बाजू में बैठे पुरोहित अंकल को हिलाते हुए दिनेश बोला- "अंकल, राजीव! सब कॉरिडॉर की तरफ देखने लगे।"
राजीव भाग कर उन सब लोगों के पास आया "कहां है रिया?"
"रिया अभी आईसीयू में है।"
दिनेश ने भागकर दूसरे कमरे में बैठी एक नर्स को आवाज दिया।
"बेटा अब सिद्धार्थ कैसा है?" प्रदीप काका चिंता से पूछने लगे।
"अभी ठीक है, उसके पास मेघा बैठी है।"
"और भाभी...." दिनेश ने चिंता से सिर खुजाते पुछा।
"वो ठीक है, हां थोड़ी गुस्सा है लेकिन मैं समझूंगा तो शायद वो समझ जाए।"
आगे कुछ और सवाल पुछते उससे पहले ही जूनियर नर्स के बुलाने पर आईसीयू में से एक नर्स भाग के आयी - "कहां है डोनर?"
"यहा है डोनर." - दिनेश हडबडाहट मे बोला।
राजीव का खून चेक करने के बाद रिया को खून चढ़ाया गया काफी खून बह जाने के कारण एक की जगह राजीव ने दो बोतल खून निकलने की इजाजत देदी।
कमजोर पड़ चुके राजीव को दूसरी नर्स ने कुछ फ्रूट दिए और कुछ देर आराम करने को कहा -"मिस्टर राजीव थोड़ा आराम कर रहे है। कमजोरी 1 घंटे में ठीक हो जाएगी।"
जोशी गुरुजी ने दिनेश को पैसे दिए - "जाओ बाजार से फल और ग्लूकोस बिस्किट लेकर आओ।"
"हां जाता हूं" दिनेश वहां से भाग कर चला गया।
डॉक्टर ढाई घंटे बाद बाहर आए -"पेशेंट को ऑब्जर्वेशन में रखा गया है, अगर हालत ठीक रहे तो जनरल वार्ड में शिफ्ट कर दिया जाएगा।"
पूरे 2 दिन बाद रिया की हालत मे सुधार आया। जाँँच करने के बाद उसे जनरल वार्ड में शिफ्ट किया गया और शिफ्ट करने के ठीक दो घंटे बाद रिया को होश आ गया।
जोशी गुरुजी और उनकी पत्नी लता बाहर बैठे हुए थे दिनेश बैठकर पब्जी खेल रहा था।
जैसे ही रिया को होश आया नर्स के बुलाने पर डॉक्टर उसे चेक करने चले गए।
डॉक्टर के बुलाने पर नर्स ने बाहर बैठे लोगों को भी बुला लिया।
हवालदार ने पुलिस ऑफिसर को फोन कर दिया।
जोशी गुरुजी और उनकी पत्नी रिया से मिलने अंदर चले गए।
रिया का चेहरा मुरझाया हुआ था चेहरे की पीड़ा अभी भी कम नहीं हुई थी कुछ अनजान जगह देख अपने हाथ पर लगी सलाईन को देख वो थोड़ा चौक गई।
आँखे इधर-उधर घुमाते हुए उसे सामने सोसाइटी के लोग खड़े दिखाई दिए।
रिया कुछ बोलने की हालत में नहीं थी ऑफिसर के कहे अनुसार हवालदार उसका बयान लेने लगे।
"क्या तुम मुझे सुन पा रही हो ?" उसने हवालदार की तरफ आँखे घुमा कर फिर आंखें नीचे कर ली।
"ऐसा कदम क्यों उठाया तुमने?"
"क्या वजह थी इसकी?"
"क्या कोई तुम्हे यहां परेशान कर रहा था?"
"तुम्हें पता है ना आत्महत्या करना कितना बड़ा गुनाह है।" हवालदार पवार गुस्से से बरसने लगे।
दिन रात एक जगह बैठ बैठ के उनकी कमर अकड गयी थी, आँखे काफी हद तक लाल हो चुकी थी फिर भी वो बिना रुके अपनी ड्युटी निभाये जा रहे थे और अभी भी पाटील साहाब के कहने पर रिया का बयान ले रहे थे।
रिया अपने किए गए काम पर शर्मिंदा थी या उसे अपने बचने का पछतावा हो रहा था उसकी हालत से कुछ पता नहीं चल रहा था, बस वो बिना रुके रोए जा रही थी।
उसकी ऐसी हालत देख मिसेस जोशी का दिल पसीज गया, वो हवालदार पर गुस्सा निकालते हुए बोली- "अभी अभी होश आया है, आप फिर कभी सवाल पूछ सकते हैं।"
उनकी आंखो मे गुस्सा और डर साफ साफ नजर आ रहा था।
"देखिए मिसेस जोशी, हमें हमारी ड्यूटी करने दीजिए हमें यह जानना बहुत जरूरी है। अगर यह काम किसी के मानसिक दबाव में आकर किया गया हो तो, जल्द से जल्द एफ. आई. आर. दर्ज करनी होगी।
"एफ. आई. आर.!? बड़े आए एफ आई आर दर्ज करने वाले।" मिसेस जोशी धीरे से बुदबुदाई लेकिन हवालदार ने सब सून लिया।
मिस्टर जोशी बात को समझाते हुए बोले- "देखिए सर मुझे पता है यह फॉर्मेलिटी है पर अगर आप रिया ठीक होने के बाद आएंगे तो अच्छा होगा"
"पर....." हवालदार इस प्रस्ताव पर सोच में डूब गए
" मैं ठीक होते ही आपको फोन कर दूंगा।"
अचानक चिंता में डूबे हवालदार पवार को मिस्टर जोशी ने इस बात से चिंता मुक्त कर दिया।
"यह मेरा नंबर है ठीक होते ही फोन कर दीजिएगा इतना कह हवालदार वहां से चले गए।"
दिनेश अभी भी बाहर बैठकर पब्जी खेल रहा था मिस्टर शिंदे, पुरोहित अंकल, प्रदीप अंकल वार्ड रूम की तरफ भागते हुए आए दिनेश के पास आकर बोले- "कहां है!?" दिनेश ने रूम की तरफ बिना बोले इशारा कर दिया।
दूसरी तरफ लता आंटी रिया के बालों पर हाथ फेरते हुए बोली- "यह क्या कर लिया तुमने रिया?
तुमने हमारा प्रॉमिस एक ही झटके मे तोड दिया।"
वो उनके हर एक बात को सुन जरूर रही थी पर नजरे मिलाने की उसमे हिम्मत नही बची थी।