आराधना के माथे पर चिंता की लकीरें थी रह -रह कर उसके मन मे ख्याल आता रहा। मनीष ने अब तक उससे बात नही की, हाल- चाल तक नही पूछा, कोई नाराजगी नही फिर भी उसके साथ ऐसा बर्ताव क्यों? और आज फिर अचानक से इस असहनीय पीड़ा का क्या मतलब था? उसने तो कोई नयी मेडिसिन नही ली जिसका कोई साइड इफेक्ट हो।
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गरियाबंद का डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल जहाँ चारों ओर चहल-पहल थी। पहली बार मनीष के बगैर आराधना ने अपने पाँव बाहर रखे थे और वो भी किसी और के साथ। आसपास नजरें दौड़ाती और सकुचाती हुई वह अमित के पीछे-पीछे चलने लगी।
अमित भी अपने आप को थोड़ा असहज महसूस करने लगा लेकिन उसे तो चिंता बस इसी बात की थी कि मनीष और आराधना के रिश्तों मे ये दूरी क्यों? आखिर ऐसी भी क्या व्यस्तता? की बात करने की फुर्सत न हो। इसी तरह वे दोनो डॉक्टर लकड़ा के पास पहुँचे।
" प्लीज कम इन
इस बार आपके मिस्टर नही आये?"
डॉक्टर ने आराधना को अंदर बुलाते हुए पूछा।
" एक्चुअली मैम वो किसी जरूरी काम से बाहर गये हैं, मेरे साथ हमारे पड़ोसी आये हैं न अमित जी "
आराधना ने अमित की ओर इशारा करते हुए कहा।
आराधना ने डॉक्टर लकड़ा को दोपहर मे उठे असहनीय दर्द के बारे मे विस्तार से बताते हुए अपनी सारी दवाइयों को उनके सामने फैला कर रख दिया। डॉक्टर लकड़ा ने अमित से कहा कि वे आराधना का चेकअप करने वाली हैं इसलिए उसे कुछ देर के लिये बाहर ही इंतजार करने को कहा।
अमित ने बाहर जाकर मनीष को कॉल किया। लगभग 2 से 3 बार रिंग करने पर ही किसी ने कॉल रिसीव पर ये तो किसी लड़की की आवाज थी।
" हेलो मै अमित बोल रहा मनीष जी से बात हो सकती है क्या ?"
" एक्चुअली, वो अभी बिजी हैं "
" बट हू आर यू? शीतल जी तो नही हो आप "
" नही, मै तो मनीष की फ्रेंड हुँ "
" प्लीज मनीष जी या घर वालों को इन्फॉर्म कर दीजिए, कहाँ है वो इतने दिन से? समथिंग इस रॉन्ग आज आराधना जी के पेट मे बहुत दर्द था। मै उन्हे हॉस्पिटल लेकर आया हुँ "
" ओके, मै आपका मैसेज पहुँचा दूँगी "
अमित के मन मे हलचल होने लगी, बड़ी मुश्किल से ही मनीष का कॉल लग पाया लेकिन.. आखिर ये कौन सी फ्रेंड हैं उसकी? जिसे अपना मोबाइल तक थमा दिया है।
आराधना को अपनी बेटी मानने वाले अग्रवाल अंकल भी कहाँ खो गये? सबकुछ धुँधला - धुँधला सा क्यों नजर आ रहा?
इन्ही सब उलझनों को मन मे समाये वह फिर से अंदर गया।
अंदर का नजारा देखकर वह असमंजस मे पड़ गया। आराधना अपना पेट पकड़कर रोये जा रही थी और डॉक्टर लकड़ा उन्हे सांत्वना देने की कोशिश मे लगी थी।
" आराधना जी, आराधना जी....
क्या हुआ ? "
अमित ने उसके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा।
" अमित जी वो... मेरा बच्चा "
" हाँ क्या हुआ? बताओ न आराधना जी "
" अमित जी कमला आंटी ने..."
