8 - ganitiy gyaan in Hindi Motivational Stories by Rajesh Maheshwari books and stories PDF | अर्थ पथ - 8 - गणितीय ज्ञान

Featured Books
Categories
Share

अर्थ पथ - 8 - गणितीय ज्ञान

गणितीय ज्ञान

किसी भी व्यापार में कर्ज और पूंजी में समन्वय होना चाहिए चाहे वह कर्ज आपने बैंक या निजी संस्थानों से ही क्यों ना लिया हो। हमें पूंजीगत निवेश को कार्यकारी पूंजी से हमेशा अलग रखना चाहिए ताकि व्यापार को अर्थाभाव का सामना नही करना पडे। अधिकांश व्यापारियेां की असफलता का यही एक प्रमुख कारण रहता है। किसी भी उद्योग या व्यापार में संचालन गणित का खेल है और यदि आप इसमें पारंगत है तभी उद्योग या व्यापार को सफलता पूर्वक चला सकेंगे।

एक समय था जब बैंक और वित्तीय संस्थाएँ आपकी साख पर रूपया कर्ज के रूप में दे देते थे परंतु आज बिना निजी जमानत के कही भी कोई भी कर्ज नही देता है। व्यापार से संभावित लाभ न होने के कारण कर्ज न चुका पाने की स्थिति में हमारी निजी संपत्ति खतरे में पड जाती है। हमारे दिन का चैन और रातों की नींद हराम हो जाती है। किसी भी व्यापार में सफलता प्राप्त नही होने तक संघर्षषील रहना होगा। हमें स्वयं में दूरदर्शिता विकसित करके विपत्तियों को पार करते हुए सफलता प्राप्त कर सूर्य के समान ऊर्जावान बनना चाहिए तभी हम समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त कर सकेंगे। व्यापार का क्षेत्र बहुत व्यापक है इसमें आप अकेले भी अपना काम देख सकते है और व्यापार के प्रसार के अनुसार कर्मचारियों को बढा सकते है। आपके अधीनस्थ काम करने वालों के प्रति आपकी आत्मीयता एवं व्यवहार ही आपके एवं व्यापार की सफलता का आधार है।

हम जब किसी भी वित्तीय संस्थान से ऋण लेते है तो वे आश्वासन दे देते है कि आपको कुछ ही दिनों में ऋण उपलब्ध करा देंगे परंतु जब आप उनकी औपचारिकताएँ पूरी कर देते है तब आप महसूस करेंगे की उन्हेांने कर्ज तो दे दिया परंतु आपकी अधिकांश जायदाद सुरक्षा के रूप अपने पास रख लेते है जबकि लगभग 2 करोड तक की राषि के ऋण के लिए अवैधानिक है। केंद्र शासन के द्वारा 2 करोड तक का कर्ज वित्तीय संस्थानों से प्राप्त करने के लिए हमें अपनी निजी गारन्टी देने की कोई आवष्यकता नही है। यह तो केंद्रीय शासन उद्योगों की सुविधा के लिए प्रदान करता है जिसकी जानकारी वित्तीय संस्थान हमें नही देते है और जब उन्हें इन प्रावधानों को बताकर मजबूर ना किया जाए तब तक वे आपको ऋण देने में परेशान करते है।

हमें यह पूरी जानकारी होनी चाहिए कि जहाँ हम उद्योग स्थापित कर रहे है वहाँ पर उसकी मांग के अनुरूप बाजार है या नही और हमारी प्रतिस्पर्धा में जो उद्योगपति है उनकी क्या स्थिति है ? किसी भी उद्योग एवं व्यापार की स्थापना द्वारा हम अपनी बौद्धिक क्षमता के प्रदर्षन से, धन की प्राप्ति, समाज में मान सम्मान तथा बेरोजगारों को रोजगार के अवसर उपलबध कराते है। हमें ऐसे निर्णय दिल से नही दिमाग से लेना चाहिए। किसी भी व्यापार को करने के लिए ढेरों संसाधनों की आवष्कयता हेाती है।

हम किसी भी उद्योग को कहाँ लगाए इस विषय पर विचार करते है तो सबसे पहली बात हमें यह सोचना चाहिए कि उद्योग की स्थापना के लिए निजी भूमि या सरकार द्वारा प्रदत्त औद्योगिक क्षेत्र की भूमि का उपयोग किया जाए। निजी भूमि पर उद्योगों की स्थापना करने से उद्योग के बंद हो जाने पर इस भूमि को बेच कर धन प्राप्त हो सकता है परंतु सरकारी भूमि पर यह सुविधा नही है क्योंकि वह लीज पर मिलती है जिसका उपयोग किसी अन्य कार्य के लिए नही किया जा सकता। शासकीय औद्योगिक भूमि में संचालन के लिए विभिन्न विभागों से अनुमति पत्र की आवश्यकता नही होती है परंतु निजी भूमि में आपको अनेक शासकीय विभागों से अनुमति लेना होती है। किसी भी उद्योग की स्थापना से पहले पानी, बिजली, यातायात के साधनों, मजदूरों की उपलब्धता के विषय में गंभीरतापूर्वक चिंतन करना चाहिए। हमारे कच्चे माल की उपलब्धता एवं उत्पादित माल की बिक्री के लिए कारखाने से दूरी महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि इसी पर हमारी उत्पादन लागत एवं बिक्री मूल्य निर्भर करता है। इन दोनो पर ही हम लाभ हानि का आकलन कर सकते है। जब भी कोई नया उद्योग लगाया जाए तो हमें कम से कम दो साल तक किसी प्रकार के लाभ की आशा नही रखना चाहिए।

