Naina ashk na ho - 17 in Hindi Love Stories by Neerja Pandey books and stories PDF | नैना अश्क ना हो... - भाग - 13

Featured Books
Categories
Share

नैना अश्क ना हो... - भाग - 13

थोड़ी देर की खामोशी के बाद नव्या बोली, " क्या आप सब नहीं चाहते कि मै शाश्वत का अधूरा ख्वाब पूरा करूं ? उसका पहला प्यार देश है और शाश्वत मेरा पहला प्यार तो मै कैसे उसके प्यार को ठुकरा दूं ! मेरा भी पहला प्यार अब देश ही है ।
मै अपना जीवन देश के नाम समर्पित करना चाहती हूं । पापा आप ये मत समझिए कि मै देश सेवा करते हुए मै अपना वो दायित्व नहीं पूरा करूंगी जो मेरा आपके और इस घर परिवार के प्रति है । अब मुझे कुछ नहीं कहना जो भी फैसला आप लोग मिल कर करेंगे मुझे मंजूर होगा । " इतना कह कर नव्या उठी और भारी कदमों से उस कमरे से बाहर चली गई।
नव्या के जाने के बाद सभी सोच मे पड़ गए कि अब क्या फैसला लिया जाए ? गायत्री ने शांतनु जी से कहा, " भाई -
साहब नव्या भावुकता में बह कर फैसला ले रही है । अब उसने निर्णय हम सब छोड़ा है तो हम उसे गलत निर्णय नहीं
लेने देंगे । अब वो आर्मी में जाने की जिद्द नहीं करेगी ।"
गायत्री ने शांतनु जी को आश्वस्त किया।
" नहीं समधन जी मै नव्या को उदास नहीं देख सकता । वो पहले ही इतनी दुखी है । अब अगर उसकी ये इच्छा भी हम न पूरी करे तो उसका दिल टूट जाएगा । वो हमारी बात मान कर
आर्मी में भले ही ना जाए पर शाश्वत के अधूरे काम को पूरे करने की उसकी इच्छा अधूरी रह जाएगी । मै नहीं समझ पाया था कि वो इतनी शिद्दत से देश की सेवा करना चाहती है, इसलिए मै आपसे उसे समझाने के लिए कह रहा था। शाश्वत के बाद अब नव्या की खुशी में ही हमारी खुशी है। उसे करने देते है उसके मन का जो वो चाहती है ।" शांतनु जी ने गायत्री और नवल जी से कहा ।
शाश्वत की मां लाख समझाने पर भी तैयार नहीं थीं कि अगर नव्या को कुछ हो गया तो हमारा आखिरी सहारा भी छिन जाएगा।
शांतनु जी ने शाश्वत की मां को समझाया कि, "भगवान की मर्जी के खिलाफ एक पत्ता भी नहीं हिलता ये तो तुम मानती
हो ना ! तो फिर जो हमारे भाग्य में होगा वही होगा । तुम नव्या
की राह में रुकावट मत बनो । जो कुछ भी करके उसे खुशी मिलती है उसे करने दो।"
उदास मन से ही सही पर शाश्वत की मां भी नव्या के आर्मी ज्वाइन करने के फैसले से सहमत हो गईं।
नवल जी ने कहा, " बच्ची उदास हो गई है । चलिए उसे ये खुश खबरी दे दें तब फिर हम घर के लिए निकले। उसके चेहरे की खुशी तो देख ले ; ये खबर सुन कर क्या असर होता है ?"

