Ankaha Ahsaas - 13 in Hindi Love Stories by Bhupendra Kuldeep books and stories PDF | अनकहा अहसास - अध्याय - 13

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अनकहा अहसास - अध्याय - 13

अध्याय - 13

इधर अनुज ऑफिस में बैठकर काम कर रहा था कि अचानक उसका फोन बजा।
हेलो अनुज। फोन पर उसकी माँ मिसेस अनीता थी।
हेलो हाँ बताईये क्या बात है। अनुज बोला।
देखो अनुज मैं देख रही हूँ कि तुम मुझसे दूर भागने की कोशिश लगातार कर रहे हो जो कि अच्छी बात नहीं है। मैं तुम्हारा बुरा थोड़ी चाहती हूँ। तुम सुन रहे हो कि नहीं।
जी हाँ मैं सुन रहा हूँ।
तो फिर जवाब क्यों नहीं देते। मैं तुमको बार-बार समझा रही हूँ कि मेरी सहेली की बेटी आभा तुम्हारे लिए अच्छी रहेगी पर तुम ध्यान ही नहीं देते। उससे शादी कर लो तुम्हारी समस्याएं खत्म हो जाऐंगी।
मेरी समस्या की आप चिंता मत कीजिए। मैं ठीक हूँ।
वो लोग भी अच्छे धनी है तुम्हे बिजनेस में सपोर्ट मिलेगा करके बोल रही हूँ।
मैंने कहा ना मेरी समस्याओं की आप चिंता मत करिए। मैं आपकी आवश्यकताओं की पूर्ति करते रहूँगा उसमें आपको कमी नहींहोने दूँगा। दूसरों को बीच में रखकर मद्द लेने की कोई जरूरत नहीं। आप सिर्फ मुझेये बताईये कि आपको कितने पैसे की आवश्यकता है। मैं ट्रांसफर कर दूँगा। मैं जानता हूँ कि आपका फोन सिर्फ उसी लिए आता है।
ठीक है मेरे अकाऊँट में 2 लाख डलवा दो।मुझे एक पार्टी में जाना है वहाँ रमी खेलने के लिए जरूरत पड़ेगी।
ठीक है मैं अभी भेज देता हूँ। कहकर उसने फोन काट दिया।
उसका मूड खराब हो गया था। वो 2 लाख तुरंत उनके अकाऊँट में ट्रांसफर कराया और सब काम छोड़ सिर पकड़ कर बैठ गया था।
तभी मधु अंदर आई।
आओ मधु बैठो। उसने उदास लहजे से कहा।
क्या हुआ भैया आप उदास क्यों दिख रहे हैं।
बस तुम्हारी मम्मी का फोन आया था।
पैसे के लिए ? मधु पूछी।
हाँ तुमने सही कहा।
मुझे मालूम है वो आपको फोन तभी करती हैं जब उनको पैंसो की जरूरत होती है।
पर भैया आप उनकी बुरी आदतों को शय क्यों देते है आपको तो मालूम है ना वो ये पैसे जुए में उड़ा देंगी।
इसलिए देता हूँ मधु क्योंकि एक तो उन्होने मेरे पिता का साथ दिया था और दूसरा कि वो तुम्हारी माँ हैं। तुम बताओ कि रमा की तबीयत ठीक है कि नहीं। क्या तुम सीधे वहीं से आ रही हो।
हाँ भैया मैं वहीं से आ रही हूँ उसकी तबीयत भी ठीक है।
तो आज वो कॉलेज आने वाली है कि नहीं।
पता नहीं शायद आ जाए।
अच्छा ठीक है कहकर वो अपना काम करने लगा।
इधर मधु की माँ मिसेस अनीता को पैसे मिल गए थे तो वो खुश थी पर ये सोच रही थी कि अचानक अनुज ने कॉलेज में पैसे लगाने के बारे में कैसे सोचा। आखिर कौन सी बात है जो अनुज और मधु मुझसे छुपाकर कर रहें है। कॉलेज ही क्यों ? आखिर उसका कंस्ट्रक्शन का बिजनेस तो अच्छा चल रहा था पर अचानक कॉलेज के लिए इंनवेस्टमेंट कुछ समझ में नहीं आया। लगता है किसी को भेज कर पता करना पड़ेगा। मेरे इरादो के विरूद्ध तो कुछ कर नहीं रहा है अनुज ? मधु को पूछॅूगी पर वो तो बताने से रही। वो तो अनुज के ही पीछे पागल है। अचानक उसे दिमाग में एक बात कौंधी । कहीं रमा तो वहाँ काम नहीं करतीवहाँ ये संभव है, हो सकता है वो उसी के लिए वहाँ गया हो। पर रमा को