बार क्लास के दूसरे बच्चो पर गौर किया था। वह क्लास पढ़ने आता, क्लास पढ़ कर चला जाता। और ना ही वह किसी पर ध्यान देता था और ना ही किसी के साथ उसकी क्लास में दोस्ती थी। पर जब उसने रेखा को देखा उसकी धड़कने बड़ गयी थी।
"देखो पहले ऐसे करना है फिर ऐसे करना है। आ गया ना समझ में?" रेखा ने सूरज से पूछा।
"हां, थोड़ा बहुत आ गया है समझ में!" सूरज ने बड़े प्यार से कहा।
वह लड़का जो क्लास खत्म होते ही सीधे अपने घर को चला जाता था अब वह क्लास के खत्म होने के बाद रेखा के पीछे-पीछे जाता। करीब दो हफ्ते सूरज, रेखा के पीछे-पीछे गया। एक दिन रेखा ने सूरज कहा, "मार खानी है! मेरे पीछे-पीछे क्यों आते हो!"
"नहीं.....," सूरज घबरा गया।
"तो फिर क्यों पीछा करते हो मेरा?"
"प्यार हो गया है तुमसे! जब भी तुमको देखता हूँ तो मेरी धड़कने अपने-आप ही बड़ जाती हैं! क्या तुम मेरा प्यार बनोगी?"
"मैंने कभी किसी लड़के से ऐसे बात नहीं करी है!"
"तो तुमे क्या लगता है कि मैं रोज ऐसे ही बहुत सी लड़कियों का पीछा करता हूं। मैंने भी पहली बार किसी लड़की से ऐसे बात करी है!"
"मैं तुम्हें कल सोच कर बताऊंगी!"
"ठीक है फिर मैं चलता हूं। कल मिलते है फिर!"
दोनों अपने-अपने घर कि तरफ चले जाते हैं।
अगले दिन सूरज देखता है कि रेखा क्लास आयी ही नहीं है। सूरज का मन उदास हो जाता है। क्लास खत्म होने के बाद सूरज बाहर आता है तो देखता है कि रेखा रोड़ के किनारे खड़ी है। सूरज दौड़ लगाकर उसके पास जाता है और पूछता है, "तो क्या सोचा तुमने?"
"हां!" रेखा ने जवाब दिया।
"तो चले फिर?"
"कहां?"
"बातें करते-करते तुमारे घर की ओर।"
"चलो!"
तो फिर वो चलते-चलते बातें करने लगे।
"तो तुम अलमोडा़ की ही रहने वाली हो?" सूरज ने पूछा।
"नहीं बागेशवर की।" रेखा ने जवाब दिया।
"तो यहां किराये में रहते हो?"
"हां।"
"कौन-कौन?"
"मैं और मेरी छोटी बहन।"
"अच्छा। और छोटी बहन क्या करती है?"
"वो बी.एस.सी पहले साल में है। और तुम कहां के रहने वाले हो?" रेखा ने पूछा।
"मैं भी गांव का ही रहने वाला हूँ। नैनीताल जिले में आता है मेरा गांव।" सूरज ने जवाब दिया।
"तो तुम अकले रहते हो?"
"नहीं। गांव के दो लड़के रहते हैं साथ में।"
"ठीक है अब तुम जाओ मेरा घर आने वाला है। अगर मकान मालिक देखेगा तो गलत समझेगा।"
"कहां पे रहती हो तुम?"
"वहां।" रेखा ने घर की ओर अंगुली करते हुऐ बताया।
इस तरह दोनों के बीच बातें हुई। प्यार बड़ा और छह महीने बीत गये। दोनों की कंप्यूटर क्लास भी पूरी हो चुकी थी।
"आज मेरी बहन गांव गयी है। रात को मेरे कमरे में आओगे?" रेखा ने पूछा।
"हूँह, क्याें नहीं!" सूरज ने कहा
"ऐसा-वैसा मत समझो। मुझे अकले डर लगता है इसलिए कह रही हूं!"
"तो अपने दोस्तों को बुला लो।"
"नहीं मुझे तुमारे साथ वक्त बिताना है!"
"ठीक है मैं आ जाऊंगा।"
शाम को सूरज रेखा के घर गया। दोनों ने मिलके खाना बनाया, खाना खाया, और फिर दोनों बिस्तर पे लेट गये। एक-दूसरे का हाथ थाम के एक-दूसरे को देखने लगे। बाते करने लगे।
"मेरा सी.डी.एस का कॉल लैटर आ गया है। अगले महीने देहरादून जाना है।" सूरज ने कहा
"और तुमने मुझे अभी तक नहीं बताया था!" रेखा ने कहा
दोनो ने सुबह होने तक बातें करी और फिर सो गये।
रेखा अपने गांव चले गयी थी। सूरज भी अपने गांव चला गया था। दोनों फोन में एक-दूसरे से बातें करते।
"मेरी तबियत खराब है!" रेखा ने कहा
"क्या हुआ है?" सूरज ने पूछा।
"पीलिया जादा बिगड़ गया है।"
उन दोनों के बीच बहुत देर तक बातें हुई।
एक दिन सूरज ने रेखा को बहुत फोन करे पर रेखा ने फोन नहीं उठाया। शाम को रेखा का फोन आया पर फोन पे रेखा की छोटी बहन थी। और उसने कहा, "दी, अब नहीं रही!" और फोन कट गया।
सूरज ये सुन कर बेहोश होकर जमीन में गिर गया।