Aapki Aaradhana - 11 in Hindi Moral Stories by Pushpendra Kumar Patel books and stories PDF | आपकी आराधना - 11

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आपकी आराधना - 11

भाग - 11

रात के 9 बज रहे थे आराधना और मनीष डिनर के लिए बैठे, न जाने दोनों की भूख कहाँ गायब थी पर आराधना ने इतने प्यार से आलू और भिंडी की सब्जी बनाई है यही सोचकर ही मनीष ने प्लेट उठाते हुए पहला निवाला आराधना को ही खिलाया। मनीष के मोबाइल मे रिंगटोन बजने लगा शायद उसके पापा का ही कॉल हो इलसिये वह खुश हुआ

" हेलो पापा, पहुँच गये आप "

" हाँ बेटा, तुम दोनो ठीक तो हो न "

" जी पापा, मम्मी और शीतल कैसे हैं? कुछ बताया क्या आपने हमारे बारे मे ? "

" अभी तो नही बेटा !
पर शायद उन्हें शक हो गया है, मै कल ही उनसे बात करता हूँ "

" मिस यू पापा, आप मम्मी को मना लोगे न "

" मिस यू टू बेटा, हाँ बिल्कुल तुम्हारी मम्मी और शीतल दोनों मान जायेंगे देखना सब ठीक हो जायेगा "

कहते हैं न माँ - बाप के आशीर्वाद से सारे काम सफल हो जाते हैं। मनीष और आराधना भी तो यही चाहते थे उनकी जिन्दगी बड़ो के आशीर्वाद और प्यार से ही आगे बढ़े। इसलिए एक उम्मीद की लौ जो उनके जीने का सहारा बनती जा रही थी।
दिनभर की थकान की वजह से कब उनकी आँख लग गयी पता ही न चला।

" गुड मॉर्निंग आरू "
हाथ मे चाय लेकर मनीष खड़ा दिखाई दिया।

" अरे! आपने क्यों कष्ट किया?
मै तो उठने ही वाली थी "

" क्या हुआ ? आज मेरे हाथ की चाय पी लो न मेरी आरू "

मनीष ने आराधना के गालों को सहलाते हुए कहा।

तभी दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी।

" गुड मॉर्निंग मनीष जी
सॉरी डिस्टर्ब करने के लिए "
हाथों मे कुछ हरी सब्जियाँ लेकर अमित सामने खड़ा था।

" अरे! अमित जी,
गुड मॉर्निंग आइये न "
मनीष ने अंदर बुलाते हुए अमित से कहा।

अमित ने बताया कि वह दिवाली पर अपने घर जा रहा है और 1 हफ्ते बाद लौटेगा।
कुछ सब्जियाँ जो वह बाजार से लाया था उसने मनीष को दे दिया । अमित का यह व्यवहार मनीष और आराधना को काफी पसंद आया।

आखिर दीवाली का दिन आ ही गया। मकान की साफ-सफाई तो मिस्टर अग्रवाल ने पहले ही करा दी थी, फिर भी मनीष और आराधना ने कोई कसर न छोड़ी।
चमकदार लाइट्स, दरवाजे के दोनों ओर केले पत्ते की सजावट, आम पत्तों वाली तोरण और सामने पारंम्परिक डिजाइन वाली रंगोली चार चाँद लगा रहे थे।

" आराधना, कुछ अधूरा सा नही लग रहा इस इस रंगोली में "
रंगोली की ओर टकटकी लगाये हुए मनीष ने कहा।

" शायद आपको रंग पसंद नही आया, डिजाइन भी कुछ खास नही है न मनीष जी "

" ऐसी बात नही आरू "

" तो फिर...."

