यश भी अपनी क्लास मे पहुँचता है.... क्लास शुरू होती है पर यश मानो क्लास मे होकर भी वहां नहीं होता... उसकी एक आंख घड़ी पर और एक आँख उन तीनो पर गढ़ी होती है... वो बस इंतज़ार कर रहा होता है की कब छुट्टी हो और वो विहान को लेकर घर जाए....
जैसे तैसे यश 2 घंटे काटता है और फिर एक ज़ोरदार घंटी बजती है जो की छुट्टी के लिए होती है.... सब अपने बैग जैसेकरने लगते हैँ लेकिन यश जैसे ही घंटी की गूँज सुनता है, वो अपना सारा सामान वहीँ छोड़कर विहान की क्लास की तरफ भागता है....और हांफते हुए यश विहान की क्लास मे पहुँचने से पहले ही आवाज़ लगा देता है... " विहान"... और चिकने फर्श पर फिसलता हुआ जाकर विहान की क्लास से बाहर आ रही उसकी टीचर से टकरा जाता है.... टीचर को हल्के से धक्का लगता है और वो गुस्से से यश पर बरस पडती है....
"आई ऍम एक्स्ट्रीमली सॉरी मैम..ये दोबारा फिर कभी नहीं होगा...मुझे माफ़ कर दीजिये"
ये सब बातें विहान भी वहीँ खड़ा देख रहा होता है और बाकि सब बच्चे भी जो अपनी क्लासेस मे से निकल कर आ रहे होते हैँ…ये देखते हुए मैम यश से कहती है…"तुम हमारे स्कूल के अच्छे बच्चे हो और उस पोजीशन को मेन्टेन कर के रखो, आगे से फिर कभी ऐसा कुछ नहीं होना चाहिए"……….
"जी मैम! फिर कभी नहीं होगा"...
"विहान चलो जाओ"...मैम विहान से जाने के लिए कहती है।
यश अंदर जाकर विहान का बैग उठाता है, और उसे लेकर बस की तरफ चल देता है...तभी विहान उस से कहता है…"भैया आपका बैग तो ले लो"....
"ओह शिट! मै तो वो जल्दी जल्दी मे क्लास मै ही भूल गया….. विहु तू जाकर बस मे बैठ मै बस अभी मेरा बैग लेकर आता हूँ"....इतना कहकर यश वापस भागता हुआ अपनी क्लास की तरफ जाता है और विहान बस की तरफ…
यश क्लास तक पहुँचता है और क्लास मे घुस ही रहा होता है कि अचानक वहां से राहुल, हर्षित और विशाल बाहर कि तरफ़ आते हैँ…..उन्हें देख कर यश खुद को सँभालने की काफी कोशिश करता है पर वो उन तीनो से टकरा ही जाता है, जिससे की हर्षित बड़ी ज़ोर नीचे गिरता है और यश भी….यश जल्दी से खड़ा होता है और हर्षित की तरफ़ अपना हाथ बढ़ाते हुए बोलता है…"आई ऍम सो सॉरी ब्रो...वो मैं तुम्हे देख नहीं पाया और मैं थोड़ा जल्दी मैं था...आई ऍम सॉरी गलती मेरी है….तुझे लगी तो नहीं"...
हर्षित यश का हाथ झटकता है….और बड़े ही गुस्से से उठकर यश का कालर पकड़ के उसे दरवाज़े पर दे मारता है…."अबे सुन! अपनी सॉरी रख अपनी जेब मे और तेरे भाई को भी बोलना…"
इतना सुनते ही यश बौखला उठता है और वो भी हर्षित का कालर पकड़ के उसे ज़ोर से पीछे धकेल देता है….हालात बिगड़ते देख राहुल दोनों के बीच मे आ जाता है और हर्षित को चलने के लिए कहता है...इतने मे बाहर खड़े विशाल की नज़र प्रिंसिपल पर पडती है जो की उनकी तरफ ही आ रहे होते हैँ...विशाल जल्दी से अंदर जाकर हर्षित का हाथ पकड़ कर बोलता है…"हर्षित चल भाई वो प्रिंसिपल इधर ही आ रहा है...इन दोनों भाइयों को तो हम बाद मे देख लेंगे….अभी तू चल भाई, चल यार नहीं तो अभी स्कूल से निकले हैँ कहीं खुद के घर से भी ना निकलना पड़े"....