साक्षी जो बैठी सब कुछ ध्यान से सुन रही थी । तुरंत ही दौड़ कर गई और कपड़े समेटने में व्यस्त नव्या को (जब भी नव्या परेशान होती अपना ध्यान बाटने को हल्का - फुल्का काम। करने लगती) बोली, " भाभी भाभी अंकल आंटी जा रहे है
आपको बुला रहे है बाहर चलो ।"
नव्या ने कपड़े समेटना छोड़ दिया और साक्षी के साथ मम्मी पापा को विदा करने बाहर आ गई।
नवल जी ने नव्या को गले लगा लिया और उसके सर को सहलाते हुए बोले, " बेटा हम सब ने मिल कर ये निर्णय किया
है कि हमारा बहादुर बेटा जो भी करना चाहता है ; वही करे
हम सब तुम्हारे साथ है ।"
नव्या ने सर उठा कर पापा की ओर ऊपर देखा, हल्की स्मित के साथ पूछा, " सच पापा ।"
"हां बेटा मै बिल्कुल सच कह रहा हूं।" नवल जी ने कहा।
"ओह पापा थैंक यू " नव्या ने कहा, ये कहते हुए जोर से लिपट गई नव्या पापा से।
नव्या के चेहरे की खुशी देख कर सभी आश्वस्त हो गए की जो
निर्णय लिया गया है वो बिल्कुल सही है। शांतनु जी नवल जी से बोले, "देखिए नवल जी इस खुशी को हम सेलिब्रेट करते है
और कहीं बाहर चलते है वहीं डिनर करेगें फिर आप लोग
अपने घर चले जाइए और हम लोग यहां वापस आ जाएंगे।
नव्या ने कहा , "पापा बाहर जाने की क्या जरूरत है ? मै
यही बनाती हूं ना बढ़िया रेस्टोरेंट वाला टेस्टी खाना। आप
सब उंगलियां चाटते रह जाएंगे।"
"नहीं बेटा तुम सुबह से वैसे ही परेशान हुई हो और अब फिर हमलोग तुम्हे थकाना नहीं चाहते । ये तो हमे पता है कि मेरे
बेटे के बनाए खाने से स्वादिष्ट किसी भी रेस्टोरेंट का खाना
नहीं होता । पर आज नो वर्क ओनली इंजॉय फूड क्यों ठीक
कहा ना ! अब जाओ जल्दी से तुम सब चेंज कर लो और
मुझ भी कपड़ा देदो मै भी चेंज कर लूं।" शांतनु जी ने कहा।
जल्दी ही सब तैयार होकर आ गए। नव्या शांतनु जी और मां
के साथ उनकी गाड़ी में बैठी। साक्षी, नवल जी और गायत्री
एक गाड़ी में बैठे।
सभी नव्या के पसंदीदा ओपेन रेस्टोरेंट में पहुंचे। सभी ने
अपनी अपनी पसंद का आइटम ऑर्डर किया। सभी बातों में
मशगूल हो गए। कुछ ही देर बाद सभी का पसंदीदा खाना आ
गया।
खाना वाकई बहुत स्वादिष्ट था। डिनर समाप्त कर सभी घर
के लिए निकलने लगे। बाहर आकर सभी गाड़ी में बैठने लगे।
साक्षी शांतनु जी की गाड़ी में बैठने लगी तो नवल जी बोले,
"साक्षी तुम्हारा घर तो पहले पड़ेगा आओ हमारे साथ हीं बैठो
जब घर आएगा तो उतर जाना।"
साक्षी अच्छा अंकल कहते हुए नवल जी के साथ ही बैठ गई।
जब घर आया तो उसे उतारने की बजाय नवल जी बोले,
"भाई साहब अगर आप इजाजत दे तो आज साक्षी को अपने
साथ लेता जाऊं ! कल शाम जब ऑफिस ले लौटूंगा तो छोड़
दूंगा।"
शांतनु जी बोले, "अरे ..! नवल जी इसमें पूछने की क्या बात
है? आप साक्षी को ही क्यों नव्या को भी ले जाइए । और
छोड़ने मत आइएगा। मै कल शाम को आपकी समधन के
साथ आऊंगा और अपनी समधन जी के हाथों के स्वादिष्ट
पकौड़े खाऊंगा । फिर नव्या और साक्षी को लेकर आ
जाऊंगा।" "प्यासा क्या चाहे पानी , और आपने तो संग
मिठाई भी दे दी।
मेरा सौभाग्य होगा आप दोनों आएंगे। इससे अच्छी क्या बात
होगी। "
नव्या शांतनु जी के कहने पर नवल जी की गाड़ी में बैठ गई।
दोनों बच्चियों संग नवल जी शांतनु जी और उनकी पत्नी से
विदा ले अपने घर की ओर रवाना हो गए।
जब उनकी गाड़ी चली गई तो शांतनु जी पत्नी सहित घर के
अंदर आ गए।
अंदर आते ही घर के खालीपन का एहसास शांतनु जी और
उनकी पत्नी को कचोटने लगा। जब से ब्याह कर नव्या आई
थी, तब से जब भी मायके गई कभी रुकी नहीं थी। आज
उन दोनों के ना रहने से खाली घर काटने को दौड़ रहा था।
दोनों कपड़े बदल बिस्तर पर लेट गए । नींद आंखों में नहीं
आ रही थी। कुछ देर बाद शांतनु जी बोले, "नव्या की मां सो
गई क्या?"
"नहीं अभी नहीं सोए कुछ चाहिए क्या?" वो बोली।
"नहीं कुछ चाहिए नहीं मै ये सोच रहा हूं कि नव्या चली
जाएगी
तो हम कैसे रहेंगे।" शांतनु जी बोले।
"आपने ही तो इजाजत दी है अब क्यों परेशान हो रहे
है ?" वो बोलीं।
" मै क्या करता ! उसे उदास भी तो नहीं देख सकता।
चलो धीरे - धीरे आदत पड़ जाएगी। वो अपनी जिंदगी अपने
हिसाब से जिए। हमारा क्या है ? बूढ़े हो रहे है, आज हैं
कल नहीं।" शांतनु जी ने पत्नी से कहा।
"आप क्या समझते है ? नव्या हमें अकेले रहने देगी । ऐसा ।
कभी नहीं करेगी वो। वो अकेले छोड़ कर हमें कभी नहीं
जाएगी। आप इतना मत सोचिए । सब अच्छा ही होगा। सो
जाइए आराम से कल आपकी लाड़ली नव्या आ जाएगी।
आप सभी के सहयोग का सहृदय धन्यवाद🙏🙏