आराधना इससे आगे कुछ कह पाती डॉक्टर लकड़ा ने अमित को बताया कि आराधना का बच्चा अब नही रहा और ये किसी साजिश का हिस्सा है। उन्होने काढ़े की शीशी हाथ मे रखते हुए कहा कि ये तो सोमघृत की शीशी है जो प्रेग्नेंसी के समय बहुत फायदेमंद होती है पर इसमे जानबूझकर किसी दूसरी दवाई का इस्तेमाल किया गया है। परिणामस्वरूप आराधना का गर्भपात हो गया इसलिए आज दोपहर को इसे असहनीय दर्द से गुजरना पड़ा।
डॉक्टर की सारी बातें सुनकर अमित को झटका सा लगा और वह आराधना की ओर देखने लगा।
आराधना के मन का गुबार फुट गया और वह अमित से जा लिपटी उसकी सिसकियों ने अमित को भी बेचैन कर दिया।
लेकिन उसके मन मे कमला आंटी और शीतल के लिये नफरतों के बीज उभरने लगे।
" हिम्मत रखिये आराधना जी, सब ठीक हो जायेगा "
अमित ने उसे कुर्सी पर बिठाते हुए कहा।
" कुछ ठीक नही होगा अब अमित जी, आखिर कमला आंटी ने ऐसा क्यों किया? मेरा बच्चा.... आखिर क्या कसूर था इसका? "
आराधना छटपटाते हुए कुर्सी से उठने लगी।
डॉक्टर लकड़ा ने भी उसे समझाते हुए कहा कि वह हिम्मत से काम ले।
अमित के मोबाइल का रिंगटोन बजने लगा और स्क्रीन पर मनीष का ही नम्बर था। उसने झट से कॉल रिसीव किया पर ये क्या? लाइन पर तो कमला आंटी थी और उन्होंने सीधे कहा कि वे आराधना से बात करना चाहती हैं।
हड़बड़ाते हुए अमित आराधना को बाहर लेकर आया और उसके हाथों मे मोबाइल थमाते हुए कहा कि जो भी बात हो खुलकर करे।
" कैसी हो आराधना बेटा? ज्यादा दर्द तो नही हुआ न?
अरे! मै तो भूल ही गई थी तुम तो बहुत ज्यादा हिम्मत वाली हो, तो कैसा लगा मेरा सरप्राइज ? "
कमला आंटी ने तंज कसते हुए कहा।
" तो आपने अपना रंग दिखा ही दिया, आंटी आपने ये तक नही सोंचा की ये आपके ही खानदान का वारिस है,
आपके बेटे का अंश था ये और आपने ही इसे...."
" ऐ लड़की! उस गन्दे खून को मेरे खानदान का वारिस मत कहो। न जाने कौन सी मनहूस घड़ी मे तूने मेरे बेटे को अपने जाल मे फँसा लिया और वो तो तेरा ही दीवाना बनता फिर रहा था। इसी बच्चे के सहारे तू मेरे घर अपने कदम बढ़ाना चाहती थी न। ले न रहा तेरा बच्चा और अब तू तो अपाहिज ही हो गयी "
" आंटी आपने ये ठीक नही किया, जब मनीष जी को इसका पता चलेगा तो वो आपको कभी माफ नही करेंगे। और अंकल तो आप पर बरस ही पड़ेंगे। एक बार मेरी बात कराइये उनसे मै उन्हे सबकुछ बता दूँगी "
" बस.... इससे आगे तुम और क्या कर सकती हो चालाक लड़की। लेकिन अब इतना याद रख लो मनीष तुमसे सारे रिश्ते तोड़ चुका है और तो और उसने अपने लिये लड़की भी पसंद कर ली है "
कमला आंटी की इन बातों ने आराधना के हृदय मे गहरे आघात कर दिये और उसके हाथ से मोबाइल छूट कर नीचे गिर गया चारो तरफ अंधेरा सा छाने लगा और वह चक्कर खाकर नीचे गिर पड़ी।
क्रमशः.......