Pahli Machis ki tili - 14 in Hindi Thriller by S Bhagyam Sharma books and stories PDF | पहली माचिस की तीली - 14

Featured Books
  • तमस ज्योति - 51

    प्रकरण - ५१मेरे मम्मी पापा अब हमारे साथ अहमदाबाद में रहने आ...

  • Lash ki Surat

    रात के करीब 12 बजे होंगे उस रात ठण्ड भी अपने चरम पर थी स्ट्र...

  • साथिया - 118

    अक्षत घर आया और तो देखा  हॉल  में ही साधना और अरविंद बैठे हु...

  • तीन दोस्त ( ट्रेलर)

    आपके सामने प्रस्तुत करने जा रहे हैं हम एक नया उपन्यास जिसका...

  • फाइल

    फाइल   "भोला ओ भोला", पता नहीं ये भोला कहाँ मर गया। भोला......

Categories
Share

पहली माचिस की तीली - 14

पहली माचिस की तीली

अध्याय 14

डी.जी.पी. नायर अपने सामने अटेंशन में खड़े हुए पुलिस अधिकारियों को देखकर चिल्लाएं। समय रात के दो बज कर 5 मिनट।

"सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस जैसे तीनों गायब हो गए उसी तरह चंदन तेल बोर्ड के चेयरमैन कृष्णकांत, वहां काम करने वाले मुकुट पति, सेंट्रल मिनिस्ट्री के एक खास आदमी नवनीत उन तीनों लोगों को किसी ने किडनैप कर लिया। अपना डिपार्टमेंट अभी तक वे किस दिशा में है ये भी मालूम नहीं कर पाए। गृहमंत्री फोन पर बुलाते ही फोर्थ क्लास लैंग्वेज में बुरी तरह से बात करते हैं। उससे भी बढ़कर बोलते हैं। मनुष्य जिस खुशबू में बात कर रहे हैं एक-एक शब्द जहर जैसे लगते हैं।"

"सर...."

एक अधिकारी ने आवाज दी।

"क्या....?" नायर डीजीपी उनकी तरफ मुड़े।

"कृष्णकांत के व्यवहार में एक आदमी के ऊपर संदेह हुआ है सर...."

"वे कौन हैं....?"

"चंदन के तेल के गोडाउन में आग लग कर जलने वाले दिन सुबह कृष्णकांत जब स्पॉट पर आए थे और कलेक्टर से बात करते समय थोड़ा अलग हट कर खड़े होते समय एक आदमी उनके पास आकर कुछ रहस्य बता रहा जैसे धीरे-धीरे बोल रहा था। उसके बोलते समय कृष्णकांत का चेहरा पसीने से भीग कर काला पड़ा..."

"यह बात आपको किसने बताया?"

"एक कांस्टेबल! व्यवस्था के लिए आए हुए उस कांस्टेबल के निगाहें उस अलग से व्यक्ति पर जम गई थी।"

"वह कांस्टेबल कौन है?"

"उस कांस्टेबल का नाम मरुधरा जलम है। सत्यमंगलम शहर के पुलिस स्टेशन पी.सी आर. है। उस आदमी को यहां बुला कर अच्छी तरह पूरी जानकारी लेकर देख लिया। फिर से उस आदमी को ढूंढा तो वह नहीं मिला। दोबारा उस आदमी को देखें तो मैं पहचान लूंगा कहता हैं। उस विश्वास के सिवाए अभी कोई और कुछ भी नहीं है सर...."

"नो.... ऐसा नेगेटिव आंसर मुझे नहीं चाहिए। अपराधी को ढूंढने के लिए एक क्लु नहीं है तो दूसरा क्लु फाइंड आउट करना चाहिए।"

"वी विल ट्राई सर...."

"और 12 घंटे के अंदर वे छह जनों को वापस लाना है।"

"यस.... सर...."

