Mr. and M.R. - 2 in Hindi Fiction Stories by Anil Patel_Bunny books and stories PDF | Mr. and M.R. - 2

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Mr. and M.R. - 2

पिछले अंक से आगे,

घटना:
“इसको कहीं तो देखा है।” माधव ने हॉस्पिटल में अपने क्रम का इंतजार करते हुए, एक व्यक्ति को देखकर मीरां से कहा। वो अंजान व्यक्ति माधव की तरफ ही आ रहा था।
“कैसे हो माधव?” उस व्यक्ति ने पूछा।
“मैं ठीक हूं। तुम शायद राघव हो?” माधव ने कहा।
“बिल्कुल सही पहचाना।” राघव ने कहा।
माधव और राघव स्कूल में साथ ही पढ़ते थे। माधव ने मीरां और राघव का एक दूसरे से परिचय करवाया।
“मैं M.R. (Medical Representative) हूं। यहां पर दवाओं के सैम्पल ले कर आया हूं। हर Friday को दोपहर 12.30 बजे M.R. का टाइम होता है।” राघव ने कहा।
माधव ने घड़ी की ओर देखा 12.30 बजने ही वाले थे और उसका नंबर अभी तक नहीं आया था।
“तो तुम सेल्समैन बन गए।” माधव ने कटाक्ष करते हुए कहा।
“हां तुम ये कह सकते हो, पर मेरी अपनी खुद की फार्मास्युटिकल कंपनी है। लाखो में कमाई होती है, हम खुद कुछ मेडिसीन मैनुफैक्चरिंग करते है और उसे देश-विदेश में एक्सपोर्ट करते है। डॉ. मेहरा मेरे पुराने क्लाइंट है इसलिए वो हमेशा मुझे ही बुलाते है।” राघव ने कहा।
“और? शादी हो गई?” माधव ने घड़ी की ओर देखते हुए पूछा।
“हां। 6 साल हो गए शादी को 1 बेटा भी है 3 साल का। अभी पिछले महीने ही दीवाली भी थी और उसका जन्मदिन भी तभी हम लोग घूमने के लिए दुबई गए थे।” राघव ने कहा।
“बढ़िया…!” माधव ने ईर्ष्या से कहा।
तभी राघव ने अपनी जेब में से एक च्युइंग-गम निकाली और खा ली। फिर माधव को भी उसने ऑफर किया, पर माधव ने इनकार कर दिया।
“सिगरेट के बदले में ये च्युइंग-गम चबा सकते है। मैं सिगरेट छोड़ने की कोशिश कर रहा हूं।” राघव ने कहा।
माधव ने कोई जवाब नहीं दिया। उसने बस अपनी झूठी सी मुस्कान बिखेर दी। तभी रिसेप्शन में बैठी महिला ने राघव को इशारा किया और वो डॉ. मेहरा से मिलने के लिए जाने लगा। माधव ने उस महिला से पूछा कि उसका नंबर कब आएगा जब कि वो राघव से पहले आया था। उस महिला ने कहा कि, “राघव जी का अपॉइंटमेंट पहले ही फिक्स रहता है उनके जाने के बाद आपका ही नंबर है।”
राघव अंदर गया और इधर माधव मन ही मन में बड़बड़ाने लगा और मीरां से भी फरियाद करने लगा कि उसने सुबह की अपॉइंटमेंट क्यों नहीं ली।
कुछ ही देर में राघव बाहर निकला और रिसेप्शन में बैठी महिला ने माधव और मीरां को अंदर जाने को कहा। राघव ने माधव को देखकर कहा, “ठीक है दोस्त, चलता हूं। उम्मीद है फिर कभी मिलेंगे। हैप्पी न्यू ईयर इन एडवांस।”
माधव को गुस्सा तो आया क्योंकि वो दोनों सिर्फ साथ पढ़ते थे कोई दोस्त नहीं थे, पर फिर भी उसने सेम टू यू कह दिया। इसके बाद माधव अंदर और राघव बाहर चला गया।
डॉ. मेहरा ने सब कुछ चेक किया, ड्रेसिंग करवाई फिर कहा, “आप बहुत ज़्यादा चिंता करते है। इतना ज़्यादा नहीं सोचना चाहिए। अभी आप से पहले जो आये थे वो मेरे पुराने मित्र है राघव मिश्रा। उनको लास्ट स्टेज का लंग(फेफड़े) कैंसर है फिर भी वो अपनी लाइफ फुल एन्जॉय कर रहे है अभी पिछले ही महीने वो दुबई गए थे जब कि डॉक्टर ने उन्हें आराम करने की सलाह दी है। अब उनके पास शायद 5 या 6 महीने का ही वक्त है फिर भी बेफिक्र हो कर जी रहे है। डॉक्टरों ने साफ-साफ कह दिया है कि इनके पास अब ज़्यादा वक्त नहीं है, और जबसे ये बात राघव को पता चली है तब से वो एकदम बदल गया है। उसे अपने मरने का डर नहीं है बस जीने की तमन्ना है। उसने अपने बीवी बच्चो के लिए भी सारे इंतज़ाम कर दिए है। यहां तक कि उसके जाने के बाद के 10 साल तक की प्लानिंग कर ली है। मरने के बाद वो अपने ऑर्गन भी डोनेट कर देगा। सही में मैं राघव से बहुत प्रभावित हूं। आप को भी उनसे कोई प्रेरणा मिले तो ये आपके लिए भी अच्छा है।”
मीरां और माधव एक दूसरे को देखते ही रह गए और ज़्यादा कुछ ना कर पाए, ना कुछ कह पाए। माधव जानता था राघव को सिगरेट पीने की लत थी, स्कूल के समय से ही थी। जिसका अंजाम ये होगा उसे ये मालूम नहीं था।
इस घटना के बाद माधव का ज़िंदगी के प्रति नज़रिया ही बदल गया। वो मन ही मन सोचने लगा राघव के जीवन में इतने दुःख है फिर भी कहीं से भी वो मुझे दुःखी नजर नहीं आया, और मैं कुछ महीनों में ही अपनी तकलीफ से ऊब गया? यहां तक की अपनी जान देने की भी सोच भी अपने मन में ले आया।
उस दिन के बाद से माधव ने अपने आपको ठीक करने की ठान ली, और आगे यदि ऐसी मुसीबत आए तो उसका डटकर सामना करने की कसम खा ली। मुसीबत हर किसी की ज़िंदगी में कभी भी दस्तक दे सकती है। फिर वो छोटी हो या बड़ी, मुसीबत को हम किस तरह से लड़ते है और कैसे उस पर जीत हासिल करते है यही हमारा मनोबल दर्शाता है।