एक सफल उद्योगपति को काले धन की कमाई से सदैव दूर ही रहना चाहिए तभी वह सुख, शांति व समर्पण के साथ काम करते हुए अपने उद्योग को सफलतापूर्वक चला पायेगा। आज शासन ने करों में इतनी कमी कर दी है कि अब काले धन का कोई महत्व नही रह गया है।

किसी भी उद्योग एवं व्यापार में गणित का महत्वपूर्ण स्थान है और इसके ज्ञान के बिना आप अपूर्ण है। उद्योग और व्यापार पूर्णतया गणित का खेल है और यदि गणित का ज्ञान न हो तो उद्योग व्यापार में कदम नही रखना चाहिए। किसी भी व्यापार या उद्योग में आपको कच्चे माल की लागत से लेकर पके माल की लागत तक की प्रक्रिया पर होने वाले खर्च के साथ साथ स्थायी खर्चो को भी जोडकर विक्रय योग्य माल का वास्तविक मूल्य निकालकर एवं अपने लाभ का प्रतिशत जोडकर ही आपको अपने उत्पाद की अंतिम लागत पता हो सकेगी तभी आप उसका विक्रय मूल्य तय कर सकेंगे और इसके लिए गणित का ज्ञान अतिआवश्यक है। व्यापारिक गणित के आधारभूत ज्ञान की प्राप्ति हेतु हमें किसी अच्छे चार्टड एकाऊंटेंट फर्म में कुछ समय तक प्रषिक्षण लेना चाहिए ताकि हम गणितीय ज्ञान के साथ साथ आयकर, जीएसटी, कंपनी ला आदि के बारे में भी मूलभूत जानकारी प्राप्त कर सके।

मेरे एक मित्र पूनमचंद के कारखाने में उनका स्टाक रजिस्टर काफी माल कारखाने के अंदर स्टाक में बता रहा था। उनकेा अचानक ही एक बडा आर्डर प्राप्त हुआ जिसमें उन्हें तुरंत ही रेल्वे का एक पूरा रैक भरकर माल भेजना था और उसके लिए रैक भी कारखाने पहुँच गया था। इसमें जब माल भरा गया तो स्टाक खत्म हो गया परंतु रैक आधा भी नही भरा था।

यह जानकारी होने पर कारखाने में हडकंप मच गया कि बाकी का स्टाक कहाँ गायब हो गया ? जब इसकी छानबीन चालू हुई तो जाँच अधिकारियों ने जाँच करने के बाद दो बातें चेयरमैन के सम्मुख रखी कि इस गडबडी में दो ही बाते हो सकती है पहली कि माल का उत्पादन ही नही हुआ और संबंधित अधिकारी और कर्मचारीयों ने अपनी अयोग्यता को छुपाने के लिए उत्पादन से संबधित झूठी गणितीय रिपोर्ट बनाकर भेज दी पंरतु फिर भी यह आश्चर्यजनक है कि उच्च अधिकारियों ने इसकी बगैर जाँच किए विश्वास कर लिया अथवा दूसरी बात यह हो सकती है कि माल का उत्पादन तो हुआ हो परंतु अधिकांश अधिकारी एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से यह माल चोरी छिपे बेच दिया गया हो।

यह जानकर चेयनमैन ने जब स्वयं जांच की तो उन्होंने पाया कि जांच अधिकारियों की पहली बात सही थी कि माल का उत्पादन ही नही हुआ था और संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों ने अपनी अयोग्यता छुपाने के लिये झूठी रिपोर्ट बनाकर भेज दी। मैनेजिंग डारेक्टर, जनरल मैनेजर और संबंधित सुपरवाइजरों को तत्काल निलंबित करके उनके स्थान पर नए अधिकारीयेां को नियुक्त करके चेयरमैन ने अपनी दृढता एवं त्वरित निर्णय लेने की क्षमता का परिचय दिया। इस प्रकार हम समझ सकते है कि उच्च अधिकारियों की नीयत में खोट होने से कंपनी को कितना नुकसान हो सकता है इसलिये हमें सदैव जागरूक रहकर स्वयं के गणितीय ज्ञान के आधार पर समय समय पर जाँच करते रहना चाहिए।