Peacock - 9 in Hindi Fiction Stories by Swati books and stories PDF | Peacock - 9

The Author
Featured Books
Categories
Share

Peacock - 9

पीहू आरव की ज़िन्दगी का वो पन्ना खोल गयी है जिसे आरव पढ़ने से हमेशा से ही डरता है और जब -जब पढ़ता है, यह डर उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई पड़ता है। उसका यह कहना कि "मैंने जो सपना देख लिया है वो अपाहिज़ को नहीं देखना चाहिए ।" आरव बार-बार इसी बात को सोच रहा था और ज़िन्दगी का वो पन्ना खुलता जा रहा था :: रिदा उसके सामने वो और रिदा घूम रहे, इन्ही पहाड़ों में । “आरव अगर हम पालमपुर की महाडांस प्रतियोगिता जीत गए वो दिन दूर नहीं कि हम राष्ट्रीय फिर अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच जायेंगे और अपने सपने साकार करेंगे”। रिदा ने आरव के कंधे पर सिर रखकर कहा। “हाँ मेरी जान ! फ़िर मुझे इस कैफ़े में भी नहीं बैठना पड़ेगा ।“ आरव ने रिदा के माथे को चूमते हुए कहा। “हम थोड़े दिनों में फाइनल में पहुँच जायेगे और फिर वहाँ से मंजिल और क़रीब नज़र आने लगेगीं ।“ रिदा ने आरव का हाथ थामते हुए कहा । तभी अचानक बारिश शुरू हो गई और रिदा बारिश में नाचने लगी । उसने आरव को भी खींच लिया और आरव भी उसके साथ हर पल का आंनद उठाने लगा । “चलो अब चलते है, बहुत भीग गई हों, दीदी घर पर नहीं है, आराम से कॉफी पिएंगे और तुम कपड़े भी बदल लों ।“ दोनों घर पहुंच गए और रिदा कपड़े बदलने चली गई । आरव ने कॉफी बनाई और गाने लगा दिए । रिदा नीली टी शर्ट और शॉर्ट्स पहन बाहर आई । और आरव उसे निहारने लगा । “आरव ऐसे मुझे देखते रहोगे तो कॉफी तो ठंडी हो जाएगी ।“ रिदा ने उसके हाथ से कॉफी लेते हुए कहा । तुम बारिश में भीगने के बाद और भी खूबसूरत नज़र आ रही हों ।“ यह कहते हुए आरव ने उसके गाल चूम लिए। रिदा शरमा गई, उसने बड़ी ही मासूम नज़रों से आरव को देखा और उसके होंठ चूम लिए । धीरे-धीरे दोनों बेहद करीब आ गए कॉफी टेबल पर ही रखी रह गई और दोनों आरव के कमरे में जाकर इस सुहाने हुए मौसम का आंनद देह-सुख से लेने लगे। “अब मुझे घर छोड़ दो, बहुत देर हो गयी है।“ रिदा ने आरव के सीने पर सिर रखकर कहा । कल तुम मुझे लेने मत आना मैं अपने आप डांस रिहर्सल में पहुँच जाऊँगी, मुझे अपनी सहेली रशिम से भी मिलना है।“ “ठीक है, माय लव! आरव ने रिदा के होंठों पर अपने होठों पर रख दिए ।

अगले दिन रशिम और रिदा दोनों साइकिल पर से आ रहे थें । तभी रिदा को पहाड़ी के पास खिले फूल को तोड़ने का मन किया उसने साइकिल को वहीं गिराया और पहाड़ी के नीचे फूल था, रिदा ने लेटकर फूल तोड़ लिए । “देख! यह फूल बारिशो के बाद खिलते है । आज आरव को दूँगी।“ रिदा ने फूल को चूमते हुए कहा। “चल साइकिल पकड़ और चल” रशिम ने कहा। रिदा अभी भी फूल को देख रही थी उसने वहीं गिरी साइकिल उठाई पर उसने ध्यान नहीं दिया और उसका लम्बा कुरता साइकिल में अड़ा और वह इससे पहले संभल पाती, साइकिल का बैलेंस ख़राब हुआ और साइकिल लुढ़कती गई और वो भी साइकिल के साथ घिसटती हुई नीचे गिर गई । ज़ोर की चीखें और फ़िर सन्नाटा । आरव भागता हुआ अस्पताल पहुँचा जहाँ रिदा के माँ -बाप, भाई-बहन और रशिम सब मौजूद थें । लगातार दो दिन बाद रिदा को होश आया सभी को संतुष्टि हुई मगर रिदा का बुरा हाल था क्योंकि वे एक पैर से लाचार हो चुकी थीं और चलने के लिए बैसाखी उसका इंतज़ार कर रही थीं ।

