ishk wala love - part 3 in Hindi Love Stories by Sunil Gupta books and stories PDF | इश्क वाला Love - भाग 3

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इश्क वाला Love - भाग 3

शाम को देव ने घर जाकर के सब कुछ अपनी बहन पूर्णिमा को बताया

पूर्णिमा ने कहा ठीक है कल तुम्हारे साथ मैं चलूंगी तुम परेशान मत हो मैं देखती हूं ।

अगले दिन देव अपनी बहन पूर्णिमा के साथ, वैभव अपने पापा के साथ और तृषा अपनी मम्मी के साथ स्कूल में पहुंचे।

तीनों अपने अपने पैरंट्स के साथ शोभना मेडम से मीटिंग रूम में मिले

जी मैडम कहिए आप ने हम सब को यहां पर क्यों बुलाया है आपको पता है मेरी कितनी जरूरी मीटिंग है और मैं उसे छोड़ कर आया हूं। वैभव के पापा ने शोभना मैडम से कहा

सर आप आराम से बैठिये पहले, फिर मैं बताती हूं वैभव की शिकायतों से उसकी शरारतो से पूरा स्कूल परेशान हो गया है कभी किसी को मारना कभी किसी को चिढ़ाना पढ़ाई पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देता है सिर्फ बच्चों को परेशान करता रहता है इसको बहुत बार समझा दिया लेकिन इसकी समझ में नहीं आ रहा है इसलिए मैंने आपको बुलाया है जिससे इसकी शिकायत मैं आपको बता सकूं । शोभना मैडम ने बैभव के पापा से सारी बात बताई

क्या बात कर रही हो मैडम मेरा बैभव ऐसा कभी नहीं सकता है वह तो इतना सीधा साधा और शरीफ लड़का है क्या बताऊ जरूर उन बच्चों ने कुछ गलती किया होगा ,क्या हुआ था बैभव बेटे बताओ ? वैभव के पापा ने उससे पूछा

पापा मैं बैठकर पढ़ाई कर रहा था तभी यह तृषा और दिव्यांश आये और मेरी कॉपी छीनकर भागने लगे मैंने इनसे रिक्वेस्ट की कि मेरी कॉपी वापस कर दो लेकिन यह दोनों मुझसे झगड़ा करने लगे और जब मैंने इन्हें ऐसा ना करने के लिए कहा तो फिर यह तृषा और दिव्यांश ने मिलकर के मुझे मारा यह देखिए मुझे कितना मारा है और अगर विश्वास ना हो तो आप मेरे दोस्तों से पूछ लो रोशन ,पंकज और अमित वह भी वहीं पर थे वैभव ने झूठ मुठ की सारी कहानी बनाई और बोला

कितना झूठ बोल रहा है वैभव तृषा आश्चर्य से बोली
मैंम सच में वैभव एक दम झूठ बोल रहा है हमने ऐसा कुछ नहीं किया है मैं बताती हूं कि क्या हुआ था। तृषा ने कहा

बैभव और उसके तीनों दोस्त मुझे रोज आकर के मोटी मोटी कहकर चिढ़ाते थे और मेरा बाल खींचते थे रोज ये सारे मेरे साथ ऐसे ही करते थे एक दिन दिव्यांश ने इन्हें रोक दिया तो उससे लड़ाई करने लग गए लेकिन तभी मैम आप क्लास में आ गई थी इसलिए यह दोनों आराम से जा करके बैठ गए।

2 दिन पहले दिव्यांश अपने घर से स्कूल आ रहा था तो चारों ने उसे रास्ते में रोक लिया और बहुत बुरी तरीके से मारा यह देखिए इस को अभी भी चोट लगी हुई है। तृषा ने कहा