डी.जी.पी. सामने जो सेल फोन धीरे से अपने डिसिप्लिन में बजा।

उन्होंने उसे उठाकर कान पर लगाया।

"यस....."

दूसरी तरफ से पी.ए. बोल रहे थे।

"क्यूं ब्रांच से एक जरूरी समाचार आया है सर।"

"क्या समाचार.....?"

पी.ए. बोलते गए डीजीपी का चेहरा स्लो मोशन में बदल रहा था।

उन्होंने पूछा।

"हाथी के गड्ढे में तीन लाशें दफन है किसी को कैसे पता....?"

"उसे एक शिकारी ने देखा है सर। हिरण के शिकार के लिए वे एक पेड़ के ऊपर चढ़कर छिप कर बैठे हुए थे उस समय तीन लाशों को ले आ कर हाथी के गड्ढे में डालकर उसके ऊपर मिट्टी डालकर बंद कर दिया.... उन्होंने बिना सांस ले पेड़ के ऊपर ही बैठे हुए उनके जाने के बाद उतर कर पुलिस में यह सूचना दी।"

"भाई शिकारी कौन था....?"

"वे एक रिटायर आर्मी ऑफिसर। नाम जलपति।"

"वह फॉरेस्ट कौन से एरिया में है ?"

"पुणेरी के पास में जो है डीर फारेस्ट।"

"हंटर जलपति अभी कहां है?"

"कमिश्नर के ऑफिस में सर...."

"न्यूज़ किसी पत्रिका में ना जाए देख लीजिएगा। मैं निकल कर आ रहा हूं।"

डी.जी.पी. उठ गए।

सुबह के 3:00 बजे थे।

पोर्टिको में कार को खड़ी करके - नीचे उतर कर सरवन पेरूमाल पोर्टिको के सीढ़ियों को चढ़ते समय - अंदर हॉल में रोशनी दिखाई दे रही थी।

सोफा के पास अमृतम, अजंता और किशोर थे।

उन्हें देखकर सरवन पेरूमाल मुस्कुराए।

"क्या है.. आज 3:00 बजे ही तीनो लोगों के लिए शिवरात्रि है लगता है। सोने ना जा कर ऐसे क्यों बैठे हुए हो...."

अमृतम ने मुंह खोला।

"रात को 10:00 बजे कार को लेकर बाहर गए आप सवेरे के समय आए हो..... कहां जा कर आए हो...?"

"मैं तो जाते समय ही सिटी क्लब को जा रहा हूं बोल कर गया था ना...?"

"क्लब किसलिए गए...?"

"हमेशा की तरह ताश खेलने...."

"क्लब में फोन करके पूछा आप वहां नहीं आए बोला...?"

"मैं अंदर के कमरे में था क्लब के टेलीफोन ऑपरेटर को नहीं मालूम होगा।"

किशोर गुस्से से उठा।

"क्यों अप्पा.... ऐसे झूठ बोल रहे हो....?"

"झूठ...?"

"हां... झूठ ही है। आप सिटी क्लब में नहीं थे...."

"फिर...?"

"कानून का जो सौदा किया उसके पैसे अभी तक आपके हाथ में नहीं आए। उस रुपए को लेने गए थे...."

सरवन पेरुमाल हंसे।

"क्या बोला.... कानून की सौदेबाजी का रुपया....?"

"हां...."

"अरे किशोर....! जैसा तुम तीनों सोच रहे हो वैसा मैं नहीं हूं। मैं अभी कुछ भी बोलूं उस पर तुम लोग विश्वास नहीं करोगे। मैं बहुत थका हुआ हूं अभी मुझे नींद चाहिए । हम अपनी लड़ाई कल सुबह लड़ लेंगे। गुड नाइट...."