आरव, अरुणा रशिम, कई दोस्त और रिदा के माँ -बाप रिदा को समझाते रहें, उसे होंसला देते रहे । रिदा अस्पताल से घर आ गई । आरव ने भी डांस रिहर्सल के लिए किसी और को पार्टनर चुन लिया । और फाइनल में जा पहुँचा अब वो रिदा से कम ही मिलता और मिलता तो भी कुछ मिनटों के लिए । आरव में आये बदलाव को रिदा ने महसूस किया । जब एक रात नेहा उसकी नई डांस पार्टनर और आरव हँसते हुए डांस अकादमी से लौट तरहे थें, तभी उन्होंने रिदा को आरव के घर के बाहर बैठे हुए देखा । “तुम चलो नेहा, कल मिलते है,” आरव ने रिदा को देखते हुए कहा । “और बताओ रिदा तुम यहाँ कैसे? मुझे कॉल कर देती मैं आ जाता” । आरव ने पूछा । “तुम्हारे पास वक़्त नहीं है आजकल तो मैं ही तुमसे बात करने आ गई । मैं शास्त्रीजी से डांस सीखना चाहती हूँ , और मैं चाह रही थी कि तुम मेरा साथ दो ।“ रिदा ने आरव का हाथ पकड़ते हुए कहा । “मैं ? मैं कैसे दूंगा वो तो विकलांग लोगों को ही डांस सीखाते है और मैं तो बिलकुल ठीक हूँ,” आरव बोलते समय थोड़ा झेंप गया । वो हर किसी को डांस सीखाते हैं, तुम मेरे पार्टनर बन सकते हों । बोलते समय रिदा की आँखों में उम्मीद साफ़ झलक रही थीं । “देखो ! रिदा वो प्राचीन डांस सिखाते हैं और मैं वेस्टर्न ही सीखना चाहता हूँ इसलिए मुझे नहीं लगता मैं तुम्हारी मदद कर पाऊँगा” आरव ने हाथ छुड़ाते हुए कहा । “पर आरव मेरा सपना है कि मैं डांस करो तुम तो सब जानते हूँ और मुझसे प्यार भी करते हों” रिदा ने आरव की आँखों में अपना ज़वाब ढूंढने की कोशिश की । “सारे सपने सच नहीं होते, रिदा और तुम तो अब.........” बोलते-बोलते आरव रुक गया । “हाँ मैं अपाहिज़ हो गई है और मुझे सपने देखने का कोई अधिकार नहीं रहा । ठीक है, तुम नहीं दे सकते मत दो साथ मैं तुम्हें इसके लिए कभी माफ़ नहीं करुँगी ।“ यह कहकर रिदा रोते -रोते चली गई । और आरव ने उसे न रोकना था न रोका ।

घर में घुसते ही अरुणा ने पूछा, “रिदा आई थी न ?”” हां आई थी, शास्त्री जी से डांस सीखना चाहती है चाह रही थी कि मैं साथ दूँ ।“ आरव ने ज़वाब दिया । “और तुमने मना कर दिया” । अरुणा बीच में ही बोल पड़ी “तो और क्या करता दीदी मैं ? अब मैं कल डांस में जीत जाऊँगा फिर आगे बढूंगा या वही ठहरकर संघर्ष करूँगा अब पहले जैसा कुछ मुमकिन नहीं है दीदी ।“ आरव ने खीझते हुए कहा । “क्या प्यार हमदर्दी सब खत्म हो गई ?” अरुणा ने फिर पूछा। “प्यार करता हूँ दीदी और हमदर्दी भी दिखाता हूँ मगर अब चीज़े अलग है और रिदा को समझना होगा ।“ आरव धम्म से सोफे पर बैठता हुआ बोला । “हमदर्दी दिखाई नहीं, करी जाती है आरव। वो अभी बहुत टूटी हुई है । आज तुम अगर हाँ कह देते और उसका साथ दे देते तो उसे ज़िन्दगी में कोई मकसद मिल जाता। फिर बाद में जब वक़्त उसे संभाल लेता तो शायद ज़िन्दगी की सच्चाई उसे समझ आती।“ अरुणा ने आरव के कंधे पर हाथ रखकर कहा। “जो भी हो, मैं सोने जा रहा हूँ । कल डांस का फाइनल है गुडनाइट दीदी।“ आरव अरुणा को देखे बिना अपने कमरे में चला गया ।

अगले दिन डांस के फाइनल थें। आरव के सभी दोस्त आये थें और स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा हुआ था अख़बार वाले भी आये हुए थें । आरव और नेहा डांस परफॉरमेंस दे चुके थें । जज ने रिजल्ट बताया कि आरव और नेहा ही विजेता है । दोनों ने एक दूसरे को गले लगाया । और अपनी ट्रॉफी को लेकर जब आरव ने स्टेडियम की भीड़ की तरफ़ देखा तो अरुणा दीदी की आँखों में आँसू दिखें वह बड़ी बुरी तरह रो रही थीं और आरव स्टेज से नीचे उतर, उनसे गले मिला और शोर में उसे कुछ सुनाई नहीं दिया । जैसे ही दोनों बाहर निकले । दूसरी तरफ़ रिदा को लोग चार काँधे में उठाकर ले जा रहे थें और आरव भागता हुआ वहाँ पहुँचा। भीड़ रुक गई । रिदा का पार्थिव शरीर अर्थी पर सकूँ से रखा हुआ था । रिदा को देख उसके हाथ की ट्रॉफी नीचे गिर गई । राम! राम! सत्य! बोल लोग आगे बढ़ गए और आरव रूठी हुई रिदा को जाते हुए देख रहा था वह समझ चुका था कि वह आज जीत के भी हार चुका है । तभी रिदा की माँ आरव को रोते हुए पूछ रही थीं कि “बेटा कल क्या रिदा मिली थी तुझसे ? कोई बात हुई थी क्या ? रात को उसने दवाई का ओवरडोज़ ले अपनी जान ले ली बेटा हाय ! मेरी बच्ची ! हाय ! मेरी बच्ची ।“ आरव के मुँह से ज़ोर से निकला ‘’’’रिदददददददा????’’’ “भाई आप ठीक तो है? ममेरे भाई रोहन ने पूछा । तब उसे पता चला कि वो अपने कमरे में है।