क्यों दिव्यांश तृषा सही कह रही है तुम्हे इन लोगों ने मारा था। शोभना मेडम ने पूछा

जी मैम इन लोगों ने मुझे मारा है तृषा बिल्कुल सही कह रही है दिव्यांश बोला

फिर , फिर क्या हुआ तथा आगे बताओ

मैम इसी वजह से परसों दिव्यांश स्कूल नहीं आया था क्योकि उसे चोट लगी थी और कल जब वह आया तो हिमांगी की कॉपी लेकर के सारा नोट कंप्लीट कर रहा था लेकिन यह वैभव आ करके उसे फिर से चिढ़ाने लगा ,जो इन लोगों ने उसे मारा था इसकी वजह से उसके पैर में चोट लगी थी और लंगड़ा के चल रहा था उसे लंगड़ा लंगड़ा कह कर के यह चिढ़ाने लगे जब मैंने उन्हें ऐसा करने से रोका तो फिर वह फिर से मुझे मोटी मोटी बोलने लगे और मेरी बाल पकड़कर खींचने लगे इसीलिए मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उसे धक्का दे दिया और वह जमीन पर गिर गया फिर मैंने उसे मारा। तृषा ने मासूमियत से कहा
वैभव तृषा क्या बोल रही है तुम उसी चिड़ा रहे थे और उसके बाल पकड़ कर खींच रहे थे सच-सच बताओ क्या तृषा सही बोल रही है ।शोभना मैडम ने डपट कर कहा

देखिए ना मैडम कितनी बुरी तरीके से इस लड़की ने मेरे बेटे को मारा है ऐसे भी कोई मारता है क्या अरे वह चिड़ा रहा था तो वह भी चिढ़ा देती लेकिन इतनी बुरी तरीके से मारने की क्या जरूरत थी यही आपके स्कूल का डिसिप्लिन है क्या ? वैभव के पापा ने अपनी नेतागिरी झाड़ने की कोशिश की

एक्सक्यूज मी सर आप यह डिसिप्लिन का लेक्चर अपने बेटे को दे तो ज्यादा बेहतर रहेगा पूरे क्लास को यह परेशान करता है तो उसका कुछ नहीं, और फिर जब अगर किसी को परेशान करेगा तो और यह तो करेगा ही ,और तृषा तुम ,तुम मुझसे आकर शिकायत नहीं कर सकती थी क्या तुमने बैभव को इस तरह से क्यों मारा तुम मुझसे कहती फिर मैं इसको पनिश करती तुम्हें मारने की क्या जरूरत थी । शोभना मैडम ने कहा
आई एम सॉरी मैम बट मुझे गुस्सा आ गया था तृषा ने कान पकड़ कर कहा
गुस्सा आ गया तो तू इतनी बुरी तरीके से मरोगी क्या? देख रही हो मार मार के क्या हालत कर दी है इसकी । बैभव के पापा अभी भी ताव में ही थे।
हेलो सर 1 मिनट और जो आपके बेटे और उसके दोस्तों ने मेरे भाई कि यह हालात कर दी उसका क्या ? आपके बेटे को थोड़ी सी मार पड़ गई तो आप इस तरह रिएक्ट कर रहे हैं और चारों ने मिलकर की जो मेरे भाई को बुरी तरीके से मारा है उसके लिए कुछ नही , देख रहे हैं इसकी हालत क्या हो गई है आप जनप्रतिनिधि हैं ऐसे ही करेंगे क्या ? अब आप ही सोचिए जिसके भी बच्चों को आपका यह बेटा मारेगा पिटेगा वह आपकी फेवर में खड़ा होगा क्या ? यह अपने साथ-साथ आपका भी भविष्य बिगाड़ रहा है, आप इसे समझाने के बजाय उस बेचारी तृषा को क्यों डांट रहे हैं उसने सही किया जो किया देखिए आप एक बार देखिए तो सही देव की क्या हालत कर दी है इन चारों ने उसे इतनी बुरी तरीके से मारा है उसके लिए आप उसे एक शब्द भी नहीं बोल रहे हैं और उल्टा उस मासूम सी लड़की पर गुस्सा कर रहे हैं । अब तक खामोश बैठी पूर्णिमा को गुस्सा आ गया और उसने वैभव के पापा पर चढ़ाई कर दी

अगर आपने अपनी बेटे को इसी तरीके से छूट दे दी तो जल्द ही आपका बहुत बड़ा नुकसान हो जाएगा आपके बेटे की वजह से ही आपकी छवि खराब हो जाएगी यह बात ध्यान रखिए आप पब्लिक प्रॉपर्टी हैं और आपके बेटे का रवैया आपकी क्रेडिट आपकी छवि को खराब कर रहा है इस बात को आप जितनी जल्दी समझ जाओ उतना ही आपके लिए अच्छा होगा ।पूर्णिमा ने बैभव के पापा को कहा

