navita ki Kalam se .. - 3 in Hindi Fiction Stories by navita books and stories PDF | नविता की कलम से... - 3

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नविता की कलम से... - 3

🎼 प्यार भरी रोटी 🎼

रोटी भी क्या चीज़ बनाई हैं ,🌮
रोटी खुद गोल है , 🌯
इंसान को भी गोल गोल घुमाती है
ख़ुद आग पे जलती है 🔥🌮
और दूसरों की भूख मिटाती है l

रोटी ,जिस के लिए सब घरो से बाहर दौडते है। घर से बाहर ,हम सब रोटी के लिए बाहर जा कर मेहनत करते है , पर फिर पैसे कमाने के चकर मे रोटी खाना ही भूलने लग जाते है। हर रोज हम घर मे , बाहर अलग- अलग तरह की रोटी खाते है , जिसका स्वाद एक जैसा लगता है।

प्यार भरी रोटी खाने को मिले ,तो उस का स्वाद और एहसास कुछ अलग सा होता है।" प्यार भरी रोटी" मिलती भी है, तो कभी कभी खाने को। ख़ुशनसीब हूँ मै, जिसे मिली ये "प्यार भरी रोटी "।

मै अपने परिवार के साथ गुजरात रहने आयी। जहा पर मैंने बहुत सी यादें बनाई । जहाँ से हम छुट्टी के दिनों मे गुजरात घूमने गए। एक दिन हमने "Rann of kutch " जाने का प्रोग्राम बनाया। रस्ते मे हमे अँधेरा होने लगा, तो हम "पटड़ी मंदिर" रुक गए। वहा हमने अँधेरा होने के कारण ,वहा से "little kutch " जाने का सोचा।

"little kutch " जाने के लिए मेरे पति की बैंक से एक लडक़ा आया। जो हमे" little kutch " लेकर जाने वाला था। " little kutch "ऐसी जगह है , जहाँ पर आप अकेले नहीं जा सकते, क्योकि "little kutch " मे आगे जा कर दलदल का खुला मैदान है। बिलकुल" Rann of kutch "की तरह । वहां अगर आप अकेले जाते हो तो , मुश्किल मे आया सकते हो। सफेद दलदल के उस मैदान मे आप के साथ कोई ऐसा होना चाहिए, जो वहां के रस्ते को जानता हो। हम उस लड़के को ,अपनी गाड़ी मे साथ लेकर चल दिए। रस्ते मे एक दो गांव आये , जहाँ के घर कच्ची मिटटी के बने होए थे। आगे जा कर सफेद खुला मैदान आ गया , जहाँ से आप को रस्ते का कोई पता नहीं चलता। सब तरफ जंगल और बीच मे खुला दलदल का मैदान। हमे वो लडक़ा रास्ता बताता गया, आगे जा कर हम एक झोपड़ी के पास रुके। वहां से सब तरफ नमक के सफ़ेद मैदान , जंगल और बहुत दूर एक दो झोपड़ी दिख रही थी।

उस झोपड़ी मे उस लड़के के मम्मी-पापा और बहन रोशनी रहते थे। वहां हम शाम के समय पुहंचे, इसलिए ठंडी हवा चल रही थी। दिन मे गर्मी ,धुप बहुत ज्यादा होती है। हम बाहर ही खटिया पर बैठ गए । रोशनी हमारे लिए चाये लेकर आयी। हमारे आने से रोशनी बहुत ख़ुश थी।

हमने चाये ख़तम करी और में बर्तन झोपड़ी मे रखने गई। झोपड़ी मे एक कमरा और एक रसोई बनी होई थी। रसोई में मिट्टी का चूल्हा बना हुआ था और कुछ बर्तन थे। में वही रोशनी के पास नीचे बैठ गई। और रोशनी के साथ कुछ बाते करने लगी।

