ये कहानी है अमृत नाम के लड़के की जिसको सभी प्यार से गुड्डा कहा करते थे| उसके परिवार में उसके अलावा उसके पिता, माँ और एक बड़ा भाई थे|
उसके पिता नामी दवा कंपनी में काम करते थे और माँ ग्रहणी थीं | वैसे तो दोनों भाई एक दूसरे से बहुत प्यार करते पर स्वभाव में देखे तो दोनों ही एक दूसरे के विपरित थे | जहां बड़ा भाई शांत और पढ़ाई में डूबा रहने वाला था वही अमृत शरारती पढ़ाई भी मस्ती- मस्ती में किया करता था |
अमृत की बचपन से ही घर में अलग ही ठाठ थी | दोनों भाई होने की वजह से उन्हें बहन की याद सताती कई बार अमृत रोता रहता और पूछता की माँ मेरी बहन क्यू नहीं है??
माँ के पास जवाब ना होते तो वो बहाने बना कर उसे बहलाने की कोशिश करती | कुछ समय बाद ही बहन ना होने से उदास होकर अमृत गुमसुम सा रहने लगा | एक दिन उनके पड़ोसी उनके घर आए और अमृत को ऐसा देख दुःखी हुए और कहा कि अमृत बेटा पिंकी दीदी भी तो तुम्हारी बहन हैं तो तुम उदास क्यू हो किसने कहा तुम्हारी बहन नहीं है ये सुन अमृत खुश हुआ और दौड़ लगा कर पड़ोस में अपनी पिंकी दीदी के पास जा पहुँचा | वहां जाकर पिंकी से पूछा कि क्या आप मेरी बहन हो तब पिंकी ने झट से जवाब दिया हाँ तुम तो मेरे छोटे भाई हो और मै तुम्हारी बड़ी बहन | अमृत ये सुन खुशी से फूला नहीं समाया और एक और प्रश्न पूछ लिया कि क्या फिर आप मुझे राखी बांधोगी पिंकी ने जवाब में कहा बिल्कुल तब जाकर अमृत की उदासी खत्म हुई |
अमृत शरारती और जिद्दी होने के कारण उसे अपनी माँ से बहुत डाट पड़ती और वह केवल अपनी माँ को डरता भी था | स्कूल से भी उसकी शरारतो की खबर आया करती, माँ पापा ने उसके आठ स्कूल बदले |
स्कूल में लड़ाई-झगड़ा करना तो आम सा हो गया था | जब वह इतने स्कूल बदल रहा था तब हर स्कूल में अपनी छाप छोड़ रहा था, उसकी इतनी जान पहचान हो गयी थी कि उसके बस कह देने पर उसके काम हो जाया करते थे |
लड़कों की लड़ाई में लोग उसका नाम ले लेते तो सामने के लड़के यूहीं भाग जाया करते थे |
अमृत एक खुशमिजाज और जिंदादिल लड़का था लोगों की मदद करना, परेशानी होने पर परेशान करना सब करना उसे ठीक से आता था |
अमृत ने पढ़ाई पूरी की और एक अच्छी कंपनी में उसकी नौकरी लग गयी उसका पद उस कम्पनी में सुपरवाइजर का था | घर से बिल्कुल निश्चित माँ की डांट का आदि अमृत का जीवन बहुत ही अच्छा चल रहा था |
अमृत की संगत अच्छे-बुरे दोनों ही लोगों से थीं | अमृत आम लड़कों की तरह खुश होने पर दोस्तों के साथ पार्टी के दौरान शराब का सेवन करता था | घर पर पता चल जाने के बाद अमृत ने कुछ ही दिन शराब से दूरी बनाये रखी | वह शराबियों की तरह तो नहीं शराब पीता था लेकिन उसके घर के इतिहास में किसी ने भी शराब को हाथ तक ना लगाया था; पर अमृत केवल मनोरंजन के लिए शराब का सेवन करता था |
एक दिन की बात है, अमृत रोज की तरह सुबह उठा अपनी कंपनी को जाने के लिए तैयार हुआ, माँ ने लाड दुलार किया | भाई के साथ हमेशा की तरह टांग खिंचाई की और निकल पड़ा अपने काम पर | आज अमृत को कंपनी में बहुत काम था और काम करते-करते उसे बहुत देर हो गई थी तभी उसके दो दोस्तों का फोन आया कि खाने पीने पार्टी करने चलते हैं तो अमृत ने मना किया कि मुझे आज बहुत देर हो गई है तो आने में और देर हो जाएगी तो दोस्तों ने जवाब दिया ठीक है और दोनों दोस्त उसकी कंपनी ही चले गए लेने तो उसे जाना पड़ा साथ अपने दोस्तों के | इसी दौरान घर से भी फोन आया तो अमृत ने बोला कि मैं घर के पास ही हू खाना खा कर ही आऊंगा |
तीनों दोस्त गए पार्टी के लिए और शराब का सेवन कुछ ज्यादा ही कर लिया जिससे कार चलाने की सुध-बुध खो चुके थे तीनों आधे रास्ते आते आते गाड़ी की रफ्तार इतनी तेज थी कि उसे काबु में लाना बहुत मुश्किल हुआ और कार जाकर डिवाइडर में खुस्स गयी गाड़ी के साथ-साथ तीनों का शरीर भी चकनाचूर हो चुका था | सभी अपना जीवन खत्म कर चुके थे |
आज वो खुशमिजाज, सबकी मदद करने वाला घर की आन-बान और शान अब नहीं है |
बहुत दुःख की बात है कि हमारे युवा शराब को मौज मस्ती और आंनद की निशानी बना कर एक जानलेवा खेल खेलकर अपनी जान की आहुति दे रहे हैं और अपने परिवार को जीवन भर की चुभन दे जाते हैं |
ये एक सच्ची कहानी है इसमे कुछ भी बनावटी नहीं है | हमारे युवाओं से निवेदन है कि आपका मनोरंजन का साधन आपके और आपके परिवार दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है तो जितना अपना ध्यान रख सकते हैं रखे और अनुपयोगी चीजों से दूर रहे |