वर्तमान समय में,
मीरां ने अपनी डायरी में ये पढ़ा और तुरंत उसे माधव की याद आई। उसने घड़ी की ओर देखा तो रात के 2.30 बज रहे थे। एक पल उसे हुआ कि इतनी रात को माधव को हैरान करना ठीक नहीं होगा, पर दूसरे ही पल उसने माधव को वीडियो कॉल किया।
“क्या हुआ?” माधव ने पूछा।
“कुछ नहीं। बस तुम्हारी याद आ रही थी। तुम ठीक तो हो ना?” मीरां ने पूछा।
“हां, बस 2 दिन और फिर मैं घर आ ही रह हूं ना! अभी मुझे बहुत नींद आ रही है, दवा की वजह से, कल बात करें?” माधव ने पूछा और मीरां ने हां बोल के कॉल कट कर दिया और सोचने लगी,
एक वक्त था जब माधव अपनी तकलीफ को लेकर चिढ़ जाता था, पर अब देखो उसे कोरोना हुआ है और वो अस्पताल में पिछले 12 दिन से है फिर भी सुकून से है। इतनी बड़ी बीमारी का भी वो बड़ी हिम्मत से डटकर सामना कर रहा है। यही दृढ़ता से वो जरूर कोरोना को एक दिन मात दे देगा, मुझे पूरा यकीन है।
मीरां अपनी डायरी और फोन दोनों रखकर निश्चिंत होकर सो गई।

🙏 समाप्त 🙏

सत्य घटना पर आधारित।

✍️ Anil Patel (Bunny)