रोशनी हमरे लिए खाना बनाने लगी और हम रोशनी के पापा के साथ नमक बनता देखने चले गए । वहां हमने नमक के मैदान देखे , क़ि कैसे ६ महीने मे नमक तैयार होता है। कुछ नमक लेकर वापिस आ गए । में रोशनी के पास रसोई मे चली गयी ,जहाँ रोशनी हमरे लिए बैंगन की सब्जी बना रही थी। सब्जी तैयार करते करते रोशनी ने मेरे साथ बहुत सी बाते करी।

रोशनी हमारे आने से बहुत ख़ुश थी। उसकी आंखो मे एक अलग सी चमक थी। उसने मुझे बताया कि, उस ने अपने सब रिश्ते अपनी माँ मे ही देखे है। जब उसे कोई बात करनी होती है तो अपनी माँ को ही दोस्त के रूप मे देखती है, उसकी बहन ,दोस्त सब उसकी माँ ही है। जहाँ पर वह रह रही थी , वहां आस पास कोई घर नहीं था । वो पढ़ना चाहती थी , पर वहां स्कूल के नाम पर एक वैन आती थी जो थोड़ा बहुत पढ़ा कर चली जाती थी। वहां सब्जी भी किसी दिन ही मिलती थी , जब कोई उस के गांव से आता तो सब्जी लेकर आता था। पास मे जंगल होने के कारण रात को कभी कभी कोई जंगली जानवर भी आ जाते थे। रोशनी दिन भर अपने मम्मी -पापा के साथ नमक तैयार करने मे उनकी मदद करती थी ।

सब्जी बनाने के बाद रोशनी हमारे लिए बाजरे का रोटला (मोटी रोटी ) बनाने लगी। मैंने रोशनी को ज्यादा रोटी बनाने से मना कर दिया , क्योकि बाजरे कि रोटी ज्यादा नहीं खा सकते थे। फिर भी रोशनी ने बहुत सी रोटी बनाई। फिर हमने हाथ धोये और रोटी खाने के लिए चादर पर बैठ गये। बैंगन की सब्जी , बाजरे का रोटला , गेहूं की रोटी , छाछ, गुड़ के साथ रोटी खानी शुरू करी। जब मैंने बाजरे की रोटी के साथ बैंगन की सब्जी खाई, तो उस का स्वाद मन को ख़ुशी से भर देने वाला था। रोशनी का वो प्यार भरा खाना खा कर पेट तो भरा ही था ,पर मन उस से ज्यादा प्रफुलित(ख़ुशी से भरना ) हो गया। उस रोटी मे इतना प्यार भरा हुआ था कि हम खाने से अपने आप को रोक ही नहीं पा रहे थे। हमने पूरा खाना ख़तम कर दिया। रोशनी के बनाये खाने में उस का प्यार और ख़ुशी , का स्वाद हम महसूस कर रहे थे। इतनी प्यार भरी रोटी मैंने पहले कभी नहीं खाई थी।

हम हर रोज बाहर ,घर पर अलग अलग तरह का खाना खाते है , पर रोशनी के पास सिर्फ एक सब्जी और रोटी थी , जिस का स्वाद मन को संतुष्ट करने वाला था ,वो स्वाद किसी होटल मे जा कर, दस तरह की सब्जिओ मे भी नहीं मिलता।

मैं ख़ुशनसीब हो जो मुझे "little kutch " जाने का मौका मिला। जिस कारण मुझे और मेरे पीरवार को वो "प्यार भरी रोटी " खाने को मिली। घर मे आज भी जब भी बैंगन कि सब्जी बनती है तो साथ मे बाजरे की रोटी जरूर बनती है। जो हमे हमेशा रोशनी की वो “ प्यार भरी रोटी “ की याद दिलाती है। जो खाने का स्वाद हमने" little kutch " मे रोशनी के हाथ के बने खाने में खाया, वो स्वाद हमे "raan of kutch " मे भी ना मिला।

To be continued.....☺️

Please give your valuable rating 🙏☺️

Thanku so much 🙏🙏

Navita 🎼