" अब हुई न मनीष और आराधना की रंगोली कंप्लीट "

रंगोली के नीचे बड़े अक्षरों मे मनीष ने दोनों का नाम लिखा इतने मे आराधना ने उसे गले से लगा लिया और भावुक हो गयी। उसने कभी सोंचा नही था उसे इतना प्यार करने वाला जीवनसाथी मिलेगा। ढलती शाम और दीये की रौशनी मन मे नये उजाले भरने वाले थे एक छोटा सा आशियाना जिसे उन दोनों ने अपने हाथों से नया रूप दिया था।
यलो कलर की सितारों से सजी सुंदर साड़ी और पूरी बाँह वाली ब्लाऊज, हाँथो मे मैचिंग वाले कंगन आराधना तैयार होकर आयी।
यलो कलर की ही शेरवानी और जालीदार दुप्पटा चेहरे पर मंद - मंद मुस्कान लिये मनीष पूजा की तैयारियों मे लगा था।
शादी के बाद उनकी पहली दीवाली और पहला त्यौहार जिसके मायने आराधना के लिए बदल ही गये थे।
एक पवित्र बन्धन जिसमे वो बंध चुके थे और सारी उमर यूँ ही साथ रहने की कस्मे खाने लगे।

" कितना अजीब है न आराधना, फर्स्ट टाइम मै दिवाली के मौके पर घर से बाहर हूँ और उनसे बात भी नहीं कर सकता "
ऐसा कहते हुए मनीष का गला भर आया।

" आप हौसला रखिये मनीष जी, शायद वो भी आपको याद कर रहे होंगे, और पापा जी ने कहा है न वो सब ठीक कर देंगे "

" ऐसा ही हो आरू, माँ लक्ष्मी सब ठीक कर दे और नेक्स्ट टाइम हम सबके साथ ही दीवाली मनाये "

" अब पूजा तो हो गयी, चलिये न फिर फटाके जलाते है "

" लेकिन मुझे डर लगता है आरू "

" लड़के होकर फटाकों से डरते हैं आप, हा.. हा.. "

" तो क्या लड़के डरते नही ? "

चारों तरफ फटाकों की धूम - धड़ाम होने लगी और पूरा गरियाबंद शहर दीयों की रोशनी से नहा उठा था। मनीष और आराधना की अनोखी दीवाली जो सदा के लिये उनके यादों मे समा गयी।

" भाभी जी... भाभी जी
घर आ गया "
ड्राइवर ने गाड़ी रोककर आराधना से कहा।

" हाँ भैया,
अरे! वंश तो सो गया है।
वंश .. उठो बेटा घर आ गया "
आराधना ने अपने आँसू पोछे और वंश को जगाया जो उसकी गोद मे ही सो चुका था।
एक पल को न जाने वो कहाँ खो गयी थी कुछ देर पहले तो उसकी आँखों के सामने दियों की जगमगाहट थी और कानों मे गूँजती आतिशबाजियों की आवाज। पर फिर से वह आ गिरी वर्तमान मे जहाँ सिर्फ सवाल ही सवाल है।

" मेरा वंश बेटू आ गया ,
कैसी रही आराधना आज की मीटिंग ? "
अमित ने वंश को गोद मे उठाते हुए कहा।

" कुछ खास नही, बस पहले जैसा ही "

" क्या हुआ आराधना ?
सुनीता जी से बात हुई क्या ? "

" हाँ अमित जी, वो...."

" क्या कहा उन्होंने कमला आंटी के बारे मे ? "

" वो मनीष और अग्रवाल अंकल...."

" हाँ.. बताओ न कहाँ है वो ? "

" मनीष और अग्रवाल अंकल की डेथ हो चुकी है.. "

आराधना अपने आप को सँभाल न सकी और उसके मन का गुब्बार फुट गया,अमित के सीने से लगकर वह फूट - फूट कर रोने लगी। अमित भी हैरान था एक के बाद झटके जो आराधना और उसकी जिन्दगी मे तूफान से ला रहे थे।
अग्रवाल अंकल की शख्सियत का तो वो भी दीवाना था, कितने भले आदमी थे वे...

क्रमशः...