BETI TUMHEN VIDA KAR RAHA HOON in Hindi Poems by rajendra shrivastava books and stories PDF | बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

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बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 1 ---

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

तुम गौरव हो मेरा, विकल जीवन हो मेरा,

संसार सागर लांघकर, सुसंस्‍कारों में बॉंधकर,

परम्‍पराओं की डोली में बैठा रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

-- 2 –

हम पुतलों को, मुड़कर न देखना,

रोते मन को रूऑंसा न करना,

तुम्‍हें परम्‍परागत सुसज्जित कर,

भीतर मन में धीरज रख कर,

विव्‍हलता-विवशता की सीमा में,

कलेजे से तुम्‍हें अलग कर रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 3 ---

शिराओं में दौड़ती रहेगी सदा,

भीगी पलकों में तैरेगी सदा,

विस्‍मृत न होगी कभी मन से,

करूण मन की, तुम्‍हारी प्‍यारी यादें,

तुम जीवन का अस्तित्‍व हो मेरा,

मस्‍तक ऊँचा रखना सदा मेरा,

देहरी से तुम्‍हें अलग कर रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 4 ---

अल्‍प शिक्षा जो तुम्‍हें दे सका,

अनुशासन में जितना बांध सका,

अपने पल्‍लू से तुम भी बॉंधकर रखना,

बुद्धि-विवेक को सदा जगाये रखना,

हर्षोल्‍लास का प्रकाश फैला सकोगी,

प्रियतम के भाग्‍य को चमका सकोगी,

प्रियतम की अनुपम देहरी पर भेज रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 5 ---

बचपन अपना विस्‍मृत कर देना,

नटखट यादों को मन से भुला देना,

परिवर्तन ही कुदरत का खेल है,

नव-जीवन, रंगीन खुशियों का मेल है,

अपने नव-जीवन को गौरवान्वित सँवारना,

आशावान भाग्‍य को इन्‍द्रधनुषीय बनाना,

परिवार चमन की चम्‍पा-चमेली बन जाना,

घर-ऑंगन को सदा ही महकाये रखना,

संकल्पित जीवन के, आदर्शों की अहमियत,

समेटे रखना आदर्श, अपनी सम-वसियत,

द्रवित हिलोरें उठीं हैं, मन से भेज रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 6 ---

जन्‍मी हो तुम जिस धरा पर,

नीर न बहाना उस धरा पर,

उस धरा का तुम गौरव बढ़ाना,

सम्‍मान बुजु़र्गों का इतना करना,

व्‍याकुल कभी किसी को न करना,

न हो सके कभी, किसी का अपमान,

पीछे! क्‍यों न चाहे, रह जाये भगवान,

डिगे न कभी धर्म-विश्‍वास तुम्‍हारा,

हर मन पर रहे सदा राज तुम्‍हारा,

गरिमामय मधु-वाणी का सहारा लेना,

अटल विश्‍वास से] प्रेम को सँवार लेना,

सिमट आयेंगे संसार चमन, दामन में,

खुशियॉं-चमकती, रहेगी सदा ऑंगन में,

आल्‍हाद-अन्‍तर्मन से, भेज रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 7 ---

आशीष, तुम्‍हारे दामन में,

रूधिर कंठ से छोड़ रहा हूँ,

जीवन पर्यन्‍त कभी न होना पराजित,

कदमों तले हो सदा, तुम्‍हारी ही जीत,

समेट कर विश्‍वाशीष तुम्‍हें दे रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 8 ---

परिपूर्ण आदर्श में लिपटी गुडि़या हो तुम,

सुदृड़ शिष्‍टाचार की बहती नदिया हो तुम,

आ जाये देहरी पर, जब भी कोई भिक्षु,

रिक्‍त झोली, जाने न देना कोई भिक्षु,

मन की ऑंखों में जब, सपने तैरने लगे,

जन्‍मीधरा की नटखट यादें सताने लगे,

करना नहीं तुम कभी, मन में विषाद,

यह होगा सबसे बड़ा, जीवन-अपवाद,

दामन कभी गीला, अपना करना नहीं,

मर्यादा का उल्‍लंघन कभी करना नहीं,

रूह से उठी दुआऍं तुम्‍हें दे रहा हूँ!!

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

--- 9 ---

प्रियतम की आज्ञा का पालन सदा करना,

पीहर की डगर पर तब तुम कदम रखना,

गौरवान्वित हो जायेगी सफल जिन्‍दगी मेरी,

कहलाओगी तभी पुत्री तुम ‘’गरिमा’’ मेरी,

यही दुनिया की निराली-रीत है,

सुसंस्‍कारों भरी तुम्‍हारी जीत है,

कभी अलविदा स्‍वयं को न कहना,

रूही अश्रुफूलों को सदैव रोके रखना,

स्‍वयं की ऑंखों को समझा रहा हूँ,

अपने सौभाग्‍य पर खुश हो रहा हूँ,

प्रारब्‍ध-धर्म; अपना निभा रहा हॅूं,

कु़दरत-धर्म; का पालन कर रहा हूँ,

ममत्‍व त्‍याग कर, प्रियतम को सौंप रहा हूँ,

बेटी! तुम्‍हें विदा कर रहा हूँ!!

♥♥♥ इति ♥♥♥

संक्षिप्‍त परिचय

नाम:- राजेन्‍द्र कुमार श्रीवास्‍तव,

जन्‍म:- 04 नवम्‍बर 1957

शिक्षा:- स्‍नातक ।

साहित्‍य यात्रा:- पठन, पाठन व लेखन निरन्‍तर जारी है। अखिल भारातीय पत्र-

पत्रिकाओं में कहानी व कविता यदा-कदा स्‍थान पाती रही हैं। एवं चर्चित

भी हुयी हैं। भिलाई प्रकाशन, भिलाई से एक कविता संग्रह कोंपल, प्रकाशित हो

चुका है। एवं एक कहानी संग्रह प्रकाशनाधीन है।

सम्‍मान:- विगत एक दशक से हिन्‍दी–भवन भोपाल के दिशा-निर्देश में प्रतिवर्ष जिला स्‍तरीय कार्यक्रम हिन्‍दी प्रचार-प्रसार एवं समृद्धि के लिये किये गये आयोजनों से प्रभावित होकर, मध्‍य-प्रदेश की महामहीम, राज्‍यपाल द्वारा भोपाल में सम्‍मानित किया है।

भारतीय बाल-कल्‍याण संस्‍थान, कानपुर उ.प्र. में संस्‍थान के महासचिव माननीय डॉ. श्री राष्‍ट्रबन्‍धु जी (सुप्रसिद्ध बाल साहित्‍यकार) द्वारा गरिमामय कार्यक्रम में सम्‍मानित करके प्रोत्‍साहित किया। तथा स्‍थानीय अखिल भारतीय साहित्‍यविद् समीतियों द्वारा सम्‍मानित किया गया।

सम्‍प्रति :- म.प्र.पुलिस से सेवानिवृत होकर स्‍वतंत्र लेखन।

सम्‍पर्क:-- 145-शांति विहार कॉलोनी, हाउसिंग बोर्ड के पास, भोपाल रोड, जिला-सीहोर, (म.प्र.) पिन-466001,

व्‍हाट्सएप्‍प नम्‍बर:- 9893164140] मो. नं.— 8839407071.

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