सरवन पेरूमाल अपने बेडरूम की तरह जाने लगे तो अमृतम, अजंता और किशोर तीनों उनके पीठ को ही फटी आंखों से देखते रहे।

सुबह रक्षा विभाग के मंत्री, जी.एच. बरामदे में तेज चाल चल रहे थे उनके के आसपास पुलिस वाले खड़े थे।

मंत्री जी गुस्से से चलकर मोर्चरी के कमरे के सामने जाकर खड़े हुए थे।

वहां इंतजार कर रहे डी.जी.पी. नायर बड़े डॉक्टर और मिनिस्टर को देखकर विश करने के लिए सामने आए।

मंत्री जी गुस्से से कंधे पर पड़े तौलिए से मुंह पोंछते हुए मोर्चरी के अंदर गए।

एक बड़े टिन के मेज पर पामोलिन के गंद से सुरेश, कमल कुमार और एल्बोस तीनों शवों को बर्फ की सिल्ली पर रखा था।

मंत्री जी कुछ क्षण देखने के बाद पूछें।

"मृत्यु कैसे...?"

"फांसी पर लटकाया है सर...?"

"तीनों को?"

"हां ...सर... फांसी देने के बाद हाथी के गड्ढे में डाल कर बंद कर दिया.... उसे एक हंटर ने देखा तब ही बात का पता चला।"

"वह हंटर कौन है?"

नायर कमरे के बाहर झांक कर देखा सिर हिला कर एक 60 साल के उम्र वाले आदमी भव्यता के साथ अंदर आए।

मंत्री ने पूछा।

"तीनों शवों को हाथी के गड्ढे में डालकर बंद करते हुए आपने देखा?"

"हां... सर... हिरण का शिकार करने के लिए मैं पेड़ के ऊपर चुप-चाप बैठा था तब यह घटना घटी।"

"जो आए थे वे कौन थे...?"

"मैं नहीं जानता सर। कितने लोग थे यह भी नहीं मालूम क्योंकि अंधेरा था।"

"चार जने..."

"एक जने को भी पहचान नहीं सकते....?"

"नहीं सर.... मैं जिस पेड़ पर बैठा था और वे जहां पर थे उसके बीच 50 मीटर की दूरी होगी..."

मंत्री जी ने अपनी निगाहें डी.जी.पी. के ऊपर मोड़ी।

"नायर..."

"सर...."

"अपराधी को ढूंढने के लिए क्या कदम उठाने वाले हो...?"

"उस डियर फॉरेस्ट को कंप्लीट राउंड-अप कर दिया सर। 4 सर्चिंग स्क्वार्ट चारों दिशाओं में ढूंढना शुरू कर दिया। उस जंगल में अपराधी किसी कोने में भी छुपा हुआ होगा तो पकड़ लेंगे सर...."

"उन लोगों को जिंदा पकड़ना बहुत जरूरी है नायर। उन्हें गोली से मार दें तो सूत्रधार कौन हैं यह पता नहीं लग पाएगा।"

"यस..... सर.... आपने बोला जैसे ही सर्चिंग स्क्वाट्स को इंस्ट्रक्शन दे दिया है।"

मंत्री जी डी.जी.पी. को ही इशारा कर बाहर लेकर आए।

"नायर...! इन तीनों जनों की बली दी जैसे एक दूसरी घटना नहीं होनी चाहिए। चंदन तेल बोर्ड के चेयरमैन कृष्णकांत, मुकुट पति और नवनीत इन तीनों को ‘एट एनी कास्ट’ जिंदा ही छुड़ाना पड़ेगा...."

"आप फिकर मत करिए सर.... और एक घंटे के अंदर अपराधी कहीं भी हो पता लगा लेंगे।"

"पहले उसी को करो..."

मंत्री जी बोलकर वरामदे में चलना शुरू कर दिया - तो पुलिस भी पीछे गई।

"डीजीपी नायर अपने चौड़े माथे को बाएं हाथ से पकड़ा। परेशान हो एक दीर्घ श्वास छोड़ा।

'एक घंटे के अंदर अपराधी को पकड़ पाएंगे?'

***********