सर यह लड़की बिल्कुल सही कर रही है आप अपने बेटे की तरफ थोड़ा सा ध्यान दीजिए माना कि आपको टाइम नहीं है बट मैम को तो टाइम होगा आपके मिसेज से बोलिए अपने बेटे को थोड़ा सा कंट्रोल करें ,यह अभी से इस प्रकार की हरकतें कर रहा है उससे ना उसका भविष्य ठीक होगा और ना ही आपके लिए अच्छा होगा इसलिए जितनी जल्दी से जल्दी हो हो सके आप उसे सही रास्ते पर लाइए पढ़ाई में बैभव बहुत पीछे जा चुका है इसका पढ़ने में बिल्कुल भी मन नहीं करता है और तृषा और दिव्यांश हर बार क्लास में अच्छे नंबर लेकर आते हैं वैभव का मन सिर्फ और सिर्फ शरारत में रहता है सबसे पहले तो आप इसके फ्रेंड सर्कल को खत्म करवाइए ।शोभना मैंडम ने वैभव के पापा को बोला

ठीक है मैम मैं ध्यान रखूंगा और इस लड़की की बातों से मैं सहमत हूं मैं एक पब्लिक प्रॉपर्टी हूं और मुझे अपने बेटे के लिए ही नहीं सारी जनता के लिए सोचना है क्या नाम है बेटा तुम्हारा तुम बहुत बहादुर हो और सच बोलने का हौसला किया तुमने , मैं तुमसे बहुत खुश हूं वैभव के पापा का मिजाज अचानक से बदल सा गया उनके अंदर का नेता जाग गया

सर मेरा नाम पूर्णिमा है ।पूर्णिमा ने सहज होकर कहा

गुड वेरी गुड थैंक यू सो मच बेटा थैंक्स ,वैभव के पापा ने बात को संभालने की कोशिश की

अच्छा मैं मैं निकलता हूं मुझे एक जरूरी मीटिंग में जाना है मैं आपकी बातों पर गौर करूंगा और आज शाम को इससे ठीक से समझा दूंगा आप चिंता मत कीजिए आगे से कोई शरारत नहीं करेगा वैभव के पापा ने हाथ जोड़ते हुए कहा

जी धन्यवाद आपका आपने अपना व्यस्त समय निकाल के यहां पर आए उसके लिए थैंक यू

जाओ बैभव तुम भी क्लास में जाओ शोभना मेडम ने वैभव को कहा

आई एम सॉरी दिव्यांश बेटे मुझे पूरी बात की जानकारी नहीं थी शोभना मैडम ने कहा और तुमने भी मुझे कुछ नहीं बताया एक बार बताते तो मैं खुद ही वैभव को पनिश करती और तृषा बेटे ऐसी किसी की पिटाई नहीं करते हैं माना कि उसने गलती की थी लेकिन तुम एक बार मुझसे तो कहती आइंदा से ध्यान रखना ठीक है । शोभना मेडम ने तृषा से कहा

जी मैम आगे से ध्यान रखूंगी

जाओ अपने अपने क्लास में जाओ शोभना मेडम ने कहा
और फिर चारों बाहर आ गया

बाहर निकल कर के पूर्णिमा ने उसकी मम्मी को और तृषा ने देव को मुस्कुरा कर देखा उन चारों के चेहरे पर खुशी के भाव थे।

तो यह हैं आपकी दोस्त मिष्ठी तुम जिसका गुड़गान करते रहते हो । पूर्णिमा ने मुस्कुरा कर देव की तरफ देखा और पूछा

देव मुस्कुरा कर रह गया ।

हेलो कैसे हो आप पूर्णिमा ने तृषा की तरह अपना हाथ आगे बढ़ाया

मैं ठीक हूं तृषा पूर्णिमा के बढ़े हुए हाथों को अपने नन्हे नन्हे हाथों में थाम लिया

मैम आपकी बेटी बहुत समझदार है और दिव्यांश तो हर वक्त उसी की ही तारीफ करता रहता है ,तृषा ने ऐसा किया तृषा ने वैसा किया और आज देख भी लिया सच में आपने बहुत ही अच्छे संस्कार दिए हैं अपने बच्चों को । पूर्णिमा ने तृषा के मम्मी की तारीफ की

यह भी तो देव देव करती रहती थी लेकिन मुझे लगा कि कोई होगा दोस्त और आज जब यह इसको देखा तब समझ में आया क्यो करती है ,आपका भाई भी बहुत समझदार है और दोनों बच्चे एक दूसरे के अच्छे दोस्त भी हैं तभी तो एक दूसरे के लिए दोनों परेशान रहते हैं ।तृषा की मम्मी ने कहा

