BOYS school WASHROOM - 9 in Hindi Moral Stories by Akash Saxena "Ansh" books and stories PDF | BOYS school WASHROOM - 9

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BOYS school WASHROOM - 9

"ओ! हो! यश!....ये क्या शोर मचा रखा है।" प्रज्ञा दरवाज़े खोलते ही यश पर चिल्ला पडती है।


लेकिन यश अपना हाथ फिर भी डोर बैल से नहीं हटाता... .शायद प्रज्ञा की आवाज़ को वो सुन ही नहीं पाता या फिर उसके दिमाग मे चल रहे शोर मे प्रज्ञा की आवाज़ कहीं गुम ही हो जाती है…


प्रज्ञा गुस्से से यश का हाथ बैल पर से हटाकर नीचे झटक देती है…यश का ध्यान हटता है और वो एक दम चौंक जाता है क्यूंकि प्रज्ञा और अविनाश रोज़ अपने क्लिनिक से थोड़ा लेट आते थे लेकिन आज दोनों जल्दी घर आ गए थे...तो यश को लगा की कहीं प्रिंसिपल ने आज वाली बात उसके पेरेंट्स को तो नहीं बता दी …प्रज्ञा को थोड़ा गुस्से मे देख विहान चुप चाप अंदर सरक गया....


यश ने भी बड़ी धीमी सी आवाज़ मे प्रज्ञा से कुछ नहीं पूछा क्यूंकि उसे कहीं ना कहीं डर था की प्रज्ञा को कहीं स्कूल की बात का पता तो नहीं चल गया, और बस…"सॉरी माँ, मेरा ध्यान कहीं और था"...इतना कहकर यश भी अंदर चला जाता है….प्रज्ञा यश के हाओ-भाव देखकर समझ जाती है कि यश थोड़ा परेशान है….फिर वो भी ज़्यादा कुछ नहीं कहती और अंदर चली जाती है…


दोनों अपने अपने रूम मे चले जाते हैँ लेकिन रोज़ की तरह आज दोनों मे से कोई भी अपने रूम से बाहर नहीं आता, ना ही दोनों मे से कोई किसी चीज़ के लिए प्रज्ञा को आवाज़ लगाता है और ना ही दोनों मै कोई नोक झोंक होती है ….घर मे इतना सन्नाटा देख कर प्रज्ञा अब थोड़ा परेशान होने लगती है, लेकिन पहले यश और विहान से कुछ पूछने के बजाये प्रज्ञा, अविनाश के पास जाना ठीक समझती है...वो अविनाश के रूम मै जाती है



अविनाश अपने लैपटॉप मे कुछ काम कर रहा होता है, पर एक माँ होने के नाते वो बेझिझक अविनाश से पूछ ही लेती है…..

"अविनाश! वो तुमने बच्चों से कुछ कहा है क्या?"....


अविनाश -'नहीं! मेने तो किसी को कुछ नहीं बोला प्रज्ञा, इनफैक्ट हमारी आखिरी बार बात तो सुबह ही हुयी थी तब तुम भी वहीँ थी ना । "


प्रज्ञा-"अच्छा हाँ! वैसे भी तुम कुछ कहते ही कहाँ हो उनसे.......अवि….कहीं तुम्हारे पास स्कूल से कोई कॉल आया था क्या?"


अविनाश अपना फ़ोन चेक कर कर बोलता है -"नहीं..प्रज्ञा मेरे पास विहान के स्कूल से कैसा भी, कोई भी कॉल नहीं आया।".......

वैसे बात क्या है प्रज्ञा? आज डॉक्टर साहिबा,वकील की तरह सवाल पर सवाल पूछे जा रहीं है...आखिर हमें भी बताइये की क्या माजरा है?


अविनाश ने प्रज्ञा को टेंशन मे देखकर, माहौल को थोड़ लाइट करने की कोशिश की...और शायद उसकी बातों से कुछ असर हुआ भी...प्रज्ञा,अविनाश के पास जाकर बैठी और अविनाश का हाथ अपने हाथ मे पकड़ कर बोली…"अवि! मुझे पता है तुम बच्चों से कभी कुछ नहीं कहते बल्कि तुम तो उल्टा मुझे ही रोकते हो की मै बच्चों से कुछ ना कहूं, अवि मै तुमसे इसलिए ये सब पूछ रही थी क्यूंकि यश और विहान आज ज़ब से स्कूल से लौटे हैँ तब से अपने रूम मे ही हैँ और विहान तो मेरे बिना एक पल नहीं रहता और आज तो वो भी ज़ब से आया है अपने रूम मे ही है….मुझे थोड़ा अजीब लगा इसलिए मैंने पहले तुमसे बात करना ठीक समझा।"


अविनाश थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला-"अच्छा तो ये बात है तभी आज डॉक्टर जी, वकील बनी हुयी हैँ"....इतना बोलकर अविनाश ने प्रज्ञा के कंधे पर हाथ रखा और उसे समझाते हुए बोला….