तो मैंने पहले से ही चेतावनी दी थी। मुझे नहीं लगता कि वो मेरी बात नहीं मानेगी। क्या करूँ? क्या करूँ? किसको भेंजू जो पता भी करे और परिस्थितियों को संभालने की भी कोशिश करें। हाँ सुनीता का बेटा गगन इस काम के लिए ठीक रहेगा। उसको कॉलेज में पढ़ाने का अनुभव है तो आसानी से वहाँ नौकरी मिल जाएगी और मेरा काम भी कर पाएगा। वही ठीक है। विश्वासपात्र और बुद्धिमान भी है इतने मे वो किटी पार्टी में पहुंच गई। उसने पहुँचते ही सुनीता से बात की।
हेलो सुनीता क्या हाल है तुम्हारे ?
ओ हेलो अनीता। सब बढ़िया तुम बताओ ?
बस यार। आज कल तो मैं अकेले हूँ घर पर मेरा बेटा और बेटी नजदीक के ही एक शहर में शिफ्ट हो गए हैं।
कैसे ? मतलब कुछ काम से ?
हाँ यार वहाँ एक महाविद्यालय में अनुज ने इनवेस्टमेंट किया है और उसी के सिलसिले में वो दोनो वहाँ शिफ्ट हो गए हैं। तू बता तेरा बेटा गगन आजकल क्या कर रहा है।
यहीं एक कॉलेज में पढ़ाता है यार। सुनीता बोली
तो तू उसको वहाँ क्यों नहीं भेज देती। कॉलेज भी अपना और तनख्वा भी ज्यादा। तु बुला ना उसको मैं अभी बता देती हूँ।
अच्छा मैं उसको फोन करती हूँ। मिस सुनीता ने फोन करके गगन को बुला लिया।
नमस्ते आंटी। गगन ने आते ही कहा।
नमस्ते बेटा। क्या कर रहे हो आजकल।
बस आंटी यहीं एक प्राईवेट कॉलेज में पढ़ा रहा हूँ।
तुमसे कुछ बात करनी थी गगन। उधर थोड़ा अकेले में चलो।
गगन को थोड़ा अजीब लगा।
आओ ना गगन।
जी आंटी। हाँ बताईये। वो नजदीक आकर बोला।
देखो गगन। अनुज ने अभी यही नजदीक के शहर में एक कॉलेज में इनवेस्टमेंट किया है। अभी वो वहाँ का चेयरमेन है। मतलब वही कॉलेज संभाल रहा है। तुम वहाँ जाओ और अप्लाई करो। कॉलेज भी हमारा है और तुमको वेतन भी ज्यादा मिलेगा। परंतु मेरा एक काम करना पड़ेगा।
वो क्या आंटी ?
आज से दो साल पहले अनुज के जीवन में एक लड़की आई थी, रमा। वो दोनों एक-दूसरे को पसंद करते थे यहाँ तक कि उनकी शादी भी तय हो गई थी परंतु जिस दिन शादी तय करके मेरे पति घर आ रहे थे उसी दिन कार एक्सीडेंट में उनका देहांत हो गया। इस बात से मुझे बहुत धक्का लगा और मैंने रमा को अनुज के जीवन से हमेशा के लिए दूर चले जाने को कहा। उसने बात मान ली और दूर चली गई। मैंने अनुज की शादी अपनी सहेली की बेटी आभा से करने की कोशिश की परंतु उसने मना कर दिया। वो दो साल तक अपना कंस्ट्रक्शन का बिजनेस देख रहा था पर अचानक कैसे कॉलेज में पैसा लगाया है मुझे समझनहीं आया। अब मुझे लगता है वो वहाँ रमा के पीछे ही गया है। तुम जाकर पता करना कि रमा नाम की कोई लड़की वहाँ काम करती है क्या ? उन दोनो मतलब अनुज और रमा के बीच क्या चल रहा है और हो सके तो उन दोनों के बीच दीवार बनाना। क्योंकि मैं नहीं चाहती दोनों की शादी हो।
क्यों आंटी ?
क्योंकि उसके साथ मेरा दुर्भाग्य आया था और मैं नहीं चाहती वो मेरा और दुर्भाग्य बढ़ाए। अच्छा ठीक है आंटी। पर वो मुझे रखेंगे ?
क्यों नहीं रखेंगे। मैं उसके दोस्त शेखर को फोन कर देती हूँ। तुम बस अपना रेस्यूम और सामान लेकर चले जाओ।
ठीक है आँटी, मैं कल ही चला जाऊँगा।

क्रमशः

मेरी अन्य तीन किताबे उड़ान, नमकीन चाय और मीता भी मातृभारती पर उपलब्ध है। कृपया पढ़कर समीक्षा अवश्य दे - भूपेंद्र कुलदीप।