अचानक से जैसे तृषा को कुछ याद आया हो

वह अपनी मम्मी के पास से उठकर आई और देव के कान में बोली देव आज तुमने प्रॉमिस किया था मुझे स्ट्रॉबेरी फ्लेवर की आइसक्रीम खिलाने के लिए

अच्छा रुको तुम यही बैठो मैं लेकर आ रहा हूं ।देव ने तृषा से फुसफुसा कर कहा

देव भाग करके अपनी बहन के पास पहुंचा उनके कान में बोला दी मुझे पैसे दे दीजिए

क्यों क्या करना है पैसे । पूर्णिमा ने देव से पूछा

दीदी मैंने कल मिष्ठी को प्रॉमिस किया था कि मैं आज उसे स्टाबेरी फ्लेवर की आइसक्रीम खिलाऊंगा बट आई हैव नो मनी सो प्लीज हेल्प मी देव ने मासूम शक्ल बनाकर कहा

और उसकी मासूमियत देखकर पूर्णिमा को उस पर दया आ गई उसने अपना पर्स खोला और उसमें से पैसे निकाल करके उसने देव को दे दिए

देव खुश हो गया उसने लपक कर अपनी बहन के गालों पर एक किस किया और भागता हुआ आइसक्रीम लेने चला गया
थोड़ी देर बाद वापस लौटा और उसके दोनों हाथों में एक-एक आइसक्रीम थी उसने एक आइसक्रीम तृषा को दिया और उसके बगल बैठ कर के खुद दूसरी खोलने लगा

तृषा ने अभी थोड़ी सी आइसक्रीम खाई थी कि अचानक से उसके हाथ से आइसक्रीम फिसल करके जमीन पर गिर गई और पूरा मिट्टी में सन गई

तृषा की तो जैसी जान निकल गई ,वह अपनी मनपसंद आइसक्रीम इस तरह से शहीद होते हुए देख कर के उदास हो गई और उसकी उदासी को देख कर के देव भी उदास हो गया।
देव ने एक पल सोचा और अगले ही पल बोला

मिष्ठी यह लो तुम मेरी आइसक्रीम खा लो देव ने अपनी आइसक्रीम तृषा की ओर बढ़ाते हुए कहा

और तुम ? तुम नहीं खाओगे क्या यह तुम्हारी है तुम खा लो
मेरी गिर गई तो जाने दो कोई बात नहीं देव को अपनी आइसक्रीम देता हुआ देख कर के तृषा ने कहा

नहीं मिष्ठी मुझे यह नहीं पसंद है मुझे बनिला पसंद है बट तुम्हें स्टॉवेरी खाना था इसी वजह से मैं भी ले आया लेकिन मुझे अच्छी नहीं लग रही है यह तुम खा लो देव ने सरासर झूठ बोला

लेकिन देव तुम क्या खाओगे तृषा दिव्यांश से आइसक्रीम लेने में झिझक रही थी हालांकि उसका मन ललचा रहा था और उसका दिल कर रहा था कि ले लो

अरे मैं खाऊंगा नहीं फेंक दूंगा इससे बेहतर है कि तुम ही खा लो मुझे अच्छी नहीं लग रही है देव ने बुरा सा मुंह बनाया मानो उसे आइसक्रीम खाने की बिल्कुल भी इच्छा ना हो

और अपने फेवरेट आइसक्रीम की इतनी बुरी तरीके से बेज्जती होते हुए देखकर तृषा ने झट से देव के हाथ से आइसक्रीम ले ली और बोली

फेंकोगे क्यो? तुम्हें नहीं खानी है तो मत खाओ मैं खा लूंगी यह तो मेरी फेवरेट आइसक्रीम है

और फिर मजे ले करके खाने लगी और उसको इस तरीके से आइसक्रीम खाता हुआ देखकर के देव के मुंह में पानी आ रहा था लेकिन वह बेचारा कर भी क्या सकता था

उन दोनों की यह हरकत पूर्णिमा और तृषा की मम्मी देख रही थी और अनायास ही उनके होठों पर एक मुस्कुराहट सी फैल गयी।

सच में दोनों बच्चे एक दूसरे पर जान छिड़कते हैं कितने गहरे दोस्त हैं दोनों को देखकर कितना सुंदर लग रहा है

जी मैम आप सही कह रही हैं पूर्णिमा भी मुस्कुराते हुए बोली
तृषा की मम्मी उठकर के देव के पास गई और उसके सर पर हाथ फेरते हुए बोली देव बेटे तुम्हारी आइसक्रीम कहां गई।

अरे मम्मी इसे स्टोबेरी नहीं पसंद है इसलिए इसने मुझे दे दी देव के बोलने से पहले ही तृषा ने बोल दिया

अच्छा ऐसी बात है तो बताओ तुम्हें कौन सा फ्लेवर पसंद है मैं तुम्हारे लिए वही ला देती हूं। तृषा की मम्मी ने कहा

वनीला मम्मी वनीला पसंद है देव को फिर देव के बोलने से पहले ही तृषा ने बोल दिया

ठीक है तुम 2 मिनट बैठो मैं तुम्हारे लिए लेकर आती हूं ।तृषा की मम्मी ने कहा

अरे नहीं मैम कोई बात नहीं रहने दीजिए आप कहां जाएंगे वैसे भी इसे अभी ज्यादा ठंडी चीजें खाना अलाउड नहीं है अभी कल ही चोट लगी है ना तो बॉडी जितना गर्म रहेगी उतनी जल्दी इसके चोट ठीक होंगे तो आप रहने दीजिए पूर्णिमा को अच्छा सा नहीं लगा उसने तृषा की मम्मी को रोकते हुए कहा

अरे पूर्णिमा एक आइसक्रीम खाने से कुछ नहीं हो जाएगा बेटा अब देखो तृषा बैठ कर खा रही है और वह देख रहा है ऐसे अच्छा थोड़ी लगता है ।तृषा की मम्मी ने कहा

अच्छा ठीक है आप रहने दीजिए मैं लेकर आती हूं आप कहां जाएंगी आप बैठिये ,।पूर्णिमा ने तृषा की मम्मी को तृषा के पास बैठाया और जाने लगी

थोड़ी देर बाद वह आइसक्रीम लेकर वापस लौटी और उससे दिव्यांश को दे दिया

अच्छा तुम दोनों आइसक्रीम खा कर फटाफट अपनी क्लास में जाओ अब हम दोनों भी जा रहे हैं ।तृषा की मम्मी ने कहा

दिव्यांश दोबारा शिकायत नहीं आनी चाहिए किसी से लड़ाई झगड़ा मत करना । पूर्णिमा ने दिव्यांश को उंगली दिखा करके वार्न किया

तृषा तुम भी गुस्सा मत करना अगर फिर से वह मोटी बोलता है तो बोलने दो, उससे कुछ हो नहीं जाएगा ,तुम मोटी थोड़े ना हो ,तुम तो मेरी प्यारी गुड़िया हो उसके बोलने से कुछ नहीं हो जाएगा तुम रिएक्ट मत करना बेटे ठीक है। तृषा की मम्मी ने भी तृषा कोसमझाया

ठीक है मम्मी

बाय आंटी बाय दी देव ने दोनों को हाथ हिलाकर बाय बोला
बाय दी ,बाय-बाय मम्मी तृषा ने भी दोनों को हाथ हिला कर के बाय किया और फिर मजे से आइसक्रीम खाने लगी

पूर्णिमा और उसकी मम्मी दोनों वापस अपने अपने घर चले गए

तुम्हें स्ट्रॉबेरी बहुत पसंद है ना मिष्ठी। देव ने तृषा को मजे से आइसक्रीम खाते हुए देखकर पूछा

बहुत पसंद है और तुम्हें वनीला पसंद है है ना

हुंन्नंन्नं हां थोड़ी-थोड़ी, बट मेरी फेवरेट चॉकलेट है।दिव्यांश ने कहा

तो तुमने पहले क्यों नहीं बताया, तृषा ने देव को आश्चर्य से देखा और पूछा

तुमने वनीला बोल दिया था तो फिर इसीलिए नहीं बताया।दिव्यांश बोला

अच्छा देव तुमने आइसक्रीम मुझे इसलिए दे दी क्योंकि मेरी गिर गई थी ना सच सच बताओ । तृषा ने अपनी आंख मटकाते हुए देव से पूछा

और देव को ऐसे लगा मानो उसकी चोरी पकड़ी गई हो उसने शरमाते हुए अपना चेहरा नीचे झुका लिया और मुस्कुराने लगा

बोलो बताओ ना तुमने मुझे आइसक्रीम इसलिए दे दी क्योंकि मेरी गिर गई थी ना । तृषा ने दोबारा से पूछा

हां और फिर इसीलिए तुम दुखी हो गई थी तो इसलिए मैंने अपनी आइसक्रीम तुम्हें दे दी देव ने कहा

अच्छा दिखाओ एक बार तुम्हारी फेवरेट आइसक्रीम कैसी लगती है एक बाइट दो मुझे मैं भी तो देखूं तुम इतना मजे से क्यों खा रही हो इसे देव ने तृषा की आइसक्रीम को ललचाए हुई नजर से देखा और बोला

तृषा ने बिना एक पल सोचे झट से अपनी आइसक्रीम देव की तरफ बढ़ा दी और देव ने उसमें से एक बाइट ले ली और इंजॉय करने लगा और फिर उसने भी अपनी बनिला तृषा की तरफ बढ़ा दी जिसमें से तृषा ने भी एक बाइट ले लिया

और फिर दोनों ही खिलखिला कर हस पड़े थोड़ी देर बाद दोनों की आइसक्रीम खत्म हुई और वापस से दोनों अपने अपने क्लास में चले गए दिव्यांश अभी भी हल्का-हल्का लंगड़ा के ही चल रहा था ।

वक्त के साथ-साथ दोनों की दोस्ती भी गहराती चली गई ,दोनों एक दूसरे के सुख दुख में शामिल रहते थे, एक दूसरे की हेल्प करते थे और एक दूसरे के साथ ही समय बिताना पसंद करते थे दोनों एक दूसरे से अपने टिपिन शेयर करते थे और जिस दिन देव स्कूल नहीं आता था तृषा परेशान हो जाती थी और जिस दिन तृषा नहीं आती थी उस दिन दिव्यांश की हालत खराब हो जाती थी दोनो एक दूसरे के सबसे अच्छे दोस्त थे ।
सब कुछ सही चल रहा था लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हो गया कि दोनों को वक्त के हाथों से मजबूर होकर के अलग अलग हो जाना पड़ा

तृषा के पापा एक सरकारी कर्मचारी थे और उनका ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया था और तृषा का पूरा परिवार दूसरे शहर में शिफ्ट हो रहा था ।कल शाम को ही तृषा ने अपने मम्मी पापा को बात करते हुए सुना और जब से यह बात तृषा को पता चली थी तब से वह बेचैन और उदास थी ।वह अपने दोस्तों को अपने स्कूल को अपने सहेलियों और यहां की सारी चीजों की छूटने के गम में परेसान थी उसका किसी काम मे मन नही लग रहा था और न ही उसकी हिम्मत हो रही थी कि वह किसी से यह बात बताती कि अब वह यह शहर छोड़ कर जा रही है लेकिन बताना तो था ही आज उसने बहुत हिम्मत करके देव को यह बात बताने की सोची ।

रोज की तरह दिव्यांश अपनी साइकिल से आया और तृषा के घर के सामने उसने अपनी साइकिल की घंटी बजाई लेकिन रोज पहली घंटी में तृषा अपनी साइकिल के साथ बाहर आती हुई दिख जाती थी पर आज आज तृषा नहीं दिखी देव को बड़ा आश्चर्य हुआ
उसने दोबारा से अपनी साइकिल की घंटी बजाई पर परिणाम वही ढाक के तीन पात इस बार भी तृषा का कुछ भी अता पता नहीं था
देवांश ने जोर से तृषा को आवाज लगाई और घंटी बजाई
इस बार तृषा बाहर तो आती हुई दिखाई पड़ी लेकिन , उदास गुमसुम सी लग रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे खूब रोई हो
तृषा को इस तरह से देख कर के देव को बड़ा आश्चर्य हुआ उसने पूछा

क्या हुआ मिष्ठी तुम उदास क्यों हो

कुछ नहीं देव तृषा ने कहा उसका चेहरा उदास और परेशान सा लग रहा था

क्रमशः

बिछड़ कर तुमको ना भूल पाएंगे हम
तुम्हारे जैसा दूसरा कहां से लाएंगे हम
तुम तो मेरी आदतों में शुमार हो गये हो
बिना देखे तुम्हे सुकून कैसे पाएंगे हम

दोस्तों यह भाग आपको कैसा लगा खूब सारी समीक्षा करके जरूर बताएं मुझे आप लोगों की समीक्षा की बेसब्री से प्रतीक्षा रहती है क्योंकि आप लोगों की समीक्षा मेरी कहानी के अगले पार्ट को डिसाइड करती है इसलिए खूब सारी समीक्षा करें और बताएं कि आप लोगों को या स्टोरी कैसी लगी अगला भाग जल्दी प्रकाशित करूंगा